टन…टन…टन… क्या आपको भी ऐसी आवाज सुनाई देती है? या फिर बिना बोले ही आपको किसी ध्वनि का आभास होता है? अगर ऐसा है तो जरा सावधान हो जाएं। आप टिनिटस की समस्या के शिकार हो रहे हैं। टिनिटस को हिंदी में ‘कान बजना’ कहते हैं। लोग कान बजने की बीमारी को बहुत हल्के में लेते हैं लेकिन, ये आगे चल कर बड़ी समस्या बन सकता है। अब तक वैज्ञानिक तौर पर इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं है।
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टिनिटस या कान बजने की बीमारी क्या है?
कान बजना या टिनिटस में इंसान के एक या दोनों कानों में अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं। ऐसा तब भी हो सकता है जब बाहर पूरी तरह से सन्नाटा हो। इस दौरान भिनभिनाने, दहाड़ने या घंटे बजने की आवाज सुनाई देती है। कानों में बजने वाली आवाज तेज और धीमी भी हो सकती है।
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कान बजने की बीमारी का कारण क्या है?
कान बजने की बीमारी के कई कारण है। इसके लिए बाहरी कारण ज्यादा जिम्मेदार होते हैं। जिसमें दवाओं, दांतों में दर्द, सिर में चोट आदि प्रमुख कारण हैं :
- कानों में वैक्स होने से भी कान बजने की समस्या सामने आती है।
- एस्प्रिन, कुछ एंटीबायोटिक्स, एंटी डिप्रेशन दवाएं या कीमोथेरेपी से संबंधित दवाएं खाने से भी कान बजने की समस्या होती है।
- कभी-कभी दांत दर्द (Toothache) के कारण भी टिनिटस की शिकायत हो जाती है। इसका कारण है कि कानों की कुछ नसें आपके जबड़ों से जुड़ी रहती है। जिसके कारण कान बजते हैं।
- कुछ बीमारियों के कारण भी कान बजने की समस्या होती है। सर्दी-जुकाम, साइनस आदि में कभी-कभी कान जाम हो जाता है और बजने लगता है।
- कई बार सिर की चोट के कारण भी कान बजने की समस्या हो जाती है। कभी किसी एक्सीडेंट में अगर आपके सिर पर चोट लगी हो तो भी ऐसा होता है।
- किसी बाहरी चीज का काम में जाना भी इसकी समस्या हो सकती है।
- यह वर्टिगो बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। (वर्टिगो का पता लगाने के लिए डॉक्टर इलेक्ट्रोनिस्टेग्मोग्राफी रिकमेंड करते हैं )
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इसके अलावा अन्य कारण भी हैं :
कान में आवाज आने का मुख्य स्रोत न्यूरल सर्किट (ब्रेन सेल्स का नेटवर्क) होता है, जिसकी वजह से हमें किसी भी तरह की आवाज सुनने का आभास होता है। इसका मतलब यह है कि, जिस समस्या को हम कान से जोड़कर देखते हैं, वो दरअसल दिमाग से जुड़ी होती है। कान में आवाज आने के दिमागी कारण के पीछे वैज्ञानिकों के बीच अभी भी मतभेद बना हुआ है। कुछ लोगों को लगता है टिनिटस क्रोनिक पेन सिंड्रोम की तरह ही होता है, जिसमें किसी घाव या टूटी हड्डी के जुड़ जाने के बाद भी दर्द रहता है। इसके अलावा, अंदरुनी कान के क्षतिग्रस्त होने की वजह से ऑडिटरी सिस्टम को भेजे जा रहे साउंड के सिंग्नल का न्यूरल सर्किट द्वारा संतुलन बिगड़ जाने से भी कान में आवाज आने की समस्या हो सकती है।
कान बजने की बीमारी और बहरेपन में संबंध
कान बजने की बीमारी खुद में कोई बीमारी नहीं है। बल्कि, यह एक लक्षण है, जिससे पता चलता है कि आपके ऑडिटरी सिस्टम में कुछ खराबी आ गई है। ऑडिटरी सिस्टम में कान, इनर ईयर और दिमाग को जोड़ने वाली ऑडिटरी नर्व और साउंड को प्रोसेस करने वाला दिमाग का हिस्सा शामिल होता है। कान में आवाज आने की समस्या कान में वैक्स जमने जैसे सामान्य से कारण की वजह से हो सकती है। लेकिन, कई बार यह दूसरी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकती है। जैसे-
- कान और साइनस का इंफेक्शन
- ब्रेन ट्यूमर
- महिलाओं में हॉर्मोनल चेंज
- थायरॉइड असामान्यता
- दिल या रक्त वाहिकाओं की बीमारी
- तेज आवाज की वजह से होने वाला बहरापन
कान बजने की बीमारी तेज साउंड की वजह से होने वाले बहरेपन का संकेत भी हो सकता है। क्योंकि, कान बजने की बीमारी का सबसे आम कारण तेज साउंड के संपर्क में आना होता है। कान में आवाज आने की समस्या से परेशान 90 प्रतिशत लोगों को किसी न किसी स्तर का तेज साउंड की वजह से होने वाला बहरापन होता है।
दरअसल, तेज आवाज की वजह से हमारे कान के अंदरुनी हिस्से में एक स्पाइरल शेप का अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है, जिसे कोक्लिया (Cochlea) कहा जाता है। तेज साउंड के संपर्क में सिर्फ एक बार आने से भी कान में आवाज आने की समस्या हो सकती है। इसीलिए, जब हमारे कान के पास कोई तेज आवाज सुनाई देती है या कान पर किसी भी वजह से कोई चीज लगती है, तो हमें कान में सीटी बजने जैसी आवाज सुनाई देने लगती है।
कान बजने की बीमारी या टिनिटस का इलाज क्या है?
पिछले दशक के दौरान हुए कुछ शोधों में इसका इलाज ढूंढने की कोशिश की गई। लेकिन, अभी तक कोई कारगर दवा नहीं बन पाई है। लेकिन, कुछ घरेलू उपाय और थेरेपी से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
- रोजाना एक्सरसाइज करें
- धीमी आवाज पर रेडियो या बैकग्राउंड म्यूजिक सुनें।
- धनिया की चाय बना कर पीने से कान बजने की समस्या कंट्रोल हो सकता है।
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योग से भी दूर कर सकते हैं कान बजने की बीमारी
- अपने मुंह को खोलें और फिर अपने हाथ को ठोढ़ी पर रखें। इसके बाद अपने मुंह को और खोलें। इसी स्थिति में 30 सेकेंड तक रहें।
- अपना मुंह खोलें, फिर दो अंगुलियों से निचले दांतों को जकड़ें। इसके बाद अपने मुंह को खोलने का प्रयास करें। फिर लगभग 30 सेकेंड तक उसी स्तिथि में रुकें। इस योग को 10 बार दोहराएं।
- अपने मुंह को ढीला और थोड़ा खोलें। फिर अपने जबड़े को जितना हो सके दाहिनी तरफ ले जाएं। फिर बाईं मुट्ठी से जबड़े को हल्के से दायीं ओर रहने के लिए दबाव बनाएं। इसी स्थिति में 30 सेकंड तक रहें। फिर इसी क्रिया को दूसरे और क जबड़े पर करें। ऐसा दिन में करीब चार टाइम 10-10 बार करें।
कान बजने की बीमारी पर कई रिसर्च हुई है, लेकिन अभी तक वैज्ञानिक इसका सटीक इलाज नहीं ढूंढ पाए हैं। इसलिए अगर आपको टिनिटस की ज्यादा दिक्कत है तो अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
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