सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(STD) को सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शनस(STI) या यौन रोग भी कहा जाता है। यह ऑर्गनिज्मस द्वारा होने वाले वो इंफेक्शन हैं जो यौन गतिविधि और अंतरंग संबंधों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलते हैं। कई बार पीड़ित व्यक्ति को सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (sexually transmitted diseases) के हलके या कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते। ऐसा भी हो सकता है कि आप खुद संक्रमित हों और दूसरों को भी संक्रमित कर दें, लेकिन इस बारे में आपको पता भी न हो। इसलिए, इन संक्रमणों के लिए सही समय पर स्क्रीनिंग जरूरी है। ताकि, तुरंत इलाज हो सके और इन्हें फैलने से भी बचाया जा सके। यौन रूप से सक्रिय किशोर और युवा के साथ-साथ बड़ी उम्र के हर व्यक्ति को रूटीन चेकअप में STD टेस्टिंग(STD testing) कराने की सलाह दी जाती है। STD टेस्टिंग(STD testing) के बारे में आपको इन बातों के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है।
आपको STD टेस्टिंग कब करानी चाहिए (when to do STD testing)?
अगर आप यौन रूप से सक्रिय हैं और आप एसटीडी(STD) के लक्षणों को महसूस करते हैं। तो आपको अपने डॉक्टर से STD टेस्टिंग(STD testing) के बारे में बात करना जरूरी है। एसटीडी(STD) के लक्षण कई बार समय के साथ कम हो जाते हैं। लेकिन, ऐसा जरूरी नहीं है कि लक्षणों के कम होने से आपकी एसटीडी(STD) की समस्या खत्म हो गयी है। ऐसे में, अपनी जांच और उपचार अवश्य कराएं।
निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर की सलाह अनिवार्य है, अगर:
- आपके गुप्तांग, जांघ, या बट चीकस के ऊपर और आसपास घाव या छाले हों।
- आपकी योनि या लिंग से डिस्चार्ज हो रहा हो।
- जब आप पेशाब करें तो आपको जलन हो।
- लिंग, योनि, वल्वा, या गुदा में खुजली, दर्द या परेशानी हो।
- आपको फ्लू जैसे लक्षण हों जैसे बुखार, शरीर में दर्द, ग्रंथियों में सूजन और थकान महसूस होना आदि।
हालांकि, इन सब समस्याओं के सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं। ऐसे में, टेस्ट कराना ही एकमात्र तरीका है ताकि पता चल सके कि यह परेशानियां किस वजह से हो रही हैं। आपके डॉक्टर इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।
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डॉक्टर से जांच कराते हुए आप उन्हें इन चीजों के बारे में बताना न भूलें।
- आपके लक्षण
- आपके संभोग का तरीका जैसे (वजाइनल, अनल, ओरल आदि)
- क्या आप कंडोम या डेंटल डैम का प्रयोग करते हैं?
- अगर आप कोई दवाई ले रहे हैं तो भी डॉक्टर को बताएं।
- इसके साथ ही अगर आपके या आपके पार्टनर के अन्य सेक्शुअल पार्टनर हैं तो यह भी अपने डॉक्टर को यह बताना न भूलें।
अगर आपको ऐसा लगता है कि आपको सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) है। तो आपके लिए STD टेस्टिंग(STD testing) कराना बेहद जरूरी है। क्योंकि, इलाज न कराने पर कई बार यह रोग एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या का कारण बन सकता है। सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के लिए टेस्ट(Tests for Sexually Transmitted Diseases) कराना आपको थोड़ा अजीब प्रतीत हो रहा होगा। लेकिन, टेस्ट के बाद इनका इलाज दवाईयों से ही संभव है और जिन सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज को ठीक नहीं किया जा सकता है। उनके लक्षणों को कम करने के लिए इलाज किया जाता है ताकि एसटीडी की संभावना को कम किया जा सके। इसलिए, जितनी जल्दी आपको पता चलता है कि आप सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) से पीड़ित हैं, उतनी ही तेजी से आप अपना और अपने साथी का ख्याल रखना शुरू कर सकते हैं।
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अगर आपको कोई लक्षण नहीं है तो STD टेस्टिंग(STD testing) करानी चाहिए?
