डेंगू क्या है?
डेंगू जिसे डेंगी भी कहते हैं, एडीज मच्छर के काटने के कारण होता है। एडीज मच्छर जमे हुए पानी जैसे कूलर में जमा हुआ पानी, गमलों में जमा हुआ पानी या अन्य कोई ऐसी जगह पर पनप सकते हैं। ऐसी जगह डेंगू का खतरा ज्यादा होता है। बच्चे हों या बड़े यह एडीज मच्छर के कारण होता है। कई बार यह बुखार ज्यादा खतरनाक साबित नहीं होता लेकिन, कई बार यह जानलेवा भी हो सकता है। हालांकि आजकल बच्चों में भी डेंगू के मामले ज्यादा देखे जाने लगे हैं। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंफेक्सियस डिजीज के रिसर्च के अनुसार 1000 बच्चों में 49.5 बच्चों को डेंगू की बीमारी होती है।
बच्चों में डेंगू की बढ़ती परेशानियों के कारण माता-पिता की भी परेशानियां बढ़ जाती हैं। ऐसे में बच्चों के पेरेंट्स को इससे काबू पाने का तरीका जरूर आना चाहिए। बच्चों में डेंगू के लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है समझने की कोशिश करते हैं।
बच्चों में डेंगू के लक्षण क्या हैं?
बच्चों में डेंगू के लक्षण निम्नलिखित हैं:
डेंगू बुखार इंग्लिश में बोन ब्रेक फीवर भी कहा जाता है। दरअसल इस बुखार से शरीर की हड्डियां तो नहीं टूटतीं लेकिन, अत्यधिक तेज दर्द जरूर महसूस किया जा सकता है। आइये जानते हैं बच्चों में डेंगू के लक्षण क्या हैं?
- बच्चों में तेज बुखार हो सकता है। कई बार बुखार 40 डिग्री या इससे भी ज्यादा होने की आशंका बनी रहती है।
- बच्चे के नाक या मसूढ़ों से खून निकलना बच्चों में डेंगू के लक्षणों में से एक है। कई बार शिशु या वयस्क के नाक से खून आने की वजह तेज गर्मी या अन्य कारण हो सकते हैं।
- बच्चे के सर और पूरे शरीर में दर्द।
- शरीर के अक्सर हिस्सों पर लाल चिकत्तों ( खराश) का नजर आना।
- शिशु के आंखों, मांसपेशियों, जोड़ों और हड्डियों में दर्द की शिकायत हो सकती है।
- ग्लैंड में सूजन आना।
बच्चों में डेंगू ऊपर बताये लक्षण होने पर सतर्क हो जाएं। वैसे ये साधारण लक्षण होते हैं लेकिन, बच्चों में डेंगू के निम्नलिखित लक्षण होने पर हेल्थ एक्सपर्ट से मिलना बेहतर विकल्प होगा।
- बच्चे के पेट में तेज दर्द होना
- लगातार उल्टी होना
- मसूढ़ों और नाक से ब्लीडिंग होना
- स्टूल, उल्टी या फिर बच्चे के यूरिन से ब्लड आना
- सांस लेने में परेशानी होना
- बच्चों में डेंगू के लक्षण बढ़ने पर त्वचा का रंग भी हल्का पड़ना
- बच्चे का बेचैन होना
- बच्चे को 3 से 7 दिनों तक लगातार बुखार होना
ये लक्षण बच्चों में डेंगू के अत्यधिक बढ़े हुए स्टेज को दर्शाता है।
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बच्चों में डेंगू का खतरा कब और ज्यादा बढ़ सकता है?
बच्चों में डेंगू का खतरा निम्नलिखित कारणों से बढ़ सकता है। जैसे-
1. ट्रॉपिकल एरिया में रहने या घूमने के दौरान
ऐसे इलाके जहां गर्मी ज्यादा होती है (ट्रॉपिकल रीजन) वहां के लोगों को और बच्चों में डेंगू का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे इलाके जैसे साउथईस्ट एशिया, वेस्टर्न पेसिफिक आइलैंड या लैटिन अमेरिका जैसे शहरों के ओर अगर ट्रेवल कर रहें हैं तो बच्चों का विशेष ख्याल रखें।
2. पेशेंट को पहले कभी डेंगू हुआ हो
बच्चों को डेंगू अगर पहले हो चूका है, तो ऐसे सिचुएशन में बच्चों की देखरेख पर ज्यादा ध्यान दें। लक्षण समझ आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चों में डेंगू के बुखार का निदान कैसे किया जाता है?
