
और पढ़ें: पीडियाट्रिक हार्टबर्न में किस तरह से फायदेमंद हो सकती हैं H2 ब्लॉकर्स?
बच्चों में हार्टबर्न का निदान कैसे किया जा सकता है? (Diagnosis of Heartburn in Children)
छोटे बच्चों में इस समस्या का निदान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि छोटे बच्चें इन लक्षणों के बारे में बता नहीं पाते हैं। वो छाती की जगह को पेट में दर्द का अनुभव भी कर सकते हैं। अगर आपके बच्चे में इसके लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। इसके निदान के लिए डॉक्टर बच्चों में इसके लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही वो आपको कुछ टेस्ट्स कराने के लिए भी कह सकते हैं, जैसे:
- अपर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (Upper GI): इस टेस्ट में बच्चे को एक लिक्विड पीने के लिए दिया जाता है, जिसमें बेरियम होता है। इसके बाद अन्नप्रणाली, पेट और इंटेस्टाइन के हिस्सों का एक्स-रे लिया जाता है।
- एंडोस्कोपी (Endoscopy): इस टेस्ट में बच्चे को सेडेटिव दिया जाता है और एंडोस्कोप को मुंह के माध्यम से अन्नप्रणाली और पेट तक पहुंचाया जाता है। इससे डॉक्टर को इन एरियाज के बारे में पता चलता है और जरूरत पड़ने पर वो यहां के टिश्यू का सैंपल भी ले सकते हैं।
- इसोफेजियल pH प्रोब (Esophageal pH probe): इस टेस्ट में डॉक्टर बच्चे की नाक और अन्नप्रणाली में एक पतली फ्लेक्सिबल ट्यूब इंसर्ट करते हैं। ताकि, अन्नप्रणाली में एसिड लेवल्स को टेस्ट किया जा सके। इसके अलावा डॉक्टर गैस्ट्रिक एम्प्टयिंग स्टडी (Gastric emptying study) की सलाह भी दे सकते हैं। बच्चे की स्थिति और रोग की गंभीरता के अनुसार अन्य टेस्ट्स की सलाह भी दी जा सकती है। निदान के बाद इस समस्या के उपचार के तरीकों को निर्धारित किया जाता है। जानिए बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) का उपचार कैसे किया जा सकता है?
और पढ़ें: Heartburn: हार्टबर्न (सीने में जलन) क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
बच्चों में हार्टबर्न का उपचार (Treatment of Heartburn in Children)
बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) का उपचार उसकी उम्र और हार्टबर्न के कारणों पर निर्भर करता है। हालांकि, समय के साथ यह समस्या खुद ठीक हो जाती है। लेकिन, नवजात शिशुओं में इसका उपचार बेहद मुश्किल हो सकता है। इसके लिए कुछ दवाईयों की सलाह भी दी जा सकती हैं, जो इस प्रकार हैं:
मेडिसिंस (Medicines)
दवाईयों को उस तरह के हार्टबर्न की समस्या के लिए एक प्रभावी ट्रीटमेंट माना जाता है, जो खुद से ठीक नहीं होती है। लेकिन, इन दवाईयों का प्रयोग शुरुआती उपचार के रूप में नहीं करना चाहिए।हार्टबर्न के लिए दी जाने वाली यह दवाईयां इस प्रकार हैं:
- H2 ब्लॉकर्स (H2 blockers) जैसे पेप्सीड (Pepcid), टैगामेट (Tagamet) आदि
- प्रोटोन पंप इनहिबिटर्स (Proton pump inhibitors) जैसे डेक्सिलेंट (Dexilant) नेक्सियम (Nexium) आदि
यह दोनों तरह की दवाईयां पेट के एसिड के बनने की मात्रा को कम करती हैं। ताकि, अन्नप्रणाली में एसिड की मात्रा कम हो सके।
सर्जरी (Surgery)
बहुत ही दुर्लभ मामलों में बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) की समस्या होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। इसकी जरूरत उन बच्चों को पड़ती है, जिन पर अन्य उपचारों का खास असर नहीं होता। ऐसे बच्चे जिन्हें ब्रीदिंग प्रॉब्लम, निमोनिया या अन्य समस्याएं हों, उन्हें भी सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। इस प्रक्रिया को फंडॉप्लिकेशन (Fundoplication) कहा जाता है। लेकिन, इस सर्जरी के साथ कुछ रिस्क्स भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में, इस सर्जरी से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है। ताकि, वो यह निर्धारित कर पाएं कि यह आपके बच्चे के लिए बेहतरीन उपचार है या नहीं।
और पढ़ें: अपने बच्चे के आहार को लेकर हैं परेशान, तो जानिए बच्चों के लिए हेल्दी फूड पिरामिड के बारे में
अन्य तरीके (Other Ways)
बच्चों में लगातार हार्टबर्न से राहत पाने के तरीकों में इन्हें भी शामिल किया जा सकता है:
- बच्चे को पूरे दिन में दो-तीन बार अधिक मात्रा में आहार देने की जगह थोड़ी-थोड़ी देर के बाद कम मात्रा में खिलाएं।
- सोने से पहले अपने बच्चे को दो या तीन घंटे में कुछ भी खाने को न दें।
- बच्चे को कैफीन, मसालेदार और तला हुआ आहार देने से बचें।
- अपने बच्चे को नियमित शारीरिक रूप से एक्टिव रहने के लिए प्रेरित करें।
- मेडलाइनप्लस के अनुसार हाय फैट फ़ूड (High Fat Food) का सेवन कम करने से भी इस समस्या से राहत पाई जा सकती है। अगर इनके बाद भी उसमें हार्टबर्न के लक्षण नजर आते हैं तो दवाईयों की जरूरत हो सकती है।
और पढ़ें: चाइल्ड स्लीप और मेंटल हेल्थ : जानिए बच्चे की उम्र के अनुसार कितनी नींद है जरूरी
यह तो थी बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) के बारे में जानकारी। अधिकतर मामलों में अगर नवजात शिशुओं में यह समस्या है, तो वो कुछ महीनों में खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन, अगर बच्चों में हार्टबर्न या गैस्ट्रोइसोफेजीयल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal reflux disease) की
तकलीफ अधिक हो या इससे उनका रोजाना का जीवन प्रभावित हो रहा हो, तो सही उपचार जरूरी है। इसके अलावा माता-पिता और प्रभावित बच्चे दोनों को कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे सही आहार का सेवन, शारीरिक रूप से एक्टिव रहना आदि। इस समस्या के बारे में आप अधिक जानकारी चाहते हैं, तो अपने बच्चे के डॉक्टर से अवश्य बात करें।
अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।