शिशु के जन्म के बाद के पहले छह महीने केवल ब्रेस्टफीडिंग की सलाह दी जाती है। शिशु के आहार में सॉलिड फूड्स को इंट्रोड्यूज करना एक मुश्किल काम होने के साथ ही फन भी है। लेकिन, इसके साथ जुडी हैं परेशानियां। ऐसे में कुछ चीजों का ध्यान रखना जरूरी है जैसे शिशु को कोई ऐसी चीज न दें जिनसे उन्हें एलर्जी या चोकिंग जैसी प्रॉब्लम्स हों। आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं शिशु और नट्स (Baby and nuts) के बारे में। इसमें हम यह भी जानेंगे कि शिशु को नट्स कब दिए जा सकते हैं? शिशु और नट्स (Baby and nuts) में सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि क्या शिशु को नट्स देना सुरक्षित है या नहीं?
क्या शिशु को नट्स देना सेफ है?
नट्स उन नेचुरल प्रोडक्ट्स में से एक है, जिन्हें कई लोग अपनी डायट में शामिल करते हैं। इन्हें हेल्थ के लिए लाभदायक माना जाता है। लेकिन, बहुत छोटे बच्चों को इन्हें देना हानिकारक साबित हो सकता है। इन्हें शिशु के आहार में उनके नौ से दस महीने के होने पर देना शुरू करना चाहिए। छोटे बच्चों को साबुत देना हानिकारक हो सकता है। ऐसे में, उन्हें नट पाउडर के रूप में शिशु को दें। साबुत नट्स चार साल से कम उम्र के बच्चों में चोकिंग की वजह बन सकते हैं। नट पाउडर, अच्छे से कटे हुए नट्स या प्यूरी में इसका इस्तेमाल कर आप बच्चों को नट्स दे सकते हैं। शिशु और नट्स (Baby and nuts) के बारे में इंफॉर्मेशन में अब जानिए कि शिशु को कब नट्स दिए जा सकते हैं?
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शिशु को नट्स कब देने चाहिए?
शिशु को नट्स कब देने चाहिए, इस बारे में सही जानकारी होना बेहद जरूरी है। हालांकि, इस बारे में स्टडी नहीं की गयी है कि शिशु को कबसे नट्स देने की शुरुआत कब करनी चाहिए? यही नहीं, बच्चों में नट बेस्ड एलर्जी होना भी सामान्य है। ऐसे में नट्स को बच्चों को देने के बारे में डिसीजन सोच समझ कर लेना चाहिए। जब आप उन्हें सॉलिड फूड देना शुरू करते हैं, तो पहले अन्य खाद्य पदार्थों को उन्हें दें उसके बाद उनके आहार में नट्स को इंट्रोड्यूज करें। आप शिशु के नौ या दस महीने के होने पर नट्स दे सकते हैं या उनके एक साल के होने का भी इंतजार कर सकते हैं।
शिशु को नट्स देने की शुरुआत आप तब भी कर सकते हैं जब वो चलना और अन्य फिजिकल एक्टिविटीज करना शुरू कर देते हैं। उन्हें नट्स का पेस्ट बना कर दें ताकि चोकिंग से बचा जा सके। बादाम को रात भर पानी या दूध में भिगो कर रखें और सुबह उनका छिलका निकाल कर अच्छे से पीस लें और उसके बाद बच्चे को दें। नट्स प्रोटीन, कैल्शियम और पोटैशियम का रिच स्त्रोत हैं। यही नहीं, यह हेल्दी स्नेक ऑप्शन भी हैं। उनमें हेल्दी फैट और फाइबर भी होता है। इसके लाभ यही खत्म नहीं होते। हार्ट डिजीज को कम करने में भी नट्स फायदेमंद है। त्वचा और वजन को सही रखने में भी यह लाभदायक है। शिशु और नट्स (Baby and nuts) के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी बात करें। जानिए बच्चों के लिए नट्स के फायदों के बारे में।
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शिशु के लिए नट्स के न्यूट्रिशनल बेनिफिट्स क्या हैं?
