backup og meta

आयुर्वेदिक डिटॉक्स क्या है? जानें डिटॉक्स के लिए अपनी डायट में क्या लें

आयुर्वेदिक डिटॉक्स क्या है? जानें डिटॉक्स के लिए अपनी डायट में क्या लें

प्राचीनकाल से चली आ रही आयुर्वेदिक चिकित्सा के चमत्कारी प्रभाव के बारे में सभी ही जानते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा कई गंभीर बीमारियों में रामबाण माना जाता है। अगर हम आयुर्वेदिक डिटॉक्स की बात करें, तो इस पद्विति के अंदर शरीर से गंदगी को बहार निकाला जाता है। वायु, पृथ्वी, अग्नि, आकाश और जल इन पांच चीजों से बनी आयुर्वेदा चिकित्सा के कई फायदे हैं। इस चिकित्सा में अपनायी जानें वाली पद्विति वेट लॉस के अलावा और भी कई बीमारियों के इलाज में प्रभावकारी है।

क्या है आयुर्वेदिक डिटॉक्स ( Ayurvedic Detoxification) ?

आयुर्वेदिक डिटॉक्स में डायट आयुर्वेदिक चिकित्सा के लंबे समय से स्थापित उपदेशों पर आधारित है। इस चिकित्सा के अंतगर्त तीन चीजों के बीच शरीर को संतुलन स्थापित किया जाता है, जैसे कि वात, कफ और पित्त। आप तीन दोषों और साथ ही पांच तत्वों जैसे कि जल, वायु, पृथ्वी, अग्नि और आकाश के बीच भी संतुलन बनाए रखा जाता है। अगर तब भी असंतुलन रहता है, तो इसे बीमार  कहा जा सकता है। चूंकि लोगों में अलग-अलग दोष होते हैं, इसलिए सभी के लिए आयुर्वेदिक डिटॉक्स एक जैसे नहीं होते हैं। हालांकि कहा जाता है कि सभी आपके शरीर की अशुद्धियों और विषाक्त पदार्थों को साफ करने के आयुर्वेदिक डिटॉक्टस डायट में काफी समान्नताएं होती है। आयुर्वेदिक डिटॉक्स 3–45 दिनों तक चल सकता है, जो इसमें शामिल प्रथाओं पर भी निर्भर करता है। आयुर्वेदिक डिटॉक्स में आयुर्वेदिक डायट और शारीरिक डिटॉक्स शामिल होता है।

और पढ़ें: आयुर्वेदिक चाय क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है?

शारीरिक डिटॉक्स (पूर्वाकर्मा और पंचकर्म)

पूर्वाकर्मा के रूप में जाना जाने वाला एक प्रारंभिक चरण आपकी आंतों और आपकी त्वचा की सतह से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। आमतौर पर, इसमें तेल मालिश, स्टीमिंग और शिरोधरा शामिल है। साथ इसमें मानसिक शिथिलताको बढ़ावा देने के लिए माथे पर गर्म तेल की मालिश करने को कहा जाता है। दूसरे चरण में पंचकर्म किया जाता है।

[mc4wp_form id=’183492″]

पूर्वाकर्मा ( Poorva karma)

आमतौर पर, इसमें तेल मालिश, स्टीमिंग और शिरोधरा शामिल है – मानसिक संतुष्टि और तनावमुक्त करने के लिए  माथे पर गर्म तेल शामिल करने के लिए एक विश्राम अभ्यास। शिरोधरा, आयुर्वेद के सभी चिकित्साओं में सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावकारी चिकित्सा पद्विति मानी गई है। जिसे भारत में लगभग 6,000 वर्षों से प्रयोग किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति के सिर  पर गुनगुने औषधीय तेल के मालिश के बाद, सिर के बीचों-बीच एक पतली सी धार प्रवाहित की जाती है। इससे आपकी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र यानी कि सेंट्रल नर्वस सिस्टम  की कार्यप्रणाली को अराम मिलता है। बहुत सी बीमारियों में ये चिकित्सा प्रभावकारी है, जैसे कि सायनासाइटिस की समस्या, त्वचा रोग, तनाव और आंखों के रोग आदि में।  आयुर्वेद के अनुसार, वात एवं पित्त के असंतुलन से पीड़ित व्यक्तियों के लिए शिरोधारा अत्यधिक लाभदायक है।

