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डाले अपने सेक्स जीवन में नयी मिठास तंत्र सेक्स के साथ

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Mishita sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/11/2020

    डाले अपने सेक्स जीवन में नयी मिठास तंत्र सेक्स के साथ

    तंत्र का संस्कृत अर्थ है “एक साथ जुड़ना’ या “एकीकरण”। भारतीय समाज में सेक्स शब्द पर बात करना निषिद्ध-सा है। परन्तु रिसर्च के अनुसार तंत्र सेक्स जो कि अध्यात्म का ही एक स्वरूप है, उसकी उत्पत्ति भारत से ही हुई है। प्राचीन हिन्दू ग्रंथों, वेदों तथा बौद्ध धर्म में भी इसका स्त्रोत मिलता है। एक नए जीवन का प्रारम्भ करने के लिए सेक्स महत्वपूर्ण होता है। इसलिए वेद और शास्त्रों में इसे एक पवित्र कर्म माना गया है। “तंत्र सेक्स’ क्या है और किस प्रकार ये अपने जिन्दगी में प्रेम को बढ़ा सकता है, इसके विषय में हम इस आर्टिकल में बात करेंगे।

    तंत्र सेक्स में कौन-सी बातें समाहित हैं ?

    साथी के प्रति सम्पूर्ण समर्पण

    तांत्रिक सेक्स, का मुख्य उदेश्य होता है अपने साथी को अच्छे से समझना। तंत्र सेक्स में आप एक योगी के सामान अपने साथी के साथ अंतरंग होते हैं। इसमें ऑर्गज्म को पाना जरूरी नहीं होता, लेकिन साथी के साथ रिश्ते को मजबूत करना महत्वपूर्ण होता है। तंत्र सेक्स का मूल है सारे निजीकरण का त्याग, सारे रहस्यों का त्याग और एकीकरण। तंत्र सेक्स में आप अपने साथी के लिए सामान भाव से प्रेम और श्रद्धा का भाव रखते तथा अपनाते हैं। इसमें शरीर ही नहीं मन का जुड़ाव भी उतना ही होना चाहिए। तंत्र सेक्स को नॉन-ऑर्गाज्मिक (non-orgasmic) सेक्शुअल इंटरकोर्स भी कहा जाता है।

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    तंत्र सेक्स में खुद को संतुष्ट करना

    एकल सेक्स, यानि खुद को बिना किसी साथी के अध्यात्म और योग की मदद से अपने शरीर की जरूरतों को समझ कर उसे संतुष्ट करना होता है। तंत्र सेक्स में आपको खुद से प्यार करना होता है। जिस प्रकार साथी के साथ होने पर, आपको अपने साथी को समझना होता है, और सम्पूर्ण रूप से समर्पित होना होता है। एकल सेक्स में आप खुद को और अपने शरीर को समझ सकते हैं। साथ ही खुद ऑर्गज्म तक पहुंच सकते हैं।

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    तंत्र सेक्स के लिए कैसे तैयार होना चाहिए?

    प्राणायाम करें

    सबसे पहले मन को शांत करने के लिए प्राणायाम की मदद लें। 15-20 मिनट के लिए ध्यान में बैठे और अपनी सांस की क्रिया पर ध्यान केंद्रित  करें। उसके बाद पेट से सांस ले। ये आपके मन को तनाव मुक्त करने में सहायक होगा।

    अपने साथ समय बिताएं

    कुछ समय खुद के साथ बिताएं और उन विचारों को दूर करने की कोशिश करें जो आपके आध्यात्मिक विकास में अवरोध हैं। आप इन बातों को लिख भी सकते हैं।

    जगह का चुनाव

    ये सुनिश्चित करे कि तंत्र सेक्स के लिए आपने जिस जगह का चुनाव किया है वो आरामदायक हो। साथ ही जगह का तापमान देख ले, जो आपके और आपके साथी के लिए अनुकूल हो। और आपके अनुभव को और अच्छा बनाने+

    .

    में मदद करें।

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    माहौल बनाएं

    माहौल बनाने के लिए आप खुशबू वाले मोमबत्ती तथा कम रोशनी वाले बल्ब का इस्तेमाल कर सकते हैं। कम रोशनी और खुशबू का एहसास मूड को और भी अच्छा बना देती है। साथ ही एककामुक जगह की रचना होती है, जो आपके अनुभव को और अच्छा बना देता है। आप परफ्यूम या इत्र का इस्तेमाल भी कर सकते है।

    खुद को आजाद छोड़ दें

    इस परिस्थिति में खुद को बांधे नहीं। आपने साथी को एक सुखद और रोमांचक अनुभव के लिए तैयार करें। साथ की खुद को भी इस अनुभव को अच्छे से आनद लेने के लिए प्रेरित करें। आप जितना खुद को खुलने का मौका देंगे सेक्स का उतने अच्छे से आनंद ले पाएंगे और आपने साथी को भी भली भांति खुश कर पाएंगे।