कई नट्स शिशु के लिए लाभदायक हैं और उन्हें कई न्यूट्रिशनल बेनिफिट्स प्रदान करते हैं। इसके साथ ही कई नट्स शिशु की डेवलपमेंट की इनिशियल फेज को सपोर्ट करने के लिए भी जरूरी हैं। शिशु और नट्स (Baby and nuts) की जानकारी में, अब जानिए शिशु के लिए इनके फायदों के बारे में:
- मूंगफली और पिस्ता जैसे कई नट्स में रेस्वेराट्रोल (Resveratrol) होता है। यह बच्चे के इम्यून सिस्टम के डेवलपमेंट का सपोर्ट करने में मदद करते है।
- नियमित रूप से बच्चे की डायट में नट्स को इंक्लूड करने से उनके ब्रेन फंक्शन और डेवलपमेंट को सपोर्ट में हेल्प मिलती है।
- नट्स में अनसैचुरेटेड फैट्स होते हैं। यह फैट्स अन्य तरह के फैट्स की तुलना में हमारे शरीर के लिए अधिक फायदेमंद होते हैं।
- जो फैमिलीज वेजिटेरियन हैं, नट्स उन्हें जरूरी मात्रा में प्रोटीन प्रदान करते हैं, जो शिशु के लिए जरूरी हैं।
- नट्स में पर्याप्त फाइबर एलिमेंट्स होते हैं, जो कब्ज से बचते हैं और शिशु के डायजेशन को सही बनाए रखते हैं।
- कुछ नट्स में सही मात्रा में फास्फोरस होता है। यह शिशु के दांतों और बोन्स के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- अखरोट में ओमेगा-3 एसिड्स होते हैं, जो सही ब्लड सर्कुलेशन और हेल्थ के लिए जरूरी हैं।
- नट्स में विटामिन-इ, फ्लेवोनोइड्स और कई एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर के वेस्ट मटेरियल को प्रभावी रूप से बाहर निकाल सकते हैं। आइए अब पाएं कुछ न्यूट्रिशनल टिप्स।
एक्सपर्ट द्वारा बताएं बच्चों के लिए न्यूट्रिशनल टिप्स
शिशु के विकास में सही न्यूट्रिशन बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर सही से बच्चे का पोषण न हो, तो उसका विकास भी सही से नहीं हो पाता। मदरहुड अस्पताल खराड़ी (पुणे) के कंसलटेंट नियोनेटोलॉजिस्ट और पीडियाट्रिशन डॉक्टर जगदीश काथवटे के अनुसार हर माता-पिता को अपने बच्चे के शरीर में हो रही पौष्टिक तत्वों की कमी को लेकर जागरूक रहना चाहिए, जैसे:
आयरन (Iron)
आयरन का इस्तेमाल अधिकतर शरीर के कामों को करने के लिए होता है और यह हीमोग्लोबिन का मुख्य कॉम्पोनेन्ट भी है। बच्चे के शरीर में इसकी कमी न हो, इसके लिए उन्हें बीन्स, हरी पत्तेदार सब्जियां और मेवे आदि खाने को दें।
विटामिन डी (Vitamin D)
विटामिन डी बच्चों की हड्डियों और दांतों के लिए जरूरी है। इसका लेवल कम होना बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकता है इसलिए, उनके आहार में मशरूम, पालक, फैटी फिश आदि को शामिल करें।
कैल्शियम (Calcium)
कैल्शियम हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है और इस के साथ ही हार्ट,नर्व और मसल्स के सही कार्य के लिए भी जिम्मेदार है। इसलिए, अपने बच्चे को दूध, पनीर, बादाम, पालक, सोयाबीन आदि खाने को दें ताकि उनके शरीर में कैल्शियम की कमी न हो।
फोलेट (Folate)
फोलिक एसिड, बच्चों के शरीर में रेड ब्लड सेल्स को बनाने और नर्वस सिस्टम के सही से कार्य करने के लिए लाभदायक है। इसलिए, अपने बच्चों के आहार में बीन्स, दालें, खट्टे फल आदि शामिल करें।
विटामिन ए (Vitamin A)
विटामिन ए बच्चे की आंखों और इम्यून सिस्टम के लिए जरूरी है। आपके बच्चे के शरीर में इसकी कमी न हो, इसके लिए उन्हें टमाटर, आम, पपीता, गाजर, हरी सब्जियां आदि खाने को दें।
इसके साथ ही, डॉक्टर जगदीश कथावटे के अनुसार अगर बच्चे को न्यूट्रिशनल डेफिशिएंसी है, तो उनमें आपको एंग्जायटी, स्ट्रेस, ड्राय स्किन और बाल, फ्लू और कोल्ड, डेंटल कैविटी, लो एनर्जी, मोटापा जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। ऐसे लक्षण नजर आने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए। यही नहीं, शिशु को जंक फूड की जगह घर का बना खाना दें और उन्हें अधिक शुगर युक्त और तले हुए भोजन का कम से कम सेवन करना चाहिए। अब जानिए उन नट्स के बारे में जो एलर्जी का कारण बन सकते हैं?
