लंग कैंसर की शुरुआत लंग्स यानी फेफड़ों से होती है। स्मोकिंग करने वाले लोगों को इस कैंसर के होने की संभावना अधिक होती है। इस कैंसर को दो भागों में बांटा गया है स्मॉल सेल लंग कैंसर (Small Cell Lung Cancer) और नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (Non-Small Cell Lung Cancer)। लंग कैंसर के उपचार के लिए कई तरीके अपनाएं जाते हैं जैसे कीमोथेरिपी (Chemotherapy), रेडिएशन थेरिपी (Radiation Therapy), इम्यूनोथेरिपी (Immunotherapy), टार्गेटेड थेरिपी (Target Therapy) आदि। लंग कैंसर ट्रीटमेंट्स जो कैंसर को नष्ट करते हैं, वो नार्मल सेल्स को नुकसान पहुंचा कर साइड-इफेक्ट्स का कारण बन सकते हैं, लेकिन नए लंग कैंसर ड्रग्स जिन्हें टार्गेटेड थेरिपीज कहा जाता है, वो हेल्दी सेल्स को नुकसान पहुंचाने से रोकने में मदद कर सकती है। आज हम नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के लिए टार्गेटेड ड्रग थेरिपी (Targeted Drug Therapy for Non-Small Cell Lung Cancer) के बारे में आपको जानकारी देने वाले हैं, जिसे इजीएफआर टार्गेटेड थेरिपी लंग कैंसर (EGFR targeted therapy lung cancer) भी कहा जाता है। जानिए इसके बारे में विस्तार से:
नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर क्या है? (Non-Small Cell Lung Cancer)
जैसा कि आप जानते हैं कि जब कैंसर की शुरुआत लंग्स से शुरू होती है तो उसे लंग कैंसर कहा जाता है और लंग कैंसर दो तरह का होता है। जिनमें से एक है नॉन-स्मॉल सेल्स लंग कैंसर जो सबसे सामान्य तरह का लंग कैंसर है। यह कैंसर स्मॉल सेल लंग कैंसर की तरह जल्दी से ग्रो नहीं होता है। नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के भी तीन मुख्य प्रकार इस तरह से हैं:
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- एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma)
- स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma)
- लार्ज सेल कार्सिनोमा (Large Cell Carcinoma)
जानिए क्या हैं इस कैंसर के लक्षण, ताकि इसका जल्दी निदान हो सके।
नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के लक्षण (Symptoms of Non-Small Cell Lung Cancer)
शुरुआती स्टेज में नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के आमतौर पर कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन जब लक्षण विकसित होने लगते हैं तो इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं:
- लगातार खांसी (Persistent Cough)
- थकावट (Fatigue)
- छाती में दर्द (Chest Pain)
- अचानक वजन कम होना (Unexplained Weight Loss)
- सांस लेने में समस्या (Breathing Problems)
- जोड़ों और हड्डियों में दर्द (Joint or Bone Pain)
- कमजोरी (Weakness)
- खांसी में खून आना (Coughing up Blood)
लंग कैंसर के उपचार से पहले जान लें उससे जुड़ी जरूरी बातें, इस क्विज के माध्यम से:
अगर यह कैंसर शरीर के अन्य भागों तक फैल जाए, तो लक्षण बदतर हो सकते हैं। यह गंभीर लक्षण इस प्रकार हैं:
- सांस लेने में समस्या (Difficulty Breathing)
- बोलने में परेशानी (Problems with Speech)
- जिन जगहों में कैंसर सेल्स फैल गए हैं वहां दर्द होना जैसे हड्डी, सिर, पीठ या पेट आदि (Pain)
- कमजोरी या थकावट बढ़ना (Increased Weakness or Fatigue)
- सीज़र्स (Seizures)
कई बार इस कैंसर के शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। ऐसे में इसके निदान के लिए इमेजिंग टेस्ट्स का प्रयोग किया जाता है। नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर का उपचार इसकी स्टेजेस, आपके स्वास्थ्य और कई अन्य चीजों पर निर्भर करता है। सबसे अच्छे उपचार और इनके साइड इफेक्ट के बारे में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के उपचार के लिए टार्गेटेड थेरिपी का प्रयोग किया जाता है। पाइए, जानकारी टार्गेटेड थेरिपी के बारे में:
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इजीएफआर टार्गेटेड थेरिपी लंग कैंसर (EGFR targeted therapy lung cancer)
टार्गेटेड ड्रग थेरिपी खास प्रोटीन, जीन या पर्यावरण को एड्रेस करती है, जो कैंसर के विकास को बढ़ावा देते हैं। यह जेनेटिक म्युटेशनस वाले सेल्स या एंजियोजेनेसिस को रोकने जैसे मामलों में प्रयोग की जाती है। नई टार्गेटेड ड्रग थेरिपी को विकसित किया जा रहा है और इससे लंग कैंसर से पीड़ित लोगों को लंबी और बेहतर जीवन जीने में मदद मिल सकती है। इसके लिए रोगी को अपने डॉक्टर से पता करना चाहिए कि कौन सी टार्गेटेड थेरिपीज आपके लिए बेहतर हैं। जानिए, इजीएफआर टार्गेटेड थेरेपी लंग कैंसर (EGFR targeted therapy lung cancer) में प्रयोग होने वाली ड्रग्स के बारे में। इन ड्रग्स को डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेना चाहिए।
शोधकर्ताओं के अनुसार एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर इन्हिबिटर्स यानी EGFR एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर को ब्लॉक कर देते हैं और जब कैंसर सेल की एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर म्युटेशनस हो, तब यह लंग कैंसर की ग्रोथ को रोकने या धीमा करने में प्रभावी है। यह दवाईयां पिल के रूप में होती हैं, ओरली लिया जा सकता है। इनके साइड इफेक्ट हैं रैशेज और डायरिया। यह दवाईयां इस प्रकार हैं:
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ओसिमर्टिनिब (Osimertinib)
ओसिमर्टिनिब का ब्रांड नाम है टैग्रीसो (Tagrisso)। इजीएफआर टार्गेटेड थेरिपी लंग कैंसर में इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (Non-Small Cell Lung Cancer) से पीड़ित उन लोगों के लिए पहला ट्रीटमेंट ऑप्शन है, जिसके ट्यूमर में एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर म्युटेशनस हो। ओसिमर्टिनिब का प्रयोग तब भी किया जा सकता है, जब अन्य दवाईयां काम न कर रही हों। इसके हार्ट, लंग्स और विज़न में कई गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इसलिए, डॉक्टर की सलाह के बिना इस दवाई को कभी भी नहीं लेना चाहिए। भारत में टैग्रीसो की 80 mg की एक स्ट्रिप, जिसमें दस टेबलेट्स होती हैं उनकी कीमत लगभग 204435 रुपय है।
एर्लोटिनिब (Erlotinib)
ऐसा माना जाता है कि अगर मरीज को लंग कैंसर में EGFR जीन में म्युटेशन है, तो उस मामले में यह दवाई कीमोथेरिपी से भी अच्छी तरह से काम कर सकती है। यह उन मरीजों के लिए भी अच्छा विकल्प है, जिनमें लोकली एडवांस्ड और मेटास्टैटिक नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (Metastatic Non Small Cell Lung Cancer) है यह दवाई एक पिल के रूप में उपलब्ध है। लेकिन, इसके कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं जैसे रैशेज और डायरिया। ऐसे में इसे अपनी मर्जी से लेने की सलाह नहीं दी जाती है। यह दवाई कई ब्रांड नेम्स के अंतर्गत उपलब्ध है। जिसमें इसकी 150mg की 10 टेबलेट्स की कीमत दस हज़ार से शुरू हैं। इजीएफआर टार्गेटेड थेरिपी लंग कैंसर में इस दवा को भी शामिल किया जाता है।
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एफेटीनिब (Afatinib)
