जैसे-जैसे बच्चे अपने बचपन से किशोर अवस्था (जिसे टीनेज कहते हैं) में प्रवेश करते हैं उन्हें कई नए अनुभव मिलते हैं। ऐसे ही कुछ अनुभवों में से एक है कान में पियर्सिंग करवाना। भारत में लड़कों की तुलना में लड़कियों के कान में पियर्सिंग करवाने का चलन ज्यादा है। छोटी से लेकर बड़ी उम्र तक की लड़कियों के कान में पियर्सिंग करवाना आम बात है। इसे कर्णवेध संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं क्या है कर्णवेध संस्कार।
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बच्चों के कान में पियर्सिंग(Ear Piercing): पहले जानिए कर्णवेध संस्कार के बारे में
हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कार हैं और उन्हीं में से नौवां संस्कार है, कर्णवेध संस्कार। इसका मतलब होता है, कान छेदना, कर्ण यानी कान और वेध मतलब छेदना। लोगों का मानना है, कि कर्णवेध संस्कार से न सिर्फ सुंदरता बढ़ती है बल्कि बुद्धि में भी विकास होता है। इतना ही नहीं, शास्त्रों के अनुसार तो इतना तक कहा गया है, कि जिनका कर्णवेध संस्कार नहीं हुआ है, वो अपने रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार तक का अधिकारी नहीं होगा।
शुरूआत में, कर्ण छेदन संस्कार लड़के और लड़कियों दोनों के किए जाते थे, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बदलता गया, इसमें बदलाव होने लगे और लड़कों के लिए यह कम हो गया। हालांकि, यह लोगों की इच्छा पर निर्भर करता है। पहले लड़कियों के लिए कर्णवेध संस्कार के साथ-साथ नाक छेदन संस्कार भी होते थे। हालांकि, आज के युग में यह सब अपनी इच्छा अनुसार हो चुका है।
वैसे देखा जाए तो लड़कियों के लिए यह जरूरी है क्योंकि कान में पियर्सिंग करवाने के बाद उनमें पहने जाने वाले आभूषण उनके शृंगार का साधन है जो, उनकी सुंदरता बढ़ाते हैं। पियर्सिंग की सही उम्र क्या है? कान में पियर्सिंग करने के दौरान और बाद में बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनका ध्यान रखना बहुत जरूरी है क्योंकि, आए दिन कान में पियर्सिंग करवाने से होने वाले इंफेक्शन (Infection)और समस्याओं के बारे में सुनने को मिलता है।
यहां बताए गए सुझावों को अपनाकर आप कान में पियर्सिंग की प्रक्रिया को और आसान और सुरक्षित बना सकते हैं। जानिए बच्चों के कान में पियर्सिंग (Ear Piercing) से संबंधित जरूरी बातों के बारे में
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बच्चों के कान में पियर्सिंग (Ear Piercing) करवाने से पहले रखें ध्यान:
कभी भी छह महीने से कम के बच्चे का कान में पियर्सिंग (Ear Piercing) न करवाएं। विशेषज्ञों के अनुसार दस वर्ष की उम्र कान में पियर्सिंग करवाने के लिए सही है। कान के नीचे का हिस्सा जहां छेद किया जाता है, वो बहुत ही नाज़ुक और नर्म होता है। कान में पियर्सिंग करवाने से पहले उस हिस्से को अच्छी तरह से साफ कर लें और जांच लें कि कहीं उस जगह या उसके आस-पास किसी तरह की कोई चोट न हो।
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बच्चों के कान में पियर्सिंग (Ear Piercing) के दौरान इन बातों का रखें ध्यान:
- बच्चों के कान में पियर्सिंग के समय उन्हें स्थिर होकर बैठने के लिए कहें: कान में पियर्सिंग करवाने की प्रक्रिया में थोड़ा दर्द होता है, जिस वजह से बच्चों को डर लगाना बहुत ही आम बात है। ऐसी स्थिति में बच्चे हिलते हैं और भागने लगते हैं। ऐसा करने से कान कटने का डर तो रहता ही है और कभी-कभी तो छेद की जगह भी बदल जाती है। इसलिए बहुत ज़रूरी है की कान छिदवाते समय आराम से बिना हिले बैठा जाये।
