प्रेग्नेंसी की शुरुआत हॉर्मोनल बदलाव के साथ होती है। इस दौरान गर्भ ठहरने के बाद सबसे पहले प्लासेंटा से ह्यूमन कॉरयॉनिक गोनाडोट्रॉपिन (hCG) हॉर्मोन का निर्माण होता है। गर्भधारण के शुरुआती दिनों में इसका लेवल कम होता है लेकिन, कुछ ही दिनों में ह्यूमन कॉरयॉनिक गोनाडोट्रॉपिन हॉर्मोन का लेवल बढ़ने लगता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार गर्भधारण के बाद ह्यूमन कॉरयॉनिक गोनाडोट्रॉपिन हॉर्मोन हर 48 घंटे में डबल होने लगता है। ह्यूमन कॉरयॉनिक गोनाडोट्रॉपिन (hCG) हॉर्मोन के कारण उल्टी, ब्लॉटिंग (पेट फूलना), पेट दर्द, पेल्विक फोर मसल्स में दर्द, मतली और उल्टी आना, स्किन प्रॉब्लम, वजन बढ़ना, नींद न आना, सिरदर्द और स्तन में बदलाव होते हैं। इनमें से महिलाएं जिससे सबसे ज्यादा परेशान होती हैं वो है प्रेग्नेंसी में उल्टी। हालांकि प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार अपनाकर इसे ठीक किया जा सकता है। गर्भावस्था में होने वाली कई परेशानियों में उल्टी की परेशानी सबसे सामान्य है ,लेकिन समस्या ज्यादा होने पर प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार जरूर किए जाने चाहिए। इस कंडिशन को हाइपरमेसिस ग्रेविडरम (Hyperemesis gravidarum) कहते हैं।
हाइपरमेसिस ग्रेविडरम के लक्षण क्या हैं ?
गर्भावस्था में अत्यधिक उल्टी गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इसके लक्षण प्रायः गर्भावस्था के 5 से 10वें सप्ताह के बीच शुरू होते हैं और 20वें सप्ताह तक परेशानी बनी रह सकती है।
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इसके लक्षण निम्नलिखित हैं
- लंबे समय से उल्टी की अत्यधिक समस्या (Extreme vomiting problem)
- डीहाइड्रेशन (Dehydration)
- वजन कम होना (Lose weight)
- ब्लड प्रेशर कम होना (Reduced blood pressure)
- सिरदर्द, भ्रम, बेहोशी और पीलिया होना (Headache, confusion, syncope and jaundice)
- हार्ट रेट बढ़ना (60-100/मिनट नॉर्मल हार्ट रेट माना जाता है) (Increased heart rate (60-100 / min is considered the normal heart rate))
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हाइपरमेसिस ग्रेविडरम या प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार क्या हैं ?
नॉर्मल हाइपरमेसिस ग्रेविडरम के मामलों को आहार और रेस्ट से इसे ठीक किया जा सकता है। गंभीर मामलों में डॉक्टर से इलाज की आवश्यकता हो सकती है। कभी-कभी गर्भवती महिला को अस्पताल में एडमिट भी किया जा सकता है।
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अस्पताल में किए जाने वाले गर्भावस्था में उल्टी के उपचार निम्नलिखित हैं
- इंट्रावेनस फ्लूइड (Intravenous fluids)- इलेक्ट्रोलाइट, विटामिन और न्यूट्रिशन से इलाज किया जाता है।
- नेसोगेसट्रिक (Nasogastric) ट्यूब- गर्भावस्था में उल्टी के उपचार के लिए नेसोगेसट्रिक की सहायता ली जा सकती है। इसमें पेशेंट के नाक से न्यूट्रिशन पेट तक पहुंचाया जाता है।
- परक्यूटनियस एंडोस्कोपिक गेस्ट्रोस्ट्रॉमी (Percutaneous endoscopic gastrostomy)- यह एक सर्जिकल प्रॉसीजर है, जिसकी मदद से गर्भावस्था में उल्टी की परेशानी क्यों हो रही है इसकी जानकारी मिल जाती है।
- मेडिकेशन- मेटोक्लोप्रामाइड (metoclopramide), एंटीहिस्टमाइंस (antihistamines) और एंटीरिफ्लेक्स (antireflux) दी जाती है।
प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार के लिए अपनाएं ये तरीके
1.प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार में सबसे पहले आता है एक्यूप्रेशर (Accupressure)
यह एक्यूप्रेशर एक्सपर्ट द्वारा ही किया जा सकता है। इससे बॉडी रिलैक्स होने के साथ-साथ गर्भावस्था में उल्टी का उपचार भी हो जाता है। इसमें बॉडी के कुछ प्वॉइंट को दबाया जाता है। एक्यूप्रेशर अन्य तरह की शारीरिक परेशानी को दूर करने में सहायक होता है।
2.प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार में यूज करें अदरक और पिपरमेंट (Ginger and pepper)
