पेट यानी स्टमक, अन्नप्रणाली(Esophagus) और स्मॉल इंटेस्टाइन के बीच के ऑर्गन को कहा जाता है। यह वो अंग है, जहां प्रोटीन का डाइजेशन शुरू होता है। स्टमक के तीन टास्क होते हैं। यह निगले हुए आहार को स्टोर करता है और भोजन को पेट के एसिड के साथ मिलाता है। इसके बाद यह मिक्सचर को स्मॉल इंटेस्टाइन में भेजता है। अधिकतर लोगों को अक्सर स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) का सामना करना पड़ता है। अपच और हार्टबर्न, पेट संबंधी सामान्य समस्याएं हैं। आइए जानते हैं स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) कौन-कौन सी हैं? लेकिन सबसे पहले डायजेशन में पेट के रोल के बारे में समझ लेते हैं।
डायजेशन में स्टमक का क्या रोल है?
जब भी हम आहार को निगलते हैं, तो फूड अन्नप्रणाली के नीचे ट्रेवल करता है। इसके बाद यह लोअर एसोफिजियल स्फिंक्टर (Lower esophageal sphincter) से पास करता है और स्टमक में एंटर करता है। आइए जानें स्टमक के कार्यों के बारे में:
- फूड और लिक्विड का टेम्प्रररी स्टोरेज
- डायजेस्टिव जूसेस का प्रोडक्शन
- स्मॉल इंटेस्टाइन में मिक्सचर को खाली करना
इस प्रोसेस में कितना समय लगता है, यह उस फूड पर निर्भर करता है जिसे हम खाते हैं। इसके साथ ही यह उस पर भी डिपेंड करता है कि हमारी स्टमक मसल्स कितनी अच्छे से काम करते हैं। कुछ फूड्स जैसे कार्बोहायड्रेट्स जल्दी पास हो जाते हैं ,जबकि प्रोटीन में अधिक समय लगता है। फैट्स को प्रोसेस होने में सबसे अधिक समय लगता है। अब जानते हैं स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) यानी स्टमक प्रॉब्लम के बारे में।
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स्टमक कंडिशंस के बारे में पाएं जानकारी (Stomach conditions)
पेट संबंधी समस्याएं यानी स्टमक प्रॉब्लम आमतौर पर आम हैं। लेकिन, कई बार यह गंभीर भी हो सकती हैं। स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) कई प्रकार की हो सकती हैं। यही नहीं, इनके प्रकारों के अनुसार इनके लक्षण और कारण भी अलग होते हैं। इसके साथ ही इनके निदान और उपचार भी विभिन्न हो सकते हैं। अब बात करते हैं विभिन्न स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) के बारे में:
गैस्ट्राइटिस (Gastritis)
गैस्ट्राइटिस को स्टमक लायनिंग में होने वाली सूजन को कहा जाता है। एक्यूट गैस्ट्राइटिस की समस्या एकदम हो सकती है जबकि क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस की परेशानी धीरे-धीरे होती है। इसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- हिचकी (Hiccups)
- जी मिचलाना (Nausea)
- उल्टी आना (Vomiting)
- अपच (Indigestion)
- ब्लोटिंग (Bloating)
- भूख में कमी (Appetite loss)
- स्टमक में ब्लीडिंग के कारण ब्लैक स्टूल (Black stool)
यह तो थे इसके लक्षण। अब जानिए क्या हैं इस स्टमक कंडीशन के कारण? यह कारण इस प्रकार हैं:
- स्ट्रेस (Stress)
- स्मॉल इंटेस्टाइन से बाइल रिफ्लक्स (Bile reflux)
- अत्यधिक एल्कोहॉल का सेवन करना (Excess alcohol consumption)
- क्रॉनिक उल्टी आना (Chronic vomiting)
- एस्प्रिन का इस्तेमाल (Use of aspirin)
- नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Nonsteroidal anti-inflammatory drugs)
- बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन (Bacterial or viral infections)
- पेरनिसियस एनीमिया (Pernicious anemia)
- ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune diseases)
स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) में गैस्ट्राइटिस के उपचार के लिए दवाईयों का इस्तेमाल किया जाता है। मेडिकेशन से एसिड और इंफ्लेमेशन को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही इस स्टमक प्रॉब्लम में आपको उन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के सेवन से भी बचना चाहिए जो लक्षणों को बढ़ाएं।
