प्रेग्नेंसी की शुरुआत शरीर में कई तरह के बदलाव के साथ होती है। कई महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान डर महसूस करती हैं। इस दौरान शारीरिक बदलाव के साथ-साथ कई भावनात्मक और मानसिक बदलाव होना भी आम है। प्रेग्नेंसी में डर ( के कुछ सामान्य कारण और इस डर से कैसे बचा जाए आइए जानते हैं।
प्रेग्नेंसी में डर (Fear of pregnancy) के सामान्य कारण क्या हैं ?
जन्म लेने वाले बच्चे का स्वास्थ्य बनने वाली मां के लिए चिंता और डर का सबसे आम कारण होता है। प्रेग्नेंसी में डर (Fear of pregnancy) की वजह से कई शारीरिक परेशानियां शुरू हो जाती हैं। इन परेशानियों में शामिल हैं-
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प्रेग्नेंसी में डर (Fear of pregnancy) के सामान्य कारण
- मां बनने वाली महिला को आसपास के लोगों से फिजिकल सपोर्ट नहीं मिल पाने की स्थिति में गर्भावस्था को लेकर डर बना रहता है।
- पहले प्रेग्नेंसी के दौरान हुई कोई परेशानी की वजह से भी महिला में डर और प्रेग्नेंसी को लेकर घबराहट रहती है।
- पहली प्रेग्नेंसी के दौरान मिसकैरेज होने की वजह से से डर लगना।
- फाइनेंशियल कंडीशन ठीक न होना भी महिलाओं में प्रेग्नेंसी को लेकर डर बना रहता है। कई बार महिलाएं फाइनेंशियल कंडीशन ठीक नहीं होने की वजह से भी बेबी प्लानिंग में देर कर देती हैं।
- प्रेग्नेंसी से जुड़ी कठिनाइयों के बारे में अत्यधिक पढ़ लेना या टीवी और इंटरनेट पर देख लेना। ऐसी स्थिति में भी बेबी प्लानिंग से महिलायें डर जाती हैं।
ऊपर बताए गए कारणों के अलावा और भी कारण हो सकते हैं लेकिन, सबसे जरूरी जानना यह है कि आपकी प्रेग्नेंसी में डर (Fear of pregnancy) या प्रेग्नेंसी फीयर का कारण क्या है ?
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प्रेग्नेंसी में डर (Fear of pregnancy) से कैसे बचें?
निम्नलिखित तरह से प्रेग्नेंसी में होने वाले डर से बचा जा सकता है-
1. प्रेग्नेंसी में मिसकैरिज के डर से कैसे बचें?
एक्सपर्ट्स के अनुसार 4 प्रेग्नेंट महिला में से एक महिला का किसी न किसी कारण मिसकैरिज हो जाता है। यही डर प्रायः सभी गर्भवती महिला में प्रेग्नेंसी के दौरान बना रहता है। अगर आप भी मिसकैरिज होने के डर से परेशान हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। गर्भवती महिला को नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए। साथ ही ऐसी एक्टिविटी जरूर करें जो आपको पसंद हो। मिसकैरिज के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है। इसलिए गर्भावस्था के शुरुआत से ही डॉक्टर जो सलाह दें उसका पालन करें। अपने ऊपर विशेष ध्यान रखें, साथ ही यह भी ध्यान रखें की प्रेग्नेंसी के दौरान आप बीमार नहीं है। इस वक्त को अच्छे तरह से एंजॉय करें।
2.प्रेग्नेंसी में डर (Fear of pregnancy) : गर्भ में पल रहे बच्चे को सही पोषण नहीं मिल पाना
कई बार मॉर्निंग सिकनेस होने की वजह से यह धारणा बन जाती है कि इस कारण गर्भ में पल रहे बच्चे तक सही पोषण नहीं पहुंच रहा होगा। हालांकि यह धारणा गलत है। प्रेग्नेंसी के दौरान हो रहे जांच से आसानी से पता चल जाता है कि बच्चे की सेहत कैसी है? इसलिए ऐसी चिंता न करें और सिर्फ समय-समय पर पौष्टिक आहार का सेवन करें। अगर परेशानी बढ़ती जा रही हो, तो इसकी जानकारी अपने एक्सपर्ट को दें। प्रेग्नेंसी में कुछ खाद्य पदार्थ जैसे मछली, कच्चे मांस, कच्चे स्प्राउट्स और पे पदार्थों में शामिल एनर्जी ड्रिंक का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान अगर आप कॉफी, चाय या ग्रीन टी का सेवन करती हैं तो दो या तीन कप से ज्यादा न पीएं। यह भी कोशिश करें की 4 या 5 बजे शाम के बाद कैफीन युक्त पे पदार्थ न पीएं। दरअसल ऐसा करने से रात को नींद आने में परेशानी हो सकती है।
