प्रेग्नेंसी के दौरान प्रेग्नेंट वुमन के शरीर में कई तरह के बदलाव होने के साथ, जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने लगती है, जिसमें से कैल्शियम भी एक है। कैल्शियम एक प्रकार का मिनिरल है, जो प्रेग्नेंसी के समय फीटस की ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए जरूरी होता है। गर्भवती महिला में कैल्शियम की कमी के कारण फीटस की डेवलपमेंट और ग्रोथ पर बुरा असर पड़ सकता है। हालांकि, इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड प्रेग्नेंसी के समय अधिक कैल्शियम की आवश्यकता को जरूरी नहीं बताते हैं, लेकिन गर्भवती महिला में कैल्शियम की कमी कई बार समस्या खड़ी कर सकती है। उचित ये रहेगा कि आप प्रेग्नेंसी के समय अपने डॉक्टर की निगरानी में कैल्शियम की जांच कराएं।
जब आप प्रेग्नेंसी के दौरान जांच कराएंगे तो डॉक्टर कैल्शियम का लेवल चेक करेगा। अगर आपके शरीर में कैल्शियम की कमी हुई तो डॉक्टर आपको कैल्शियम सप्लीमेंट के साथ ही ऐसी डायट लेनी की सलाह दे सकता है, जिसमे कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता हो। कैल्शियम की कमी से गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में बुरा असर पड़ सकता है। अगर आपको प्रेग्नेंसी में कैल्शियम की जरूरत और उससे संबंधित बातों की जानकारी नहीं है तो आपको ये आर्टिकल पढ़ना चाहिए।
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कैल्शियम और फीटस का संबंध
द जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गर्भवती महिला में कैल्शियम की कमी भ्रूण के हृदय विकास में समस्या उत्पन्न कर सकती है। साथ ही गर्भवती में कैल्शियम की कमी होने वाले बच्चे में उच्च रक्तचाप का जोखिम भी बढ़ा सकती है। स्टडी के दौरान शरीर में फैट की बढ़त, बच्चों में ट्राईग्लीसराइड और इंसुलिन रेसिस्टेंस को मां में कैल्शियम की कमी से जोड़ा गया। अध्ययन के दौरान पता चला कि गर्भवती महिला में कैल्शियम की कमी का असर भ्रूण और नवजात शिशु के बोन मिनिरल डेंसिटी पर पड़ा। जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान कैल्शियम सप्लीमेंट दिया गया था, उनके होने वाले बच्चे में हाई बोन मिनिरल कम्पोजिशन देखने को मिला। वहीं, जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के समय कैल्शियम सप्लीमेंट नहीं दिया गया था, उनके फीटस में लो बोन मिनिरल कम्पोजिशन देखने को मिला।
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गर्भवती महिला में कैल्शियम की कमी को दूर करें
गर्भवती महिलाओं में कैल्शियम की कमी नहीं होनी चाहिए। कैल्शियम शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। शरीर में अगर जरूरत के हिसाब से कैल्शियम न हो तो शरीर बोंस से कैल्शियम लेने लगता है। इस कारण से हड्डियों के कमजोर होने की संभावना भी बढ़ने लगती है। जब मां के गर्भ में बच्चा आता है तो कैल्शियम की आवश्यकता भी बढ़ जाती है। इसी कारण से प्रेग्नेंसी में कैल्शियम का उचित मात्रा में सेवन करना बहुत जरूरी होता है। जानिए कैल्शियम शरीर में किन महत्वपूर्ण कार्यों में अपनी भूमिका निभाता है।
- खून का थक्का जमाने में
- तंत्रिका तंत्र को संकेत भेजने में
- मांसपेशियों में संकुचन के दौरान
- हॉर्मोन रिलीज के दौरान
- हार्ट बीट रेगुलेशन के लिए जरूरी है
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गर्भवती महिलाओं में कैल्शियम की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
गर्भवती महिलाओं में कैल्शियम की कमी होने पर विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। अगर इन पर गौर नहीं किया गया तो स्थिति बिगड़ सकती है। अगर आपके शरीर में कैल्शियम की कमी हो रही है तो नीचे दिए गए लक्षण आपको महसूस हो सकते हैं।
- पीठ में दर्द होना
- जांघो में तेज दर्द होना महसूस होना
- मांसपेशियों में अकड़न महसूस होना
- मसल्स में लगातार दर्द होना
- हाथ की कलाई में अचानक मोच आना
- पैर में मोच आ जाना
- दांतों का कमजोर होना
- नाखून में सफेद दाग आना
- बालों का झड़ना शुरू हो जाना
- थकावट महसूस होना
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना
- बेचैनी महसूस होना
- जरा सी चोट में हड्डी का टूटना
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प्रेग्नेंसी और कैल्शियम का संबंध
थेरेप्यूटिस्के उम्सचौ (Therapeutische Umschau) पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, ‘प्रग्नेंट महिला की बॉडी फीटस के डेवलपमेंट के लिए करीब 50 से 330 मिलीग्राम कैल्शियम प्रदान करता है। रिपोर्ट के अनुसार वेस्टर्न डायट को फॉलो करने वाली महिलाएं खाने में 800 मिलीग्राम कैल्शियम लेती हैं, जो प्रेंग्नेसी के समय में कम मात्रा होती है। कैल्शियम सप्लीमेंट की हेल्प से इस कमी को दूर किया जा सकता है। ये प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को भी कम कर देता है। प्रेग्नेंसी में कितनी मात्रा में कैल्शियम सप्लीमेंट की जरूरत है, ये डॉक्टर जांच के बाद ही निर्धारित करता है।
