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स्टडी: लड़के की डिलिवरी होती है ज्यादा पेनफुल

सुनिए ! अगर आप प्रेग्नेंट हैं और जल्द ही बच्चे को जन्म देने वाली है तो आपके लिए खास खबर है। लड़के की डिलिवरी (Boy delivery) के दौरान आपको अधिक दर्द सहना पड़ सकता है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि ये बात स्टडी के दौरान सामने आई है। लड़के की डिलिवरी में अधिक दर्द के पीछे सांइटिफिक रीजन भी छुपा हुआ है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि आप डर गई हो ? परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि आखिर क्यों स्टडी में लड़के की डिलिवरी को कठिन बताया गया है और लड़की की डिलिवरी को आसान।

लड़के की डिलिवरी में क्यों होता है ज्यादा दर्द? (Why is there more pain in the delivery of a boy?)

जर्नल पिडियॉट्रिक रिसर्च ने एक अध्ययन के आधार पर लड़के की डिलिवरी (Boy delivery) को कठिन बताया। ग्रेनेडा के सैन सेसिलियो क्लीनिकल हॉस्पिटल और ग्रेनाडा विश्वविद्यालय (यूजीआर) के रिसर्चर्स ने एक टीम बनाई। जेवियर डियाज कास्त्रो और जूलियो ओचोआ हरेरा इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता थे। इस शोध के लिए उन्होंने UGR में फिजियोलॉजी विभाग के साथ मिलकर काम किया।

यह रिचर्स अपनी प्रकार की पहली रिसर्च है। इस रिसर्च का मुख्य उद्देश्य ये पता लगाना था कि क्या लड़के की डिलिवरी के दौरान लड़की के कंपेरिजन में अधिक दर्द होता है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए प्रेग्नेंट महिलाओं को चुना। उनमें से 27 महिलाओं ने लड़के को और 29 महिलाओं ने लड़कियों को जन्म दिया। चाइल्ड बर्थ के बाद सभी महिलाओं के बायोमॉलीक्यूल को चेक किया गया। जांच में पाया गया कि जिन महिलाओं ने लड़के को जन्म दिया था उनके बायोमॉलीक्यूम में अधिक डैमेज था, जबकि जिन महिलाओं ने लड़कियों को जन्म दिया था, उनके बायोमॉलीक्यूम में कम डैमेज पाया गया। इसी के आधार पर ये बात सामने आई कि लड़के की डिलिवरी (Boy delivery) में ज्यादा पेनफुल होती है।

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लड़के की डिलिवरी और दर्द का संबंध (Boy’s delivery and pain)

ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड विश्वविद्यालय में रॉबिन्सन रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ. पेट्रा वर्बर्ग ने कहा कि “बच्चे के लिंग का गर्भावस्था की जटिलताओं के साथ सीधा संबंध है।” स्टडी के दौरान लड़के की डिलिवरी के समय आने वाले कॉम्प्लिकेशन के बारे में भी जानकारी दी गई है। जानकारी के अनुसार कुछ बातों को शेयर किया जा रहा है।

  • लड़के की डिलिवरी ड्यू डेट (Due date) से पहले हो जाती है। इस कारण से डिलिवरी के दौरान कॉम्प्लिकेशन की समस्या होती है।
  • लड़के की डिलिवरी ज्यादातर मामलों में प्रीटर्म होती है। गर्भावस्था के 20 वें और 24 वें सप्ताह के बीच जन्म लेने की संभावना लड़कों में 27 प्रतिशत अधिक होती है।
  • गर्भावस्था के 30वें और 33वें सप्ताह के बीच लड़के की डिलिवरी की संभावना 24 प्रतिशत अधिक होती है
  • गर्भावस्था के 34 वें और 36 वें सप्ताह के बीच लड़के की डिलिवरी की संभावना 17 प्रतिशत अधिक रहती हैं।
  • जो महिलाएं लड़के की डिलिवरी करती हैं उनमे जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes), प्री-कलेम्पसिया और हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की समस्या रहती है।
  • स्टडी के दौरान ये बात भी सामने आई है कि लड़के की डिलिवरी के समय सी-सेक्शन के 6 प्रतिशत चांस होते हैं। वहीं 8 प्रतिशत फॉरसेप्स डिलिवरी और 15 प्रतिशत वैक्यूम डिलिवरी के चांसेस रहते हैं।
  • डॉ. इओगन ने इस बारे में कहा कि लड़की के जन्म के बजाय लड़के की डिलिवरी (Boy delivery) अधिक समस्या खड़ी कर सकती है। महिलाओं को लेबर में यदि अधिक समस्या हो रही है तो ये अंदाजा लगया जा सकता है कि महिला लड़के को जन्म दे रही है।