अदरक को औषधि की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लमेंट्री और एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर के लिए फायदेमंद होने के साथ-साथ प्रेग्नेंसी में उल्टी की परेशानी को जल्द ठीक करने में कारगर माना जाता है। गर्भवती महिला जिंजर टी का सेवन कर सकती हैं या बाजार में मौजूद जिंजर कैंडी भी ले सकती हैं। वहीं पिपरमेंट में मौजूद एथेनॉल गर्भावस्था में होने वाली उल्टी की परेशानी के लिए बेहतर इलाज माना जाता है। पेपरमेंट टी से प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार के लिए सेवन किया जा सकता है या फिर पिपरमेंट की पत्तियां भी खाई जा सकती हैं।
3.प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार के लिए हिप्नोसिस (Hypnosis)
गर्भावस्था में उल्टी के उपचार के लिए कभी-कभी हिप्नोसिस का सहारा भी हेल्थ एक्सपर्ट्स ले सकते हैं। किसी भी शारीरिक परेशानी का इलाज खुद से न करें। गर्भावस्था में उल्टी जैसी अन्य परेशानियां सामान्य हैं लेकिन, परेशानी बढ़ने पर जल्द से जल्द इलाज करवाना बेहतर विकल्प है।
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4.पानी (Water)
रोजाना ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। इससे शरीर डीहाइड्रेट भी नहीं होगा और डायजेशन भी ठीक रहेगा। पानी में मौजूद मिनरल्स बॉडी में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं।
5.मसाज (Massage)
गर्भवती महिला की कलाई पर तीन अंगुलियों की मदद से हल्के दवाब के साथ मसाज करें। इससे भी मॉर्निंग सिकनेस और उल्टी की परेशानी दूर हो सकती है।
6.प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार में शामिल करें एप्पल साइडर विनेगर (Apple cider Vinegar)
एप्पल साइडर विनेगर (Apple Cider Vinegar) जिसे सेब का सिरका भी कहते हैं। इसमें मौजूद विटामिन-बी 1, बी 2, बी 3, विटामिन-सी, फॉलिक एसिड और आयरन इसकी गुणवत्ता को कई तरह से बढ़ाता है। एप्पल साइडर विनेगर सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद होने के साथ ही वजन कम करने के लिए भी काफी उपयोगी है। एप्पल विनेगर को हमेशा पानी में मिक्स कर के पिएं। इससे उल्टी की परेशानी ठीक हो सकती है। एप्पल साइडर विनेगर डायजेशन को भी ठीक रखने में मदद करता है। यह किसी भी किराना या मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाता है।
7.प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार में सौंफ (Fennel) आ सकती है बहुत काम
सौंफ में फाइबर, पोटैशियम, मैग्नेशियम और कैल्शियम की मौजूदगी प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार में काम आने के साथ-साथ दिल को भी स्वस्थ रखती है। एक कप पानी में एक चम्मच सौंफ मिलाकर इसे 10 मिनट तक गर्म करें। फिर इसमें शहद (Honey) मिलाकर पीने से उल्टी से राहत मिलती है। हर घर में सौंफ आसानी से मिल जाती है और इसका उपयोग भी आसान है। प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार में ये उपचार सबसे सरल है।
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8.प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार में ब्रोकली (Broccoli) को न भूलें
ब्रोकली में फॉलिक एसिड की प्रचुर मात्रा प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार के लिए अच्छा विकल्प माना जाता है। ब्रोकली के सूप में अदरक, पुदीना, और एक चुटकी लाल मिर्च मिलाकर पीने से उल्टी का उपचार किया जा सकता है।
उल्टी होना गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है। प्रेग्नेंसी में उल्टी आना सामान्य है और इससे घबराने की जरूरत भी नहीं है। इस दौरान गर्भवती महिला के शरीर के अंदर और बाहर दोनों में ही हॉर्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं। महिला को जी मिचलाना और उल्टी होने के साथ ही ऐसी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार भी आसानी से किए जा सकते हैं लेकिन, अगर परेशानी ज्यादा हो या बढ़ती जा रही हो, तो डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर होगा।
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