बच्चों के शुरुआती साल
यह उम्र होती है एक 1 से 3 साल के बीच की। बच्चों के शुरुआती सालों में सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) अलग तरह का माना जाता है। इन सालों में बच्चे अपने खिलौनों से खुद को जोड़कर एक नई कहानी गढ़ने लगता है। उदाहरण के तौर पर वह अपनी रेलगाड़ी में लोगों को बैठा कर घुमाने की बात करता है या अपनी गुड़िया की बालों को नई हेयर स्टाइल देने की बात करता है। इस तरह बच्चों के शुरुआती सालों में सिंबॉलिक प्ले का अलग रोल माना जाता है।
प्रीस्कूलर बच्चे
सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) में यह उम्र होती है 3 से 5 साल के बीच की। इस उम्र में बच्चे दूसरे बच्चों को देखकर सीखते हैं। जब वे प्रीस्कूल में जाते हैं, तो अलग-अलग बच्चों को ध्यान में रखकर उनसे नई नई चीजें सीखने की कोशिश करते हैं। इस दौरान वे नई कहानियां गढ़ते हैं और उन कहानियों के अनुसार खुद को ढालते हैं। इस तरह सिंबॉलिक प्ले बच्चों के प्रीस्कूल के दौरान काम आता है।
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सिंबॉलिक प्ले बच्चे के मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी माना जाता है, लेकिन इसका और क्या महत्व है, आइए जानते हैं।
क्या है सिंबॉलिक प्ले का महत्व? (Importance of Symbolic Play)
आमतौर पर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि सिंबॉलिक प्ले बच्चों के लिए जरूरी क्यों माना जाता है? दरसल यह बच्चों के हेल्दी डेवलपमेंट का हिस्सा होता है। इससे बच्चा इंपल्सिव बिहेवियर को मैनेज करना सीखता है और मुश्किल कॉग्निटिव फंक्शन को बेहतर रूप से करने की कोशिश करता है। सिंबॉलिक प्ले (Symbolic Play) बच्चों के विकास के लिए जरूरी इसलिए माना जाता है, क्योंकि इससे उनकी क्रिएटिविटी में सुधार होता है और वे इसके जरिए नई नई चीजों को सीखने की कोशिश करते हैं। सिंबॉलिक प्ले की मदद से बच्चों में ये स्किल डेवलप होती हैं –