क्या आप उन लोगों में से हैं, जिन्हें रात को कम नींद आती है? अगर ऐसा है तो आप इंसोम्निया से पीड़ित हो सकते हैं। यह तो हम सब जानते हैं कि सही और पर्याप्त नींद हमारे शरीर के लिए कितनी जरूरी है। हम अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोने में बिताते हैं। लेकिन इस आधुनिक जीवन में इंसोम्निया यानी अनिद्रा एक आम बीमारी बनती जा रही है। यह बीमारी हमारे स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव डालती है। ऐसे ही इंसोम्निया का बुरा असर होता है हमारे दिल पर। यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (European Society of Cardiology) के शोधकर्ताओं के अनुसार इंसोम्निया और दिल की समस्याओं का आपस में लिंक है, लेकिन यह लिंक इनकंसिस्टेंट है। आज हम दिल से जुड़ी समस्याएं और अनिद्रा के बारे में बात करेंगे। तो चलिए, जानते हैं कि इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) के बारे में विस्तार से।
इंसोम्निया क्या है? (What is Insomnia)
इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) के बीच के लिंक से पहले इंसोम्निया के बारे में जानना बेहद जरूरी है। इंसोम्निया का अर्थ है नींद न आना या नींद आने में समस्या। इंसोम्निया की समस्या एक्यूट और क्रॉनिक दोनों हो सकती हैं। एक्यूट इंसोम्निया की स्थिति में मरीज एक रात से कुछ हफ्तों तक सोने में समस्या महसूस कर सकता है। जबकि क्रॉनिक इंसोम्निया में रोगी को यह समस्या तीन दिनों से लेकर तीन महीनों या इससे भी अधिक समय तक रह सकती है।
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इंसोम्निया के प्रकार (Types of Insomnia)
इंसोम्निया के दो प्रकार होते हैं एक प्रायमरी इंसोम्निया और दूसरा सेकेंडरी इंसोम्निया। प्रायमरी इंसोम्निया (Primary Insomnia) में मरीज की स्लीप प्रॉब्लमस को किसी अन्य हेल्थ कंडीशन से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता। सेकेंडरी इंसोम्निया (Secondary Insomnia) का अर्थ है किसी स्वास्थ्य समस्या, दर्द या दवाई के कारण नींद न आना।
इंसोम्निया के कारण (Causes of Insomnia)
इंसोम्निया को सोने की गलत आदतों, डिप्रेशन, एंग्जायटी, लंबी बीमारी या किसी दवाई से भी जोड़ कर देखा जा सकता है। प्रायमरी इंसोम्निया के कारण इस प्रकार हैं:
- स्ट्रेस से संबंधी कोई इशू (Stress Related Issues)
- शोर, लाइट या तापमान के कारण नींद न आना (Things around you like Noise, Light, or Temperature)
- स्लीप शेड्यूल में बदलाव (Changes in Sleep Schedule)
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सेकेंडरी इंसोम्निया के कारण (Causes of Secondary Insomnia)
सेकेंडरी इंसोम्निया के कारण के भी कई कारण हो सकते हैं, जो इस तरह से हैं:
- डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे मेंटल हेल्थ इश्यूज (Mental Health Issues like Depression and Anxiety)
- सर्दी -जुकाम, एलर्जी, डिप्रेशन, अस्थमा आदि की दवाईयां (Medications for Colds, Allergies, Depression, Asthma etc)
- रात को दर्द या बैचैनी (Pain or Discomfort at Night)
- कैफीन, तम्बांकू या एल्कोहॉल का प्रयोग (Caffeine, Tobacco, or Alcohol Use)
- अन्य स्लीप डिसऑर्डर जैसे स्लीप एप्निया या रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (Other Sleep Disorders, like Sleep Apnea or Restless Legs Syndrome)
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इंसोम्निया से जुड़े रिस्क फैक्टर्स (Insomnia Risk Factors)
ऐसा माना जाता है कि इंसोम्निया पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। इससे जुड़े कुछ अन्य रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
- कोई लंबी बीमारी (Long-term Illness)
- मेंटल हेल्थ इशूज (Mental Health Issues)