अगर आपको सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) का कोई लक्षण नहीं है। लेकिन, उसके बाद भी लगता है कि आपको यह समस्या हो सकती है। तब भी आप टेस्ट करा सकते हैं। अधिकतर मामलों में लोगों को इस समस्या के कोई लक्षण नहीं नजर आते। इसलिए सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के लिए टेस्ट(Tests for Sexually Transmitted Diseases) कराना जरूरी है। यदि आपने असुरक्षित यौन संबंध बनाएं हैं या आपको पता चलता है कि आपके साथी को एसटीडी(STDs) है, तो यह टेस्ट करना महत्वपूर्ण है। यदि आपको एसटीडी है, तो यह जल्द से जल्द पता लगाना आवश्यक है। कुछ एसटीडी(STD) समय के साथ गंभीर हो सकते हैं और आपको अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। भले ही आप अभी पूरी तरह से ठीक महसूस करें। यही नहीं, यह समस्या उन अन्य लोगों में भी फैल सकता है जिनके साथ आप यौन संबंध रखते हैं।
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डॉक्टर कौन से STDs के लिए आपको टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं:
ऐसी कई सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) हैं, जिनके लिए आपको टेस्ट करना जरूरी है। उनमे से कुछ इस प्रकार हैं, जिनके लिए टेस्ट कराने की सलाह डॉक्टर आपको दे सकते हैं:
- क्लैमाइडिया (chlamydia)
- सूजाक (gonorrhea)
- ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV)
- हेपेटाइटिस बी ( hepatitis B)
- उपदंश (syphilis)
- ट्राइकोमोनिएसिस (trichomoniasis)
आपके डॉक्टर हर्पीस के लिए तब तक टेस्ट की सलाह नहीं देते हैं, जब तक कि आप को कोई समस्या न हो या आप टेस्ट करने के लिए न कहें।
इन चीजों का रखें ख्याल
यह न सोचें कि आपके एनुअल फिजिकल या सेक्शुअल हेल्थ चेकअप में डॉक्टर खुद ही एसटीडी टेस्टिंग को शामिल कर देंगे। कई डॉक्टर अपने मरीजों का यह टेस्ट रेगुलर नहीं कराते। ऐसे में आपको खुद अपने डॉक्टर को यह टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं। इन चीजों का ध्यान रखना भी जरूरी है:
- अपनी सेक्शुअल हेल्थ को लेकर शर्म करने से बचना चाहिए। अगर आप किसी इंफेक्शन या लक्षण को लेकर चिंता में हैं तो अपने डॉक्टर से अवश्य बात करें।
- अगर आप गर्भवती हैं तो आपके लिए यह टेस्ट कराना जरूरी हैं। क्योंकि, यह रोग आपके भ्रूण को भी प्रभावित कर सकता है।
- अगर आपके साथ शारीरिक संबंधों या अन्य सेक्शुअल गतिविधियों को लेकर जबरदस्ती की गई हो तो भी STD टेस्टिंग(STD testing) करानी चाहिए।
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STD टेस्टिंग(STD testing) के दौरान क्या होता है?
STD टेस्टिंग(STD testing) जल्दी होने वाली आसान प्रक्रिया होती है और इसमें आपको कोई परेशानी नहीं होती। सभी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) के लिए एक ही टेस्ट नहीं होता बल्कि अलग-अलग STD के लिए अलग टेस्ट की सलाह दी जाती है। आपके डॉक्टर आपको सलाह दे सकते हैं कि आपको कौन सा टेस्ट कराना चाहिए। STD टेस्टिंग(STD testing) में यह सब शामिल हैं:
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- यूरिन टेस्ट : यूरिन टेस्ट में आपको केवल एक कंटेनर में अपने पेशाब का सैंपल देना होगा।
- चीक स्वाब — आपके गाल को अंदर की तरफ से नरम स्वाब से घिस कर HIV टेस्ट के लिए सैंपल लिया जाता है।
- ब्लड टेस्ट : आपकी उंगली या बाजु से डॉक्टर आपका खून लेंगे और उसकी जांच करेंगे।
- शारीरिक जांच:आपका नर्स या डॉक्टर मसा, घाव, जलन, या डिस्चार्ज की जांच करने के लिए आपके जननांग का चेकअप करते हैं।
- घावों का टेस्ट – आपके डॉक्टर किसी भी घाव या फफोले से तरल पदार्थ का एक नमूना स्वाब के साथ ले सकते हैं।
आप जितने अधिक हो सके सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) के लिए टेस्ट करा सकते हैं, चाहे आपको उसके लक्षण हों या नहीं। कुछ एसटीडी(STD) के लक्षण एक जैसे होते हैं। ऐसे में अलग-अलग इंफेक्शंस के लिए टेस्ट कराए जा सकते हैं। टेस्ट के बाद आपको उसकी रिपोर्ट कुछ ही देर में मिल जाती है।
सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) होने पर आपको क्या करना चाहिए ?
एसटीडी(STD) होना कोई असामान्य बात नहीं है। ऐसे में, धैर्य रखें और अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें। आपको अपने यौन संबंधों के बारे में सब कुछ अपने डॉक्टर को बताना चाहिए। ताकि, वो सही उपचार और टेस्ट करा सके। यह सब बताना आसान नहीं होता लेकिन यह जरूरी है। कई सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) दवाइयों से ठीक हो जाती हैं। इसलिए जब आपका उपचार खत्म हो जाए तो आप सामान्य जीवन जी सकते हैं। कुछ एसटीडी(STD) को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन आपके लक्षणों का इलाज करने और आपको अपने एसटीडी(STD) को किसी ऐसे व्यक्ति तक फैलने से रोकने के बहुत सारे तरीके हैं जिनसे आप यौन संबंध रखते हैं।
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सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) से पीड़ित लोग रिलेशनशिप में रह सकते हैं, सेक्स कर सकते हैं और सामान्य जीवन जी सकते हैं। STD टेस्टिंग(STD testing) से पहले यह बात समझ लें कि अधिकतर लोग अपने जीवन में कभी न कभी इस समस्या का सामना करते ही हैं। ऐसे में, इसमें शर्म वाली कोई बात नहीं है।
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वास्तविकता यह है कि सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) ऐसे किसी भी व्यक्ति को हो सकती है जिसने कभी किसी के साथ यौन संबंध रखा हो। हालांकि कुछ एसटीडी(STD) नॉन-सेक्शुअल तरीकों से भी फैल सकते हैं। अगर आप इस रोग के कारण असहज और परेशान महसूस कर रहे हों तो अपने पार्टनर, परिवार या किसी अच्छे दोस्त से मदद लें। इससे आपको अच्छा महसूस होगा। डॉक्टर की सलाह और उपचार का पालन करना तो जरूरी है ही। इसके साथ ही काउंसलिंग और थेरेपी से भी आपको आराम पहुंच सकता है। अगर आप इस समस्या से जल्दी राहत पाना चाहते हैं तो अपने लाइफस्टाइल को बदलें और सकारात्मक रहें। इससे आपको केवल सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(sexually transmitted diseases) से ही नहीं बल्कि जीवन की कई अन्य परेशानियों से मुक्ति पाने में मदद मिलेगी।
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