बच्चों के सही विकास के लिए उन्हें अलग-अलग तरह की बातें सिखाने की जरूरत पड़ती है। यह उनके लिए अनुभव के तौर पर काम करती हैं। यह अनुभव भविष्य में उनके काम को प्रभावित करते हैं। इसलिए बच्चों के डेवलपमेंट के लिए उन्हें अलग-अलग तरह की थेरिपी और अलग-अलग तरह के खेल सिखाए जाते हैं। बात कर एक खेल की, तो कई ऐसा खेल हैं, जो बच्चे की शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं। इन खेलों से बच्चे जीवन से जुड़ी जरूरी बातें सीखते हैं, जो भविष्य में उनके काम आ सकते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे ही खेल की, जिसका नाम है सिंबॉलिक प्ले। सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) बच्चों के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। इसके जरिए बच्चे अपनी क्रिएटिविटी पर काम करते हैं और उनका सही मानसिक डेवलपमेंट होता है। आइए आज इस आर्टिकल में जानते हैं सिंबॉलिक प्ले बच्चों के लिए कितना जरूरी है
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क्या है सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play)?
सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) उसे कहा जाता है, जब बच्चा अलग-अलग चीजों के साथ खेलना शुरू करता है। जब वह किसी एक चीज को दूसरी चीज से रूबरू करवाता है, तो ऐसी स्थिति में उसकी क्रिएटिविटी बढ़ती है। उदाहरण के तौर पर जब बच्चा अपनी गुड़िया को चाय का कप पकड़ना सिखाता है, तो यह स्थिति चीजों के प्रति उसकी क्रिएटिविटी को बढ़ाती है। समय के साथ यह क्रिएटिविटी बढ़ती है और बच्चा बेहतर रूप से कार्य करना सीखता है। सिंबॉलिक प्ले के अलग-अलग भाग हो सकते हैं, जो समय के अनुसार बांटे गए हैं। आइए जानते हैं बच्चे की उम्र के अनुसार सिंबॉलिक के अलग-अलग भाग कौन से हैं।
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उम्र के अनुसार बच्चों के लिए सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play by age)
बच्चे की अलग-अलग उम्र में सिंबॉलिक प्ले अलग अलग तरह का माना जाता है। इसमें मुख्य रूप से तीन स्टेजेस मानी जाती हैं, जिसमें बच्चे के शुरुआती महीनों से लेकर शुरुआती सालों तक का सफर तय किया जाता है। आइए जानते हैं सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) से जुड़े यह अलग-अलग प्रकार।
बच्चों के शुरुआती महीने
बच्चों के उम्र के शुरुआती महीनों में, यानी कि 3 से 18 महीने के अंतराल में सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) अलग तरह का माना जाता है। इसमें बच्चा अलग-अलग चीजों के प्रति अपनी जानकारी बढ़ाने की कोशिश करता है। उदाहरण के तौर पर 3 महीने का बच्चा खिलौनों को हाथ से पकड़ने और उसे छूने की कोशिश करता है। वहीं 8 महीने का बच्चा इन खिलौनों से नई चीजें बनाने की कोशिश करता है। इन खिलौनों को बिखेर कर दोबारा इन्हें जमाने से उसकी स्किल्स बढ़ती है। इसके बाद जब बच्चा 1 साल से बड़ा हो जाता है, तो इन खिलौनों के साथ वह अलग अलग तरह की आवाजों को जोड़ता है। गाड़ी के चलने की आवाज, गुड़िया की बोलने की आवाज, इस तरह की अलग-अलग आवाजों के प्रति वो सचेत बनता है। बच्चों के शुरुआती महीनों में सिंबॉलिक प्ले इस तरह का माना जाता है।
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बच्चों के शुरुआती साल
यह उम्र होती है एक 1 से 3 साल के बीच की। बच्चों के शुरुआती सालों में सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) अलग तरह का माना जाता है। इन सालों में बच्चे अपने खिलौनों से खुद को जोड़कर एक नई कहानी गढ़ने लगता है। उदाहरण के तौर पर वह अपनी रेलगाड़ी में लोगों को बैठा कर घुमाने की बात करता है या अपनी गुड़िया की बालों को नई हेयर स्टाइल देने की बात करता है। इस तरह बच्चों के शुरुआती सालों में सिंबॉलिक प्ले का अलग रोल माना जाता है।
प्रीस्कूलर बच्चे
सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) में यह उम्र होती है 3 से 5 साल के बीच की। इस उम्र में बच्चे दूसरे बच्चों को देखकर सीखते हैं। जब वे प्रीस्कूल में जाते हैं, तो अलग-अलग बच्चों को ध्यान में रखकर उनसे नई नई चीजें सीखने की कोशिश करते हैं। इस दौरान वे नई कहानियां गढ़ते हैं और उन कहानियों के अनुसार खुद को ढालते हैं। इस तरह सिंबॉलिक प्ले बच्चों के प्रीस्कूल के दौरान काम आता है।
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सिंबॉलिक प्ले बच्चे के मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी माना जाता है, लेकिन इसका और क्या महत्व है, आइए जानते हैं।