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गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal reflux disease)
रिफ्लक्स की समस्या तब होती है, जब स्टमक कंटेंट्स जैसे फूड, एसिड या बाइल, अन्नप्रणाली तक वापस मूव कर जाते हैं। अगर ऐसा हफ्ते में दो या इससे अधिक बार होता है तो इसे गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज कहा जाता है। इस क्रॉनिक कंडीशन के कारण हार्टबर्न और अन्नप्रणाली लायनिंग में समस्या होना आदि शामिल है। मोटापा, स्मोकिंग, प्रेग्नेंसी, अस्थमा, डायबिटीज आदि इसके रिस्क फैक्टर हैं। इस स्टमक प्रॉब्लम के लक्षण इस प्रकार हैं:
- छाती में बर्निंग सेंसेशन (Burning sensation in your chest), आमतौर पर खाने के बाद रात को यह स्थिति बदतर हो जाती है।
- छाती में दर्द (Chest pain)
- निगलने में समस्या (Difficulty swallowing)
- गले में लम्प की सेंसेशन होना (Sensation of a lump in throat)
स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) में गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज के लक्षणों में ओवर-द-काउंटर रेमेडीज और खानपान में बदलाव आदि शामिल है। गंभीर मामलों में डॉक्टर मेडिकेशन्स और सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं।
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स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) में पेप्टिक अल्सर (Peptic ulcer)
अगर पेट की लायनिंग ब्रेक डाउन हो जाती है, तो इसके कारण आपको पेप्टिक अल्सर हो सकता है। यह समस्या अधिकतर इनर लायनिंग की पहली लेयर में होती है। पूरी स्टमक लायनिंग में होने वाले अल्सर को परफोरेशन (Perforation) कहा जाता है और इसमें तुरंत मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- पेट में दर्द (Abdominal pain)
- जी मिचलाना (Nausea)
- उल्टी आना (Vomiting)
- फ्लुइड्स को पीने में समस्या (Inability to drink fluids)
- खाने के तुरंत बाद भूख लगना (Felling hungry soon after eating)
- थकावट (Fatigue)
- वजह का कम होना (Weight loss)
- ब्लैक या टेरी स्टूल (Black or tarry stool)
- छाती में दर्द (Chest pain)
यह तो थे पेट की इस समस्या के लक्षण। इसके रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
- हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया (Helicobacter pylori bacteria)
- अधिक एल्कोहॉल का सेवन (Excessive alcohol consumption)
- एस्पिरिन या NSAIDs का अधिक इस्तेमाल (Overuse of aspirin or NSAIDs)
- तम्बाकू (Tobacco)
- रेडिएशन ट्रीटमेंट (Radiation treatments)
- ब्रीदिंग मशीन का इस्तेमाल करना (Using a breathing machine)
स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) में इस समस्या का उपचार इसके कारण पर निर्भर करता है। इसमें दवाईयां या सर्जरी शमिल है, ताकि ब्लीडिंग को रोका जा सके।
वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस (Viral gastroenteritis)
वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस की समस्या तब होती है, जब वायरस के कारण पेट और इंटेस्टाइन में सूजन हो जाती है। इसके मुख्य लक्षण उल्टी आना और डायरिया आदि हैं। इसके साथ ही इसमें क्रेम्पिंग, सिरदर्द और बुखार आदि समस्या भी हो सकती हैं। इससे पीड़ित लोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। बहुत कम उम्र के बच्चे, बुजुर्ग और किसी समस्या से पीड़ित लोगों में इसके कारण डिहायड्रेशन का जोखिम बढ़ सकता है। वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस, क्लोज कॉन्टेक्ट्स और दूषित आहार व ड्रिंक्स आदि के माध्यम से फैल सकता है।
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हायेटल हर्निया (Hiatal hernia)
