जब प्रेग्नेंसी की खबर मिलती है तो सबसे पहले मन में यही बात आती है कि ड्यू डेट क्या होगी? सभी मांओं को इस बात को जानने की उत्सुकता रहती है। प्रेग्नेंसी ड्यू डेट जानने के लिए कपल डॉक्टर का सहारा लेते हैं। कई बार ऐसे मामले भी आते हैं जब बच्चा ड्यू डेट के पहले या फिर ड्यू डेट के बाद पैदा होता है। ये दोनों ही स्थितियां कई बार गंभीर नहीं होती हैं क्योंकि सब का शरीर अलग होता है। डॉक्टर भी आपको संभावना के आधार पर ड्यू डेट बताते हैं। कोई भी डॉक्टर ये नहीं कह सकता है कि फलां तारीख को ही बच्चा जन्म लेगा। अगर आपको अब तक प्रेग्नेंसी ड्यू डेट के बारे में जानकारी नहीं है या फिर प्रेग्नेंसी ड्यू डेट के आगे या फिर पहले बच्चे क्यों पैदा हो जाते हैं, ये जानना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए है।
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प्रेग्नेंसी ड्यू डेट कैसे निकालें?
प्रेग्नेंसी ड्यू डेट निकालने का तरीका आसान है। शिशु गर्भ में 40 सप्ताह तक रहता है। यह जरूरी नहीं है कि आपकी डिलिवरी 40 हफ्ते में ही हो। कई बार महिलाएं ड्यू डेट के पहले ही बच्चे को जन्म दे देती हैं या फिर ड्यू डेट के नजदीक आने पर भी लेबर पेन नहीं होता है। 37 हफ्ते में भी बच्चे की डिलिवरी होती हैं। प्रेग्नेंसी ड्यू डेट जानने के लिए आपको लास्ट टाइम के पीरियड्स की डेट याद होनी चाहिए। मान लीजिए आपको 18 अक्टूबर को पीरियड्स स्टार्ट हुए थे। उसके बाद पीरिएड्स नहीं आए। तो कैल्युलेशन 18 अक्टूबर से ही शुरू होगी।
प्रेग्नेंसी ड्यू डेट जानने के लिए अपनाएं ये तरीका
- लास्ट पीरियड्स का पहला दिन – 18 अक्टूबर
- 18 अक्टूबर में नौ महीने जोड़ लें।
- साथ ही सात दिन भी जोड़ लें।
- 18 अक्टूबर 2019 + 9 महीने + 7
- प्रेग्नेंसी ड्यू डेट = 24 जुलाई 2020
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प्रेग्नेंसी ड्यू डेट के लिए क्या ये तरीका सही है?
पीरियड्स 28 दिनों के बाद होते हैं और ऑव्युलेशन के आधार पर गणना की जाती है। सभी महिलाओं में पीरियड्स पहले या बाद में होते हैं। ऐसे में सही तारीख के बारे में जानकारी दे पाना किसी के लिए आसान नहीं हैं। डॉक्टर अपने अंदाज से एक तारीख (प्रेग्नेंसी ड्यू डेट) बताता है। पीरियड्स के चक्र की लंबाई के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। पहले 12 सप्ताह के दौरान की गई अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में भ्रूण के दिनों के बारे में जानकारी मिल जाती है। इस हिसाब से डॉक्टर बच्चे के जन्म की तारीख का अंदाजा लगा लेते हैं। दूसरी तिमाही के दौरान 8 दिनों का अंतर हो सकता है, वहीं तीसरी तिमाही के दौरान 14 दिनों का अंतर जा सकता है।
क्यों पता नहीं चल पाती सही प्रेग्नेंसी ड्यू डेट?
