अधिकतर Lisp की समस्या डेवलपमेंटल होती है और जब बच्चे पांच से आठ साल के होते हैं, तो खुद ही यह समस्या ठीक हो जाती है। अगर यह इससे अधिक देर तक रहती है और किसी खास तरह की है तो स्पीच थेरेपी (Speech therapy) की सलाह दी जाती है। स्पीच थेरेपी का परिणाम आमतौर पर अच्छा होता है। किसी खास थेरेपी और Lisp के प्रकार के अनुसार इसका उपचार शॉर्ट टर्म होता है और कुछ ही महीनों में ठीक हो जाता है। लेकिन, कुछ मामलों में इसमें एक साल या इससे अभी अधिक समय लग सकता है। जानिए इस समस्या से राहत पाने के कुछ तरीकों के बारे में।
लिस्पिंग के बारे में जानकारी (Awareness of lisping)
कुछ लोगों खासतौर पर बच्चों को Lisp के बारे में जानकारी नहीं होती है। वो अपने उच्चारण में असामान्यता के बारे में नहीं जान पाते हैं। ऐसे में, स्पीच थेरेपिस्ट (Speech Therapist) रोगी में इम्प्रॉपर प्रनन्सीएशन (Improper pronunciation) को पहचानने और बोलने के सही तरीके को आयडेंटिफाय करने में मदद कर सकते हैं। अपने बच्चे के लिए माता-पिता घर पर भी इस तकनीक का उपयोग कर सकते हैं।
टंग प्लेसमेंट (Tongue placement)
जब Lisp यानी लिस्पिंग (Lisping) टंग प्लेसमेंट (Tongue Placement) से बहुत अधिक प्रभावित होती है। ऐसे में, आपके स्पीच थेरेपिस्ट (Speech Therapist) यह पहचानने में मदद कर सकते हैं कि जब आपका बच्चा कोई खास साउंड निकलने की कोशिश कर रहा हो तो उस दौरान आपके बच्चे कि टंग कहां लोकेटेड होती है।
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वर्ड असेसमेंट (Word assessment)
जब आपका बच्चा कुछ कॉन्सोनेंट्स बनाने की कोशिश करते हैं, तो उसकी जीभ की स्थिति का अंदाजा लगाने के लिए उसके स्पीच थेरेपिस्ट (Speech Therapist) उससे अलग-अलग शब्दों का अभ्यास कराएंगे। अगर आपके बच्चे को यह समस्या है, तो इसके प्रकार व उस साउंड्स जिसे लेकर आपको परेशानी है उसे पहचाने के बाद स्पीच थेरेपिस्ट (Speech Therapist) आपके बच्चे से शब्दों का अभ्यास कराएंगे। इनका अभ्यास करना बेहद जरूरी है।
बातचीत (Conversation)