- बच्चों के कान में पियर्सिंग करवाते वक्त नीडल की जांच करें: कान में पियर्सिंग के लिये प्रयोग की जाने वाली नीडल की जांच अवश्य करें। पहले से इस्तेमाल की गयी नीडल से कान में पियर्सिंग करवाए। पहले से इस्तेमाल की हुई नीडल से संक्रमित रोग (Infectious diseases) होने की संभावना रहती है।
- बच्चों के कान में पियर्सिंग करते वक्त कान को बार-बार न छुएं: कान में पियर्सिंग करवाने के बाद कान को बार-बार की कोशिश न करें। इससे कान में खिंचाव आने और कान में संक्रमण होने का डर रहता है।
- बच्चों के कान में पियर्सिंग करते वक्त देखभाल कैसे करें: कान के छेद में एंटीबैक्टीरियल दवाई भी लगाए। कान की बाली को बीच-बीच में घुमाते रहें ताकि वह एक जगह पर न जमें। साथ ही ऐसा करने से छेद वाली जगह पर गंदगी नहीं जमती।
- बच्चों के कान में पियर्सिंग के बाद कान को पानी से बचाएं: कान के छेद को पानी (Water) से बचा के रखें। स्विमिंग करने से बचें। कान छिदवाने के चार हफ्तों तक स्विमिंग न करें क्योंकि स्विमिंग करने से पूल का पानी से संक्रमण का खतरा हो सकता है।
- बच्चों के कान में पियर्सिंग के बाद उने कपड़े पहनते और उतारते समय ध्यान रखें: कपड़े बदलते समय विशेष ध्यान रखें, की कान का पिछला भाग कपड़े या तौलिए में न फंस जाए। भारी ज्वैलरी पहनने से बचें। जब तक कान का छेद पूरी तरह से ठीक न हो जाए तब तक कानों में बहुत बड़े टॉप्स या बड़ी बाली जैसी भारी ज्वैलरी न पहने।
दी गई सभी बातों का ध्यान रखते हुए कान में पियर्सिंग करवाने के बाद उसे किसी तरह के इंफेक्शन्स या बीमारियों से बचाया जा सकता है।
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बच्चों के कान में पियर्सिंग (Ear Piercing) के बाद होने वाले फायदे क्या हैं?
- माना जाता है कि कान छिदने से लकवा जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
- इससे मस्तिष्क में रक्त का संचार (Blood circulation) समुचित प्रकार से होता है। इससे दिमाग तेज चलता है।
- पुरुषों के द्वारा कान छिदवाने से उनमें होने वाली हर्निया (Hernia) की बीमारी दूर हो सकती है।
- यह भी कहा जाता है कि पुरुषों के अंडकोष और वीर्य के संरक्षण में भी कान छिदवाने का फायदा मिलता है।
- मान्यता अनुसार बच्चों के कान में पियर्सिंग (Ear Piercing) से व्यक्ति के रूप में निखार आता है।
- कान छिदवाने से बुद्धि बेहतर होती है तभी पुराने समय में गुरुकुल जाने से पहले कान छिदवाने की परंपरा थी।
- ऐसा माना जाता है कि कान छिदवाने से सुनने की क्षमता बढ़ जाती है।
- ऐसा भी कहा जाता है कि कान छिदवाने से आंखों की रोशनी तेज हो सकती है।
- कान छिदने से तनाव भी कम होता है।
अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे के कान की स्किन में किसी प्रकार की समस्या है या फिर बच्चे को स्किन संबंधी कोई बीमारी है, तो बेहतर होगा कि आप कान छेदना या छेदन कराने से पहले इस बारे में डॉक्टर से जरूर पूछें। छेदन एक संस्कार है लेकिन बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा न होने पर बेहतर होगा कि आप इसे न कराएं। आप चाहे तो इस बारे में डॉक्टर से राय ले सकते हैं। अगर डॉक्टर आपको छेदन कराने की सलाह देते हैं, तो आप इसे करा सकते हैं।
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