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केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज : क्यों है ये समस्याएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/12/2021

    केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज : क्यों है ये समस्याएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई?

    केटोन्यूरिया (Ketonuria) एक ऐसी समस्या है, जो आमतौर पर डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति को अपना शिकार बनाती है। डायबिटीज की समस्या कभी अकेले नहीं आती, अपने साथ लाती है कई डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन। इसी तरह केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) से ग्रसित व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण व्यक्ति बड़ी परेशानियों से घिर सकता है। यही वजह है कि डायबिटीज की समस्या को समय रहते मैनेज करना ज़रूरी हो जाता है। क्या आप जानते हैं, केटोन्यूरिया की समस्या तब होती है, जब आपके यूरीन में कीटोन की मात्रा बढ़ जाती है? इस समस्या को एसीटोन्यूरिया (Acetonuria) का नाम भी दिया गया है। आइए अब जान लेते हैं इस समस्या के बारे में अधिक जानकारी।  

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    क्यों होती है केटोन्यूरिया (Ketonuria) की समस्या? 

    जैसा कि आपने पहले जाना, केटोन्यूरिया (Ketonuria) की समस्या तब होती है, जब आपके यूरीन में कीटोन की मात्रा बढ़ जाती है। कीटोन एक तरह का एसिड माना जाता है। आपके शरीर में कीटोन तब बनते हैं, जब शरीर फ़ैट और प्रोटीन से एनर्जी लेने के लिए इन्हें बर्न करता है। यह एक आम प्रोसेस मानी जाती है। लेकिन टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) जैसी किसी हेल्थ कंडिशन की वजह से इस समस्या में गड़बड़ पैदा हो सकती हैं। साथ ही साथ केटोन्यूरिया की समस्या प्रेग्नेंट महिलाओं और ब्रेस्ट फीडिंग करा रही महिलाओं को भी होती देखी गई है। जब कीटोन (Ketones) का स्तर लंबे समय तक बढ़ा हुआ रहता है, तो आपका रक्त एसिडिक बन सकता है, जो आपके शरीर के लिए नुकसानदेह साबित होता है। आइए जानते हैं केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) के बीच के संबंध को।

    केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज : क्या है दोनों के बीच संबंध? (Ketonuria and type 1 diabetes)

    केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज का संबंध लो इन्सुलिन लेवल की वजह से बनता है। आपके शरीर को एनर्जी शुगर या ग्लूकोज से मिलती है। यह ग्लूकोज आपको कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होता है। इंसुलिन वह हॉर्मोन होता है, जो शुगर को शरीर के सेल्स तक पहुंचाता है, जिसमें आपके मसल्स, हार्ट और ब्रेन का भी समावेश होता है। जैसा कि आप जानते हैं, टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) से ग्रसित लोगों का शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता। इसी वजह से आपके शरीर के सेल्स को शुगर की सही मात्रा नहीं मिल पाती। इसकी वजह से शरीर किसी दूसरे पावर सोर्स की मदद लेने लगता है। बॉडी फैट और प्रोटीन का इस्तेमाल एनर्जी के लिए किया जाने लगता है, जिसकी वजह से शरीर में कीटोन का निर्माण होता है। जब जरूरत से ज्यादा मात्रा में कीटोन आपके रक्त वाहिकाओं में बनने लगता है, तो इस समस्या को कीटोएसिडोसिस (Ketoacidosis) कहा जाता है। यह एक लाइफ थ्रेटनिंग कंडिशन भी मानी जाती है। जिसमें आपका ब्लड एसिडिक बनकर आपके अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंचाने लगता है। 

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    केटोन्यूरिया (Ketonuria) आमतौर पर कीटोएसिडोसिस के साथ ही होता है। जब आपके ब्लड में कीटोन की मात्रा बढ़ जाती है, तो आपकी किडनी इन कीटोंस को यूरिन के जरिए बाहर निकालने की कोशिश करती है। लेकिन यदि आप टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) के शिकार हो चुके होते हैं, तो आपको केटोन्यूरिया की समस्या हो सकती है। इसी के साथ आपको हाय ब्लड शुगर या हाइपोग्लाइसीमिया की तकलीफ भी होती है। यही कारण है कि केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) की समस्या व्यक्ति के लिए बड़ी तकलीफ पैदा कर सकती है।

    इसके अलावा और भी कुछ कारण है, जिसकी वजह से केटोन्यूरिया (Ketonuria) आपको हो सकता है, वह इस प्रकार है – 

    • जरूरत से ज्यादा मात्रा में एल्कोहॉल पीना 
    • प्रेगनेंसी 
    • भूखा रहना 
    • इंफेक्शन की समस्या होना 
    • हार्ट अटैक होना 
    • इमोशनल और फिजिकल ट्रॉमा होना 
    • कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids) का ज्यादा इस्तेमाल करना 

    इन सभी समस्याओं के चलते आपको केटोन्यूरिया (Ketonuria) की समस्या हो सकती है। आइए अब जानते हैं केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) की स्थिति में आपको क्या लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

    केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज : ये लक्षण आ सकते हैं नजर! (Symptoms of Ketonuria and type 1 diabetes)

    केटोन्यूरिया (Ketonuria) असल में कीटोएसिडोसिस होने का एक लक्षण माना जाता है। आपके शरीर में जब कीटोन की मात्रा बढ़ती है, तो आपको कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों पर ध्यान ना दिया जाए, तो आपकी समस्या समय के साथ बदतर होती चली जाती हैं। केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) में आपको यह लक्षण दिखाई दे सकते हैं – 