क्या है सिंबॉलिक प्ले का महत्व? (Importance of Symbolic Play)
आमतौर पर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि सिंबॉलिक प्ले बच्चों के लिए जरूरी क्यों माना जाता है? दरसल यह बच्चों के हेल्दी डेवलपमेंट का हिस्सा होता है। इससे बच्चा इंपल्सिव बिहेवियर को मैनेज करना सीखता है और मुश्किल कॉग्निटिव फंक्शन को बेहतर रूप से करने की कोशिश करता है। सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) बच्चों के विकास के लिए जरूरी इसलिए माना जाता है, क्योंकि इससे उनकी क्रिएटिविटी में सुधार होता है और वे इसके जरिए नई नई चीजों को सीखने की कोशिश करते हैं। सिंबॉलिक प्ले की मदद से बच्चों में ये स्किल डेवलप होती हैं –
- कॉग्निटिव स्किल्स
- सोशल स्किल्स
- सेल्फ एस्टीम
- लैंग्वेज स्किल
- मोटर स्किल
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ये सभी स्किल्स बच्चे की डेवलपमेंट का हिस्सा मानी जाती है। यही वजह है कि बच्चे के लिए सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) बेहद जरूरी साबित होता है। लेकिन बच्चों को सिंबॉलिक प्ले से कैसे रूबरू कराया जाए, इसके लिए भी माता-पिता को जानकारी हासिल करनी चाहिए। आइए जानते हैं कुछ ऐसे आइडिया के बारे में जो माता पिता सिंबॉलिक प्ले के दौरान अपने बच्चों के लिए अपना सकते हैं।
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बच्चों के लिए सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) से जुड़े आइडिया
बच्चों के लिए सिंबॉलिक प्ले एक महत्वपूर्ण डेवलपमेंट स्किल मानी जाती है। यह बच्चों को बिजी रखने और नई चीजें सीखने में मदद करती है। लेकिन सिंबॉलिक प्ले उम्र के अनुसार अलग-अलग तरह के होते हैं, इसीलिए बच्चे की अलग-अलग उम्र में सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) अलग-अलग तरह से डेवेलप किए जा सकते हैं।
- बच्चों के शुरुआती महीनों के लिए उन्हें अलग-अलग खिलौनों की मदद से सिंबॉलिक प्ले में उलझाया जा सकता है। इसके लिए आपको अलग-अलग तरह की रंगबिरंगी बॉल और ब्लॉक का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसके अलग-अलग तरह के आकार और रंग होते हैं। साथ ही साथ ऐसे खिलौने जिनसे अलग अलग तरह की आवाजें निकाली जा सकती है। यह बच्चे के सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) में बेहद काम आ सकती हैं।
- बच्चों के शुरुआती सालों के लिए सिंबॉलिक प्ले अलग तरह से काम करता है। इसके लिए बच्चे को उसके पसंदीदा खिलौनों को दिया जा सकता है। इसमें कटलरी, प्लेटें इत्यादि का समावेश होता है। इसके साथ ही बॉटल्स का और टीसेट के जरिए बच्चे को सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) में एंगेज किया जा सकता है। इस दौरान बच्चों के लिए किचन से जुड़ी चीजें भी दी जाती हैं, जिससे बच्चे का मानसिक विकास अच्छी तरह से हो।
- प्रीस्कूलर बच्चों के लिए सिंबॉलिक प्ले अलग तरह से काम करता है। इसके लिए बच्चों को पुराने कपड़े, जूते, टोपी, बैग, सनग्लासेस इत्यादि दिए जाते हैं, जिससे बच्चा अपनी क्रिएटिविटी को बेहतर बना सके और इन चीजों के अनुसार नई चीजें सीख सकें। इस दौरान सिंबॉलिक प्ले के अनुसार बच्चे को आउटडोर गेम्स में भी एंगेज किया जा सकता है।
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बच्चों के लिए सिंबॉलिक प्ले बेहद जरूरी माना जाता है, लेकिन कई बच्चे ऐसे होते हैं, जो सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) खुद को नहीं जोड़ पाते। ऐसी स्थिति खड़ी होने पर माता-पिता को परेशान नहीं होना चाहिए। यह किसी तरह के शेड्यूल की तरह नहीं माना जाता। कई बच्चे सिंबॉलिक प्ले के जरिए नहीं, बल्कि अन्य चीजों के जरिए खुद का डेवलपमेंट करते हैं। आप बच्चों को सिंबॉलिक प्ले के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, लेकिन उन पर किसी तरह का दबाव बनाना उनके विकास में बाधक साबित हो सकता है। इसलिए बच्चों को उनकी मर्जी के मुताबिक सिंबॉलिक प्ले में एंगेज करना चाहिए।
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सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) बच्चों के लिए खेल के रूप में ही नहीं, बल्कि यह बच्चों के डेवलपमेंट में भी बड़ा रोल निभाता है। खासतौर पर बच्चों के शुरुआती सालों में जब उनका मानसिक और शारीरिक डेवलपमेंट होता है, तो सिंबॉलिक प्ले बेहद कारगर साबित होता है। यही वजह है कि बच्चों के लिए सिंबॉलिक प्ले ज़रूरी माना जाता है।
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