पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मिल्क एलर्जी (Milk allergy in children) एक बड़ी समस्या है। बच्चों के लिए दूध एक संपूर्ण आहार है। मिल्क एलर्जी होने पर बच्चे दूध नहीं पी पाते हैं। इससे उनमें संपूर्ण पोषण की कमी हो जाती है। मिल्क एलर्जी कुछ खास वजहों से होती है। हर बच्चे में मिल्क एलर्जी के ठीक होने में अलग-अलग समय लगता है। आज हम इस आर्टिकल में मिल्क एलर्जी के लक्षण और उसके इलाज के बारे में बताएंगे।
मिल्क एलर्जी के कारण, लक्षण और इसके इलाज की बारीकियों को समझने के लिए हमने पुणे के खरादी में स्थित मदरहूड हॉस्पिटल के डॉक्टर सचिन भिसे से खास बातचीत की। डॉक्टर भिसे डीएनबी (पीडियट्रिक्स), फैलोशिप (निओनेटोलॉजी एंड पीडियाट्रिक्स क्रिटिकल केयर) पीडियाट्रीशियन एंड निओनेटोलॉजिस्ट हैं।
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बच्चों में मिल्क एलर्जी के लक्षण (Symptoms of Milk allergy in children)
- डायरिया होना
- पेट में दर्द का अहसास होना।
- पेट में क्रैंप्स का अहसास होना।
- पेट का फूलना।
- रैशेज आना
- सांस लेने में तकलीफ और सांस लेते वक्त आवाज आना।
बच्चों में मिल्क एलर्जी (Milk allergy in children) के गंभीर मामलों के लक्षण
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- ब्रीथिंग पाइप और मुंह में सूजन आ जाना।
- एनाफाइलेक्टिक का गंभीर रिएक्शन।
- फीवर
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बच्चों में मिल्क एलर्जी के कारण (Milk allergy Causes in children)
बच्चों में मिल्क एलर्जी के निम्न कारण हो सकते हैं।
मिल्क प्रोटीन से होती है एलर्जी
डॉक्टर भिसे ने कहा, ‘मिल्क में अल्फा एस वन केसीन और व्हे प्रोटीन होते हैं। कई बार यह दोनों ही शिशुओं में मिल्क एलर्जी के कारण बनते हैं।’ हालांकि, उन्होंने कहा कि मिल्क एलर्जी के गंभीर मामले बहुत ही कम होते हैं।
इम्यून सिस्टम भी है जिम्मेदार
डॉक्टर सचिन भिसे ने कहा, ‘शिशुओं में कई बार बीमारियों से लड़ने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं होती। इसकी वजह से यह दूध में मौजूद केसीन और व्हे प्रोटीन्स को बाहरी पदार्थ समझ लेती है। मिल्क को बाह्य पदार्थ समझ लेने के चलते प्रतिरक्षा प्रणाली इसके खिलाफ एंटीबॉडी विकसित करती है। यह एंटीबॉडी शरीर में आए मिल्क प्रोटीन्स को नष्ट करने के लिए प्रतिक्रिया करती है। इस रिएक्शन के परिणाम स्वरूप शिशुओं को मिल्क एलर्जी होती है।
मिल्क एलर्जी में क्या बच्चे कभी दूध नहीं पी सकते?