नवजात शिशु और नट्स (Baby and nuts): क्या नट्स बन सकते हैं एलर्जी की वजह?
हालांकि, कई नट्स बच्चों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं। लेकिन, कुछ नट्स के सेवन से एलर्जी की संभावना कई गुना बढ़ सकती है। जो नट्स एलर्जी का कारण बन सकते हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- पिस्ता (Pistachios)
- हेजलनट्स (Hazelnuts)
- काजू (Cashews)
- बादाम (Almonds)
- वॉलनट्स (Walnuts)
अगर आप शिशु को नट्स सीधे तौर पर नहीं दे सकती हैं, तो उन्हें कुछ अन्य तरीकों से शिशु के आहार में शामिल करें। जानिए इन तरीकों के बारे में।
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शिशु की डायट में नट्स को शामिल करने के स्मार्ट तरीके
शिशु की डायट में नट्स को शामिल करने का सबसे आसान तरीका है, शिशु को नट पाउडर का इस्तेमाल करने को देना। इस नट पाउडर को विभिन्न बेबी फूड प्रिपरेशन में शामिल किया जा सकता है, जैसे:
- कूकीज या लड्डू बनाने में इस मिक्स का इस्तेमाल करना।
- परांठा बनाने में इस मिक्स का प्रयोग किया जा सकता है।
- कोई भी मैश्ड चीज जैसे मैश्ड पोटैटो, बनाना आदि में नट मिक्स का उपयोग।
- दूध में इस मिक्स का इस्तेमाल करना ताकि दूध की न्यूट्रिशनल वैल्यू को बढ़ाया जा सके।
- आप शिशु के टोस्ट में बादाम या काजू या पीनट बटर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- आप पाइन नट का इस्तेमाल शिशु की खिचड़ी में कर सकते हैं।
यह तो थी जानकारी शिशु और नट्स (Baby and nuts) के बारे में। अब आपके मन में एक सवाल आ सकता है कि हमें कैसे पता चल सकता है कि हमारे बच्चे को नट्स से एलर्जी है? तो आइए जानते हैं इस बारे में।
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कैसे पता चल सकता है कि शिशु को नट्स से एलर्जिक रिएक्शन है?
आमतौर पर नट्स को खाने के कुछ मिनटों या घंटों में ही शिशु में एलर्जिक रिएक्शन विकसित होना शुरू हो जाता है। इसके लक्षण शिशु में कुछ इस तरह के हो सकते हैं:
- स्किन रेडनेस (Skin redness)
- इचि रैशेज (Itchy rashes)
- हाइव्ज (Hives)
- उल्टी आना (Vomiting)
- सांस लेने में समस्या (Trouble breathing)
- लिप्स और जीभ में सूजन (Swelling of lips and tongue)
- छींक या स्टफी नोज (Sneezing or stuffy nose)
- खांसी आना (Coughing)
- डायरिया (Diarrhea)
- स्किन का पीलापन (Pale skin)
- बेहोशी (Loss of consciousness)
अगर आप नट्स के सेवन के बाद शिशु में माइल्ड रिएक्शंस का अनुभव करते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें। लेकिन, अगर यह लक्षण गंभीर हैं तो तुरंत मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है।
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उम्मीद है कि शिशु और नट्स (Baby and nuts) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। शिशु के लिए नट्स के कई लाभ हैं। लेकिन, उन्हें कब नट्स देने हैं और नट्स देते हुए किन चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए यह जानना भी बेहद आवश्यक है। जब आप शिशु को सॉलिड फूड्स देना शुरू करते हैं, तो आप उन्हें नट्स दे सकते हैं। लेकिन, साबुत नट्स की जगह उन्हें पीस कर दें। क्योंकि, इससे शिशु को नुकसान हो सकता है या यह उनके गले में यह फंस सकता है। इसके साथ ही नट्स खाने के बाद शिशु का ध्यान रखें और अगर उनमें एलर्जी का कोई भी लक्षण नजर आता है तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। शिशु और नट्स (Baby and nuts) के बारे में अगर आपके मन में कोई भी सवाल है, तो उसे डॉक्टर से अवश्य जानें।
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