मेंटल हेल्थ की जब चर्चा होती है, तो इसे अक्सर यंगस्टर या ओल्डएज से ही जोड़कर देखा जाता है, लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि नवजात शिशुओं को भी मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या हो सकती है? मिशिगन डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेस (Michigan Department of Health and Human Services) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार इन्फेंट मेंटल हेल्थ (Infant mental health) को भी समझना पेरेंट्स एवं परिवार के अन्य सदस्यों को समझना जरूरी है। इसलिए आज इस आर्टिकल में इन्फेंट मेंटल हेल्थ (Infant mental health) यानी नवजात शिशु के मेंटल हेल्थ से जुड़ी जानकारी शेयर करेंगे।
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- इन्फेंट मेंटल हेल्थ की समस्या क्या है?
- इन्फेंट मेंटल हेल्थ ठीक ना होने पर क्या-क्या लक्षण देखे जा सकते हैं?
- इन्फेंट मेंटल हेल्थ का निदान कैसे किया जा सकता है?
- इन्फेंट मेंटल हेल्थ के ट्रीटमेंट का विकल्प क्या है?
- पेरेंट्स के लिए टिप्स क्या है?
नवजात शिशु के मानसिक स्वास्थ्य (Infant mental health) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
इन्फेंट मेंटल हेल्थ (Infant mental health) की समस्या क्या है?
इन्फेंट मेंटल हेल्थ को अर्ली चाइल्डहुड मेंटल हेल्थ (Early childhood mental health) से भी जाना जाता है। इन्फेंट मेंटल हेल्थ की समस्या नवजात शिशुओं से लेकर 5 साल के उम्र तक के बच्चों में देखी जा सकती है। हालांकि अगर आप नवजात शिशु के मानसिक स्वास्थ्य (Infant mental health) को लेकर अब चिंतित महसूस कर रहें,तो ऐसा बिलकुल भी ना करें। क्योंकि अगर पेरेंट्स स्ट्रेस में रहेंगे तो इसका नेगेटिव प्रभाव आपके मेंटल हेल्थ पर भी पड़ सकता है। इसलिए स्ट्रेस (Stress) ना लें और आर्टिकल में आगे पढ़ें इन्फेंट मेंटल हेल्थ के लक्षणों के बारे में।
इन्फेंट मेंटल हेल्थ ठीक ना होने पर क्या-क्या लक्षण देखे जा सकते हैं? (Symptoms of Infant mental health)
मायो क्लिनीक (Mayo Clinic) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार इन्फेंट मेंटल हेल्थ के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- नवजात शिशु का ठीक तरह से सो (Sleep) ना पाना।
- नवजात शिशु का ठीक तरह से स्तनपान (Breastfeeding) ना करना।
- शिशु का अत्यधिक रोना (Cry)।
- इन्फेंट रेस्टलेस (Restless) लगना।
- अपच (Indigestion) की समस्या होना।
- शिशु का अत्यधिक डरना (Fear)।
- शिशु का वजन ना (Babies weight) बढ़ना।
ऐसे लक्षण इन्फेंट मेंटल हेल्थ ठीक ना होने के कारण हो सकते हैं। इसलिए ऐसी स्थिति में पीडियाट्रिशियन से कंसल्ट करें।
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इन्फेंट मेंटल हेल्थ का निदान कैसे किया जा सकता है? (Diagnosis of Infant mental health)
इन्फेंट मेंटल हेल्थ का निदान किया जा सकता है, लेकिन शिशु के मानसिक स्थिति को समझना कठिन हो सकता है। इन्फेंट मेंटल हेल्थ (Infant mental health) के निदान के लिए शिशु के शारीरिक स्थिति को मॉनिटर करने के साथ-साथ उनमें हो रहे नेगेटिव बदलाव को समझा जाता है। कई बार घर में पहले से मौजूद छोटे बच्चे की बिहेवियर के कारण भी इन्फेंट मेंटल हेल्थ प्रभावित हो सकती है। इन्फेंट मेंटल हेल्थ के डायग्नोसिस के दौरान डॉक्टर पेरेंट्स की भी मेंटल हेल्थ काउंसलिंग कर सकते हैं। हर एक बातों को ध्यान में रखकर नवजात शिशु के मानसिक स्वास्थ्य (Infant mental health) को समझा जाता है और फिर इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
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इन्फेंट मेंटल हेल्थ के ट्रीटमेंट का विकल्प क्या है? (Treatment for Infant mental health problem)
इन्फेंट मेंटल हेल्थ के ट्रीटमेंट के दौरान निम्नलिखित विकल्प अपनाये जा सकते हैं। जैसे:
पेरेंट एजुकेशन (Parent education)
