कोरोना वायरस (Corona virus) का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा। ऐसे में देश में डॉक्टरों और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो गई और ऐसे डर के माहौल में लोग जल्दी अस्पताल जाना नहीं चाहते। ऐसे में सोशल मीडिया और इंटरनेट पर मिली जानकारी के आधार पर लोग घर पर बिना किसी डॉक्टर के परामर्श के ही अपना इलाज करने लगते हैं। कोरोना में सेल्फ मेडिकेशन (Self-medication in corona) बहुत खतरनाक हो सकता है। क्या कोरोना में सेल्फ मेडिकेशन (Self-medication in corona) के साइड इफेक्ट और देश में कोविड-19 (Covid-19) के इलाज में किन दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है? आइए जानते हैं।
सेल्फ मेडिकेशन क्या है? (What is self-medication)
जब कोई व्यक्ति डॉक्टर से सलाह लिए बिना और बिना उनके प्रिस्क्रिप्शन के अपनी मर्जी से कोई दवा लेता है, तो उसे ही सेल्फ मेडिकेशन कहते हैं। इंटरनेट या दोस्तों से मिली जानकारी के आधार पर ही कई बार लोग दवा खाने लगते हैं, बगैर यह जाने कि बहुत सी दवाओं के साइड इफेक्ट भी होते हैं। डॉक्टर तो मरीज की पूरी हेल्थ हिस्ट्री (Health history) जानने और दवाओं के संभावित साइड इफेक्ट (Side effect) को ध्यान में रखते हुए किसी मरीज को दवा देते हैं, लेकिन जब आप अपनी मर्जी से दवा लेते हैं, तो आपको पता नहीं होता कि इसके क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
सेल्फ मेडिकेशन हमेशा घातक होता है और कोरोना में सेल्फ मेडिकेशन (Self-medication in corona) तो और खतरनाक हो सकता है, क्योंकि कोरोना (Corona) हर व्यक्ति को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर रहा है। सब में लक्षण और लक्षणों की गंभीरता भी एक जैसी नहीं होती, ऐसे में सबके उपचार का तरीका भी अलग होता है। माइल्ड (Mild) से मॉडरेड (Moderate) कोविड-19 (Covid-19) के मामलों में डॉक्टर फैबीफ्लू देते हैं, जो कि एक एंटीवायरल दवा है, लेकिन यदि किसी व्यक्ति में बहुत कम लक्षण है और वह इस दवा का सेवन बिना डॉक्टर से पूछे करने लगे तो साइड इफेक्ट हो सकता है, क्योंकि यह हाई पावर की दवा है। ऐसे में किसी भी तरह की संभावित स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए कोरोना में सेल्फ मेडिकेशन (Self-medication in corona) करने की भूल न करें। डॉक्टर के पास फिजिकली नहीं जा सकते तो फोन पर बात करके ये वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके अपनी स्थिति बताएं और उनकी सलाह के अनुसार ही दवा का सेवन करें।
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भारत में कोरोना के इलाज मे इस्तेमाल होने वाली दवाएं (COVID-19 treatment medicines in India)
कोरोना के इलाज के लिए अभी तक किसी कारगर दवा की खोज नहीं हो पाई है। हालांकि वैक्सीन (Vaccine) तो आ चुकी है, मगर सभी को वैक्सीन लगने में वक्त लगेगा। इसके अलावा कोरोना के इलाज के लिए हाल ही में DRDO की दवा 2-Deoxy-D-Glucose (2-DG) को भी इमरजेंसी यूज की मंजूरी मिल चुकी है और कुछ जानकार इसे असरदार भी बता रहे हैं। फिलहाल भारत में कोविड-19 (Covid-19) के मरीजों के इलाज में कुछ खास दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है-
टोसिलिजमैब (Tocilizumab)
यह इम्यूनोसप्रेसिव ड्रग है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से रूमेटाइड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) के इलाज में किया जाता है। कोविड-19 के कुछ हाय रिस्क (High risk) मरीजों को यह दवा दी जा रही है।