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शारीरिक रूप से कमजोर हो सकते हैं लड़के

लंदन के किंग्स कॉलेज अस्पताल में प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मैगी ब्लॉट ने लड़के की डिलिवरी (Boy delivery) में दर्द ज्यादा होता है इस बात पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मेडिकल स्टाफ को लड़कों के प्रसव के दौरान अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि ये बात सुनने में अजीब लगे, लेकिन ये बात उतनी ही सच है। ये भी सच है कि जो लड़के समय से पहले पैदा हो जाते हैं वे शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं।

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प्लासेंटा (Placenta) की भूमिका

मियामी में निकोलस चिल्ड्रन हॉस्पिटल के एक नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ क्वेर्यूब सैंटाना रिवस ने कहा कि लड़के कि डिलिवरी कई सारी जटिलताएं लेकर आती हैं। इस बारे में ये भी निष्कर्ष निकाला गया है कि गर्भ में बच्चे का पोषण करने वाली प्लासेंटा लड़के व लड़कियों में कुछ अलग पाई जाती है। रॉबिन्सन रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक अन्य शोधकर्ता क्लेयर रॉबर्ट्स ने कहा कि गर्भावस्था की सफलता के लिए प्लेसेंटा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक ऐसा अंग है जो तकनीकी रूप से बच्चे का है, इसलिए यह आनुवंशिक रूप से बच्चे के समान है।”

नॉर्मल प्रेग्नेंसी (Normal Preganancy) से जुड़े शोध में रॉबर्ट्स की टीम ने गर्भनाल में 142 जीनों के एक्सप्रेशन में सेक्स डिफरेंस पाया। शोधकर्ताओं ने कहा कि गर्भनाल के विकसित होने के दौरान आने वाले डिफक्ट्स गर्भावस्था की जटिलताओं (Preganancy complications) से जुड़ा हुए हऐ।

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जल्दी जन्म लेना बनता है वजह

1981 से 2011 तक नए अध्ययन के दौरान वेरबर्ग, रॉबर्ट्स और उनके सहयोगियों ने 574,000 से अधिक ऑस्ट्रेलिया में होने वाले जन्मों का मूल्यांकन किया। उन्होंने पाया कि लड़कियों की तुलना में लड़कों की डिलिवरी में 20 से 24 सप्ताह के बीच यानी प्रीटर्म जन्म के 27 प्रतिशत का अधिक अंतर था। वहीं 30 से 33वें सप्ताह के बीच जन्म लेने वाले लड़कों का प्रतिशत 24 था।

अध्ययन में पाया गया कि 34वें से 36वें सप्ताह में लड़के की डिलिवरी (Boy delivery) की संभावना 17 प्रतिशत अधिक थी।अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन और स्त्री रोग विशेषज्ञों के अनुसार फुल-टर्म जन्म 39वें सप्ताह से लेकर 41वें सप्ताह के बीच होता है। साफ तौर पर कहें तो लड़के की डिलिवरी की परेशानी को जन्म जल्दी लेने से जोड़ा गया। स्टडी के दौरान साफ तौर पर ये नहीं बताया जा सका है कि इसका कोई पुख्ता सुबूत है।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

boys are born to give their mothers more trouble/https://www.dailymail.co.uk/health/article-155508/Why-boys-born-mothers-trouble.html Accessed on 11/12/2019

Giving birth to a baby boy can be more painful/https://www.thesun.co.uk/living/2067855/giving-birth-boy-more-stress-mums-body/ Accessed on 11/12/2019

Giving birth to boys ‘puts more stress on mums/https://www.thesun.co.uk/living/2067855/giving-birth-boy-more-stress-mums-body/ Accessed on 16th July 2021

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Childbirth – pain relief options/https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/HealthyLiving/childbirth-pain-relief-options/Accessed on 16th July 2021

 

Current Version

21/02/2022

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore

Updated by: Nikhil deore


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तथ्य जांच की गई Hello Swasthya Medical Panel द्वारा। लिखा गया Bhawana Awasthi द्वारा। अपडेट किया गया 21/02/2022।

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