    जल्दबाजी न करें

    अच्छे अनुभव के लिए ये बहुत जरूरी है कि आप किसी प्रकार की जल्दी न करें। खुद को और आपने साथी को पूरा समय दे।

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    तंत्र सेक्स सम्बंधित कुछ मत्वपूर्ण बातें

    सेक्स वैकल्पिक है

    तंत्र सेक्स में मन का जुड़ाव ज्यादा महत्वपूर्ण है, और सेक्शुअल इंटरकोर्स को वैकल्पिक माना गया है। पर सबसे ज्यादा जरूरी होता है, अपने तथा अपने साथी और उसके मन तथा इच्छाओ को समझना। और साथ ऑर्गज्म को प्राप्त करना।

    एक दूसरे के आलिंगन में समय बिताएं

    जैसा की हम पहले ही बात कर चुके हैं की ये एक योग कला है। आप जितना समय अपने या अपने साथी के साथ बिताते हैं, महत्वपूर्ण है की उस समय का सदुपयोग कर एक गहरा सम्बन्ध स्थापित करें। ये आपके लिए एक -दूसरे की ऊर्जा का आदान प्रदान भी होता है। इसलिए जितना हो सके उतना सकरात्मक सोच के साथ अपने साथी के सानिध्य में समय बिताए। बात करके अपने साथी की दिलचस्पी बनाए रखें। साथ ही अपने बारे में बताए, कि आपको क्या पसंद या नापसंद है। और अपने साथी से भी उनकी पसंद और नापसंद जानने की कोशिश करें।

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    तंत्र सेक्स के तीन चरण

    सांस पर काबू कर ध्यान करें

    सांस पर काबू पाना बहुत जरूरी है। जब आप अपने साथी के साथ ध्यान करते हैं, तब दोनों साथ में एक ही ऊर्जा को महसूस करते हैं। सांस पर काबू पा लेने के बाद जब आपको ये अनुभव हो कि आप सही में ध्यान की स्थिति तक पहुँच चुके हैं, तब काम क्रिया की शुरूआत कर सकते हैं। ध्यान लगाने की क्रिया आपको एक प्रकार की ऊर्जा देती है।

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    पवित्रता को बनाए रखें

    तंत्र का एक उद्देश्य ये भी होता हैं, कि आप आपके साथी में मौजूद ईश्वर से साक्षात्कार करें। प्राचीन वेदों में पुरुष को भगवान शिव तथा महिला को देवी पार्वती माना जाता है। यही कारण हैं कि भगवान शिव और पार्वती की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है। इस बात को स्वीकार कर अपने साथी को सम्पूर्ण आदर दें और इसी भावना के साथ काम क्रिया को आगे बढ़ाएं।

    काम क्रिया (सेक्स )

    ये अंतिम चरण होता हैं, तंत्र सेक्स में। जब आप अपने साथी के साथ अपने प्रेम के क्षणों में लीन हो जाते हैं। धीरे-धीरे एक दूसरे को स्पर्श करें, और एक दूसरे की ऊर्जा को प्रवाहित होने दें। इसमें कोई समय का बंधन नहीं होता।  जब आपको लगे कि आप तैयार हैं, आप आगे बढ़ सकते हैं।

    वैदिक शास्त्रों के अनुसार, तंत्र सेक्स के दौरान आप और आपका साथी, स्त्री या पुरुष ना हो कर बस एक ऊर्जा स्त्रोत होते हैं। और उस ऊर्जा का प्रवेश एक दूसरे में होता हैं। ठीक उसी तरह, जिस प्रकार शिव और पार्वती शिवलिंग में एकाकार हैं।

    तांत्रिक सेक्स के फायदे

    • तांत्रिक सेक्स आपको खुद को और आपके शरीर को जानने और समझने में मदद करता है।
    • आप अपने साथी को अच्छी तरह से समझ पाते हैं।
    • जो लोग कुछ नया करने और जानने के लिए तत्पर होते हैं, उनके लिए ये एक अनोखा अनुभव हो सकता है।
    • अपने अंतरंग जीवन में आप नयी ऊर्जा का आगमन महसूस करते हैं।
    • काम क्रिया का लम्बे समय तक चलना, जिसके फलस्वरूप आपको अपने साथी के साथ ज्यादा समय मिलता है।
    • आपके और आपके साथी के बीच समझ और सहयोग का सामंजस्य बनता है।

    तांत्रिक सेक्स के आधुनिक स्वरूप में इसे प्रेमी युगलों के लिए नए विकल्प की तरह लिया गया है, जो कि इसके प्रारम्भ से मेल नहीं खाता है। हाल के समय में तांत्रिक सेक्स को उत्तेजना के साथ जोड़ा गया है। वास्तव में तंत्र एक साधन है जो कि आपके मन और शरीर को जोड़ने का काम करता है। तंत्र आपके साथी के साथ जुड़ने और समझने में सहायता करता है। पर इसके लिए इसके सही स्वरूप जानना और समझना अत्यंत जरूरी होता है।

    डिस्क्लेमर

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