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3. प्रेग्नेंसी में बच्चे की हेल्थ के लिए चिंतित रहना
नवजात के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा चिंतित रहना। दरअसल ज्यादातर गर्भवती महिलाएं बच्चे के जन्म के पहले उसकी सेहत को लेकर चिंतित रहती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो प्रेग्नेंसी के दौरान की जाने वाली जांच से बच्चे (भ्रूण) की सेहत की जानकारी मिल जाती है। जन्म के बाद अगर नवजात में कोई शारीरिक परेशानी होती है, तो उसे आसानी से दूर किया जा सकता है।
4. प्रेग्नेंसी में डर (Fear of pregnancy) : फीटस (बच्चे) को नुकसान पहुंचना
प्रेग्नेंसी के दौरान सही पुजिशन में नहीं सोने से बच्चे को नुकसान पहुंचने का डर बना रहता है। दरअसल गर्भ में पल रहा भ्रूण एमनीऑटिक फ्लूइड (amniotic fluid) में सुरक्षित होता है। एमनीऑटिक फ्लूइड भ्रूण को पोषण प्रदान करने के साथ-साथ शॉक ऐब्सॉर्बर की तरह भी काम करता है। प्रेगनेंसी के दौरान सोने का सही तरीका अपनाएं। यह गर्भवती महिला और भ्रूण दोनों के लिए ही बेहतर होता है।
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5. प्रेग्नेंसी में डर (Fear of pregnancy) : अच्छी मां बनना
प्रेग्नेंसी के पहले या प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर गर्भवती महिला इस बात से परेशान और चिंतित रहती हैं कि वो अच्छी मां बन पाएंगी या नहीं ? ऐसी चिंताओं या डर से दूर रहें क्योंकि मां बनने वाली हर महिला को इस दौर से गुजरना पड़ता है। ऐसे में डरने की बजाए अच्छी किताबे पढ़ें और मां बन चुकी महिला या अपनी मां से बच्चे के परवरिश से जुड़ी बातें समझें।
वैसे ऊपर बताये गये कारणों की वजह से प्रेग्नेंसी में डर (Fear of pregnancy) या प्रेग्नेंसी फीयर की स्थिति को टोकोफोबिया यानी प्रग्नेंसी का डर (पैथोलॉजिकल) भी कहते हैं। प्रेग्नेंसी का डर इसे मेडिकल की भाषा में टोकोफोबिया कहा जाता है। कुछ महिलाएं डिलिवरी का नाम सुनकर डर जाती हैं, उन्हें अक्सर इस फोबिया से गुजरना पड़ता है। प्रेग्नेंसी का डर उन महिलाओं में हो सकता है जिन्होंने किसी महिला के प्रेग्नेंसी के दौरान का दर्दनाक किस्सा सुना हो या देख लिया हो। वैसे भी सोशल मीडिया के समय में लोग अक्सर अपनी डिलिवरी के किस्से शेयर करते हैं। कुछ दर्दनाक वीडियो देखकर भी महिलाओं को डर का अनुभव हो सकता है। प्रेग्नेंसी का डर किसी भी महिला को हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक 22 प्रतिशत से अधिक महिलाएं इस समस्या से पीड़ित हैं और वो इसी वजह से प्रेग्नेंसी प्लानिंग में भी देर कर देती हैं।
इन 5 टिप्स को अपना कर आप प्रेग्नेंसी में महसूस होने वाले डर को कम कर सकती हैं। अगर आप डर की वजह से बेबी प्लानिंग नहीं कर रहीं हैं तो आप अपने लाइफ पार्टनर से खुलकर इस बारे में विचार कर सकती हैं। किसी भी तरह की परेशानी महसूस होने पर अपने पार्टनर से बात करें और सेहत से जुड़ी अगर कोई परेशानी है, तो डॉक्टर को जरूर बताएं। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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