इसके अलावा आपको केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) की स्थिति में कुछ और भी टेस्ट कराने की जरूरत हो सकती है।
- ब्लड इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट
- कंप्लीट ब्लड काउंट
- चेस्ट एक्स रे
- सीटी स्कैन
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम
- ब्लड कल्चर टेस्ट
- ब्लड ग्लूकोज टेस्ट
- ड्रग्स स्क्रीनिंग
इन सभी टेस्ट के जरिए डॉक्टर केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) की समस्या को जान सकते हैं। लेकिन इसके बाद आपको जरूरत पड़ती है जल्द से जल्द ट्रीटमेंट की। जैसा कि आप जानते हैं टाइप वन डायबिटीज अपने आप में एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है और जब केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) एक साथ हो, तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर की सहायता से अपनी जरूरत के मुताबिक ट्रीटमेंट लने की जरूरत पड़ सकती है। आइए जानते हैं केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज की समस्या को किस तरह ठीक किया जा सकता है।
और पढ़ें : Diabetic Eye Disease: मधुमेह संबंधी नेत्र रोग क्या है? जानें कारण, लक्षण और उपाय
केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज : जल्द से जल्द ट्रीटमेंट की पड़ती है जरूरत (Treatment of Ketonuria and type 1 diabetes)
जैसा कि आपने जाना केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए आपको ऐसे ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है, जो दोनों ही समस्याओं को सामान्य बनाए रख सकें। केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज की समस्या आम तौर पर टेंपरेरी फास्टिंग और डायट में बदलाव के साथ ठीक की जा सकती है। इसके लिए आपको आम तौर पर ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती। बस आपको आपके कीटोन लेवल (Ketone level) को जांचने के लिए टेस्ट कराना होता है। साथ ही साथ इसमें आपके ब्लड शुगर को सामान्य बनाने की जरूरत पड़ती है। लेकिन केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) की समस्या में आपको समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत पड़ती है। जिससे वह आपकी स्थिति का समय दर समय ध्यान रख सके।
कुछ खास कंडिशन में केटोन्यूरिया (Ketonuria) के लिए डायबिटिक कीटोएसिडोसिस का ट्रीटमेंट भी दिया जाता है। इन ट्रीटमेंट में आपको फ़ास्टिंग इन्सुलिन, आईवी और इलेक्ट्रोलाइट जैसे कि सोडियम, पोटेशियम और क्लोराइड इत्यादि लेने की जरूरत पड़ सकती है। यदि आपको केटोन्यूरिया किसी तरह की बीमारी की वजह से हुआ है, तो आपको एंटीबायोटिक और एंटीवायरल दवाइयां भी लेने की ज़रूरत पड़ सकती है।
और पढ़ें : रिसर्च: हाई फाइबर फूड हार्ट डिसीज और डायबिटीज को करता है दूर
वैसे तो केटोन्यूरिया (Ketonuria) कई कारणों से हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इसकी वजह टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) ही बनता है। इसलिए केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज की समस्या को सामान्य बनाए रखने के लिए आपको अपनी डायट और रोजाना एक्सरसाइज पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) से जुड़े कॉम्प्लिकेशन को दूर रखने के लिए आपको जल्द से जल्द इसके निदान की जरूरत पड़ती है और निदान के बाद आपको डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों का सेवन भी करना पड़ता है। आपको कुछ अन्य बातों का भी ख्याल रखना पड़ सकता है, जैसे कि एक्सट्रीम डायट का इस्तेमाल न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह के बगैर ना करें या अचानक अपने डायट में बड़े बदलाव ना लाएं। इसके अलावा यदि आपको सिर दर्द, उल्टी और कंफ्यूजन की समस्या हो रही है, तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपना चेकअप करवाएं।
खास तौर पर यदि केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Ketonuria and type 1 diabetes) की समस्या से आप ग्रसित हैं, तो आपको तुरंत कीटोन लेवल चेक करवाना पड़ता है, ठीक उसी तरह जिस तरह आप अपना ब्लड शुगर लेवल चेक करवाते हैं। साथ ही साथ डॉक्टर की सलाह के बाद इस पर नजर रखना भी आपके लिए जरूरी माना जाता है। अपने ब्लड शुगर लेवल को सामान्य बनाए रखने के लिए डॉक्टर की मदद लें और अचानक अपने डायट में कोई भी बदलाव ना करें। हमेशा डायटिशियन और न्यूट्रीशनिस्ट की सहायता से ही अपनी डायट को बदलें। ऐसा करने से आप केटोन्यूरिया और टाइप वन डायबिटीज (Type 1 diabetes) की समस्या को सामान्य बनाए रख सकते हैं।