डॉक्टर भिसे ने कहा, ‘शिशुओं की उम्र बढ़ने से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास होता है। इम्यून सिस्टम के एक बार विकसित हो जाने पर यह समय के साथ दूध में मौजूद प्रोटीन्स का आदि हो जाता है या उन्हें स्वीकार कर लेता है। इसमें दो तीन वर्ष का समय लग सकता है। इस पड़ाव पर आने पर रिएक्शन (एलर्जी) कम हो जाता है। इससे बच्चे दूध पी सकते हैं। लेकिन, शुरुआती दिनों में शिशुओं को थोड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
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बच्चों में मिल्क एलर्जी का इलाज (Milk allergy Treatment in children)
मिल्क एलर्जी और डेयरी प्रोडक्ट्स
डॉक्टर भिसे ने कहा, ‘शिशुओं को मिल्क प्रोडक्ट्स न दें। स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी डेयरी प्रोडक्ट्स को ना लें। दूध शिशु के लिए एक संपूर्ण आहार होता है। इसमें सभी प्रकार के पोषक तत्व विटामिन्स, विटामिन बी कॉम्पलैक्स, कैल्शियम आदि मौजूद होते हैं। ऐसे में बच्चों को दूध का विकल्प देना बहुत जरूरी है।’
उन्होंने कहा, ‘दूध के विकल्प के तौर पर बच्चों को सोया मिल्क दे सकते हैं। यदि इससे भी एलर्जी होती है तो उन्हें मिल्क कंटेंट वाले किसी भी प्रकार के प्रोडक्ट्स ना दें। इस स्थिति में हम हाइपोएलर्जेनिक फॉर्मूला दे सकते हैं।’ उन्होंने बताया कि मिल्क एलर्जी की स्थिति में बच्चों को अतिरिक्त सप्लिमेंट्स अवश्य दें। यह सप्लिमेंट्स मिल्क में मौजूद पोषक तत्वों की कमी को पूरा करेंगे।
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मिल्क एलर्जी (Milk Allergy) में ना पिएं पैकेट वाला फूड
उन्होंने कहा, ‘महिलाएं खुद और बच्चों को पैकेट वाली खाने- पीने की चीजें ना दें। यदि महिलाएं घर से बाहर हैं और उन्हें पैकेट वाला फूड खाना पड़ता है तो एक बार पैकेट के पीछे दिए गए फूड इनग्रीडिएंट को जरूर देख लें।’
मिल्क एलर्जी को ठीक होने में कितना समय लगेगा यह हर बच्चे के इम्यून सिस्टम पर निर्भर करता है। कुछ बच्चों का इम्यून सिस्टम काफी जल्दी विकसित हो जाता है तो उनमें मिल्क एलर्जी जल्दी ठीक हो जाती है। बच्चे के पांच वर्ष की उम्र तक पहुंचने पर ज्यादातर मामलों में मिल्क एलर्जी ठीक हो जाती है। हालांकि, कुछ बच्चों में यह समय आगे पीछे हो सकता है।
बच्चों में मिल्क एलर्जी (Milk allergy in children) के कारण हो सकता है पेट दर्द और सूजन
पेट दर्द और सूजन बच्चों में मिल्क एलर्जी या लैक्टोज असहिष्णुता के लक्षण हैं। इसके अलावा वयस्कों में भी ये लक्षण समान ही पाए जाते हैं। जब शरीर लैक्टोज को तोड़ने में असमर्थ होता है, तो यह आंत से गुजरता है जब तक कि यह कोलन तक नहीं पहुंच जाता। लैक्टोज जैसे कार्बोहाइड्रेट कोलन की लाइनिंग पर मौजूद कोशिकाओं द्वारा अवशोषिक नहीं किए जा पाते हैं। लेकिन, ये स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले बैक्टीरिया द्वारा टूट सकते हैं, जो वहां मौजूद रहते हैं, जिसे माइक्रोफ्लोरा के रूप में भी जाना जाता है। यह फर्मेनटेशन शॉर्ट-चेन फैटी एसिड और गैसों हाइड्रोजन, मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड के रिलीज का कारण बन सकता है। एसिड और गैसों के रिलीज होने के परिणामस्वरूप पेट में दर्द और ऐंठन हो सकती है। इस अवस्था में दर्द आमतौर पर नाभि के आसपास और पेट के निचले आधे हिस्से में महसूस किया जाता है। इसके आलावा कोलन में पानी और गैस के बढ़ने से सूजन भी महसूस हो सकती है। इसके कारण आंत की बाहरी परत भी स्ट्रेच हो जाती है।
बच्चों में मिल्क एलर्जी (Milk allergy in children) के कारण हो सकती है डायरिया की समस्या
डायरिया में इंसान को बार-बार शौत जाने की जरूरत हो सकती है। इस दौरान मल का स्वरूप तरल हो जाता है। आमतौर पर दिन भर में 200 ग्राम तक मल त्याग करने को डायरिया की श्रेणी में रखा जाता है। लैक्टोज असहिष्णुता कोलन में पानी की मात्रा को बढ़ाकर दस्त का कारण बनता है, जो मल की मात्रा और तरल सामग्री को बढ़ाता है। यह वयस्कों की तुलना में शिशुओं और छोटे बच्चों में अधिक आम समस्या है। कोलन में शॉर्ट चैन फैटी एसिड और गैसों के लिए माइक्रोफ्लोरा लैक्टोज को फर्मेन्ट करता है। इनमें से अधिकांश एसिड को कोलन अबजॉर्ब कर लेता है। लेकिन, यह सभी को नहीं कर पाता है। बचे हुए एसिड के कारण बॉडी में पानी की मात्रा बढ़ जाती है।
उम्मीद करते हैं कि आपको बच्चों में मिल्क एलर्जी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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