मां का दूध शिशु के लिए बेस्ट फूड माना गया है। शिशु को स्तनपान कराने से उसकी सभी पोषण संबंधी आवश्यकताएं आसानी से पूरी हो जाती हैं। यहां तक कि अगर बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराया जाए, तो यह उसके लिए अमृत समान है। मां का पहला पीला गाढ़ा दूध जिसे कोलस्ट्रम(Colostrum) कहा जाता है, नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर उसकी कई गंभीर बीमारियों से रक्षा करता है। हालांकि, अधिकतर मम्मियों को इस बात की जानकारी ही नहीं होती कि उन्हें अपने शिशु को कितनी बार स्तनपान कराना चाहिए। अधिकतर माताएं बच्चे के रोने पर उन्हें स्तनपान कराती हैं। तो चलिए आज हम इस लेख में आपको बताते हैं कि एक शिशु को कितनी बार और किस तरह स्तनपान कराना चाहिए:
नवजात शिशु को स्तनपान कितनी बार कराएं
शिशु के जन्म के बाद पहले महीने में कम से कम आठ से 12 बार स्तनपान अवश्य करवाना चाहिए। स्तन का दूध बच्चा आसानी से पचा लेता है, इस कराण नवजात शिशु अक्सर भूखे रहते हैं। पहले कुछ हफ्तों के दौरान बार-बार दूध पिलाने से जहां नई मां के दूध के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है, वहीं दूसरी ओर इससे नवजात का पेट भी भरा रहता है। जब तक शिशु एक से दो महीने का नहीं हो जाता, तब तक उसे पूरे दिन में आठ से दस बार स्तनपान जरूर करवाना चाहिए। ध्यान रखें कि नवजात शिशुओं को बिना स्तनपान करवाए लगभग चार घंटे से अधिक नहीं रखना चाहिए, यहां तक कि रात भर भी नहीं।
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शिशु को स्तनपान कब करवाएं
बच्चे के जन्म के बाद उन्हें स्तनपान ऑन डिमांड करवाना चाहिए। कुछ मामलों मे यह हर घंटे भी हो सकता है। हालांकि, जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, वे स्तनपान करना कम करते जाते हैं। इतना ही नहीं, नवजात शिशु स्तनपान करने में अधिक समय लेते हैं क्योंकि शुरूआत में वह निप्पल को सही तरह से अपने मुंह से पकड़ना व स्तनपान करना नहीं जानते हैं। इसलिए, नवजात शिशु 20 मिनट तक या उससे अधिक समय तक एक या दोनों स्तनों पर नर्स कर सकते हैं। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, वे स्तनपान में अधिक कुशल होते जाते हैं और इसलिए उन्हें समय भी कम लगता है। जन्म के कुछ सप्ताह बाद उन्हें प्रत्येक तरफ लगभग पांच से दस मिनट लग सकते हैं।
हालांकि, स्तनपान करवाने के समय में कुछ बातें अहम रोल निभाती हैं जैसे-
- आपके स्तनों से दूध की आपूर्ति कैसी है
- दूध का प्रवाह धीमा है या तेज
- बच्चा नींद में है या वह बेहतर तरीके से निप्पल को चूस (suck) रहा है।
- अगर बच्चा फीडिंग के दौरान बहुत कम या बहुत अधिक समय लें, तो आप चाइल्ड स्पेशलिस्ट से इस बारे में बात कर सकती हैं।
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दोनों स्तनों से शिशु को करायें स्तनपान
हालांकि, शिशु को दोनों स्तनों से स्तनपान करवाना चाहिए। लेकिन, अधिकतर मांएं एक ही स्तन से बच्चे को स्तनपान करवाती हैं। यह तरीका गलत है। शिशु को दोनों स्तनों से दिन में बराबर मात्रा में स्तनपान करवाना चाहिए। यह आपके दोनों स्तनों में दूध की आपूर्ति बनाए रखता है और स्तनों में होने वाले दर्द को भी रोकता है। आप फीडिंग के दौरान स्तनों को स्विच कर सकती हैं।
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शिशु को स्तनपान कराने के बाद डकार
स्तनपान करवाते समय आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आप उसे बीच में व स्तनपान के बाद डकारअवश्य दिलवाएं। जब आप बच्चे को एक स्तन से फीड करवा दें, तो उसके बाद स्विच करने से पहले उसे कंधे से लगाकर या पीठ के बल लिटाकर कमर को हल्का रगड़ें। इससे बच्चा आसानी से डकार ले लेगा। इसी तरह, स्तनपान करवाने के बाद भी बच्चे को डकार अवश्य दिलवाएं। यही स्तनपान का सबसे सही तरीका माना जाता है। इससे बच्चे के पेट में गैस नहीं बनती और न ही वह दूध पीने के बाद उल्टी करता है।
शिशु के लिए स्तनपान बेहद जरूरी है। शुरूआती छह महीनों में शिशु को बराबर अंतराल पर स्तनपान करवाना चाहिए। इसके बाद आप ठोस आहार की शुरूआत कर सकती हैं। लेकिन, तब भी कम से कम एक साल तक शिशु को स्तनपान अवश्य करवाएं।
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नवजात शिशु को स्तनपान कराने के फायदे
नवजात बच्चे को स्तनपान कराने के कई फायदे हैं:
- सबसे पहले तो नवजात बच्चे को स्तनपान कराने से उसकी सभी पोषण संबंधी आवश्यकताएं आसानी से पूरी हो जाती हैं।
- यह बच्चे को जन्म के बाद शुरूआती समय में होने वाले कई तरह के इंफेक्शंस से बचाव करता है और उसका इम्युन सिस्टम मजबूत बनाता है।
- इसके अलावा स्तनपान बच्चे के हाई आईक्यू लेवल से भी जुड़ा है। मां के दूध में कुछ फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो बच्चों के ब्रेन डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- जब स्तनपान के दौरान बच्चा अपनी मां से आई कॉन्टैक्ट करता हैं, उसे छूता हैं तो इससे उनके बीच का रिश्ता मजबूत होता है। इस तरह बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस करता है।
- इसके अलावा स्तनपान से बच्चे के वजन पर भी असर पड़ता है। जो बच्चे फार्मूला मिल्क पीते हैं, वह ओवरवेट होते हैं, जिससे उन्हें कई तरह की हेल्थ समस्याएं हो सकती हैं। वहीं दूसरी ओर स्तनपान करने वाले बच्चों का वजन संतुलित रहता है।
- स्तनपान बच्चे को एसआईडीएस (Sudden infant death syndrome) के रिस्क के भी बचाता है। वहीं बड़े होने पर ऐसे बच्चों को मोटापा, मधुमेह व कई प्रकार के कैंसर होने का खतरा भी कम होता है। इसके अतिरिक्त यह बच्चों में बड़े होने पर एलर्जी व अस्थमा आदि से भी बचाव करते हैं।
स्तनपान जहां एक ओर नवजात के लिए लाभदायक होता है, वहीं दूसरी ओर इससे महिलाओं को भी कई लाभ होते हैं, जैसे:
- जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं, उनमें स्तन कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग, ऑस्टियोपोरोसिस और ओवेरियन कैंसर की आशंका कम हो जाती है।
- वहीं दूसरी ओर स्तनपान कराने से महिला अपने बच्चे के साथ एक बॉन्ड शेयर करती है।
- स्तनपान से महिला के स्तनों में दूध का प्रवाह बना रहता है और इससे उसे स्तनों में दर्द या कठोरता का अहसास नहीं होता।
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