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स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर से ग्रसित है बच्चा, तो ऐसे करें इलाज

स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर से ग्रसित है बच्चा, तो ऐसे करें इलाज

बच्चे 10 या 11 महीने के होते ही बोलने की कोशिश करना शुरू कर देते हैं। लेकिन, कुछ बच्चे बड़े होने के बाद भी सही से नहीं बोल पाते हैं। थोड़ा बहुत बोलने की कोशिश करने पर भी उनकी  आवाज साफ समझ में नहीं आती है। ऐसी समस्या को स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर (Speech-Language Disorder) कहते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को परेशान नहीं होना चाहिए। बल्कि बच्चे की स्पीच-लैंग्वेज थेरिपी (Speech-Language Therapy) करानी चाहिए। इससे बच्चे की ये समस्या दूर हो जाएगी और वह भी सामान्य बच्चों की तरह बोलने लगेगा। डफरिन हॉस्पिटल, लखनऊ के चाइल्ड स्पेशलिस्ट ने हैलो स्वास्थ्य को बताया कि स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर और उसकी थेरिपी क्या है? स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर कितने प्रकार का होता है? 

स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर क्या है? (Speech-Language Disorder)

स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर से ग्रसित बच्चे को बोलने में हर तरह की दिक्कत आती है। बात करते वक्त जरूरी उच्चारण, आवाज आदि में ऐसे बच्चों को समस्या आती हैं। 

स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर कितने प्रकार के होते हैं? (Speech-Language Disorder Types)

स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर दो प्रकार के होते हैं। 

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एप्रेक्सिया (Apraxia)

एप्रेक्सिया में बच्चे को जीभ, होंठ या जबड़े घुमाने में परेशानी होती है। बच्चे को पता होता है कि वह क्या कहना चाहता है, लेकिन दिमाग बोलने के लिए जरूरी पेशी (Muscle) के साथ तालमेल नहीं कर पाता है। इससे वह साफ तरीके बोल नहीं पाता है। 

डिसारथ्रिया (Dysarthria)

डिसारथ्रिया एप्रेक्सिया से ज्यादा जटिल स्थिति है। इसमें बच्चा बोलने की कोशिश धीमी तरह से कर पाता है। गलत बोलता है और आवाज लड़खड़ाती हुई होती है। इसके अलावा, हाइपरनेजल सा लगता है, यानि पूरी तरह से नाक से निकलती हुई आवाज लगती है। इसके अलावा हकलाना, लिस्पिंग, बोली बंद होना आदि तरह के स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर होते हैं।

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स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर का इलाज क्या है? (Speech-Language Disorder Treatment)

स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर का इलाज है स्पीच-लैंग्वेज थेरिपी। जिसे स्पीच-लैंग्वेज थेरेपिस्ट ही करता है। बच्चे को लेकर स्पीच-लैंग्वेज थेरेपिस्ट के पास जाना होता है। वह दवाओं के साथ बच्चे को एक्सरसाइज के साथ बोलना सीखाता है।

स्पीच-लैंग्वेज थेरिपी कैसे होती है? (Speech-Language Therapy)

इसे  स्पीच-लैंग्वेज थेरेपिस्ट ही करता है। सबसे पहले थेरेपिस्ट बच्चे को देखता है और समझता है कि वास्तव में बच्चे को किस तरह का डिसऑर्डर है। इसी के आधार पर थेरेपिस्ट तय करता है कि बच्चे को किस तरह की एक्सरसाइज करानी है। बच्चे की कमजोरी को थेरेपिस्ट समझेगा और उसे उसके हिसाब से ट्रीटमेंट देगा। इस थेरेपी में थेरेपिस्ट बच्चे के फेफड़े और जीभ को मजबूत कराने वाली एक्सरसाइज कराता है। जैसे कि सीटी बजाना, जीभ घुमाना, खाना निगलना सीखाना, कई तरह के शब्द बुलवाना, जीभ के साथ होठों को घुमा कर बोलना सीखाना आदि कराते हैं। 

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स्पीच-लैंग्वेज थेरेपी के फायदे (Speech-Language Therapy benefits)

  • स्पीच-लैंग्वेज थेरिपी से बच्चे सही तरीके से बोलना सीख जाते हैं। 
  • इससे बच्चे में आत्मविश्वास आ जाता है और वह ज्यादा से ज्यादा बोलना पसंद करने लगता है। 
  • जिन बच्चों को भाषा की परेशानी है, स्पीच-लैंग्वेज थेरिपी के बाद सामाजिक, भावनात्मक स्तर पर मजबूत होते हैं। साथ ही खुद के लोगों के बराबर समझते हैं।
  • जिन बच्चों को बोलने के साथ सुनने की भी समस्या होती है, उन्हें भी लाभ मिलता है। वे बच्चे किताबें पढ़ना और अलग-अलग ध्वनियों को सुनना सीख जाते हैं
  • अगर बच्चे में स्पीच-लैंग्वेज की समस्या है तो उसका इलाज कम उम्र से कराने पर जल्दी ही फायदा होता है।

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स्पीच-लैंग्वेज थेरिपी कराना बच्चे के लिए सकारात्मक साबित होगा। इसके साइडइफेक्ट ना के बराबर हैं। इसलिए अगर स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर है तो बिना समय गंवाएं बच्चे की थेरेपी कराएं। तो बात हो गई शुद्ध तरीके से न बोलने की, अब बात करते उस स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर की जो बच्चे बोलने में देरी करते हैं।