वात दोष के लक्षण-  असुरक्षा महसूस होना, चिंता और तनाव

पित्त दोष के लक्षण-  व्यक्ति में क्रोध, चिड़चिड़ाहट और डिप्रेशन

शिरोधारा प्रक्रिया

शिरोधारा की प्रक्रिया में मालिश के बाद एक तांबे के पॉट के बीच के तल में छेद किया जाता है और उस छेद को एक बाती से बंद किया जाता है। मसाज के बाद इस बर्तन को उस व्यक्ति के माठे के ऊपर कुछ दूरी पर पॉट को लटकाया जाता है। इस प्रक्रिया में औषधीय तेल या औषधीय दूध को मिलाकर औषधीय द्रव बनाकर बर्तन में भरा जाता है, तथा इसके पश्चात इस द्रव को व्यक्ति के मस्तिष्क पर धार के साथ डाला जाता है। व्यक्ति की आंखों में तेल न जाए, इस बात का विशेष का ध्यान रखा जाता है। इसके लिए उसके सिर के उपर और तौलिया बांध दिया जाता है। इस उपचार में लगभग  45 मिनट तक दिया जाता है। इस चिकित्सा से व्यक्ति की तंत्रिकाओं को आराम मिलता है।

शिरोधारा के लाभ

  • तंत्रिका तंत्र को स्थायित्व देता है।
  • अनिद्रा दूर करता है।
  • माइग्रेन के कारण होने वाले सिरदर्द में आराम पहुंचाता है।
  • मानसिक एकाग्रचित्तता बढ़ाता है।
  • उच्च रक्त चाप कम करता है।
  • बालों का झड़ना तथा थकान कम करता है।
  • तनाव कम करता है।

पंचकर्म

डिटॉक्स को प्रभावकारी बनाने के लिए पंचकर्म नामक एक अधिक गहन चिकित्सा को भी शामिल किया जाता है, जैसे कि-

  • विरेचन: इसमें चूर्ण, पेस्ट, या गर्म औषधीय पौधों का उपयोग।
  • वामन: हर्बल औषधीय उपचार का प्रयोग।
  • बस्ती: मालिश, साथ ही गर्म तेल करके एनीमा का उपयोग।
  • रक्ता: रक्त का विषहरण, जिसे रक्तपात भी कहा जाता है।
  • नाश्या: हर्बल उपचार, तेल और धुएं का उपयोग करके नाक की निकासी।

आपके दोष के आधार पर, पंचकर्म की ये चिकित्सा की जाती है। आयुर्वेदिक डिटॉक्स पर अधिकांश लोगों को शरीर और आंतों को साफ करने के लिए हर्बल उपचार किया जाता है।

और पढ़ें: वीगन और वेजिटेरियन डायट में क्या है अंतर?

आयुर्वेदिक डायट डिटॉक्स

आयुर्वेदिक डिटॉक्स में सभी अशुद्धियों और विषाक्त पदार्थों को आपके शरीर से साफ किया जाता है। इस डिटॉक्स डायट में प्रत्येक बीमारियों के लिए अलग-अलग प्रकार की डायट  है। इसमें किसी भी ऐसे फूड के सेवन को मना किया जाता है, जो आपके शरीर में विषाक्त पदार्थों का निमार्ण करता है, जैसे कि अल्कोहल, कैफीन, कृत्रिम मिठास और रेड मीट जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं। आपको अपने आहार के आधार परआयुर्वेदिक आहार की सलाह दी जाती है। इस तरह डिटॉक्टस डायट के माध्यम से आपके शरीर को डिटॉक्स किया जाता है। लेकिन, डायट की सलाह मरीज के रोग पर निर्भर करती है। शुद्धिकरण के लिए उपचार विधि को पंचकर्म कहा जाता है। इस पद्धति में विभिन्न आहार आदि शामिल हैं। इस विधि में जो आहार बताया जाता है, वह बहुत सुरक्षित है, कोई भी इसका सेवन कर सकता है।