माता-पिता या फिर बच्चे का ध्यान रखने वालों शिशु के स्वभाव के बारे में समझाया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर चाइल्ड केयर प्रोफेशनल (Child care professional) से कंसल्ट किया जा सकता है।
होम विजिट (Home visits)
प्रोफेशनल केयर एक्सपर्ट आपके घर पर विजिट करते हैं और शिशु के माता-पिता के साथ-साथ घर अन्य सदस्यों से बात करते हैं।
इन ऊपर बताये गए दो महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखने के साथ-साथ पेरेंट्स को स्पेशल टिप्स भी जाती है, जिससे इन्फेंट मेंटल हेल्थ को हेल्दी रखने में मदद मिल सकती है।
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पेरेंट्स के लिए टिप्स (Tips for Parents)
- शिशु के साथ बात करें, हंसे, मुस्कराएं एवं उनके साथ आई कॉन्टेक्ट बनाये।
- पेरेंट्स यह ध्यान रखें की बच्चा कब हस्ता है, कब रोता है या फिर आपके रिएक्शन के कितनी देर बाद या जल्द ही रिस्पॉन्स करता है।
- शिशु को ज्यादा से ज्यादा अटेंशन दें।
नोट: माता-पिता यह ध्यान रखें कि नवजात शिशु भी आंखें खोलता या खोलती है। वह अपने आंखों को आसपास घुमाता है और इधर-उधर देखता भी है। अगर शिशु ऐसा नहीं कर रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
इन बातों को ध्यान रखने के साथ-साथ अपने मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रखें, क्योंका आपकी मेंटल हेल्थ का भी असर बच्चों पर पड़ सकता है। नवजात शिशु या छोटे बच्चे अपनी परेशानी बताने में असमर्थ होते हैं। ऐसे इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना विशेष जरूरी है।
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नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें? (Tips to care infants)
इन्फेंट मेंटल हेल्थ का ध्यान रखने के साथ-साथ निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखें। जैसे:
- नवजात शिशु की देखभाल के दौरान यह हमेशा याद रखें कि शिशु को मां के पास रहने दें।
- शिशु के जन्म के बाद आधे घंटे के पहले ब्रेस्टफीडिंग जरूर करवाएं। क्योंकि मां का पहला पीला दूध जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है। इससे शिशु के इम्यून की इम्यून पावर (Immune power) भी स्ट्रॉन्ग होती है। जन्म के बाद के छह महीने तक बच्चे के लिए मां का दूध (Mother’s milk) ही संपूर्ण आहार है।
- शुरूआती छह महीनों तक स्तनपान करने वाले शिशु अच्छी तरह से विकसित होते हैं। संक्रमण से उनका बचाव होता है।
- छह माह से ज्यादा उम्र के बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग के साथ ऊपरी आहार भी देना चाहिए।
- जन्म के तुरंत बाद शिशु को पोलियो की दवा, बीसीजी और हेपेटाइटिस का टीका लगवाना चाहिए।
- सभी नवजात शिशुओं की बेबी मसाज ऑयल से मालिश करना चाहिए। इससे शिशु की मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं। मालिश करते समय ध्यान रखें कि हल्के-हल्के हाथों से ही मालिश करें।
नवजात शिशु की देखभाल (Newborn baby care) के लिए शिशु का नियमित रूप से हेल्थ चेकअप करवाना बहुत जरूरी होता है। हो सकता है कि बच्चा हेल्दी और स्वस्थ लग रहा है लेकिन, उसको कोई स्वास्थ्य समस्या हो। ऐसे में माता-पिता बच्चे का रेगुलर चेक-अप (Health checkup) करवाना न भूलें। साथ ही शिशु की किसी भी बीमारी के लिए घरेलू उपाय (Home remedies) ट्राई करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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इन्फेंट मेंटल हेल्थ (Infant mental health) ख़राब होने पर पेरेंट्स को घबराना नहीं चाहिए। क्योंकि इसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन ठीक तरह से डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। हालांकि इन्फेंट मेंटल हेल्थ (Infant mental health) की समस्या होने पर इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसलिए बच्चे की पूरी हेल्थ कंडिशन (Babies health condition) को ध्यान में रखकर इन्फेंट मेंटल हेल्थ (Infant mental health) की समस्या का इलाज किया जाता है।
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