परिचय
एसिडिटी यानी कि पेट में जलन, ये आजकल हर किसी को होती है। लेकिन बार-बार एसिडिटी होना सेहत के लिए अच्छा नहीं है। एसिडिटी होने पर न व्यक्ति सही से कुछ खा पाता है और न ही पी पाता है। क्योंकि पेट में बहुत जलन होती है, तो पेट में कुछ जाने पर समस्या होती है। ऐसे में आप एंटाएसिड लेते हैं तब जा कर कहीं आराम मिलता है। एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज कर के आप पेट में हो रही जलन से राहत पा सकते हैं।
एसिडिटी क्या है?
एसिडिटी या एसिड रीफ्लक्स हमारी खराब लाइफस्टाइल और रूटीन के कारण होने वाली एक समस्या है, लेकिन कभी-कभी तनाव, दवाओं के साइड इफेक्ट, नींद न आने के कारण भी एसिडिटी की समस्या हो सकती है। एसिडिटी होने का मुख्य कारण है कि पेट का एसिड भोजन नली में चला जाता है।
एसिडिटी गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) है, जो एक डायजेस्टिव डिसऑर्डर है। जिसमें पेट का एसिड या पेट में मौजूद तत्व भोजन नली (Esophagus) में वापस आ जाता है जिससे भोजन नली की अंदरूनी सतह में जलन होने लगती है।
और पढ़ें: अरबी (अरवी) के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Arbi (Colocasia)
आयुर्वेद में एसिडिटी क्या है?
आयुर्वेद में एसिडिटी को अम्लपित्त कहा जाता है। अम्लपित्त के कारण सीने में जलन, खट्टी डकार और अपाचन की समस्या होती है। आयुर्वेद में एसिडिटी के होने के लिए वात और कफ विकारों को कारण माना गया है। ऐसे में मसालेदार खाना खाने से भी एसिडिटी हो सकती है। जिसके लिए आप एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज कर सकते हैं। एसिडिटी के आयुर्वेदिक इलाज में कर्म या थेरिपी, जड़ी-बूटी और औषधियों के द्वारा इलाज किया जाता है।
और पढ़ें: टांगों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? टांगों में दर्द होने पर क्या करें और क्या ना करें?
लक्षण
एसिडिटी के लक्षण क्या है?
एसिडिटी के लक्षण निम्न हैं
- अपाचन होना
- कब्ज की परेशानी रहना
- मुंह से बदबू आना
- पेट, गले या दिल में जलन होना
- मितली होना
- खट्टी डकार आना
- बेचैनी महसूस होना
- पेट में भारीपन महसूस होना
एसिडिटी के अन्य लक्षणों की जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
और पढ़ें: करौंदा के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Karonda (Carissa carandas)
कारण
एसिडिटी का कारण क्या है?
एसिडिटी किसी एक नहीं बल्कि बहुत से कारणों से हो सकती है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि एसिडिटी की समस्या स्ट्रेस के कारण भी हो सकती है। जानिए एसिडिटी के अन्य कारणों के बारे में,
- मोटापे के कारण
- मसालेदार खाना खाने से
- अस्थमा और डायबिटीज होने पर
- हाइटल हर्निया होने के बाद भी स्पाइसी खाना खा लेने से
- नींद पूरी न होना
- मेनोपॉज में
- अत्यधिक तनाव में रहना
- फिजिकल एक्टिविटी न करना
- स्मोकिंग करना
- जरूरत से ज्यादा एल्कोहॉल का सेवन करना
- नमक ज्यादा खाना
- दवाओं का सेवन करना
- ओवरइटिंग के कारण
- प्रेग्नेंट महिलाओं में भी एसिडिटी होता है क्योंकि इस दौरान उनके पेट पर दबाव होता है
और पढ़ें: देवदार के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Deodar Tree (Devdaru)
इलाज
एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज थेरिपी, जड़ी-बूटी और औषधियों की मदद से किया जाता है :
एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज थेरिपी या कर्म के द्वारा
एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज निम्न कर्म के द्वारा की जाती है :
विरेचन कर्म
विरेचन कर्म ब्लड द्वारा या मल के द्वारा शरीर को डिटॉक्स करने की एक प्रक्रिया है। जिसमें जड़ी-बूटियों के द्वारा मल निष्कासन की प्रक्रिया कराई जाती है। इससे आपके पेट में मौजूद अम्ल निकल जाता है और एसिडिटी की समस्या से निजात मिलती है। वहीं, ब्लड निकाल कर विरेचन कर्म कराने के लिए जोंक का सहारा लिया जाता है। जिसे व्यक्ति के पेट पर रख कर ब्लड को सक कराया जाता है, इसके बाद फिर जब जोंक पर्याप्त मात्रा में ब्लड को चूस लेती हैं तो उन पर हल्दी डाल कर उन्हें मरीज की त्वचा से अलग किया जाता है। जिससे एसिडिटी में राहत मिलती है।
और पढ़ें: चिंता का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? चिंता होने पर क्या करें क्या न करें?