इस डायट में पहले तीन दिनों तक कच्चे फल, कच्ची हरी सब्जियां और कच्चे फलों का जूस पीने की सलाह दी जाती है। ये हल्के और डायजेस्टिव होते हैं। तीन दिनों के बाद, फल, सब्जियां और उनके जूस के साथ, आप धीरे-धीरे पके हुए आहार का सेवन भी शुरू कर सकते हैं । जिसमेंस सूप, मूंग दाल सूप और दाल आदि लिया जा सकता है। आप इसके साथ खिचड़ी भी खा सकते हैं। यह 10 दिनों के लिए एक संतुलित आहार तालिका मिलती है। जिसे कोई भी अपना सकता है। डायबिटीज के मरीजों को फलों की बजाए  सब्जियों के रस का सेवन करने की सलाह दी जाती है।  शारीरिक रूप से डिटॉक्स के अलावा, आपको संतुलित भोजन खाने को कहा जाता है, जो व्यापक आहार और जीवन शैली में बदलाव करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इसमें शामिल प्रथाओं के आधार पर, एक आयुर्वेदिक डिटॉक्स 3-45 दिनों तक चल सकता है। इसमें आपको अपने खान पान पर काबू रख कर शरीर को डिटॉक्स करने के लिए कहा जाता है। इसमें उपवास, सब्जी और फलों पर खास ध्यान दिया जाता है।

डिटॉक्स के दौरान पानी आपका प्राथमिक पेय होना चाहिए। अदरक की चाय भी अपने पेट सुखदायक गुणों के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कई मामलों में, आप अपने आंत्र को साफ करने के लिए बिस्तर से पहले एक चाय पीना चाहते थे।

प्रत्येक दिन एक ही समय पर भोजन करने, भोजन करते समय व्याकुलता को सीमित करने, दूसरों के साथ सुखद वार्तालाप का आनंद लेने और जब तक आप संतुष्ट नहीं होते तब तक खाएं ।

कुछ मामलों में, “मोनो-आहार’ की सिफारिश की जा सकती है। आमतौर पर, इसमें किचनरी – चावल, मूंग और मसालों के रूप में जानी जाने वाली डिश को खाना शामिल होता है – दिन के सभी भोजन के लिए एक निश्चित अवधि के लिए आपके दोश को पुनर्संतुलित करना।

डिटॉक्सिफाई करने वाली आयुर्वेदिक ड्रिंक्स (Body Detox Remedies with natural and Ayurvedic Drinks)

अपनी बॉडी को डिटॉक्टस करने के लिए आप घर पर ही कुछ आयुर्वेदिक डिटॉक्टस ड्रिंक तैयार कर सकते हैं। इसमें इस्तेमाल की जानें वाली सामग्रियां आपको घर में आसानी से मिल भी जाएगी। जानें कैसे बनाएं ये डिटॉक्स ड्रिंक्स-

