ब्रेन स्ट्रोक के बाद रोगी कई तरह के शारीरिक या मानसिक बदलाव महसूस कर सकते हैं। जिनमें कुछ बदलाव अस्थायी और कुछ स्थायी भी हो सकते हैं। जिसे हम पोस्ट स्ट्रोक या ब्रेन स्ट्रोक आने के बाद का समय भी कहते हैं। हालांकि, स्ट्रोक के बाद शारीरिक बदलाव का असर न सिर्फ पीड़ित व्यक्ति पर होता है, बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है।
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स्ट्रोक के बाद क्या शारीरिक बदलाव -क्या हो सकते हैं?
1. कमजोर मांसपेशियां
स्ट्रोक के बाद शारीरिक बदलाव में कमजोर मांसपेशियों की स्थिति सबसे आम देखी जा सकती है। स्ट्रोक का असर सीधे ब्रेन की नसों पर पड़ता है। ब्रेन की नसे शरीर के अलग-अलग अंगों को संचालित करने का कार्य करती हैं। अगर स्ट्रोक के कारण मांसपेशियों के कार्य संचालित करने वाला हिस्सा प्रभावित होता है, तो हाथ-पैर की मांसपेशियों समते पूरे शरीर की भी मांसपेशियां कमजोर हो सकती है।
मांसपेशियां कमजोर होने के कारण आपको शारीरिक कार्यों को करने में परेशानी हो सकती है या आप किसी भी तरह के शारीरिक काम करने में असमर्थ भी हो सकते हैं।
मांसपेशियां कमजोर होने के कारण होने वाली परेशियांः
- चलने में परेशानी
- लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठ रहना या खड़े रहने में परेशानी हो सकती है
- शारीरिक गतिविधियों को करने के दौरान बहुत जल्दी थक जाना, एक्सरसाइज करते समय, शारीरिक तौर पर कोई खेल खेलते समय, इंटरकोर्स करते समय
- हाथ या पैर की अंगुलियों या कलाईयों को घुमाने-फिराने के दौरान दर्द होना या परेशानी महसूस करना
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2. संवेदनाओं में बदलाव
संवेदना में बदलाव हो सकता है, जैसे स्वाद या सुगंध की सही पहचान न कर पाना, सेक्स की इच्छा में बदलाव हो सकता है, किसी वस्तु को छूने का और उसे महसूस करने का आपका अनुभव भी बदल सकता है, जिसे हाइपोस्थेसिया कहा जाता है। इसके अलावा वातावरण में तापमान के अनुभव में भी बदलाव महसूस हो सकता है। हालांकि, आमतौर पर यह 3 महीने बाद सुधरने लगता है।
3. खाना निगलने में परेशानी
स्ट्रोक के बाद खाना निगलने की समस्या भी बहुत आम देखी जाती है। इसके अलावा खाते समय खांसी आना, गले में भोजन फंसना, भोजन निगलने के बाद भी मुंह में बचा हुआ खाना या पेय पदार्थ रह जाना, भोजन ठीक से चबाने में असमर्थ होना, भोजन चबाने में सामान्य से अधिक समय लेना।
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4. संयम की कमी
जैसे पेशाब रोकने में असमर्थ होना। स्ट्रोक के कारण मूत्राशय और आंत को नियंत्रित करने वाली दिमाग की नसें डैमेज हो सकती है, जिसके कारण पेशाब रोकने की क्षमता कम हो सकती है। इसके कारण व्यक्ति अंजान में पेशाब या मल त्याग सकते हैं। साथ ही, कब्ज की भी समस्या हो सकती है।
5. सिरदर्द
अगर स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क में सूजन होती है तो सिरदर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा ब्रेन स्ट्रोक के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण भी सिरदर्द की समस्या हो सकती है। साथ ही, हाई ब्लड प्रेशर को कम करने वाली दवाओं या खून को पतला करने वाली दवाओं के कारण भी सिरदर्द की समस्या हो सकती है।
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6. दृष्टि के साथ समस्या
अगर ब्रेन स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क का वह हिस्सा जो आंखों की सूचनाओं को नियंत्रित और प्राप्त करता है, प्रभावित होता है, तो दृष्टि के साथ समस्या पैदा कर सकता है। इसके कारण मोतियाबिंद या ग्लूकोमा की समस्या, धुंधला दिखाई देने की समस्या, एक या दोनों आंखों से दिखाई देना बंद हो सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक के कारण आंखों को 4 तरह से नुकासन हो सकता हैः
