तंत्र सेक्स के तीन चरण
सांस पर काबू कर ध्यान करें
सांस पर काबू पाना बहुत जरूरी है। जब आप अपने साथी के साथ ध्यान करते हैं, तब दोनों साथ में एक ही ऊर्जा को महसूस करते हैं। सांस पर काबू पा लेने के बाद जब आपको ये अनुभव हो कि आप सही में ध्यान की स्थिति तक पहुँच चुके हैं, तब काम क्रिया की शुरूआत कर सकते हैं। ध्यान लगाने की क्रिया आपको एक प्रकार की ऊर्जा देती है।
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पवित्रता को बनाए रखें
तंत्र का एक उद्देश्य ये भी होता हैं, कि आप आपके साथी में मौजूद ईश्वर से साक्षात्कार करें। प्राचीन वेदों में पुरुष को भगवान शिव तथा महिला को देवी पार्वती माना जाता है। यही कारण हैं कि भगवान शिव और पार्वती की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है। इस बात को स्वीकार कर अपने साथी को सम्पूर्ण आदर दें और इसी भावना के साथ काम क्रिया को आगे बढ़ाएं।
काम क्रिया (सेक्स )
ये अंतिम चरण होता हैं, तंत्र सेक्स में। जब आप अपने साथी के साथ अपने प्रेम के क्षणों में लीन हो जाते हैं। धीरे-धीरे एक दूसरे को स्पर्श करें, और एक दूसरे की ऊर्जा को प्रवाहित होने दें। इसमें कोई समय का बंधन नहीं होता। जब आपको लगे कि आप तैयार हैं, आप आगे बढ़ सकते हैं।
वैदिक शास्त्रों के अनुसार, तंत्र सेक्स के दौरान आप और आपका साथी, स्त्री या पुरुष ना हो कर बस एक ऊर्जा स्त्रोत होते हैं। और उस ऊर्जा का प्रवेश एक दूसरे में होता हैं। ठीक उसी तरह, जिस प्रकार शिव और पार्वती शिवलिंग में एकाकार हैं।
तांत्रिक सेक्स के फायदे