  • लेमन, कोरिएंडर और ग्रीन टी:  इसे बनाने के लिए एक पैन में धनिया, नींबू और ग्रीन टी को लेकर मिलाएं और फिर इसका 5 मिनट के लिए पका लें। आप इसके बिना पकाएं भी पी सकते हैँ। इसके हर दिन सेवन से आपकी बॉडी डिटॉक्स होने के साथ आपकी त्वचा में ग्लो भी आएगा होने के साथ आपकी त्वचा में ग्लो भी आएगा। ये डिटॉक्स ड्रिंक एंटी एजिंग की समस्या को भी कम करती है।
  • काली मिर्च और लेमन ड्रिंक: इस डिटॉक्स ड्रिंक को बनाने के लिए आप एक गिलास में हल्का गर्म पानी में थोड़ा सा काली मिर्च पाउडर डालकर पीएं। यह पाचन तंत्र के लिए भी काफी अच्छा होता है। सर्दियों में यह काफी प्रभावी मानी जाती है। शरीर में गर्माहट भी बनाए रखती है।
  • वेजिटेबल स्टॉक डिटॉक्स ड्रिंक: इसे बनाने के लिए पालक, गाजर, परवल और लौकी जैसे सब्जियां लें, हरे साग खासतौर पर। फिर इसका जूस निकाल लें। अब तैयार वेजिटेबल स्टॉक में आप दालचीनी का टुकड़ा और अदरक का रस मिलाएं। फिर इस ड्रिंक को पीएं, यह आपके शरीर को डिटॉक्स करने के साथ खून की कमी को भी पूरा करेगा।
  • लेमन एंड जिंजर ड्रिंक: इसे बनाने के लिए आप नींबू और अदरक का रस निकाल लें और फिर इसे हल्के गर्म पानी में मिलाकर पीएं। यह आपकी बॉडी डिटॉक्स करने के लिए सबसे बेस्ट ड्रिंक है। इसके अलावा यह आपके पाचन तंत्र के लिए भी काफी फायदेमंद है। पेट को साफ करने के लिए भी यह काफी प्रभावकारी है।
  • एलोवेरा का रस:  एलोवेरा को पेट और बॉडी डिटॉक्स के लिए काफी अच्छा माना जाता है। यह एक नेचुरल रेमिडी है। इसके अलावा आप ताजे एलोवेरा के पत्ते से जूस निकाल लें या बाजार में मौजूद ऐलोवरा जूस को मंगा लें। वैसे ताजा एलोवेरा का जूस ज्यादा फायदेमंद होता है। इसमें आप चुटकी भर काली मिर्च पाउडर डालकर के भी पी सकते हैं।
  • आमला का रस: आमले का जूस वेट लॉस, मजबूत बाल और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसका सेवन नियमित रूप से आपकी बॉडी को डिटॉक्स करने के साथ आपकी एंटी एजिंग की समस्या को भी रोकता है। सर्दियों के मौसम में इसे हल्का सा गर्म कर के पिएं।

और पढ़ें: प्रेग्नेंसी में संतरा खाना कितना सुरक्षित है?

1-ऑरेंज-जिंजर डिटॉक्स ड्रिंक

संतरा एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन सी का सबसे अच्छा स्तोत्र है। गाजर बीटा-कैरोटीन और फाइबर के साथ वजन कम करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है और यह पाचन में काफी आसान है। इसमें आप अदरक का रस मिलाने से इसके गुण और भी बढ़ जाते हैं।

सामग्री 

  • 1 बड़ा गाजर
  • 2 संतरे
  • 1/2 इंच कच्ची हल्दी (क्रंच किया हुआ)
  • 1/2 इंच अदरक (क्रंच किया हुआ)
  • 1/2 नींबू का रस

विधि

1.  इसे बनाने के लिए संतरे और गाजर को अलग-अलग रस निकाल लें।

2. एक ब्लेंडर में दोनों जूस, अदरक और सभी सामग्रियों को डालकर अच्छे से ब्लैंड कर लें। उसमें नीबू का रस न मिलाएं।

3. 30 सेकंड ब्लैंड करने के बाद अब इसमें नीबू का रस मिलाएं।

4. तैयार ड्रिंक को खुद पिएं या किसी को सर्व करें।

2. लेमोना ड्रिंक

नीबूं में विटामिन-सी की उच्च मात्रा में पायी जाती है। यह बॉडी को डिटॉक्स करने में काफी प्रभावकारी है। लेमेन ड्रिंक का आप रोज सेवन कर सकते हैं। इसे ब्यूटी ड्रिंक भी कहा जाता है।

सामग्री

  • 2 नींबू का रस
  • 5 नींबू की स्लाइस
  • 3 बंच मिंट
  • 1/2 कप शहद
  • कुचला बर्फ

विधि

1. इसे बनाने के लिए आप एक पैन में सभी सामग्री को डालकर मिला लें। फिर इसे पीएं या सर्व करें।

और पढ़ें: Lime: हरा नींबू क्या है?