प्रेग्नेंसी की सही ड्यू डेट का पता लगाना इसलिए भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि एग का शुक्राणु के साथ निषेचन कब हुआ है, इसका पता चल नहीं पाता है। ये जरूरी नहीं है कि आपने सेक्स किया और आप तुरंत गर्भवती हो गईं। कई बार स्पर्म सही समय पर एग से फर्टिलाइज नहीं हो पाते हैं। स्पर्म फैलोपियन ट्यूब में कुछ दिनों तक रह सकते हैं। उचित समय में ही स्पर्म एग के साथ फर्टिलाइजेशन का प्रॉसेस करते हैं। डॉक्टर भी इस बात का पता नहीं लगा पाते हैं। डॉक्टर पीरियड्स की पहली तारीख को जानकर अंदाजा लगाकर ड्यू डेट बता देते हैं।
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क्या प्रेग्नेंसी ड्यू डेट कैलक्युलेटर की गणना हो सकती है गलत?
प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर से ड्यू डेट की गणना करने का तरीका काफी प्रचलित है लेकिन, समय-समय पर इसकी सटीकता पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर आपको ड्यू डेट के बारे में सही जानकारी देता है? या फिर इसका अनुमान भी गलत साबित हो सकता है। हालांकि, प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर से आखिरी पीरियड के पहले दिन के अनुमान से यह गणना की जाती है।
साल 2015 में हुए एक शोध में प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर की पारंपरिक गणना विधि की तुलना करीब 20,000 डिलिवरी से की गई। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि इसके जरिए सटीक भविष्यवाणी करना असंभव है। भले ही वह किसी भी विधि से ड्यू डेट का आंकलन करें। यहां तक शुरुआती दौर के 11-14 हफ्तों के बीच जब भ्रूण एक नींबू के आकार का होता है तब अल्ट्रासाउंड से ड्यू डेट की भविष्यवाणी में भी भिन्नता हो सकती है।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि सामान्य गर्भधारण की अवधि पांच हफ्तों तक भिन्न हो सकती है। हालांकि, पांच हफ्तों का समय काफी लंबा होता है। ज्यादातर महिलाएं अपने मासिक धर्म की आखिरी अवधि के दो हफ्ते बाद ही प्रेग्नेंट होती हैं। गर्भाधारण की तारीख एक अनुमान ही होती है यहां तक कि 28 दिन के सामान्य मामलों में भी। विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और दूसरे अन्य रिप्रोडक्टिव प्रोसीजर से ही आपको गर्भधारण की सटीक जानकारी मिल सकती है। स्पर्म अंडे में कब जाकर मिलता है और फर्टिलाइजेशन कब हुआ? यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है।
मासिक धर्म में अनियमित्ता
कुछ महिलाओं को मासिक धर्म में अनियमित्ता होती है। इसकी वजह से उनके आखिरी पीरियड का अनुमान लगाना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में यदि प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर इस्तेमाल किया जाए, तो उसकी भविष्यवाणी भी संभवतः सही साबित नहीं होगी।
सटीकता का आभाव
महिलाएं अनुमान के तौर पर आखिर मासिक धर्म के पहले पीरियड के दिन को जोड़ती हैं लेकिन, इससे यह स्पष्ट नहीं होता कि गर्भाशय में अंडे का फर्टिलाइजेशन किस दिन हुआ है। ऐसे में कई बार प्रेग्नेंसी की बताई गई ड्यू डेट सटीक नहीं होती है। इसके अलावा बेबी सेंटर की रिपोर्ट्स के अनुसार, बीस में से केवल एक ही गर्भवती महिला की डिलिवरी अनुमानित समय पर होती है। अगर गर्भवती महिला को गर्भाधान की एकदम सही डेट का पता हो, तो ही प्रेग्नेंसी ड्यू डेट कैलक्युलेटर से डिलिवरी या ड्यू डेट के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि, आमतौर पर देखा जाता है कि महिलाओं को अपनी गर्भाधारण की सही डेट का पता नहीं होता है। ऐसे में बच्चे का जन्म कब होगा इसका अनुमान लगाना मुमकिन नहीं होता है। आंकड़ों की बात की जाए, तो भी बहुत ही कम बच्चे अनुमानित ड्यू डेट पर पैदा होते हैं। एक अनुमान के अनुसार, केवल पांच से चालीस फीसदी महिलाओं की डिलिवरी ही अनुमानित ड्यू डेट पर होती है।
पीरियड डेट के आधार पर डिलिवरी डेट कैसे पता लगाएं?
