डायबिटीज की बीमारी किसी बुरे सपने की तरह है, जिसका कोई इलाज नहीं है और साथ में ही यह बीमारी शरीर के कई भागों पर बुरा असर भी डालती हैं। लेकिन, दुख की बात तो यह है कि इसके मरीज लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं और पूरी दुनिया में लाखों लोग इससे पीड़ित हैं। टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) के बारे में समझना जरूरी है। शरीर के अन्य अंगों की तरह ही वेगस नर्व (Vagus Nerve) भी डायबिटीज के कारण प्रभावित होती है। अगर इस नर्व में कोई समस्या होती है तो हमारे पाचन की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इसके कारण भोजन हमारे शरीर में अधिक देर तक रहता है। इस प्रक्रिया को गैस्ट्रोपैरीसिस (Gastroparesis) कहा जाता है। आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) के बारे में। तो आइए, शुरू करते हैं और सबसे पहले जानते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) है क्या?
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस क्या हैं? (What are Type 2 Diabetes and Gastroparesis)
अगर कोई व्यक्ति टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित है तो इसका मतलब है कि उसका अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पा रहा है या जो इंसुलिन पैदा हो रही है उसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है। ऐसा माना जाता है कि टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में गैस्ट्रोपैरीसिस की समस्या बहुत सामान्य है। लेकिन, टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में भी यह समस्या होने की संभावना होती है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) के अनुसार भी टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों की तुलना में गैस्ट्रोपैरीसिस की संभावना अधिक होती है। इसके साथ ही गैस्ट्रोपैरीसिस का जोखिम उन लोगों को अधिक होता है, जिन्हें दस साल से भी अधिक समय से डायबिटीज की समस्या और इससे जुडी अन्य जटिलताएं हैं।
गैस्ट्रोपैरीसिस को डिलेड गैस्ट्रिक एम्प्टयिंग (Delayed Gastric Emptying) भी कहा जाता है। यह एक ऐसा डिसऑर्डर है जो पेट से लेकर स्माल इंटेस्टाइन (Small Intestine) तक भोजन के मूवमेंट को धीमा या बंद कर सकता है। अब जानते हैं, टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) के लक्षणों के बारे में।
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गैस्ट्रोपैरीसिस के क्या हैं लक्षण? (Symptoms of Gastroparesis)?
गैस्ट्रोपैरीसिस के कारण पेट में हमारा भोजन मूव नहीं कर पाता है। इसके समस्या के कारण सूजन, मतली और हार्टबर्न की समस्या हो सकती है। गैस्ट्रोपैरीसिस के लक्षण इस प्रकार हैं:
- हार्टबर्न या रिफ्लक्स (Heartburn or Reflux)
- जी मचलना (Nausea)
- उल्टी (Vomiting)
- ब्लड शुगर के कंट्रोल होने में समस्या (Trouble controlling Blood Sugar)
- कुछ भी खाने के बाद पेट के भरे होने की भावना महसूस होना (Feeling full Quickly when Eating)
- पेट में सूजन (Abdominal Bloating)
- भूख कम लगना और वजन कम होना (Poor Appetite and Weight Loss)
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस के कारण (Symptoms of Type 2 Diabetes and Gastroparesis)
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) के बारे में पूरी जानकारी में इनके कारण भी शामिल हैं। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज दोनों नर्व डैमेज का कारण बन सकती हैं। जिन लोगों को गैस्ट्रोपैरीसिस की समस्या है, उनकी वेगस नर्व (Vagus Nerve) को नुकसान होता है। यह नर्व फंक्शन और पाचन को बाधित करती है क्योंकि भोजन को तोड़ने के लिए आवश्यक आवेग धीमा या बंद हो जाता है। गैस्ट्रोपैरीसिस का निदान मुश्किल हो सकता है और कई बार इसका निदान हो भी नहीं पाता। यह समस्या उन लोगों में बहुत सामान्य है जिनका अधिक समय तक ब्लड ग्लूकोज लेवल हाय और अनियंत्रित होता है।