बच्चे के बोलने में देरी का क्या है कारण

स्पीच थेरेपिस्ट डॉ आर.के. चौहान कहते हैं कि जो बच्चे जन्म के बाद देर से रोना शुरू करते हैं, ऐसे बच्चे बोलना भी देर से चालू करते हैं। इसके अतिरिक्त प्रेग्नेंसी के समय मां अगर जॉन्डिस की शिकार हो या नॉर्मल डिलीवरी में कई बार बच्चे के मस्तिष्क की बाईं ओर चोट लग जाती है। इस स्थिति में बच्चे की सुनने की शक्ति बाधित हो जाती है। सुनने और बोलने के बीच गहरा संबंध है। यदि कोई बच्चा ठीक से सुन नहीं पाता हो तो वह बोलना भी आरंभ नहीं करता।

बच्चे के बोलने में देरी हो तो इन बातों का रखें खयाल :

  • बच्चे को खेलते हुए खिलौनों तथा वस्तुओं के नाम बताएं तथा उसे प्रोत्साहित करें कि वह उसे दोहराए।
  • शिशु के जन्म के कुछ महीनों बाद ध्वनि निकालने वाले खिलनों की सहायता से सुनने की क्षमता को जांचना चाहिए।
  • बच्चा पूरा वाक्य बोलने लगे तो उसे नर्सरी राइम्स सुनाना शुरू करें तथा उसकी कुछ पंक्तियों को दोहराने के लिए उत्साहित करें।

बच्चों के लिए भाषा के विकास के चरण सभी बच्चों के लिए समान हैं, लेकिन जिस उम्र में बच्चे उन्हें विकसित करते हैं वह बहुत भिन्न हो सकता है। यदि सुनने में भी कोई समस्या लगे तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि सुनने और बच्चे के बोलने में देरी के बीच परस्पर संबंध हैं।

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इस स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर (Speech-Language Therapy) का है घरेलू उपचार

  • अगर आपके बच्चे के बोलने में देरी हो रही या दूसरे शब्दों में कहें तो जिस उम्र में बच्चे बोलना शुरू कर देते हैं उस तक बच्चा अगर नहीं बोलता है, तो ऐसे में उसके सामने दूसरे बच्चों का उदाहरण न दें। इससे बच्चे का आत्मसम्मान घटता है।
  • बच्चे के बोलने में देरी होने पर उसकी हर कोशिश के बाद उसे मोटिवेट करने से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • आप अपने बच्चों को दूसरे बच्चों के साथ घुलने-मिलने का मौका दें इससे आपका बच्चा  दूसरों के संपर्क में, बोलने की कोशिश करेगा। दूसरे बच्चों को देखकर उनसे सीखने की कोशिश करेगा।
  • कई मामलों में देखा गया है कि बच्चे के बोलने में देरी का कारण पेरेंट्स की बिजी लाइफस्टाइल भी हो सकती है। इन बच्चों के लिए आपको ऐसा माहौल तैयार करना पड़ेगा कि यह अपने दिन का कुछ समय दूसरे लोगों के संपर्क में बिता सके। ताकि इन्हें बोलने का भरपूर मौका मिले।
  • रात में सोते वक्त बच्चे को कहानी सुनाएं।  इससे बच्चे में कम्युनिकेशन स्किल का विकास होगा।
  • बच्चों को इनडोर गेम्स की जगह आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करें। इससे उन्हें दूसरे बच्चों के साथ खेलना का मौका मिलेगा और उनका कम्युनिकेशन भी स्ट्रॉन्ग होगा।
  • अगर सारे प्रयासों के बाद भी आपको सुधार नजर नहीं आ रहा है, तो ऐसे में डॉक्टर के पास जाएं। वे आपकी समस्या को हल करने में मदद करेंगे।

उम्मीद करते हैं कि आपको स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर (Speech-Language Disorder) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Speech-Language Therapy https://kidshealth.org/en/parents/speech-therapy.html Accessed on 16/12/2019

Going to a Speech Therapist https://kidshealth.org/en/kids/speech-therapist.html Accessed on 16/12/2019

Where Speech-Language Pathologists Go for Answers https://www.speechandlanguagekids.com/ Accessed on 16/12/2019

Child Speejch and Language https://www.asha.org/public/speech/disorders/childsandl/ Accessed on 16/12/2019

Speech and language therapy interventions for children with primary speech and/or language disorders https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6464758/ Accessed on 16/12/2019

Language and Speech Disorders in Children/https://www.cdc.gov/ncbddd/childdevelopment/language-disorders.html/ Accessed on 15th July 2021

Speech and Language Problems in Children | https://medlineplus.gov/speechandlanguageproblemsinchildren.html | Accessed on 15th July 2021

Childhood apraxia of speech | https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/childhood-apraxia-of-speech/symptoms-causes/syc-20352045 | Accessed on 15th July 2021

Stuttering | https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/stuttering/diagnosis-treatment/drc-20353577 | Accessed on 15th July 2021

Speech Disorders | https://www.healthline.com/health/speech-disorders | Accessed on 15th July 2021

Current Version

13/12/2021

Nikhil deore द्वारा लिखित

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore

Updated by: Nikhil deore


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Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/12/2021

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