इटोलिजमैब- (Itolizumab)
कोविड के मॉडरेड से सीरियस पेशेंट के लिए इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। यह बायोकॉन (Biocon) द्वारा विकसित ‘फर्स्ट क्लास’ ह्यूमनाइज्ड (humanized) IgG1 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (monoclonal antibody) है। यह हाइपरएक्टिव इम्यून रिस्पॉन्स (hyperactive immune response) को कंट्रोल करने में मदद करता है। टोसिलिजमैब (Tocilizumab) भी यही काम करता है, लेकिन दोनों की टाइमिंग अलग होती है।
रेमडीसिविर (Remdesivir)
विदेशों के साथ ही भारत में भी पड़े पैमाने अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए इसका इस्तेमाल होता है। यह दवा इंजेक्शन के जरिए दी जाती है और एंटी वायरल ड्रग (Anti-viral drug) है। कई अध्ययन में इसे असरदार माना गया है और यह कोविड मरीजों (Covid patient) को जल्दी रिकवर होने में मदद करता है।
भारत की मशहूर दवा निर्माता कंपनी सिप्ला (Cipla) ने सिप्रेमी (Cipremi) नाम से अपना रेमडीसिविर (Remdesivir) लॉन्च किया है। कोविड-19 संक्रमण (COVID-19 infection) के कारण अस्पताल में भर्ती व्यस्कों केलिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह दवा खासतौर पर उन मरीजों के लिए बहुत असरदार मानी जा रही है जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट (oxygen support) की जरूरत पड़ती है।
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फैबीफ्लू (FabiFlu)
दुनियाभर में हुए इस दवा के ट्रायल के बाद इसे कोरोना के इलाज में 80-88 प्रतिशत असरादार माना जा रहा है। भारत के अलावा, जापान, बांग्लादेश और यूएई में पहले से ही कोविड-19 के इलाज में इसका इस्तेमाल हो रहा है। यह दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों के अलावा होम आइसोलेशन (Home isolation) में रह रहे कोरोना के मॉडरेट मरीजों को भी दी जाती है, लेकिन कभी भी इसे बिना डॉक्टर की सलाह के न लें। कोरोना में सेल्फ मेडिकेशन (Self-medication in corona) आपकी स्थिति को सुधारने की बजाय बिगाड़ सकता है। फैबीफ्लू FabiFlu) एंटीवायरल दवा (Anti-viral drug) है और यह वायरल लोड को तेजी से कम करने के लिए दी जाती है, लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं (Pregnant women) और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को आमतौर पर इसे लेने की सलाह नहीं दी जाती है। प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीड (Breastfeed) कराने वाली महिलाओं को यदि संक्रमण (Infection) होता है तो उन्हें कोरोना में सेल्फ मेडिकेशन (Self-medication in corona) करने की बजाय डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है।
स्टेरॉयड: डेक्सामेथासोन (Steroids: Dexamethasone)
इसका इस्तमाल कोविड-19 (Covid-19) के गंभीर मरीजों के लिए किया जाता है। जानकरों के मुताबिक यह डेथ रेट को कम करने में मददगार है, लेकिन डॉक्टर कोरोना के माइल्ड और मॉडरेट केसेस में इसके इस्तेमाल की सलाह नहीं देते, क्योंकि इसके गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं, केवल गंभीर मामलों में ही इसे मरीजों को दिया जाता है। तो कोरोना में सेल्फ मेडिकेशन (Self-medication in corona) के तहत इस दवा को खुद से लेने की गलती न करें।
जिंक (Zinc) और विटामिन सी (Vitamin C)