अधिक समय तक ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा अधिक रहने से शरीर की नेर्वस डैमेज हो सकती हैं। क्रॉनिकल रूप से हाय ब्लड ग्लूकोज लेवल उन ब्लड वेसल्स को भी नुकसान पहुंचाता है जो शरीर की नसों और अंगों को पोषण और ऑक्सीजन की आपूर्ति करते हैं, जिनमें वेगस नेर्वस और पाचन तंत्र भी शामिल हैं। हाय और अनियंत्रित ब्लड ग्लूकोज गैस्ट्रोपैरीसिस का कारण बन सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस से जुड़ी जटिलताएं (Complications related to Type 2 Diabetes and Gastroparesis)
भोजन जो आपके पेट में लंबे समय तक रहता है, खराब हो सकता है और इसमें बैक्टीरिया का विकास हो सकता है। यह अपच भोजन सख्त हो सकता है। यही नहीं, इसमें गांठ बन सकती है जिसे बेजोर (Bezoar) कहा जाता है। इससे पेट ब्लॉक हो सकता है और भोजन मूव नहीं कर पाता। गैस्ट्रोपैरीसिस (Gastroparesis) के कारण टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित करना भी कठिन हो सकता है। यही नहीं, इस समस्या के कारण टाइप 2 डायबिटीज या टाइप 1 डायबिटीज के शिकार लोगो के लिए यह जानना भी मुश्किल हो सकता है कि उन्हें इंसुलिन कब लेनी है।
कभी-कभी, गैस्ट्रोपैरीसिस वाले व्यक्ति का पेट भोजन को आंत में खाली करने के लिए बहुत लंबा समय ले सकता है। लेकिन, कभी यह प्रक्रिया बहुत जल्दी पूरी होती है। इसके कारण भी डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को यह जानने में मुश्किल होती है कि उन्हें इंसुलिन कब लेनी है, अर्थात ब्लड शुगर लेवल कभी बहुत अधिक बढ़ता है तो कभी कम हो जाता है। जब ब्लड शुगर लेवल बहुत अधिक बढ़ता है तो व्यक्ति में यह सब होने की संभावना बढ़ जाती है।
- किडनी डैमेज (Kidney Damage)
- आई डैमेज जैसे रेटिनोपैथी या मोतियाबिंद (Eye Damage, such as Retinopathy and Cataracts)
- हृदय रोग (Heart Disease)
- पैर की समस्याएं (Foot Complications)
- न्यूरोपैथी (Neuropathy)
- कीटोएसिडोसिस (Ketoacidosis)
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जब ब्लड शुगर लेवल बहुत कम हो जाता है तो डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति इन जटिलताओं को महसूस कर सकता है:
- कम्पन (Shakiness)
- लौ ब्लड शुगर के कारण डायबिटिक कोमा (Diabetic Coma from Low Blood Sugar)
- बेहोशी (Loss of Consciousness)
- सिजर्स (Seizures)
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) से जुडी अन्य जटिलताएं इस प्रकार हैं:
- कुपोषण (Malnutrition)
- बैक्टीरियल इंफेक्शंस (Bacterial Infections)
- इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस (Electrolyte Imbalance)
- अधिक उल्टियां होने अन्नप्रणाली में समस्या (Tears in the Esophagus from Chronic Vomiting)
- अन्नप्रणाली में सूजन जिसके कारण निगलने में समस्या होना (Inflammation of the Esophagus that may cause Difficulty Swallowing)
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस का निदान (Diagnosis of Type 2 Diabetes and Gastroparesis)
इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर आपसे सबसे पहले इसके लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही आपकी शारीरिक जांच भी की जाएगी। टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) की स्थिति में ब्लड शुगर लेवल की जांच भी जरूरी है। आपको कुछ अन्य टेस्ट कराने की सलाह भी दी जा सकती है जैसे:
- बेरियम एक्स-रे (Barium X-ray)
- बेरियम बीफस्टीक मील (Barium Beefsteak Meal)
- रेडियोआइसोटोप गैस्ट्रिक-एम्प्टयिंग स्कैन (Radioisotope Gastric-Emptying Scan)
- एलेक्ट्रोग्रेस्ट्रोग्राफी (Electrogastrography)
- वायरलेस मोटिलिटी कैप्सूल (Wireless Motility Capsule)
- गैस्ट्रिक मनोमेट्री (Gastric Manometry)