आमतौर पर, गर्भावस्था की अवधि आपके पीरियड की पहली डेट से लगभग 280 दिनों (40 सप्ताह) की होती है। हालांकि, यदि आपके पीरियड्स नियमित नहीं हैं या सामान्य मासिक धर्म चक्र (28 दिन) से अलग हैं, तो आपकी डिलिवरी डेट का अनुमानित समय इन 280 दिनों से अलग भी हो सकता है। पीरियड्स के आधार पर बच्चे के जन्म का समय पता लगाने के लिए आखिरी पीरियड की पहली तारीख से 40 सप्ताह जोड़ने पर जो भी महीना या दिन आएगा वह ही बेबी बर्थ का अनुमानित समय होगा। डॉक्टर्स भी बच्चे की डिलिवरी डेट की कैलक्यूलेशन गर्भवती महिला की पीरियड डेट के अनुसार ही करते हैं।
प्रेग्नेंसी ड्यू डेट कैलक्युलेटर का कैसे करते हैं इस्तेमाल?
ऑनलाइन प्रेग्नेंसी ड्यू डेट कैलक्युलेटर से बच्चे की अनुमानित बर्थ डेट का पता आखिरी पीरियड के पहले दिन की तारीख के आधार पर किया जाता है। डिलिवरी डेट का पता लगाने के लिए डॉक्टर भी इसी तरीके को अपनाते हैं।
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प्रेग्नेंट होने के बाद डॉक्टर आपको जो ड्यू डेट देते हैं उस पर विश्वास करें। प्रेग्नेंसी कैलक्युलेटर की गणना के चक्कर में न पड़ें। प्रेग्नेंसी पीरियड को एंजॉय करें ताकि आपका शिशु भी हेल्दी रह सके।
प्रेग्नेंसी ड्यू डेट निकलने के बाद क्या किया जा सकता है?
किसी कारणवश बच्चा ड्यू डेट के बाद पैदा नहीं होता है तो डॉक्टर कुछ दिन इंतजार करते हैं और बच्चे की धड़कन भी चेक करते हैं। साथ ही पेट के अंदर बच्चे का मूमेंट भी देखा जाता है। निम्न परिस्थितयों की जांच की जाती है जैसे-
- बच्चे की ड्यू डेट कितनी हो चुकी है?
- महिला की उम्र क्या है?
- क्या महिला पहले भी बच्चे को जन्म दे चुकी है?
- उसका वजन कितना है?
- बच्चा कितना बड़ा है?
- क्या महिला धूम्रपान करती है?
- क्या पेट के अंदर बच्चे को कोई खतरा है?
इन सब की जानकारी लेने के बाद अगर डॉक्टर को लगता है कि बच्चे का जन्म कराना आवश्यक है तो महिला और बच्चे की स्थिति के अनुसार सी-सेक्शन या फिर नॉर्मल डिलिवरी (इंड्यूस्ड लेबर) के माध्यम से बच्चे का जन्म कराया जाता है।
रिसर्च के अनुसार 4 प्रतिशत बेबीज ही एक्जेक्ट ड्यू डेट पर पैदा होते हैं। 5 में से एक बच्चा 41 हफ्ते पर या उसके बाद पैदा होता है। इसलिए अगर आपकी प्रेग्नेंसी ड्यू डेट निकल गई है तो परेशान न हो। आप अकेली नहीं है।
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क्या प्रेग्नेंसी ड्यू डेट का निकल जाना सामान्य है?