3- खीरा मिंट डेटॉक्स ड्रिंक

खीरा गर्मियों के मौसम में सबसे अच्छा माना जाता है। यह बॉडी को डिॉक्स करने के साथ पेट के लिए भी काफी फायदेमंद है। इसके साथ पुदीने का इस्तेमाल पेट की समस्याओं के दूर करता है। इसके माध्यम से पाचन प्रक्रिया और पित में काफी सुधार आता है। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खीरे और नींबू के साथ मिंट वाली ये ड्रिंक वेट लॉस में भी काफी प्रभावकारी है।

सामग्री:

  • 1 खीरा छिला हुआ
  • 8-10 पुदीने की पत्तियां
  • 2 बड़े चम्मच नींबू का रस
  • गर्म पानी
  • नींबू के छल्ले और पुदीने के पत्ते

विधि

  • इसे बनाने के लिए  खीरे को छिल लें, काट लें। अब खीरे को पुदीने की पत्तियाें को पानी में  मिलाएं।
  • अब इसमें  नींबू का रस और काला नमक डालें।
  • फिर इसे सर्व करें।

और पढ़ें: चुकंदर के फायदे और नुकसान – Health Benefits of Chukandar (Beetroot)

4. अनार का जूस

अनार और चुकंदर की अच्छाई के साथ डिटॉक्स, जिसे आयुर्वेद में  क्लींजिंग और डिटॉक्स लाभों के लिए बहुत महत्व दिया जाता है। इस जूस के साथ ताजे एलाेवेरा का इस्तेमाल किया जाता है।

सामग्री

  • 1 ताजा पत्ता एलोवेरा
  • 1/2 कप चुकंदर, कटा हुआ
  • 2 कप अनार का रस या आंवला का रस (भारतीय आंवला)
  • 1/4 टीस्पून काली मिर्च पाउडर

विधि

1. इसे छिलकर इसका जूस निकाल लें।

2. पीली परत को तेज चाकू से छिलके के नीचे रखें और आपको लगभग 2 बड़े चम्मच (30 मिली) साफ एलोवेरा जेल के साथ छोड़ देना चाहिए। (रस को जोड़ने से पहले जेल को साफ करें।)

3. एक ब्लेंडर में अनार का रस, कटा हुआ चुकंदर और मिश्रण डालें।

4.अब एलोवेरा जेल डालें।

5. थोड़ा काली मिर्च डालकर सर्व करें।

5- शहद नींबू अदरक की चाय

चाय के लिए भारत और उसके प्यार को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। अदरक, शहद और नींबू के संकेत के साथ मसालेदार इस पेय का उपयोग लंबे समय से गले में खराश और सर्दी के इलाज के लिए किया जाता है। लेकिन मनगढ़ंत बातें जितना आपने सोचा था उससे कहीं अधिक लाभ पहुंचाती हैं

सामग्री

  • 3 कप पानी
  • 1 छोटा चम्मच अदरक, बारीक कटा हुआ
  • 1 चम्मच चाय की पत्ती, हर कप के लिए
  • 1 चम्मच नींबू का रस
  • 1 चम्मच शहद

विधि

1. एक पैन में 3 कप पानी गर्म करें।

2. इसके बाद इसमें अदरक डालकर उबालना शुरू कर दें।

3.  चाय की पत्तियों, नींबू का रस और शहद जोड़ें।

4. इसे पीए या सर्व करें।

और पढ़ें: नारियल पानी के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Coconut Water (Nariyal Pani)

6- नींबू और नारियल पानी

सामग्री:

