मेडिसिंस (Medicines)
दवाईयों को उस तरह के हार्टबर्न की समस्या के लिए एक प्रभावी ट्रीटमेंट माना जाता है, जो खुद से ठीक नहीं होती है। लेकिन, इन दवाईयों का प्रयोग शुरुआती उपचार के रूप में नहीं करना चाहिए।हार्टबर्न के लिए दी जाने वाली यह दवाईयां इस प्रकार हैं:
- H2 ब्लॉकर्स (H2 blockers) जैसे पेप्सीड (Pepcid), टैगामेट (Tagamet) आदि
- प्रोटोन पंप इनहिबिटर्स (Proton pump inhibitors) जैसे डेक्सिलेंट (Dexilant) नेक्सियम (Nexium) आदि
यह दोनों तरह की दवाईयां पेट के एसिड के बनने की मात्रा को कम करती हैं। ताकि, अन्नप्रणाली में एसिड की मात्रा कम हो सके।
सर्जरी (Surgery)
बहुत ही दुर्लभ मामलों में बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) की समस्या होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। इसकी जरूरत उन बच्चों को पड़ती है, जिन पर अन्य उपचारों का खास असर नहीं होता। ऐसे बच्चे जिन्हें ब्रीदिंग प्रॉब्लम, निमोनिया या अन्य समस्याएं हों, उन्हें भी सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। इस प्रक्रिया को फंडॉप्लिकेशन (Fundoplication) कहा जाता है। लेकिन, इस सर्जरी के साथ कुछ रिस्क्स भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में, इस सर्जरी से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है। ताकि, वो यह निर्धारित कर पाएं कि यह आपके बच्चे के लिए बेहतरीन उपचार है या नहीं।
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अन्य तरीके (Other Ways)
बच्चों में लगातार हार्टबर्न से राहत पाने के तरीकों में इन्हें भी शामिल किया जा सकता है:
- बच्चे को पूरे दिन में दो-तीन बार अधिक मात्रा में आहार देने की जगह थोड़ी-थोड़ी देर के बाद कम मात्रा में खिलाएं।
- सोने से पहले अपने बच्चे को दो या तीन घंटे में कुछ भी खाने को न दें।
- बच्चे को कैफीन, मसालेदार और तला हुआ आहार देने से बचें।
- अपने बच्चे को नियमित शारीरिक रूप से एक्टिव रहने के लिए प्रेरित करें।
- मेडलाइनप्लस के अनुसार हाय फैट फ़ूड (High Fat Food) का सेवन कम करने से भी इस समस्या से राहत पाई जा सकती है। अगर इनके बाद भी उसमें हार्टबर्न के लक्षण नजर आते हैं तो दवाईयों की जरूरत हो सकती है।
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यह तो थी बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) के बारे में जानकारी। अधिकतर मामलों में अगर नवजात शिशुओं में यह समस्या है, तो वो कुछ महीनों में खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन, अगर बच्चों में हार्टबर्न या गैस्ट्रोइसोफेजीयल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal reflux disease) की
तकलीफ अधिक हो या इससे उनका रोजाना का जीवन प्रभावित हो रहा हो, तो सही उपचार जरूरी है। इसके अलावा माता-पिता और प्रभावित बच्चे दोनों को कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे सही आहार का सेवन, शारीरिक रूप से एक्टिव रहना आदि। इस समस्या के बारे में आप अधिक जानकारी चाहते हैं, तो अपने बच्चे के डॉक्टर से अवश्य बात करें।
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