हायेटस मसल्स वाल्स में उस गैप को कहा जाता है, जो छाती को पेट से अलग करता है। अगर इस गैप के माध्यम से हमारा पेट चेस्ट तक स्लाइड हो जाता है, तो इस समस्या को हायेटल हर्निया कहा जाता है।अगर हमारे पेट का हिस्सा पुश हो कर अन्नप्रणाली के पास छाती में पहुंच जाता है, तो इसे पैराएसोफेजियल (Paraesophageal) कहा जाता है। इस दुर्लभ हर्निया के कारण पेट की ब्लड सप्लाई कट हो सकती है। इस स्टमक प्रॉब्लम के लक्षण इस प्रकार हैं:
- ब्लोटिंग (Bloating)
- दर्द (Pain)
- गले में खराब टेस्ट आना (Bitter taste in throat)
स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) में से इस समस्या के कारणों के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन, यह परेशानी किसी चोट या स्ट्रेन के कारण हो सकती है। हायेटल हर्निया के रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
- वजन का अधिक होना (Overweight)
- पचास साल से अधिक उम्र (Over age 50)
- स्मोकिंग (Smoking)
हायेटल हर्निया की स्थिति में दर्द और हार्टबर्न के उपचार के लिए दवाइयां दी जा सकती हैं। दुर्लभ मामलों में सर्जरी की जरूरत भी हो सकती है। इसके साथ ही हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाने की सलाह भी दी जा सकती है।
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स्टमक कंडिशंस में गैस्ट्रोपैरीसिस (Gastroparesis)
गैस्ट्रोपैरीसिस उस स्थिति को कहा जाता है, जिसमें रोगी के पेट को खाली में होने में बहुत अधिक समय लगता है। इस स्टमक प्रॉब्लम के लक्षणों में जी मिचलाना, उल्टी आना, वजन का कम होना, ब्लोटिंग, हार्टबर्न आदि शामिल है। इसके अलावा इसके कारण इस प्रकार हैं:
- डायबिटीज (Diabetes)
- दवाइयां जो इंटेस्टाइन को प्रभावित करें (Medication)
- स्टमक या वेगस नर्व सर्जरी (Stomach or vagus nerve surgery)
- एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia nervosa)
- पोस्टवायरल सिंड्रोम्स (Postviral syndromes)
- मसल, नर्वस सिस्टम या मेटाबोलिक डिसऑर्डर (Muscle, nervous system, or metabolic disorders)
स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) में इस समस्या के उपचार के लिए रोगी को मेडिकेशन्स और खानपान में बदलाव की सलाह दी जाती है। गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत भी हो सकती है।
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स्टमक कैंसर (Stomach cancer)
स्टमक कैंसर आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होता है। अधिकतर मामलों में यह स्टमक लायनिंग की सबसे अंदरूनी लेयर में शुरू होता है। अगर इसका उपचार समय पर न हो तो यह कैंसर अन्य अंगों या लिम्फ नोड्स या ब्लडस्ट्रीम में फैल जाता है। ऐसे में तुरंत इसका निदान और उपचार होना जरूरी है। इसके उपचार में सर्जरी (Surgery), रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy), कीमोथेरेपी (Chemotherapy), टार्गेटेड थेरेपी (Targeted therapy), या इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy) आदि शामिल है।
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यह तो थी स्टमक कंडिशंस (Stomach conditions) यानी स्टमक प्रॉब्लम के बारे में जानकारी। अगर आपको पेट में कोई भी समस्या होती है या लक्षण नजर आता है, तो तुरंत इसका निदान कराएं। हर समस्या के लक्षण अलग हो सकते हैं। लक्षणों के अनुसार डॉक्टर उस पेट की समस्या का निदान और उपचार करते हैं। पेट में होने वाली समस्याओं को नजरअंदाज न करें। क्योंकि, यह किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकते हैं। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल हो तो अपने डॉक्टर से उस बारे में अवश्य जानकारी लें।
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