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कैंसर में एक्यूपंक्चर हो सकता है मददगार, जानें कैसे होता है इसका असर

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/02/2022

    कैंसर में एक्यूपंक्चर हो सकता है मददगार, जानें कैसे होता है इसका असर

    कैंसर की बीमारी का पता लगना और फिर उसका ट्रीटमेंट होना वाकई किसी भी व्यक्ति के लिए और उसके परिवार के लिए कठिन समय होता है। अगर कैंसर के शुरुआती लक्षण समझ आ जाते हैं तो उसका ट्रीटमेंट कराना आसान हो जाता है। लेकिन कैंसर का लास्ट स्टेज में पहुंच जाना वाकई दुखद हो जाता है। कैंसर का इलाज कीमोथेरिपी के साथ ही कुछ मेडिसिंस की हेल्प से भी किया जाता है। कैंसर में एक्यूपंक्चर का उपयोग लोगों में प्रचलित हो चुका है। एक्यूपंक्चर की उत्पत्ति चीनी चिकित्सा में हुई थी। कैंसर में एक्यूपंक्चर का उपयोग भले में हम लोगों के लिए नया हो, लेकिन चीनी चिकित्सा में इसका उपयोग दो हजार साल पहले किया जा चुका है। एक्यूपंक्चर के दौरान शरीर के मुख्य बिंदुओं में सुई की सहायता से फिजिकल फोर्स, हीट और इलेक्ट्रिक स्टिम्युलेशन को शामिल किया जाता है।

    कैंसर में एक्यूपंक्चर (Acupuncture in Cancer)

    कई शोध बताते हैं कि एनर्जी पूरे शरीर में प्रवाहित होती है, जिसे मेरिडियन (Meridians) के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कैंसर में एक्यूपंक्चर के दौरान स्पेसिफिक पॉइंट में निडिल चुभाने से (मेरिडियन के अनुसार) एनर्जी फ्लो को रेगुलेट किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के दौरान चिकित्सकीय लाभ मिलता है। सामान्य तौर पर सिरदर्द को कम करने, पीठ के निचले हिस्से में दर्द और गठिया के दर्द को सही करने के लिए एक्यूपंक्चर विधि का अधिक उपयोग किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए जरूरी है कि 1996 में ही यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने एक्यूपंक्चर निडिल को मेडिकल डिवाइस के रूप में मंजूरी दे दी थी। इस तरह से कैंसर में एक्यृपंक्चर को भी सुरक्षित माना जाता है। अगर आप कैंसर में एक्यूपंक्चर के बेनिफिट्स के बारे में नहीं जानते हैं तो नीचे दी गई जानकारियां अवश्य पढ़ें।

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     कैंसर में एक्यूपंक्चर का उपयोग दिलाएगा इन समस्याओं से राहत (Benefits of Acupuncture in Cancer)

     मतली, उल्टी और थकान से राहत

    कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान मरीज को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कीमोथेरिपी के दौरान पेशेंट को मतली, उल्टी और थकान का अधिक अनुभव होता है। ऐसे में इन समस्याओं से निपटने के लिए कैंसर में एक्यूपंक्चर का यूज किया जा सकता है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि कैंसर में एक्यूपंक्चर कीमोथेरिपी से जुड़ी मतली और उल्टी से राहत दिला सकता है। साथ ही न्यूरोपैथी, चीरों, ट्यूमर या क्रोनिक इश्यू के कारण होने वाले दर्द से राहत के लिए भी किया जाता है।

    दर्द से राहत के लिए कैंसर में एक्यूपंक्चर का करें उपयोग (Acupuncture Can Relief from Pain)

    कैंसर में एक्यूपंक्चर का उपयोग करके शरीर में होने वाले विभिन्न प्रकार के दर्द को कम किया जा सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि कैंसर में एक्यूपंक्चर विधि अपनाने से कैंसर से जुड़े दर्द कम होते हैं। साथ ही सर्जरी के कारण पैदा हुए दर्द को कम करने में भी कैंसर में एक्यूपंक्चर मददगार साबित होता है। अगर आप कैंसर की समस्या से पीड़ित होने के दौरान दर्द से मुक्ति पाने के लिए दवा खा रहे हैं तो इससे छुटकारा मिल सकता है। यानी कैंसर में एक्यूपंक्चर के उपयोग से दर्द से राहत मिल जाएगी और दवाएं भी नहीं खानी पड़ेंगी। साथ ही दवाओं से होने वाले साइडइफेक्ट से भी बचा जा सकता है।

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    कैंसर में एक्यूपंक्चर से नर्व रीजनरेशन (Nerve Regeneration from Acupuncture in Cancer)

    कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान बुरी सेल्स के साथ ही अच्छी सेल्स भी डैमेज हो जाती हैं। साथ ही कुछ नर्व भी प्रभावित होती हैं। अगर कैंसर में एक्यूपंक्चर का उपयोग किया जाए तो डैमेज नर्व का रीजनरेशन होने लगता है। साथ ही टिशू की हीलिंग प्रोसेस भी तेज हो जाती है। कैंसर ट्रीटमेंट के बाद पेशेंट को जल्दी रिलेक्स मिलता है, यानी रिकवर होने में कम समय लगता है।

    कैंसर में एक्यूपंक्चर से होता है पाचन में सुधार (Acupuncture Can Improve Digestion)

    कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन का भी यूज किया जाता है। रेडिएशन से ट्रीटमेंट के दौरान मुंह और गले में दर्द और सूजन हो सकती है। इस कारण से कैंसर रोगियों को खाना निगलने में मुश्किल होती है। कुछ रोगियों को खाने का स्वाद पता नहीं चलता है। खाने का स्वाद पता न चलने के कारण रोगियों को कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। हो सकता है कि इस कारण से उनका स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो जाए। कैंसर में एक्यूपंक्चर का यूज करके इन दुष्प्रभावों को दूर किया जा सकता है। कैंसर में एक्यूपंक्चर के उपयोग से मरीज को सामान्य रूप से खाना निगलने, खाने और तरल पदार्थ पीने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है। कैंसर में एक्यूपंक्चर अपनाने से भूख बढ़ाने में भी मदद मिलती है। ऐसे में मरीज को खाने का स्वाद भी मिलेगा और वो सही मात्रा में खा भी सकेगा।

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    कैंसर में एक्यूपंक्चर से मिलती है तनाव में राहत (Acupuncture Can Reduce Stress)

    कैंसर में एक्यूपंक्चर

    कैंसर में एक्यूपंक्चर का उपयोग करने से तनाव में राहत मिलती है। जो पेशेंट कैंसर में एक्यूपंक्चर ले चुके हैं, वो दावा कर चुके हैं कि उन्हें बहुत ही शांत महसूस हुआ है। साथ ही चिंता में भी कमी महसूस हुई है। इस उपचार को अपनाने के बाद पेशेंट्स को मानसिक रूप से राहत महसूस हुई। स्पेसिफिक एक्यूपंक्चर का यूज करने से नर्वस सिस्टम को आराम मिलता है। चिंता के कारण पेशेंट को नींद लेने में जो समस्या आ रही थी, एक्यूपंक्चर लेने के बाद उसमे राहत मिली।

    इयर एक्यूपंक्चर से दूर होती है इन्सोमनिया की समस्या (Acupuncture Benefits in Cancer)

    कैंसर में एक्यूपंक्चर के समय बॉडी के डिफरेंट पार्ट में एक्यूपंक्चर किया जाता है। कैंसर पेशेंट को ट्रीटमेंट के बाद अनिद्रा या इंसोमनिया की समस्या होती है। यानी बेचैनी महसूस होना और नींद ना आने की समस्या। ऐसे में इयर एक्यूपंक्चर की मदद ली जाती है। ऐसा क्लीनिकल रिचर्स के दौरान पता चला है। कैंसर में एक्यूपंक्चर से किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है, इसलिए इसे ट्रीटमेंट के साथ ही अल्टरनेटिव वे में लिया जा सकता है। बेहतर रहेगा कि इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।

    कैंसर में एक्यूपंक्चर (Acupuncture In Cancer) में से इमोशनल सपोर्ट

    कैंसर में एक्यूपंक्चर की सहायता से फिजिकल, मेंटल और इमोशनल सपोर्ट मिलता है। एक्यूपंक्चर की हेल्प से नैचुरल हीलिंग में सहायता मिलती है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि एक्यूपंक्चर हर तरीके से सेफ, इफेक्टिव और बिना किसी साइड इफेक्ट के काम करता है। जब व्यक्ति को कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान दर्द से राहत मिलती है तो फिजिकली व्यक्ति को मजबूती मिलती है। साथ ही मेंटल और इमोशनल स्ट्रेंथ भी मिलती है।

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    डिस्पनिया (Dyspnea) से मिलती है राहत

    कैंसर में एक्यूपंक्चर अपनाने से डिस्पनिया यानी सांस संबंधि समस्या से राहत मिलती है। अगर किसी भी व्यक्ति को कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान सांस लेने में समस्या महसूस हो रही हो, या फिर पहले से ही अस्थमा की समस्या रही हो, उनके लिए एक्यूपंक्चर लेना सही रहेगा। कैंसर में एक्यूपंक्चर रेस्पिरेट्री फंक्शन को इंप्रूव करने का काम करता है। साथ ही पेशेंट की क्रॉनिकल अस्थमा की समस्या या फिर क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिसीज (obstructive pulmonary disease) को भी सही करने का काम करता है। स्टडी में ये बात सामने आई है कि कैंसर पेशेंट को डिस्पनिया की समस्या है तो एक्यूपंक्चर/एक्यूप्रेशर की मदद लेने से राहत मिलती है।