    • प्यास लगना 
    • मुंह से बदबू आना
    • मुंह में सूखापन महसूस होना
    • कमजोरी होना 
    • उल्टी होना 
    • बार-बार यूरिनेशन के लिए जाना 
    • फोकस करने में परेशानी होना 

    इसके अलावा कुछ लोगों में केटोन्यूरिया (Ketonuria) के ये लक्षण भी देखे जा सकते हैं – 

    इस स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेकर इसका इलाज शुरू करवाना चाहिए। केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, लेकिन इसका निदान जल्द से जल्द करना बेहद जरूरी माना जाता है। आइए अब जानते हैं केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) का निदान किस तरह किया जा सकता है। 

    केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes)

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    केटोन्यूरिया का निदान होता है इस तरह (Diagnosis of Ketonuria and type 1 diabetes)

    केटोन्यूरिया (Ketonuria) का निदान आमतौर पर यूरिन टेस्ट (Urine test)  से किया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर आपको हो रही परेशानियां और लक्षणों पर ध्यान देकर इसका पता लगा सकते हैं। साथ ही साथ वे आपकी मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर भी इसका पता लगा सकते हैं। इसके अलावा कुछ टेस्ट्स ऐसे हैं, जो आपके यूरिन और शरीर में कीटोन की मात्रा का पता लगा सकते हैं। इन टेस्ट्स में शामिल है – 

    इसके अलावा आपको केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) की स्थिति में कुछ और भी टेस्ट कराने की जरूरत हो सकती है।

    • ब्लड इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट 
    • कंप्लीट ब्लड काउंट 
    • चेस्ट एक्स रे 
    • सीटी स्कैन 
    • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम 
    • ब्लड कल्चर टेस्ट 
    • ब्लड ग्लूकोज टेस्ट 
    • ड्रग्स स्क्रीनिंग 

    इन सभी टेस्ट के जरिए डॉक्टर केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) की समस्या को जान सकते हैं। लेकिन इसके बाद आपको जरूरत पड़ती है जल्द से जल्द ट्रीटमेंट की। जैसा कि आप जानते हैं टाइप वन डायबिटीज अपने आप में एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है और जब केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) एक साथ हो, तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर की सहायता से अपनी जरूरत के मुताबिक ट्रीटमेंट लने की जरूरत पड़ सकती है। आइए जानते हैं केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज की समस्या को किस तरह ठीक किया जा सकता है।

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    केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज : जल्द से जल्द ट्रीटमेंट की पड़ती है जरूरत (Treatment of Ketonuria and type 1 diabetes)

    जैसा कि आपने जाना केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए आपको ऐसे ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है, जो दोनों ही समस्याओं को सामान्य बनाए रख सकें। केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज की समस्या आम तौर पर टेंपरेरी फास्टिंग और डायट में बदलाव के साथ ठीक की जा सकती है। इसके लिए आपको आम तौर पर ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती। बस आपको आपके कीटोन लेवल (Ketone level) को जांचने के लिए टेस्ट कराना होता है। साथ ही साथ इसमें आपके ब्लड शुगर को सामान्य बनाने की जरूरत पड़ती है। लेकिन केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) की समस्या में आपको समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत पड़ती है। जिससे वह आपकी स्थिति का समय दर समय ध्यान रख सके।

    कुछ खास कंडिशन में केटोन्यूरिया (Ketonuria) के लिए डायबिटिक कीटोएसिडोसिस का ट्रीटमेंट भी दिया जाता है। इन ट्रीटमेंट में आपको फ़ास्टिंग इन्सुलिन, आईवी और इलेक्ट्रोलाइट जैसे कि सोडियम, पोटेशियम और क्लोराइड इत्यादि लेने की जरूरत पड़ सकती है। यदि आपको केटोन्यूरिया किसी तरह की बीमारी की वजह से हुआ है, तो आपको एंटीबायोटिक और एंटीवायरल दवाइयां भी लेने की ज़रूरत पड़ सकती है।

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    वैसे तो केटोन्यूरिया (Ketonuria) कई कारणों से हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इसकी वजह टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) ही बनता है। इसलिए केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज की समस्या को सामान्य बनाए रखने के लिए आपको अपनी डायट और रोजाना एक्सरसाइज पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) से जुड़े कॉम्प्लिकेशन को दूर रखने के लिए आपको जल्द से जल्द इसके निदान की जरूरत पड़ती है और निदान के बाद आपको डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों का सेवन भी करना पड़ता है। आपको कुछ अन्य बातों का भी ख्याल रखना पड़ सकता है, जैसे कि एक्सट्रीम डायट का इस्तेमाल न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह के बगैर ना करें या अचानक अपने डायट में बड़े बदलाव ना लाएं। इसके अलावा यदि आपको सिर दर्द, उल्टी और कंफ्यूजन की समस्या हो रही है, तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपना चेकअप करवाएं।

    खास तौर पर यदि केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) की समस्या से आप ग्रसित हैं, तो आपको तुरंत कीटोन लेवल चेक करवाना पड़ता है, ठीक उसी तरह जिस तरह आप अपना ब्लड शुगर लेवल चेक करवाते हैं। साथ ही साथ डॉक्टर की सलाह के बाद इस पर नजर रखना भी आपके लिए जरूरी माना जाता है। अपने ब्लड शुगर लेवल को सामान्य बनाए रखने के लिए डॉक्टर की मदद लें और अचानक अपने डायट में कोई भी बदलाव ना करें। हमेशा डायटिशियन और न्यूट्रीशनिस्ट की सहायता से ही अपनी डायट को बदलें। ऐसा करने से आप केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) की समस्या को सामान्य बनाए रख सकते हैं। 

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