  • 1 नारियल
  • पुदीने की पत्तियां
  • 1 बड़ा चम्मच शहद
  • 1 नींबू

विधि

1. एक गिलास में नारियल का पानी लें और एक बाउल में नारियल के गूंदे को मैश्ड कर लें।

2. पुदीने को भी बारीक काट लें।

3. इसे नारियल पानी में मिलाएं।

4. अब शहद और नींबू के रस और सभी सामग्री को एक साथ मिक्स करें।

5. इसके बाद इसे सर्व करें।

7- जिंजर डिटॉक्स ड्रिंक

अदरक का सेवन ज्यादातर चाय के साथ सेवन किया जाता है, इसलिए भ्ज्ञ

सामग्री

  • 1/2 कप अदरक (कीमा बनाया हुआ)
  • 1/2 कप ताजा नींबू का रस
  • बर्फ के टुकड़े (आवश्यकतानुसार)
  • 1 गिलास लीची का रस
  • 1 कप अंगूर
  • 1/2 कप चिया सीड्स
  • पुदीने की पत्तियां
  • एक चुटकी नमक

विधि- 

1. एक जार में, कीमा बनाया हुआ अदरक, नींबू का रस और लीची का रस डालें।

2. स्वाद के लिए कुछ बर्फ, नमक डालें और अच्छी तरह से ब्लेंड करें।

3. इसे एक जार में डालें। इसमें कटा हुआ अंगूर और चिया बीज डालें। इसे चम्मच से अच्छी तरह मिलाएं।

4. आमतौर पर इसे कुछ पुदीने की पत्तियों से गार्निश करें और ठंडा परोसें।

और पढ़ें: कीटो डायट और इंटरमिटेंट फास्टिंग: दोनों है फायदेमंद, लेकिन वजन घटाने के लिए कौन है बेहतर?

भोजन में क्या लें

वैदिक जीवनचर्या के पालन में पर्याप्त मात्रा में गरम पानी पीने की सलाह दी जाती है। जिससे पसीने के रूप में सभी टॉक्सिन बाहर निकल जाएं। इसके अलावा योग के लिए भी कहा जाता है, ताकि पसीने के माध्यम से भी । यह शरीर में शरीर में रक्तसंचार को भी बढ़ाता है। योग करने से बॉडी डिटॉक्स होने के साथ वेट लॉस भी होता है। मसल्स टोनड होती है और रोगी तनावमुक्त महसूस करता है।

  1. पाचन प्रक्रिया और अपच की समस्या को मुक्त कर के, डायजेस्टिव सिस्टम को अच्छा बनाता है

  2. नींद की समस्या को दूर करता है
  3. पेट न साफ होने की समस्या में ये काफी प्रभावकारी है

  4. बाल तथा आंखों के समस्या से भी निदान

  5. पेट फूलना तथा कमर या जोड़ों में दर्द से आराम

  6. शारीरिक ऊर्जा में सुधार

आयर्वेदिक डीटॉक्स डायट टॉक्सिन के लिए सटीक दवा है ।आयुर्वेद ने दुनिया को पांच तत्वों में विभाजित किया है – वायु (Air), पृथ्वी (Earth), तेजा (Fire), आकाश (Space), और जल (Water) प्रत्येक तत्व के विभिन्न संयोजनों से बनते हैं तीन दोष जो आपके शरीर में विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिए जिम्मेदार हैं। यह तीन दोष वात, कफ और पित्त हैं।उचित स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए, तीन दोषों, साथ ही पांच तत्वों के बीच संतुलन बनाए रखना अनिवार्य है। यदि असंतुलन मौजूद है, तो बीमारी होने का आशंका हैं।अपने दोष को ध्यान में रखके डीटॉक्सीफाई करने से शुद्धिकरण प्रक्रिया अधिक प्रभावी होती है।