एफेटीनिब का ब्रांड नाम गिलोट्रिफ़ (Gilotrif) है। इजीएफआर टार्गेटेड थेरिपी लंग कैंसर में यह दवा भी शामिल है। यह नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के लिए शुरुआती उपचार है। इसका प्रयोग उस खास तरह के नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर के उपचार के लिए किया जा सकता है, जो शरीर के अन्य भागों में फैल गए हैं। लेकिन इस स्थिति में इसका प्रयोग तभी किया जाता है, अगर ट्यूमर में खास जेनेटिक मार्कर है, इसके लिए डॉक्टर टेस्ट करते हैं। इस दवाई के भी कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं जैसे चेहरे, होंठों, जीभ या गले में सूजन आदि। ऐसे में इस दवाई का सेवन तभी करें ,जब डॉक्टर इसकी सलाह दें। भारत में एफेटीनिब की 30 mg की सात टेबलेट्स की कीमत लगभग 14 000 रुपय है।
डेकोमिटिनिब (Dacomitinib)
डेकोमिटिनिब का ब्रांड नेम विज़िम्प्रो (Vizimpro) है। इजीएफआर टार्गेटेड थेरिपी लंग कैंसर में इस दवाई का प्रयोग नॉन स्मॉल सेल्स कैंसर के उपचार में किया जाता है, जो शरीर के अन्य भागों में फैल गया होता है। इस दवाई को तभी दिया जाता है जब ट्यूमर में खास जेनेटिक मार्कर हो यानी एब्नार्मल “EGFR’ जीन हो। इस दवाई के साइड इफेक्ट में एलर्जिक रिएक्शन जैसे सांस लेने में समस्या चेहरे पर सूजन या डायरिया आदि शामिल है। भारत में 45mg डेकोमिटिनिब की तीस टेबलेट की कीमत 61,000 रुपय है।
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गेफिटिनिब (Gefitinib)
इस दवाई का ब्रांड नेम अरेसा है। इजीएफआर टार्गेटेड थेरिपी लंग कैंसर में इस दवा का इस्तेमाल होता है। कैंसर की यह दवाई शरीर में कैंसर सेल की ग्रोथ और उसे फैलने से रोकने में लाभदायक है। इसका प्रयोग नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर में किया जाता है। कई बार इस का प्रयोग शरीर के अन्य भागों में फैले कैंसर के उपचार के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन इसके प्रयोग के बाद एलर्जी के जैसे लक्षण या डायरिया आदि समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में डॉक्टर से पूछने के बाद ही इस का प्रयोग करें। गेफिटिनिब एक 250 mg दस टेबलेट्स की कीमत लगभग चार हज़ार रुपय है।
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यह तो थी इजीएफआर टार्गेटेड थेरिपी लंग कैंसर (EGFR targeted therapy lung cancer) की दवाईयों के बारे में पूरी जानकारी। जिनका प्रयोग नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर की स्थिति में किया जा सकता है। लेकिन कई लोगों को इन दवाईयों को लेने से साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं। ऐसे में अपनी मर्जी से इन दवाईयों का सेवन कभी न करें। इन्हें लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है। इसके साथ, ही इन ड्रग्स की कीमत ऊपर बताई कीमतों से कम या अधिक भी हो सकती है।
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इजीएफआर टार्गेटेड थेरिपी लंग कैंसर (EGFR Targeted Therapy Lung Cancer) के दुष्प्रभावों में मुख्य हैं सांस लेने में समस्या, बुखार, थकावट,सिरदर्द, भूख न लगना, डायरिया आदि। इसलिए, ऐसा कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। US नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (US National Library of मेडिसिन) के अनुसार लंग कैंसर एक गंभीर बीमारी है। जिसे कुल मामलों में अस्सी प्रतिशत नॉन स्मॉल लंग कैंसर के मामले होते हैं। ऐसे में मरीज की कंडीशन, ट्यूमर की स्थिति और आकार आदि के अनुसार ही डॉक्टर उपचार निर्धारित करते हैं। लेकिन, इस स्थिति में किसी भी दवाई या थेरिपी का प्रयोग बिना डॉक्टर की राय के नहीं करना चाहिए। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक की जगह हानिकारक सिद्ध हो सकता है।