- नाईट शिफ्ट में काम करना या वर्किंग शिफ्ट्स में बदलाव (Working in Night Shifts or change in Working Shifts)
इंसोम्निया के लक्षण (Symptoms of Insomnia)
इंसोम्निया के मुख्य लक्षण हैं सोने की कोशिश करते हुए नींद न आना और आराम महसूस नहीं होना। इसके लिए मरीज को अपनी सोने की आदतों को बदलना चाहिए। इससे जुड़े अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- दिन में सोना (Sleepiness during the Day)
- थकावट (Fatigue)
- गुस्सा आना (Grumpiness)
- याद रखना और ध्यान लगाने में समस्या (Problems with Concentration or Memory)
इंसोम्निया का निदान (Insomnia Diagnosis)
इंसोम्निया के निदान के लिए डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री और स्लीप हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही डॉक्टर आपको एक या दो हफ्ते तक अपनी नींद, स्लीप पैटर्न और आप दिन में कैसा महसूस करते हैं, इन सब को नोटिस करने के लिए कहेंगे। इसके साथ ही वो आपको कुछ खास टेस्ट कराने के लिए भी कह सकते हैं।
इंसोम्निया का उपचार (Insomnia Treatment)
एक्यूट इंसोम्निया को इलाज की जरूरत नहीं होती है। लेकिन, अगर आप रोजाना की गतिविधियां भी न कर पा रहे हों तो डॉक्टर आपको कुछ समय के लिए स्लीपिंग पिल्स दे सकते हैं। इस समस्या के इलाज के लिए किसी भी ओवर द काउंटर दवा (Over-the-Counter Medicines) का सेवन न करें। इसके कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं और इन दवाइयों का प्रभाव भी अधिक देर तक नहीं रहता। क्रॉनिक इंसोम्निया के लिए आपको उन हेल्थ प्रॉब्लम्स या कंडीशन के उपचार की जरूरत होगी, जिनकी वजह से आपको नींद नहीं आती है। इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह करें ताकि वो सही समय पर आपका सही उपचार कर सकें। इस समस्या के उपचार के लिए डॉक्टर आपको बिहेवियरल थेरेपी की सलाह भी दे सकते हैं। अब जानते हैं इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) के बारे में।
जानिए हार्ट डिजीज और हार्ट डिजीज रिस्क्स के बारे में (Heart Disease and Heart Disease Risks)
इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) से पहले इन दोनों समस्याओं के बारे में जानना बेहद जरूरी है। इंसोम्निया के बारे में तो आप जान ही गए होंगे कि यह एक स्लीप डिसऑर्डर है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति सोने में समस्या महसूस करता है। हृदय से संबंधित समस्याओं का सबसे सामान्य कारण होते हैं कोरोनरी आर्टरीज (Coronary Arteries) का तंग या ब्लॉक होना। बढ़ती उम्र, जेनेटिक, स्मोकिंग, हाय ब्लड कोलेस्ट्रॉल, हाय ब्लड प्रेशर आदि दिल की समस्याओं से जुड़े कुछ जोखिम हैं। लेकिन इंसोम्निया या नींद न या कम आने की समस्या को भी एक हार्ट डिजीज रिस्क्स से जोड़ कर देखा जाता है।
इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क के बीच में संबंध (Relation between Insomnia and Heart Disease Risk)
इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) दोनों स्थितियां भयानक हो सकती हैं। नींद आने में समस्या होने का असर हमारे दिमागी और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर पड़ता है। यह बात साबित हो चुकी है कि इंसोम्निया दिल संबंधित समस्याओं को बढ़ा सकती है। ऐसा कहा जाता है कि जो वयस्क हर रोज सात घंटे से कम समय तक सोते हैं, उनमे स्वास्थ्य समस्याएं जैसे हार्ट अटैक (Heart Attack), अस्थमा (Asthma) या डिप्रेशन (Depression) आदि का जोखिम बढ़ सकता है। इससे जुडी कुछ हेल्थ समस्याएं हैं हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ना, हार्ट अटैक और स्ट्रोक। सामान्य स्लीप के दौरान हमारा ब्लड प्रेशर लो होता है। लेकिन, अगर किसी को सोने से संबंधित समस्या यानि इंसोम्निया है तो इसका अर्थ है कि उनका ब्लड प्रेशर लंबे समय तक हाय ही रहेगा। हाय ब्लड प्रेशर हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण और खतरा है।
इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) के बीच में सबंध को समझने के लिए हमें यह भी समझना चाहिए कि केवल इंसोम्निया से ही दिल की समस्याओं का खतरा नहीं बढ़ता बल्कि दिल की समस्याओं के कारण भी नींद संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं। हार्ट फेलियर का अर्थ है अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, जिनमें नींद में समस्या भी शामिल है जैसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (Obstructive Sleep Apnea) और इंसोम्निया जिनके कारण हार्ट फेलियर के लक्षण बदतर हो सकते हैं। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (Obstructive Sleep Apnea) के कारण एयरवे तंग और बंद हो जाते हैं और सांस लेने में समस्या होती है।
जब ऐसा होता है तो हमारा दिमाग गले के मसल्स को सिकुड़ने का संकेत भेजता है, जिससे वो एयरवेज को फिर से खोल देता है। ऐसा एक रात में कई बार हो सकता है। इसके साथ ही हमारा दिमाग स्ट्रेस हॉर्मोस को इस दौरान रिलीज़ करता है। जिसके कारण हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। और इसके कारण हार्ट फेलियर की संभावना बढ़ सकती है। सोने में समस्या और हार्ट फेलियर की समस्या का एक कारण यह भी है इंसोम्निया से शरीर का स्ट्रेस रिस्पांस बढ़ता है जिससे समय के साथ हमारा दिल कमजोर हो जाता है। इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) दोनों ही एक दूसरे से संबंधित हैं।
बहुत कम या बहुत अधिक नींद और दिल संबंधी समस्याओं का खतरा (The Danger of Too Little Sleep or Too Much Sleep)
इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) के बारे में तो आप जान ही गए होंगे। लेकिन कम सोने के साथ ही अधिक सोना भी दिल के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके कोई संदेह नहीं है कि कम सोने को दिल संबंधित समस्याओं के लिए खतरा माना जाता है। लेकिन दिन में आठ या इससे अधिक घंटे सोने से भी दिल का स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है। यूरोपियन हार्ट जरनल (European Heart Journal) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार दिन में 6 से 8 घंटे से अधिक सोने वाले लोगों में भी इन समस्याओं का जोखिम अधिक होता है। हालांकि, इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है कि ऐसा क्यों होता है। लेकिन, यह किसी गंभीर बीमारी या डिप्रेशन के कारण हो सकता है।
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अच्छी नींद के लिए क्या करें? (Quality Sleep)
इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क्स (Insomnia and Heart Disease Risk) के बीच में लिंक के बारे में आप जान ही गए होंगे। इनसे बचने के लिए जरूरी है आपका पर्याप्त नींद लेना। इसके लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं। लेकिन, अगर आपको इनसे कोई राहत न मिले तो डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
- रोजाना सोने के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करें। रोज उसी समय सोएं और सुबह एक ही समय उठें। इससे यह समस्या दूर होने में आपको मदद मिलेगी।
- रोजाना पर्याप्त नेचुरल लाइट (Natural Light) लें, खासतौर पर सुबह। सुबह और लंच टाइम में सैर करने की कोशिश करें।
- पर्याप्त फिजिकल एक्टिविटीज करें। इसके लिए आप योग, सैर या अन्य किसी भी व्यायाम का सहारा ले सकते हैं।
- आर्टिफिशियल लाइट से बचें खासतौर पर सोने से पहले। कंप्यूटर और स्मार्टफोन पर ब्लू फ़िल्टर (Blue Filter) का प्रयोग करें।
- सोने से कुछ घंटे पहले तक न तो कुछ खाएं न ही पीएं। इसके साथ ही एल्कोहॉल और ऐसी चीजों का सेवन करने से भी बचें जिसमें अधिक चीनी और वसा हो।