कितनी बार डिटॉक्स कर सकते हैं-

वैसे तो इस डायट को  हर तीन महीने में एक बार अपनाया जा सकता है। अधिक उम्र वाले लोगों के लिए यह डिटॉक्स साल में एक बार करना ठीक है। यह आपके शरीर में जमे  हुए आंव की मात्रा पर निर्भर करता है। डिटॉक्स डायट आहार दो प्रकार के होते हैं। पहला आहार, आम तौर पर सभी लोगों के लिए फायदेमंद होता है और कोई भी इसका सेवन कर सकता है। दूसरे आहार में लोगों के शरीर में मौजूद बहिर्जात पदार्थ (“आंव’) के मात्रा तथा शरीर के किस हिस्से में इसका प्रभाव ज्यादा है, इसके आधार पर तय किया जाता है।

कितने अन्तराल में पुन: अपनाना चाहिए?

अगर आप  डिटॉक्टस डायट को तुरंत दोहराना चाहते हैं, तो इसे हर तीन महीने के बाद 10 दिन के लिए आप डीटॉक्स डायट अपना सकते हैं। हर साल सीजन चेंज होने दौरान यानि एक साल में चार बार हम इसे ले सकते है। भोजन में भी कुछ बदलाव होता है। इस समय शरीर में आंव जमा होने की सम्भावना ज्यादा होती है।

पुन: पारम्परिक भोजन शैली

डीटॉक्स डायट के समयकाल समाप्त होने के बाद धीरे-धीरे अपनी पुरानी भोजन शैली में लौट आना आवश्यक है। लेकिन हमें हमेशा संतुलन और स्वस्थ भोजन का सेवन करना चाहिए। असंतुलित भोजन शैली से हमारे शरीर में फिरसे आंव उत्पन्न कर सकती है।

और पढ़ें: आयुर्वेदिक चाय क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है?

मालिश

आयुर्वेदिक मसाज थेरिपी भारत की सबसे प्राचीन मसाज चिकित्सा पद्धिति है, इसमें जड़ी-बूटियों से बने ऑयल से शरीर की मसाज की जाती है।  यह भी एक तरह का डिटॉक्स है।  इससे त्वचा खूबसूरत होने के साथ बॉडी टाइटनिंग के लिए,  शरीर में होने वाली सूजन को कम करने में,  दर्द कम करने, थकान दूर करने और तनाव कम करने आदि परेशानियों में प्रभावकारी है।  कई गुणों से भरी मसाज थेरिपी भारत में  काफी लोकप्रिय है। आयुर्वेदिक उपचार का सही समय मानसून का मौसम होता है, क्योंकि इस समय वातावरण नम और ठंढा होता है। इसमें इस्तेमाल किए जानें वाले हर्बल ऑयल बहुत ही प्रभावकारी होते हैं। ये आयुर्वेदिक औषधियां मेटाबालिज्म, स्ट्रेस और चिरकालिक रोगों के लिए एक बेहतर और प्रभावशाली उपाय है। कीमोथेरेपी और अन्य दूसरी बीमारियों के लिए इसका काफी उपयोग किया जाता है। इसका प्रयोग पुनयरवन और सौंदर्य कार्यो के लिए भी होता है। अगर आप इस पद्धति के जरिए अपना उपचार कराना चाहते हैं तो अपको कम से कम दो हफ्ते का समय देना पड़ेगा। इस दो हफ्ते के कोर्स में हर्बल और अन्य जड़ी-बूटियों के जरिए आपकी मालिश या मसाज की जाएगी।

मेडिटेशन

दैनिक ध्यान और माइंडफुलनेस प्रैक्टिस आयुर्वेदिक डिटॉक्स के प्रमुख घटक हैं। विभिन्न श्वास तकनीकों का उपयोग करके, ध्यान आपको दैनिक विकर्षणों से दूर करने, चिंता को कम करने, अपने तनाव के स्तर को कम करने और रचनात्मकता और आत्म-जागरूकता बढ़ाने में मदद कर सकता है। ध्यान 10 मिनट से लेकर 1 घंटे  तक कहीं भी रह सकता है।माइंडफुलनेस का अभ्यास करना आपको वर्तमान क्षण में रहने की अनुमति देता है। जब आप भोजन करते हैं, व्यायाम करते हैं, और अन्य दैनिक कार्य करते हैं, तो आपको माइंडफुलनेस का अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

क्या आयुर्वेदिक डिटॉक्स प्रभावी है?