वमन कर्म
वमन कर्म में एसिडिटी से ग्रसित व्यक्ति को उल्टी कराई जाती है, जिससे उसके पेट के अंदर मौजूद अम्ल शरीर के बाहर आ जाए। इसके लिए वच, नीम, सेंधा नमक, परवल आदि जड़ी बूटियों का सेवन कराया जाता है। जिसका सेवन करने से उल्टी होती है।
शोधन कर्म
शोधन कर्म में एसिडिटी से पीड़ित व्यक्ति को उपवास करने के लिए कहा जाता है। शोधन विधि में एसिडिटी के मरीज को उपवास रखना होता है। उपवास दो प्रकार का होता है। एक होता है निराहार यानी बिना किसी आहार का सेवन किए फास्ट रखना। दूसरा होता है फलाहार उपवास यानी सिर्फ फलों का सेवन कर के व्रत रखना। जिन्हें वात की समस्या होती है, उन्हें फलाहार वाला उपवास रखना होता है और जिन्हें कफ व पित्त की समस्या होती है, उन्हें निराहार उपवास रहना होता है।
एसिडिटी में शोधन विधि में व्यक्ति को कुछ समय तक बिना कुछ खाए, सिर्फ पानी पर रहने के लिए कहा जाता है। इससे शरीर में अम्ल का संतुलन होता है, जिससे पेट में जलन में राहत मिलती है। शोधन विधि का मुख्य उद्देश्य शरीर के धातु और दोषों में संतुलन बना कर शरीर को हल्का महसूस कराना है।
और पढ़ें: A-Z होम रेमेडीज: इन बीमारियों के लिए फायदेमंद हैं ये घरेलू नुस्खे
एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज जड़ी-बूटियों के द्वारा
एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज निम्न जड़ी-बूटियों के द्वारा की जाती है :
आंवला
आंवला का सेवन करने से एसिडिटी में आराम मिलता है, ऐसा अक्सर दादी मां के नुस्खे में भी आपने सुना या पढ़ा होगा। आंवला विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है। आंवले के जूस, मुरब्बे या पाउडर का सेवन करने से एसिडिटी में आराम मिलता है। ये एसिडिटी के कारण पेट में होने वाली जलन को कम करता है। डॉक्टर के परामर्श पर ही आंवला का सेवन एसिडिटी में करें।
सोंठ
सोंठ एक एंटी-इंफ्लमेटरी जड़ी-बूटी है। ये पेट में मौजूद अम्ल को कम कर के एसिडिटी में राहत पहुंचाता है। कई बार एसिडिटी के कारण होने वाली उल्टी को भी सोंठ रोकता है। सोंठ की चाय, पेस्ट, अर्क के रूप में आप उसका सेवन कर सकते हैं।
और पढ़ें: आयुर्वेद और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स के बीच क्या है अंतर? साथ ही जानिए इनके फायदे
मुलेठी
मुलेठी एक औषधीय जड़ी-बूटी है। जिसका सेवन गर्म पानी के साथ करने पर एसिडिटी में राहत मिलती है। इसका सेवन आप काढ़े के रूप में या पाउडर के रूप में कर सकते हैं।
नारियल पानी
नारियल पानी का सेवन करने से भी एसिडिटी दूर होती है। 100 से 500 मिलीलीटर नारियल पानी दिन में दो बार पीने से एसिडिटी में राहत मिलती है।
और पढ़ें: क्षीर चम्पा के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Plumeria (Champa)
एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज औषधियों के द्वारा
एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज निम्न औषधियों के द्वारा की जाती है :
सूतशेखर रस
सूतशेखर रस एक प्रकार का एंटाएसिड जूस है। जिसका इस्तेमाल एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज करने में किया जाता है। इसमें सोंठ, सफेद हल्दी, पिप्पली, दालचीनी, इलायची आदि मिला होता है। ये पित्त दोषों को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। सूतशेखर रस का प्रयोग गर्म पानी के साथ कर सकते हैं। लेकिन बिना डॉक्टर के परामर्श के इसका प्रयोग ना करें।
पटोलादि क्वाथ
पटोलादि क्वाथ एक प्रकार का आयुर्वेदिक काढ़ा होता है। ये काढ़ा परवल, धतूरा, अडूसा, त्रिफला आदि से मिल कर बना होता है। इसका सेवन करने से पेट के अम्ल में कमी होती है और एसिडिटी में राहत मिलती है।
और पढ़ें: पारिजात (हरसिंगार) के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Night Jasmine (Harsingar)
अविपत्तिकर चूर्ण
अविपत्तिकर चूर्ण एक प्रकार का पाउडर होता है, जिसका सेवन डॉक्टर एसिडिटी में करने के लिए कहते हैं। अविपत्तिकर चूर्ण में लौंग, पिप्पली, सोंठ, काली मिर्च आदि मिला होता है। शहद या गर्म पानी के साथ इस दवा का सेवन करने पर एसिडिटी में राहत मिलती है।
कपर्दिका भस्म
कपर्दिका भस्म एक नेचुरलएंटाएसिड है जिसकी सहायता से एसिडिटी बनाने वाले एसिड को कम किया जाता है। वहीं, ये कैल्शियम से भी भरपूर होता है। कपर्दिका भस्म को गर्म पानी या छाछ के साथ डॉक्टर के दिशा निर्देश के अनुसार खाना चाहिए।