हां यह बेहद कॉमन है। ज्यादातर बच्चे 37-41 वीक के बीच पैदा होते हैं। ड्यू डेट के एक हफ्ते पहले या बाद बच्चे का जन्म होना सामान्य है। जुडवां बच्चे, ट्रिपलेट्स प्रेग्नेंसी के 37वें हफ्ते के पहले पैदा हो जाते हैं। ड्यू डेट की गणना आपके पीरियड्स के अनुसार की जाती है। आपकी मिडवाइफ इस बारे में आपको ज्यादा बता सकती है। अगर आपकी प्रेग्नेंसी 42 वीक से ज्यादा हो जाती है तो इसे प्रोलॉन्गड प्रेग्नेंसी कहा जाता है। 5-10 प्रतिशत महिलाओं की प्रेग्नेंसी इस लंबी होती है।
यूके में कई सारी मैटरनिटी यूनिट्स की पॉलिसी है कि वे 42वें हफ्ते में लेबर को इंड्सूस करना शुरू कर देते हैं। इसलिए वहां केवल 3 प्रतिशत बच्चे ही 42वें हफ्ते के बाद पैदा होते हैं।
अगर आप प्रेग्नेंट हैं और ड्यू डेट के बारे में अधिक जानकारी चाहती हैं तो एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। सभी का शरीर अलग होता है, उसी हिसाब से गणना बदल जाती है। आपका डॉक्टर आपको उचित सलाह दे सकता है। ड्यू डेट निकलने के बाद भी लेबर पेन शुरू नहीं हो रहा है तो कुछ नैचुरल तरीके ट्राई किए जा सकते हैं।
लेबर पेन को शुरू करने के नैचुरल उपाय:
बॉडी को एक्टिव रखें
यदि बॉडी तनाव में है तो लेबर पेन शुरू नहीं होगा। इसलिए इस बात का स्ट्रेस लेकर सिर्फ आराम ही न करें। कुछ छोटे-मोटे काम करते रहे जिससे बॉडी एक्टिव रहे। प्रशिक्षित व्यक्ति से मसाज कराएं। आप एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर की मदद भी ले सकती हैं। लेबर शुरू करने में यह मददगार हो सकते हैं।
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केस्टर ऑयल
प्राकृतिक रूप से लेबर को शुरू करने के तरीकों में केस्टर ऑयल काफी प्रचलित है। लेबर को शुरू करने के लिए इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना चाहिए। इसे इस्तेमाल करने का सबसे सामान्य तरीका इसे सीधे सर्विक्स पर लगाया जाए। इसे पेट पर नहीं लगाना चाहिए। केस्टर ऑयल को लेकर डॉक्टरों की अलग-अलग राय है।
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निप्पल्स को उत्तेजित करना
ब्रेस्ट को उत्तेजित करने से ऑक्सीटॉसिन रिलीज होता है। इससे यूटरस में कॉन्ट्रैक्शन होता है। इससे कई बार लेबर को शुरू करने में सहायता मिलती है। वहीं, कुछ महिलाएं लेबर को शुरू करने के लिए निप्पल्स पर मालिश करती हैं। बिना डॉक्टर की सलाह के आपको यह तरीका नहीं आजमाना चाहिए।
वॉक पर जाएं
कॉन्ट्रैक्शन का अहसास हो रहा है लेकिन, लेबर पेन नही हैं तो ऐसे में चलने- फिरने से इसमें सुधार हो सकता है। चलने से आपके हिप्स हिलते- डुलते हैं, जिससे शिशु को डिलिवरी की अवस्था में आने में मदद मिलती है। सीधे खड़े रहने से गुरुत्वाकर्षण शिशु को पेल्विक में की तरफ ले जाने में मदद करता है। प्राकृति तरीके से लेबर को शुरू करने में फिजिकल एक्टिविटी की भूमिका अहम होती है। कुछ महिलाओं को हल्की एक्सरसाइज या चलने फिरने के लिए कहा जाता है, जिससे उन्हें लेबर शुरू हो जाए।
हमें उम्मीद है कि ऊपर दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। ड्यू डेट आगे बढ़ने को लेकर कोई भी सवाल है तो एक बार अपने डॉक्टर से कसंल्ट करें।
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