ग्लैंड्यूलर टिश्यू में कमी
कुछ महिलाओं के स्तन सामान्य रूप से (विभिन्न कारणों से) विकसित नहीं होते हैं जिसकी वजह से ब्रेस्ट्स में मिल्क डक्ट्स भी सही से विकसित नहीं हो पाती हैं। हालांकि, हर प्रेग्नेंसी के दौरान मिल्क डक्ट्स डेवलप होती हैं और स्तनपान ज्यादा नलिकाओं और टिश्यू के विकास को उत्तेजित करता है। इसलिए, दूसरी या तीसरी गर्भावस्था में लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई की समस्या कम हो सकती है। स्तनों में दूध कम आना कोई गंभीर समस्या नहीं है। इसके लिए आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। पम्पिंग या ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए मेडिसिन लेने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं। इसके साथ ही शिशु को फॉर्मूला मिल्क भी दिया जा सकता है। हालांकि, मां का दूध बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली, दिमाग के विकास और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सबसे बेस्ट होता है।
ब्रेस्ट सर्जरी की वजह से स्तनों में दूध कम आना
मेडिकल और कॉस्मेटिक कारणों के वजह से की गई ब्रेस्ट सर्जरी लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई का कारण बन सकती है। इससे मिल्क डक्ट्स को नुकसान पहुंच सकता है जिससे स्तनपान प्रभावित होता है। हालांकि, ब्रेस्ट सर्जरी की वजह से स्तनों में दूध कम आना कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे सर्जरी कैसे की गई थी, सर्जरी और शिशु के जन्म के बीच कितना समय था आदि।
और पढ़ें : सिजेरियन डिलिवरी के बाद स्तनपान करवाने के टिप्स
हॉर्मोनल या एंडोक्राइन समस्याओं की वजह से स्तनों में दूध कम आना
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस), लो या हाई थायरॉयड, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) या अन्य हार्मोनल प्रॉब्लम्स की वजह से गर्भधारण करना मुश्किल होता है। इन स्वास्थ्य समस्याओं का असर ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई पर भी पड़ सकता है क्योंकि दूध बनाना कुछ हॉर्मोन्स पर निर्भर करता है। इसके लिए आप अपनी हेल्थ प्रॉब्लम्स का ट्रीटमेंट सही तरीके से करवाएं। स्वास्थ्य समस्या का उपचार आपको स्तनों में दूध बनने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
बर्थ कंट्रोल मेथड्स के स्तनों में दूध कम आना
स्तनपान कराने वाली बहुत सी महिआएं बर्थ कंट्रोल पिल्स का सेवन करती हैं जिसकी वजह से ब्रेस्ट मिल्क प्रभावित हो सकता है। हालांकि, उनके मिल्क प्रोडक्शन में कोई बदलाव नहीं आता है। लेकिन कुछ महिलाओं में हॉर्मोनल बर्थ कंट्रोल (दवाएं, पैच या इंजेक्शन) मेथड्स से ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई में कमी आ सकती है। शिशु के चार महीने पूरे होने से पहले अगर आप गर्भ निरोधक तकनीकों का उपयोग शुरू करती हैं, तो इसकी संभावना ज्यादा रहती है।
और पढ़ें : ब्रेस्ट मिल्क बाथ से शिशु को बचा सकते हैं एक्जिमा, सोरायसिस जैसी बीमारियों से, दूसरे भी हैं फायदे
स्तनों में दूध कम आना की वजह हर्ब्स
जहां मेथी जैसी जड़ी-बूटियाँ दूध की आपूर्ति को बढ़ाने में मददगार साबित होती हैं। वहीं, कुछ ऐसी भी हर्ब्स हैं जो आपके दूध की आपूर्ति को कम कर सकती हैं। पुदीना, अजवायन, लेमन बाम और अजमोद कुछ ऐसी ही हर्ब्स हैं जिनक ज्यादा मात्रा में लेने से ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मिल्क सप्लाई कम हो सकती है।
बच्चे की सकिंग एबिलिटी
शिशु को पर्याप्त दूध न मिल पाना सिर्फ लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई नहीं बल्कि बच्चे की सकिंग एबिलिटी की वजह से भी हो सकता है। कभी-कभी शिशु का स्तनों से दूध निकालना मुश्किल हो सकता है। अगर बच्चे के मुंह के निचले हिस्से में टिशु की पतली झिल्ली बच्चे की जीभ को कसकर पकड़ लेती है,तो इस स्थिति में शिशु स्तनपान कर पाने में सक्षम नहीं होता है। इस सिचुएशन में डॉक्टर से सलाह लें। इससे बच्चे की ब्रेस्टफीडिंग करने की क्षमता में जल्दी सुधार होगा।
और पढ़ें : स्तनपान में सुधार के लिए सेवन करें सिर्फ 3 हर्बल प्रोडक्ट
रात में ब्रेस्टफीडिंग न कराना
कई महिलाएं रात के समस्या में शिशु को फीडिंग नहीं करा पाती हैं जिससे ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन और सप्लाई प्रभावित होती है। दरअसल, अगर स्तनों को पूरी तरह से जल्दी खाली नहीं किया जाता है, तो दूध की आपूर्ति कम हो सकती है। स्तनों से दूध कम आना की समस्या से बचने के लिए शिशु को रात में दूध पिलाना आवश्यक है।
बर्थ मेडिकेशन
डिलिवरी के समय उपयोग की जाने वाली दवाएं, जैसे कि एपिड्यूरल एनेस्थेटिक या डेमेरोल, स्तनपान कराने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। कुछ स्टडीज की माने तो इन दवाओं का प्रभाव एक महीने तक दिखाई दे सकता है। वहीं, पीलिया नवजात शिशुओं में होने वाली एक सामान्य स्थिति है। इसके चलते शिशु सामान्य से भी अधिक नींद आ सकती है, जिससे वह स्तनपान के लिए नियमित अंतराल पर उठता नहीं है। दोनों ही मामलों में, बेहतर मिल्क सप्लाई के लिए मां को ब्रेस्ट मिल्क पंप करने की आवश्यकता हो सकती है।
धूम्रपान और एल्कोहॉल