ऑटोइम्यून गैस्ट्राइटिस की स्थिति में डॉक्टर रोगी को आयरन और विटामिन B2 सप्लीमेंट्स भी दे सकते हैं। इसके साथ ही अन्य तरीकों से भी गैस्ट्राइटिस के लक्षणों को कम किया जा सकता है, जैसे:
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कोलाइटिस (Colitis)
अगर एरीथेमेटस म्यूकोसा (Erythematous Mucosa) का संबंध बैक्टीरियल इंफेक्शन से है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं। अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) के उपचार के लिए डॉक्टर उस उत्पाद की सलाह देंगे जिनमें 5-एमिनोसैलिसिलिक एसिड (5-aminosalicylic acid) यानी मेसालजीन (Mesalazine) हो। लेकिन, यह उपचार क्रोहन’स डिजीज से पीड़ित लोगों के लिए सही नहीं है। उन्हें अन्य दवाईओं की सलाह दी जा सकती है जैसे ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर अंटागोनिस्ट (Tumor necrosis factor antagonist) आदि।
डॉक्टर रोगी को कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids) के शार्ट कोर्स की सलाह दे सकते हैं इसके साथ ही लक्षणों को कम करने के लिए हेल्दी हैबिट्स को अपनाना भी जरूरी है।
प्रोक्टाइटिस और एनासाइटिस (Proctitis and anusitis)
अगर एरीथेमेटस म्यूकोसा (Erythematous Mucosa) की समस्या सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के कारण है, तो इसके उपचार का फोकस इंफेक्शन पर होता है। जब तक इस समस्या का उपचार नहीं हो जाता सेक्स से बचें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
- अगर प्रोक्टाइटिस (Proctitis) की वजह से अल्सर हो, तो डॉक्टर 5-एमिनोसैलिसिलिक एसिड (5-aminosalicylic acid) उपचार की सलाह दे सकते हैं।
- इसके साथ ही डॉक्टर टोपिकल ट्रीटमेंट की सलाह भी दे सकते हैं जैसे कोई जेल या क्रीम आदि।
- प्रोक्टाइटिस (Proctitis) और एनासाइटिस (Anusitis) के लक्षणों से बचने के लिए कैफीन, फिजी ड्रिंक्स, बियर, लहसुन, मसालों आदि के सेवन से बचें। इसके साथ ही स्ट्रेस से भी बचें।
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यह तो थी एरीथेमेटस म्यूकोसा (Erythematous Mucosa) के बारे में जानकारी। यह तो आप समझ ही गए होंगे की यह डायजेस्टिव ट्रैक्ट की म्यूकोसल लायनिंग में होने वाली सूजन है। यह रोग कोलाइटिस (Colitis), प्रोक्टाइटिस (Proctitis) और एनासाइटिस (Anusitis) या गैस्ट्राइटिस (Gastritis) का संकेत भी हो सकता है। इसका कारण एनवायर्नमेंटल फैक्ट्री और इंफेक्शन भी हो सकते हैं। एरीथेमेटस म्यूकोसा के उपचार में दवाइयां, स्ट्रेस से बचना और सही आहार आदि का सेवन करना जरूरी है। इन अंडरलायिंग कंडिशंस से पीड़ित लोगों में गैस्ट्रिक या कोलाइटिस (Colitis) से जुड़ा कैंसर हो सकता है। लेकिन, ध्यान रहे इस समस्या से पीड़ित लोगों को जीवनभर मॉनिटरिंग की जरूरत हो सकती है। अगर आपके मन में इसके बारे में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।