प्रेग्नेंसी की शुरुआत हॉर्मोनल बदलाव के साथ होती है। इस दौरान गर्भ ठहरने के बाद सबसे पहले प्लासेंटा से ह्यूमन कॉरयॉनिक गोनाडोट्रॉपिन (hCG) हॉर्मोन का निर्माण होता है। गर्भधारण के शुरुआती दिनों में इसका लेवल कम होता है लेकिन, कुछ ही दिनों में ह्यूमन कॉरयॉनिक गोनाडोट्रॉपिन हॉर्मोन का लेवल बढ़ने लगता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार गर्भधारण के बाद ह्यूमन कॉरयॉनिक गोनाडोट्रॉपिन हॉर्मोन हर 48 घंटे में डबल होने लगता है। ह्यूमन कॉरयॉनिक गोनाडोट्रॉपिन (hCG) हॉर्मोन के कारण उल्टी, ब्लॉटिंग (पेट फूलना), पेट दर्द, पेल्विक फोर मसल्स में दर्द, मतली और उल्टी आना, स्किन प्रॉब्लम, वजन बढ़ना, नींद न आना, सिरदर्द और स्तन में बदलाव होते हैं। इनमें से महिलाएं जिससे सबसे ज्यादा परेशान होती हैं वो है प्रेग्नेंसी में उल्टी। हालांकि प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार अपनाकर इसे ठीक किया जा सकता है। गर्भावस्था में होने वाली कई परेशानियों में उल्टी की परेशानी सबसे सामान्य है ,लेकिन समस्या ज्यादा होने पर प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार जरूर किए जाने चाहिए। इस कंडिशन को हाइपरमेसिस ग्रेविडरम (Hyperemesis gravidarum) कहते हैं।