    कैंसर के दौरान कम हो जाती हैं वाइट ब्लड सेल्स (White Blood Cells)

    कैंसरे पेशेंट में अचानक से वाइट ब्लड सेल्स कम होने लगती हैं। इंसान का खून डिफरेंट ब्लड सेल्स से मिलकर बना होता है। वाइट ब्लड सेल्स को ल्यूकोसाइट्स (leukocytes) कहते हैं। ये सेल्स इंफेक्शन के खिलाफ लड़ने का काम करती हैं। न्यूकोसाइट्स इंसान के इम्यून सिस्टम का जरूरी हिस्सा होता है। शरीर में कम वाइट ब्लड सेल्स होने की स्थिति को ल्युकोपेनिया (leukopenia ) के नाम से जानते हैं। कैंसर में ल्युकोपेनिया की समस्या पेशेंट को हो सकती है। ऐसे में कैंसर के पेशेंट की इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता भी प्रभावित होती है। कैंसर में एक्यूपंक्चर की सहायता से ल्युकोपेनिया से बचा जा सकता है। कमजोर शरीर के कारण अन्य बीमारियां भी शरीर में आसानी से प्रवेश कर सकती हैं। इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए एक्यूपंक्चर बेहतरीन उपाय है।

     हॉट फ्लैशेस (Hot flashes) में राहत

    जिन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर होता है उन्हें हॉट फ्लैशेस महसूस हो सकते हैं। वैसे तो ये लक्षण मोनोपॉज के दौरान दिखाई देते हैं। लेकिन ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं में भी हॉट फ्लैशेस केलक्षण देखने को मिलते हैं। हॉट फ्लैशेस के कारण त्वचा में अचानक से गर्माहट महसूस होती है। साथ ही शरीर के ऊपरी भाग में अधिक पसीना आ सकता है। फिंगर में झनझनाहट महसूस हो सकती है। हार्ट बीट में भी तेजी महसूस होती है। हो सकता है कि कान, गर्दन और चेहरे में अधिर गर्मी का अनुभव हो। ऐसी समस्या से जूझ रहे पेशेंट के लिए कैंसर में एक्यूपंक्चर फायदेमंद साबित हो सकता है। स्टडी में ये बात सामने आई है कि कैंसर से एक्यूपंक्चर लेने से हॉट फ्लैशेस की समस्या से राहत मिलती है।

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    कैसे काम करता है एक्यूपंक्चर? (Acupuncture Process)

    न्यूरोसाइंस रिसर्च के अनुसार एक्यूपंक्चर नर्वस सिस्टम को मॉडिफाई करने का काम करता है। शरीर के विभिन्न हिस्सों में स्टिमुलेटिंग पॉइंट होते हैं।जिससे निडिल की हेल्प से पिंच करने पर न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज होते हैं।जैसे कि एंडोर्फिन और सेरोटोनिन की तरह न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज होते हैं जो शरीर को दर्द से राहत देते हैं । वैसे तो एक्यूपंक्चर की सरल विधि में स्टेनलेस, सॉलिड, थिन स्टील निडल का यूज किया जाता है। निडिल स्टिमुलेट करने के लिए डिफरेंट टेक्नीक यूज की जा सकती हैं। एक्यूपंक्चर के दौरान तीन मुख्य तरीकों का प्रयोग किया जाता है।

    मैनुअल स्टिमुलेशन (Manual Stimulation)

    मैनुअल स्टिमुलेशन में निडिल को घुमा के, मोड़ कर ऊपर-नीचे खींचा जाता है। ये एक्यूपंक्चर की आम विधि है।

    इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन (Electrical Stimulation)

    हैंडहेल्ड डिवाइस का यूज करके निडिल में इलेक्ट्रिकल पल्सेस भेजी जाती हैं। इलेक्ट्रिकल पल्सेज डिफरेंट फ्रीक्वेंसी की होती हैं।

    हीट स्टिमुलेशन (Heat Stimulation)

    हीट स्टिमुलेशन में ट्रेडीशनल तरीका अपनाया जाता है। मोक्सा (moxa) ड्राइड हर्ब को सुई के ऊपर रख कर जलाया जाता है और सुई को गर्म किया जाता है। मॉर्डन समय में हीट सोर्स की हेल्प से निडिल को गर्म किया जाता है। फिर इसे इंसर्ट किया जाता है।

    अगर आपको कैंसर की समस्या है और आप कैंसर में एक्यूपंक्चर को अपनाना चाहते हैं तो पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। बिना परामर्श के बीमारी के दौरान कोई भी कदम न उठाएं। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

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