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
- स्टमक या स्माल इंटेस्ट्राइन बायोप्सी (Stomach or Small Intestine Biopsy)
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कैसे हो सकता है उपचार? (Treatment of Type 2 Diabetes and Gastroparesis)
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) दोनों की स्थिति में इलाज संभव नहीं है। लेकिन इसके लक्षणों का मैनेज किया जा सकता है। इसलिए, अगर आप टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो आपको समय-समय पर अपना ब्लड ग्लूकोज लेवल चेक करना या कराना चाहिए। इसके साथ ही आपको कब उन दवाईयों को लेना बंद करना है, जिनके कारण गैस्ट्रोपैरीसिस की समस्या बदतर हो रही है। इसके लिए भी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इन दवाईयों में एंटी-डिप्रेसेंट, हाय ब्लड प्रेशर की दवाईयां या कुछ डायबिटीज की दवाईयां आदि शामिल हैं। गैस्ट्रोपैरीसिस से पीड़ित कुछ लोगों के लिए यह दवाईयां भी मददगार साबित हो सकती हैं:
- डोमपेरिडोन (Domperidone)
- एरिथ्रोमाइसिन (Erythromycin)
- मेटोक्लोप्रामाईड (Metoclopramide)
- ओंडैनसैटरोन (Ondansetron)
- प्रोक्लोरपेराजाइन (Prochlorperazine)
गंभीर मामलों में इस समस्या के उपचार के लिए फीडिंग ट्यूब का प्रयोग किया जा सकता है।
लक्षणों को मैनेज करने के अन्य उपाय (Tips to Manage Type 2 Diabetes and Gastroparesis)
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर आपका सही मार्गदर्शन कर सकते हैं। डायबिटीज की स्थिति में ब्लड शुगर का नियंत्रण में रहना बेहद जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर आपको यह सलाह दे सकते हैं:
- टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद के लिए आपको अपने खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए। आप दिन में 3 बार अधिक मात्रा में खाने की जगह एक दिन में 6 बार कम मात्रा में खाना चाहिए। आपके पेट में कम भोजन होगा, इसलिए आप पेट भरा हुआ महसूस नहीं करेंगे। आपके सिस्टम के लिए भी खाना बाहर निकालना आसान होगा। इसके साथ ही ऐसे आहार का सेवन करें जो पचने में आसान हो। सही और संतुलित आहार से ब्लड शुगर भी कंट्रोल में रहती है।
- अधिक वसा युक्त आहार का सेवन करने से बचें, जिससे पाचन में समस्या हो। आपका आहार फायबर युक्त होना चाहिए।
- आपके डॉक्टर इंसुलिन में भी बदलाव कर सकते हैं जैसे इंसुलिन के प्रकार या लेने की मात्रा या आवृति में बदलाव, इंसुलिन को भोजन से पहले लेना है या बाद में आदि।
- अगर जरूरी हो तो खाना खाने और इंसुलिन के बाद तुरंत ब्लड ग्लूकोज की जांच करें आदि। इसके साथ ही डॉक्टर इंसुलिन से जुड़ी अन्य इंस्ट्रक्शंस भी दे सकते हैं।
- शारीरिक रूप से एक्टिव रहने से न केवल आप ब्लड ग्लूकोज को मैनेज कर सकते हैं बल्कि गैस्ट्रोपैरीसिस की समस्या से भी राहत पा सकते हैं। इसके लिए कुछ समय व्यायाम या सैर के लिए अवश्य निकालें।
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- तनाव भी डायबिटीज को बढ़ाने का एक कारण है। इसलिए अगर आप डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस दोनों को नियंत्रित रखना चाहते हैं तो पहले तनाव से दूर रहें। इसके लिए आप योगा या मैडिटेशन कर सकते हैं। अधिक परेशानी की स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें।
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) गंभीर तकलीफें हो सकती है और कई बार इनकी वजह से रोगी को अस्पताल भी जाना पड़ सकता है। ऐसे में, अगर आप टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) की समस्या से पीड़ित हैं तो सबसे पहले अपने आहार का ध्यान रखें और अपने ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रित रखें। किसी भी स्थिति में कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत उपचार जरूरी है।
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