हेल्थ एक्सपर्ट आप से बच्चों के हेल्थ से जुड़ी कई प्रश्न पूछ सकते हैं। जिसमें हाल ही में की गई यात्रा (बच्चों के साथ कहीं किसी बाहर के ट्रिप पर गयें हों) जैसे लक्षण-संबंधित प्रश्न शामिल होंगे। आपके रक्त परीक्षण से डेंगू के वायरस की पहचान की जा सकती है। डॉक्टर ब्लड की पूरी तरह से जानकारी की सलाह भी देते हैं। जिससे इस बात का अंदाजा मिल सके कि वायरस आपके बच्चे पर कितनी गंभीरता से असर कर रहा है , यही वायरस ब्लड प्लेटलेट्स को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। इसलिए बच्चों में डेंगू के लक्षण समझ आने पर जल्द से जल्द इस बुखार का इलाज शुरू की जा सकती है।
बच्चों में डेंगू का इलाज कैसे किया जाता है?
डेंगू की जानकारी मिलने के बाद ब्लड टेस्ट से तीन चीजें समझी जाती हैं। NS1 एंटीजन टेस्ट, एक सप्ताह के अंदर किया जाता है। जब पेशेंट में लक्षण दिखाना शुरू हो जाते हैं। बच्चे के इम्यून सिस्टम डेंगू इंफेक्शन से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है, ये एंटीबॉडी दूसरे सप्ताह से ब्लड टेस्ट में दिखाई देने लगते हैं। तीसरी और शायद सबसे जरुरी बात जो इस टेस्ट से पता चलती है वह है, डेंगू टेस्ट प्लेटलेट काउंट, यह आमतौर पर बीमारी की शुरुआत से तीसरे सप्ताह में किया जाता है। अस्पताल में डॉक्टर आपके बच्चे के ब्लड प्रेशर और ब्लड प्लेट्सलेट्स पर भी नजर बनाये रखते हैं। बच्चों में डेंगू होने पर ब्लड टेस्ट 2 से 3 दिनों के अंतराल फिर से की जा सकती है। बच्चों में डेंगू के इलाज के दौरान उनके शरीर में पानी की कमी न होने दें और उन्हें ज्यादा से ज्यादा आराम की सलाह दें।
बच्चों में डेंगू होने पर इलाज के साथ-साथ और क्या करें?
- अपने बच्चे को स्वस्थ और ताकत से भरपूर पौष्टिक आहार प्रदान करें।
- बच्चों की डायट में नियमित रूप से अंडे, चिकन, मछली, डेयरी उत्पादों को शामिल करें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जो जल्दी रिकवरी करने में मददगार हो सकते हैं।
- अपने बच्चे को ज्यादा से ज्यादा गर्म तरल पदार्थ पीने की सलाह दें।
- बच्चे को खेलने या काम करने से रोकें, क्योंकि इस बीमारी में आराम की सख्त आवश्यकता है।
- बुखार को कम करने के लिए डॉक्टर पैरासिटामोल बच्चे को खिला सकते हैं या इस समय डॉक्टर बच्चे को जो दवा लेने की सलाह देते हैं उसे समय-समय पर देते रहें।
- बच्चे को डेंगू से बचाने के लिए पूरे शरीर को ढ़कने वाले कपड़े पहनाएं।
- बच्चे को मच्छर के काटने से बचाएं। ऐसे में बच्चों को क्रीम लगाएं ताकि उन्हें मच्छर के काटने से बचाया जा सके।
- सोने के समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- बच्चों को डेंगू से बचाने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल का सेवन रोजाना करवाएं।
- अगर बच्चे के प्लेटलेट्स बहुत कम हो गया है, तो पपीते के पत्ते का जूस दिया जा सकता है। हालांकि इसके सेवन से पहले डॉक्टर से अवश्य पूछ लें क्योंकि कुछ लोगों को पपीते के पत्ते का जूस डायजेस्ट नहीं भी हो सकता है।
बच्चों में डेंगू होने पर परेशान न हो जल्द से जल्द इसके लक्षणों को समझें और खुद से इस्लाज न करें। अगर आप बच्चों में डेंगू से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
नोट : नए संशोधन की डॉ. प्रणाली पाटिल द्वारा समीक्षा