कोरोना मरीजों को डॉक्टर जिंक (Zinc) और विटामिन सी (Vitamin C) सप्लीमेंट्स भी दिया जा रहा है, लेकिन यह कोविड से लड़ने में कितनी मददगार है इस बारे में अभी तक कोई ठोस स्टडी सामने नहीं आई है। हालांकि इसे इम्यूनिटी बूस्टर (Immunity booster) के तौर पर डॉक्टर की सलाह पर कुछ दिनों के लिए ले सकते हैं।
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कोरोना से बचाव के घरेलू तरीके (Home remedies for corona)
आयुष मंत्रालय की ओर से कोरोना से बचाव और इम्यूनिटी (Immunity) बढ़ाने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे बताए गए हैं, हालांकि यह संक्रमण का इलाज नहीं है, लेकिन इम्यूनिटी बूस्ट (Immunity boost) करने में मदद करता है।
- पूरे दिन गुनगुना पानी पीएं।
- हर दिन आधे घंटे मेडिटेशन (Mediation), प्राणायम, योग करें।
- हल्दी, जीरा, धनिया, लहसुन आदि का इस्तेमाल खाना बनाने में करें।
- सुबह दूध के साथ एक चम्मच च्वयनप्राश खाएं। डायबिटीज पेशेंट शुगर फ्री च्वयनप्राश का सेवन करें
- हर्बल टी (Herbal tea) या काढ़ा दिन में एक या दो बार पीएं। काढ़ा में तुलसी पत्ता, दालचीनी, कालीमिर्च, सौंठ और मुनक्का डालें। स्वाद के लिए गुड़ और ताजे नींबू का रस मिला सकते हैं।
- दिन में एक या दो बार हल्दी वाला दूध पीएं। 150 मिली. दूध में आधा छोटी चम्मच हल्दी मिलाकर पीएं।
- गले में खराश, खांसी होने या इससे बचने के लिए गरम पानी से दिन में एक या दो बार भाप लें। आप सादे पानी से भाप ले सकते हैं या फिर उसमें थोड़ा सा पुदीना और अजवायन डालकर भी भाप ले सकते हैं।
- खांसी (Cough) या गले में खराश महसूस होने पर लौंग पाउडर में देसी गुड़ या शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार खाएं।
याद रखिए यह सिर्फ बचाव के तरीके है और इनका भी सीमित मात्रा में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए जैसे काढ़ा दिन में एक या दो कप ही पीएं और इसमें भी मसालों की मात्रा सीमित रखें, क्योंकि सभी मसालों की तासीर बहुत गर्म होती है जो आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। इसी तरह हल्दी (Turmeric) के बहुत अधिक सेवन से ब्लीडिंग (Bleeding) की समस्या हो सकती है। यदि आपको खांसी, बुखार, चेस्ट कंजेशन, गले में खराश जैसी समस्या लगातार बनी रहती है तो बिना किसी देरी के डॉक्टर से सलाह लें। कोरोना वायरस (Corona virus) के म्यूटेशन (Mutation) और नए वेरिएंट्स के कारण अब कोरोना के नए लक्षण सामने आ रहे हैं जिसमें त्वचा, आंखों और मुंह संबंधी समस्याएं भी शामिल है। इसके अलावा डायरिया (Diarrhoea) भी हो सकता है तो आपको यदि कोई भी समस्या 1-2 दिन से ज्यादा रहती है तो इसे नजरअंदाज करने की गलती न करें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि जल्दी निदान और सही इलाज से ही कोरोना को हराया जा सकता है।
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सबसे जरूरी बात सोशल मीडिया और सुनी-सुनाई बातों के आधार पर कोरोना में सेल्फ मेडिकेशन (Self-medication in corona) करने की गलती न करें, वरना स्थिति ठीक होने की बजाय और बिगड़ सकती है। मौजूदा समय में जहां अस्पतालों पर बोझ बढ़ने से गंभीर मरीजों को भी बेड और ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है ऐसे समय में पर कोरोना में सेल्फ मेडिकेशन (Self-medication in corona) करके अपनी और अपने परिवार की मुश्किल न बढ़ाएं।