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पोस्ट प्रेग्नेंसी में भी जरूरी है कैल्शियम
बच्चा जब मां का दूध पीता है, तो भी कैल्शियम की जरूरत होती है। लेक्टेशन के दौरान कैल्शियम की जरूरत बढ़ जाती है। कैल्शियम सप्लीमेंट के साथ विटामिन-डी जरूरत होती है। ये कैल्शियम के अवशोषण का काम करता है। कैल्शियम के अवशोषण के लिए जरूरी है कि इसे खाने से पहले लें। कोलड्रिंक्स न लें क्योंकि ये कैल्शियम के अवशोषण को कम करने के काम करती है। साथ ही खाने के बाद चाय पीना भी कैल्शियम के अवशोषण में बाधा पैदा कर सकता है।
गर्भवती महिला में कैल्शियम की कमी होने पर कई सारी समस्याएं जन्म ले सकती हैं। इसलिए ऐसा होने पर डॉक्टर की सलाह से उचित दवा लें और उनकी सलाह से उचित खानपान का सेवन करें, ताकि गर्भवती महिला में कैल्शियम की कमी होने पर मां और बच्चे को नुकसान से बचाया जा सके। प्री प्रेग्नेंसी और पोस्ट प्रेग्नेंसी में कैल्शियम की जरूरत ज्यादा होती है। आपके शरीर में कैल्शियम का लेवल कैसा है, इसे जांचने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
कैल्शियम की कमी को पूरा करेंगे ये फूड
डेयरी प्रोडक्ट का करें सेवन
आपने सुना ही होगा कि हमारी डायट में कैल्शियम की कमी को पूरा करना के लिए डेयरी प्रोडक्ट को जरूर शामिल करना चाहिए। अगर आप खाने में योगर्ट का सेवन करेंगे तो आपको कैल्शियम भरपूर मात्रा में मिलेगा। एक कप योगर्ट (245 ग्राम) में RDI का 30 प्रतिशत कैल्शियम होता है। साथ ही योगर्ट में पोटैशियम, विटामिन B2 और B12 भी होता है। अगर आप खाने में लो फैट योगर्ट शामिल करते हैं तो उसमे हाई कैल्शियम मिलता है। वहीं ग्रीक योगर्ट में एक्ट्रा प्रोटीन भी मिलती है। आप कैल्शियम के लिए रोजाना दूध का सेवन भी कर सकते हैं।
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सोयाबीन को खाने में करें शामिल
आपने सुना ही होगा कि सोयाबीन अच्छी सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रेग्नेंसी में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए खाने में सोयाबीन को शामिल किया जा सकता है। इसे डायट में शामिल करने के लिए टोफू या सोया चंक का इस्तेमाल कर सकते हैं। जो लोग वेगन डायट अपनाते हैं वो दूध का सेवन नहीं करते हैं। ऐसे लोग कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए खाने में सोयाबीन जरूर शामिल करें।
पालक दूर करेगा कैल्शियम की कमी
पालक का सेवन लोग अक्सर आयरन की कमी को पूरा करने के लिए करते हैं। हम आपको बताते चले कि पालक में कैल्शियम भी पाया जाता है। अगर आप खाने में डार्क ग्रीन लीफ का सेवन करते हैं तो भी आपको कैल्शियम की प्रचुर मात्रा प्राप्त होती है।
बींस और मसूर की दाल
बींस और मसूर की दाल को खाने में जरूर शामिल करें। मसूर की दाल और बींस में हाई फाइबर के साथ ही माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी पाए जाते हैं। ये शरीर में जिंक, फोलेट, मैग्नीशियम और पोटैशियम की कमी को पूरा करते हैं। एक कप पकी हुई बींस (172 ग्राम) में 244 एमजी या फिर आरडीआई का 24 % कैल्शियम होता है।
आलमंड का करे सेवन
गर्भावस्था में नट्स का सेवन शरीर को लाभ पहुंचाता है लेकिन प्रेग्नेंसी में कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए आपको खाने में बादाम का सेवन जरूर करना चाहिए। अन्य नट्स की अपेक्षा बादाम में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। करीब 22 बादाम में आरडीआई का 8% कैल्शियम होता है। वहीं बादाम में फाइबर, हेल्दी फैट और प्रोटीन भी पाया जाता है। अगर आप बादाम का सेवन रोजाना करते हैं तो आपको विटामिन ई और मैग्नीशियम भी प्राप्त होता है। प्रेग्नेंसी में जिन महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, उन्हें भी बादाम जरूर खाना चाहिए। बादाम का सेवन करने से ब्लड प्रेशर लो हो जाता है।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो बेहतर होगा कि डॉक्टर से जांच कराएं। डॉक्टर जांच के आधार पर आपको कैल्शियम के साथ ही अन्य सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकता है। आप डॉक्टर से ये जानकारी जरूर लें कि सप्लीमेंट के साथ ही आपको डायट में किन फूड को शामिल करना चाहिए। कैल्शियम की कमी को कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट लिए जाते हैं लेकिन कैल्शियम की अधिकता होना भी शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। आपको प्रेग्नेंसी के दौरान इन बातों का ध्यान देना होगा। बिना डॉक्टर की सलाह के आपको किसी भी तरह के सप्लीमेंट का सेवन नहीं करना चाहिए।
उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको प्रेग्नेंसी में कैल्शियम की जरूरत से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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