शंख भस्म
शंख भस्म बाजार में प्रवाल पंचामृत रस के रूप में पाई जाती है। प्रवाल पंचामृत रस में प्रवाल भस्म, मोती का भस्म, सीप का भस्म, शंख का भस्म और कपर्दिका भस्म मिला हुआ एक चूर्ण होता है। ये टैबलेट के रूप में भी पाया जाता है। गर्म पानी से प्रवाल पंचामृत रस लेने पर एसिडिटी में राहत देता है।
आप उपरोक्त दी गई औषधियों का सेवन विशेषज्ञों की राय पर ही करें। बिना राय लिए किसी भी औषधी का सेवन न करें वरना आपको शरीर में दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। आप विशेषज्ञ को अपनी पहले की बीमारी या फिर अन्य दवाओं के सेवन की जानकारी जरूर दें ताकि औषधियों के साथ दवा का रिएक्शन न हो पाएं।
और पढ़ें: विधारा (ऐलीफैण्ट क्रीपर) के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Vidhara Plant (Elephant creeper)
साइड इफेक्ट
एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज करने वाली औषधियों से कोई साइड इफेक्ट हो सकता है?
जैसा कि आपको हमने बताया उपरोक्त दी गई औषधियों का उपयोग बिना विशेषज्ञ की सलाह के बिल्कुल भी न करें। जानिए किन परिस्थितियों में दवा का सेवन करने से शरीर में दुष्प्रभाव हो सकता है।
- अगर महिला गर्भवती है या बच्चे को स्तनपान करा रही है तो एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज में प्रयुक्त होने वाली औषधियों के सेवन से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह ले लेनी चाहिए।
- अगर आप किसी अन्य रोग की दवा का सेवन कर रहे हैं तो भी एसिडिटी की औषधि की शुरुआत करने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी है।
- अगर आपको पित्त दोष है तो सोंठ का सेवन ना करें। इसके लिए अपने डॉक्टर से आप अधिक जानकारी ले सकते हैं।
- जिन लोगों में वात दोष हो, उन्हें शोधन विधि नहीं करना चाहिए।
- प्रेग्नेंसी में मुलेठी का सेवन ना करें।
अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो औषधियों का सेवन करते समय आपको समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
और पढ़ें: पथरी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? जानें कौन सी जड़ी-बूटी होगी असरदार
जीवनशैली
आयुर्वेद के अनुसार आहार और जीवन शैली में बदलाव
आयुर्वेद के अनुसार एसिडिटी के लिए डायट और लाइफ स्टाइल में बदलाव बहुत जरूरी है। हेल्दी लाइफ स्टाइल और हेल्दी खाने के लिए :
क्या करें?
- ठंडा पानी पिएं
- संतुलित आहार लें और समय पर खाना खाएं।
- जौ, तोरई, करेला, आंवला, बेल, शहद, गन्ने का रस, केला, लौकी और ठंडी तासीर की चीजों का सेवन करें।
और पढ़ें: Upper Gastrointestinal Endoscopy : अपर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी क्या है?
क्या ना करें?
- गर्म तासीर की चीजें ना खाएं।
- फास्ट फूड, खट्टा खाना, काला नमक, मसाला और नमकीन आदि ना खाएं।
- चाय, कॉफी या शराब का सेवन ना करें।
- ऑयली चीजों को इग्नोर करें।
और पढ़ें: कंटोला (कर्कोटकी) के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Kantola (Karkotaki)
एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज आप ऊपर बताए गए तरीकों से कर सकते हैं। लेकिन आपको ध्यान देना होगा कि आयुर्वेदिक औषधियां और इलाज खुद से करने से भी सकारात्मक प्रभाव नहीं आ सकते हैं। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में एसिडिटी के आयुर्वेदिक इलाज से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं।
अगर आपको ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण या समस्या है, तो इन आयुर्वेदिक उपायों का इस्तेमाल आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि हर हर्ब सुरक्षित नहीं होती। इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से कंसल्ट करें, तभी इसका इस्तेमाल करें। अगर आप आयुर्वेदिक दवाओं से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से परामर्श करना बेहतर होगा। इसलिए आप जब भी एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज के बारे में सोचें तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
[embed-health-tool-bmr]