- सोते हुए अपने बेडरूम के तापमान को सही रखें। इसके साथ ही आपका बेडरूम शांत होना चाहिए और उसमे लाइट भी कम होनी चाहिए।
- अगर आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है जो आपकी नींद में समस्या का कारण बन रही है। तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें और सही उपचार के बारे में जानें। उस बीमारी के उपचार के बाद आप इंसोम्निया की समस्या से भी छुटकारा पा सकते हैं।
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- नींद न आने का एक बड़ा कारण तनाव हो सकता है। ऐसे में अपने तनाव से निपटने के लिए सही तरीके अपनाएं जैसे अपनी पसंद की चीजों को करें, योगा या मेडिटेशन करें, अपने परिवार के साथ अच्छा समय बिताएं आदि। अगर आप किसी चीज को लेकर चिंतित हैं और उसके कारण आपको नींद नहीं आ रही है तो पहले अपनी उस समस्या को सुलझाने की कोशिश करें।
- सही और संतुलित आहार भी आपकी इंसोम्निया की समस्या को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। इसके लिए आप हमेशा पौष्टिक और हल्का आहार लें।
इंसोम्निया दूर करने की होम रेमेडीज (Home Remedies for Insomnia)
यह तो थे इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (insomnia and heart disease risk ) से बचने के उपाय। इसके अलावा आप कुछ होम रेमेडीज को भी अपना सकते हैं। यह होम रेमेडीज न केवल सुरक्षित हैं बल्कि प्रभावित भी हैं। लेकिन, यह किसी उपचार का विकल्प नहीं हैं। इसलिए डॉक्टर से सही इलाज कराना आवश्यक है। यह होम रेमेडीज इस प्रकार हैं:
- गर्म दूध (Warm milk) : सदियों से ही लोग यह मानते हैं कि अगर सोते हुए गर्म बादाम का दूध पिया जाए तो नींद अच्छी आती है। यह न केवल कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत है बल्कि मेलाटोनिन (Melatonin) का उत्पादन भी कर सकता है।एक हॉर्मोन है जो हमारी स्लीप सायकिल को सही बनाने में मदद कर सकता है।
- मालिश (Massage) : मालिश भी उन लोगों को नींद आने में मदद कर सकती है जो इंसोम्निया से पीड़ित हैं यही नहीं इससे स्लीप क्वालिटी भी बढ़ सकती है। ऐसा भी पाया गया है कि मालिश करने से दर्द, तनाव और डिप्रेशन से भी छुटकारा मिलता है।
- मैग्नीशियम (Magnesium) : मैग्नीशियम एक मिनरल है जो मसल्स को आराम पहुंचाने और स्ट्रेस को दूर करने में मददगार है। यह हेल्दी स्लीप पैटर्न में भी मदद कर सकता है। लेकिन मैग्नीशियम या मैग्नीशियम सप्लीमेंट के बारे में सही जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से अवश्य पूछें।
- मैडिटेशन (Meditation) : मैडिटेशन यानी ध्यान लगाना। मैडिटेशन को कई हेल्थ समस्याओं को दूर करने का असरदार तरीका माना जाता है। अगर आप नींद की इस समस्या से परेशानी हैं। चाहे इसका कारण कोई भी हो। मैडिटेशन से आपका दिमाग शांत होगा और आपको अच्छा महसूस होगा। जिससे आपको अच्छी नींद आने में भी मदद मिलेगी यानी इंसोम्निया की तकलीफ दूर होगी।
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आपके डॉक्टर इस बात को जानने में आपकी मदद कर सकते हैं कि आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या तो नहीं है, जिसके कारण आपको इंसोम्निया की समस्या है। इससे आपको उपचार में भी मदद मिलेगी। लेकिन आपको भी इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) से बचने के लिए अपने जीवन में अच्छे परिवर्तन लाने होंगे। ध्यान रखें कि अच्छी नींद दिल के लिए और हमारे पूरे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है इसलिए इसे कभी भी नजरअंदाज न करें। लक्षणों को पहचान कर सही समय पर इसका इलाज कराने पर आपकी परेशानी न केवल जल्दी दूर होगी बल्कि आपको जल्दी स्वस्थ होने में भी मदद मिलेगी।
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