- विजन लॉस होना- यह स्थिति अंधापन का कारण हो सकती है।
- आंखों की गति से जुड़ी समस्या – ब्रेन स्ट्रोक के कारण आंखों के कार्य को नियंत्रित करने वाली नसें प्रभावित हो सकती है। इसके कारण आंखों की गति धीमी या तेज हो सकती है। यानी एक वस्तु को देखने के बाद दूसरे वस्तु के देखने में परेशानी हो सकती है या उसके देखने की गति धीमी हो सकती है। इसे निस्टागमस (nystagmus) कहा जाता है।
- विजुअल प्रोशेसिंग प्रॉब्लम- यानी आपकी आंखें एक समय में सिर्फ एक ही वस्तु या दिशा को देख पाने में सक्षम होगी। मान लीजिए आप सीधी दिशा में देख रहे हैं, तो आपके अपने अगल-बगल के दृश्य नहीं दिखाई दे सकते हैं।
- प्रकाश से परेशानी- यानी आपको सूर्य की रोशनी या अन्य प्रकाश में देखने से जुड़ी समस्या हो सकती है।
7. लकवा
ब्रेन स्ट्रोक के कारण शरीर के एक तरफ का हिस्सा पूरी तरह के डैमेज हो सकता है, जिसे लकवा कहा जाता है। अगर स्ट्रोक ब्रेन के दाईं तरफ आया होगा, तो शरीर के बाएं भाग में लकवा होगा।
8. बोल-चाल की परेशानी
स्ट्रोक के बाद शारीरिक बदलाव में बोल-चाल की परेशानी होना भी आम स्थिति हो सकती है। इसके कारण बोलने या किसी की बात समझने में परेशानी होना या बोलना भी बंद हो सकता है। जिसे दो सामान्य श्रेणियों में बांटा गया हैः
- बोलना बंद होना- अगर ब्रेन स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क के बाईं ओर की नसे डैमेज होती है, तो संचार करने की क्षमता को नुकसान होता है। इसके कारण पढ़ने, लिखने और बोलने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
- मोटर स्पीच डिसऑर्डर- स्ट्रोक के कारण मांसपेशियों की कमजोरी या असंगति (डिसरथ्रिया) के कारण बोलेन की क्षमता धीमी या विकृत हो सकती है।
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स्ट्रोक के बाद मानसिक बदलाव
याद रखें कि स्ट्रोक के बाद शारीरिक बदलाव या मानसिक बदलाव होना बहुत ही आम स्थिति हो सकती है। क्योंकि, स्ट्रोक सीधे दिमाग की नसों को नुकसान पहुंचाती है और मस्तिष्क ही हमारे व्यवहार और भावनाओं को नियंत्रित करता है।
डिप्रेशन और एंग्जाइटी
ब्रेन स्ट्रोक के कारण डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी मानसिक समस्या होना सबसे आम हो सकता है। स्ट्रोक के दौरे से गुजर चुके लगभग 60 फिसदी लोगों में इसकी समस्या देखी जाती है। यानी स्ट्रोक से प्रभावित हर 3 में से 1 व्यक्ति डिप्रेशन या एंग्जाइटी का शिकार हो सकता है।
स्ट्रोक के बाद होने वाले अन्य मानसिक बदलावों में शामिल हैंः
- चिड़चिड़ा होना
- केयरलेस होना
- भ्रमित होना
- भूलने की बीमारी होना
- किसी भी काम करने में जल्दबाजी करना
- जागरुकता की कमी होना
- बिना किसी कारण के हंसना या रोना
स्ट्रोक के बाद शारीरिक बदलाव या मानसिक बदलाव के लिए उपचार की विधि क्या है?
स्ट्रोक के कारण होने वाली शारीरिक या मानसिक बदलाव के उपचार के लिए सबसे जरूरी है परिवार के अन्य सदस्यों का इससे जागरूक होना। क्योंकि, इन बदलावों के बाद व्यक्ति आत्मविश्वास की कमी महसूस कर सकता है।
इसके अलावा स्ट्रोक के बाद होने वाले बदलावों के उपचार के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। उनके लक्षणों और स्वास्थ्य की स्थिति के अनुसार डॉक्टर उपचार की विधि शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा होने वाले शारीरिक बदलाव के लिए कई तरह के थेरेपी मददगार हो सकते हैं। जैसेः
- संज्ञानात्मक व्यवहार थेरिपी
- व्यवहार प्रबंधन प्रशिक्षण
- डिप्रेशन या एंग्जाइटी के लिए दवा, योग या एक्सरसाइज
- परिवार का समर्थन
- टॉक थेरेपी
- स्पीच थेरेपी
- स्पोर्ट ग्रुप की मदद लेना
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