आयुर्वेदिक डिटॉक्स आपके शरीर को साफ करने में मदद करता है और यह स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है। हालांकि वज्ञानिकों द्वारा  आयुर्वेद पर कोई बहुत ज्यादा प्रमाण नहीं है। लेकिन आयुर्वेदिक डिटॉक्स में इस्तेमाल होने वाले घटकों के कई लाभ बताए गए हैं। आयुर्वेद में उन भोजनों के उपर ज्यादा जोर दिया जाता है, जो असानी से पच जाते हैं। ऐसे भोजन जिसका जिसका आधा हिस्सा पोषक तत्वों के रूप में शरीर में अवशोषित हो जाता है और बाकी हिस्सा अपशिष्ट उत्पादों के रूप में शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। लेकिन कई बार अनहेल्दी भ आहार, धूम्रपान, शराब, तनाव, पर्यावरण, अस्वास्थ्यकर आदतें) के कारण हम जो भोजन करते हैं वह पूरी तरह से पच नहीं पाता है।

आयुर्वेद ने ऐसे विष को “आंव’ नाम दिया है। किसी भी बीमारी के पहले चरण को कभी-कभी “आमा’ भी कहा जाता है।यह आंव को शरीर से पूर्णतः निष्काषित करने के लिए हमें आयुर्वेद के नियमानुसार शुद्धिकरण की प्रक्रिया का पालन करना चाहिये।

वजन घटाने के लिए आयुर्वेद डिटॉक्स ?

वेट लॉस के लिए आयुर्वेद डिटॉक्स काफी प्रभावकारी है। दस्त, कब्ज, अस्थमा, गठिया, त्वचा के मुद्दों और मूत्र पथ के संक्रमण जैसी बीमारियों का कारण माना जाता है। वहीं ये तीनों वजन घटाने के लिए भी बहुत जरूरी है और बॉडी डिटॉक्स का अभिन्न हिस्सा है। जैसे कि मल और मूत्र के जरिए शरीर की गंदगी आसानी से बाहर आ सकती है। तो आइए जानते हैं इसे करने का तरीका।

अन्य लाभ

आयुर्वेदिक डिटॉक्स पर बहुत कम वैज्ञानिक शोध है, जिससे यह जानना मुश्किल हो जाता है कि क्या यह कोई दीर्घकालिक लाभ प्रदान करता है।

हालाँकि, आयुर्वेदिक जीवनशैली कई स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देती है। सीमित अल्कोहल और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के साथ पूरे खाद्य पदार्थों के आहार को हृदय रोग, मधुमेह, मोटापे और कुछ प्रकार के कैंसर के कम जोखिम से जोड़ा गया है।

[embed-health-tool-bmi]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

http://akamiayurveda.org/specialities/detoxification-therapy-in-ayurveda.php Accessed 09 January 2021

https://somatheeram.org/en/detox/ Accessed 09 January 2021

https://artoflivingretreatcenter.org/blog/ayurvedic-detox-harrison/ Accessed 09 January 2021

https://www.healthline.com/nutrition/ayurvedic-diet#downsides Accessed 09 January 2021

http://jssamch.org/panchakarma-detoxification/ Accessed 09 January 2021

https://food.ndtv.com/lists/10-delicious-detox-drink-recipes-1684332 Accessed 09 January 2021

Current Version

20/01/2021

Niharika Jaiswal द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Niharika Jaiswal


संबंधित पोस्ट

एंटीवायरल हर्ब्स- जो वायरल इंफेक्शन से करेंगे आपकी हिफाजत

फैटी लिवर के लिए होम्योपैथिक इलाज में शामिल 5 दवाओं के बारे में यहां जानें!


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/01/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement