डायबिटीज का अर्थ है शरीर में ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood glucose level) का बहुत अधिक बढ़ जाना। डायबिटीज लेवल का सही न होना कई कॉम्प्लिकेशन्स का कारण बन सकता है। यही कारण है कि डायबिटीज को एक गंभीर समस्या माना जाता है। अपने ब्लड शुगर लेवल का स्तर सही रखना बेहद जरूरी है। बता दें कि डायबिटीज के कई प्रकार हैं। आज हम बात करने वाले हैं माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) के बारे में, जो एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर (Metabolic disorder) है। यह जानकारी भी जरूरी है कि माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर्स जैसे माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज सामान्य समस्या नहीं है। आइए, जानते हैं माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) के बारे में विस्तार से।
माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज क्या है? (Mitochondrial Diabetes)
मेडलाइनप्लस (MedlinePlus) के अनुसार माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) वो स्मॉल स्ट्रक्चर्स होते हैं, जो हमारे हर सेल्स में एनर्जी प्रोड्यूज करते हैं। इन्हें हमारे शरीर की एनर्जी फैक्ट्री भी कहा जाता है। माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर (Mitochondrial disorder), माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) के फंक्शन को प्रभावित करते हैं। जैसा कि पहले ही बताया गया है कि माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) शरीर के हर सेल्स के वो टाइनी कम्पार्टमेंट हैं, जो सेल्स की जरूरत के अनुसार एनर्जी को प्रोड्यूज करते हैं। किस सेल में कम या लोअर फंक्शनिंग माइटोकॉन्ड्रिया (Lower functioning Mitochondria) हैं, इसके अनुसार इसके विभिन्न लक्षण हो सकते हैं। इन डिसऑर्डर्स के कारण शरीर के वो अंग और भाग जिन्हें एनर्जी की अधिक जरूरत होती है, अधिक प्रभावित होते हैं जैसे हार्ट (Heart), मसल्स (Muscles) और ब्रेन (Brain) आदि। अब बात करते हैं माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) की।
माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) पैंक्रियाज में इंसुलिन-प्रोड्यूजिंग सेल्स (Insulin-producing cells) की पुअर फंक्शनिंग के कारण हो सकती है। शरीर द्वारा इंसुलिन की प्रोडक्शन माइटोकॉन्ड्रियल प्रोडक्शन पर निर्भर करती है। अगर माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर (Mitochondrial disorder) पैंक्रियाज में उन कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जो इंसुलिन का उत्पादन करते हैं, तो इसे माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) कहा जा सकता है। माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर्स (Mitochondrial disorders) मल्टीपल बॉडी टिश्यूज में इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बन सकते हैं, जिससे ब्लड से ग्लूकोज के फैट, लिवर और मसल सेल्स में अब्सॉर्प्शन को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक इंसुलिन की मात्रा बढ़ती है। अब जानते हैं माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज के लक्षणों के बारे में।
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माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Mitochondrial Diabetes)
अगर बात की जाए माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज के लक्षणों की, तो इस डायबिटीज के लक्षण टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के लक्षणों का समान ही होते हैं। यानी, यह लक्षण इस प्रकार हैं:
- प्यास का बढ़ना (Increased Hunger and thirst)
- यूरिनेशन का बढ़ना (Increased urination)
- भूख का बढ़ना लेकिन इसके बाद भी वजन के अधिक होने की जगह कम होना (Increased appetite)
- डीहायड्रेशन (Dehydration)
- विजन का धुंधला होना (Blurred vision)
- जी मिचलाना और उल्टी आना (Nausea and vomiting)
- मूड में बदलाव (Mood changes)
माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) से पीड़ित बच्चे ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) के डिफरेंट पैटर्न्स में भी वेरिएशंस का अनुभव कर सकते हैं। ऐसे में, इस समस्या का निदान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा रोगी कुछ अन्य लक्षणों का सामना भी कर सकते हैं। अब जानते हैं कि इस समस्या के कारण क्या हैं?
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माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज के कारण क्या हैं? (Causes of Mitochondrial Diabetes)
माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) यूनिक होते हैं क्योंकि इनका अपना डीएनए यानी डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड DNA (Mitochondrial acid DNA) होता है। जिसे माइटोकॉन्ड्रियल DNA (Mitochondrial DNA) या mtDNA कहा जाता है। इस mtDNA में म्यूटेशन या न्यूक्लियर DNA (Nuclear DNA) में म्यूटेशन होना माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर्स (Mitochondrial disorders) का कारण बन सकता है। एनवायर्नमेंटल टॉक्सिन्स से भी माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज ट्रिगर हो सकती हैं। इन माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज में डायबिटीज भी शामिल है।
एनवायर्नमेंटल डिसऑर्डर्स एक या दोनों पेरेंट्स से इनहेरिटेड हो सकता है। माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA) में म्यूटेशन या डिलीशन के कारण होने वाले सिंड्रोम अक्सर रोगी को मां से विरासत में मिलते हैं। कुछ मामलों में, इन डिसऑर्डर्स की वजह एक स्पॉन्टेनियस (Spontaneous) जीन म्यूटेशन भी हो सकती है और यह इनहेरिटेड नहीं होता है। जैसा की पहले ही बताया गया है कि माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) पैंक्रियाज में इंसुलिन-प्रोड्यूजिंग सेल्स (Insulin-producing cells) के पुअर फंक्शनिंग के कारण होती है या यह समस्या इंसुलिन रेजिस्टेंस के माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर (Mitochondrial Disorder) के में इंसुलिन प्रतिरोध के एमेर्जेंस (Emergence) के कारण भी हो सकता है। अब जानिए इसके निदान के बारे में।
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माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज का निदान कैसे संभव है? (Diagnosis of Mitochondrial Diabetes)
इस डायबिटीज के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर रोगी के लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही रोगी की फैमिली और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी जाना जाएगा। माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) का जेनेटिक टेस्टिंग के साथ निदान हो सकता है। इसके लक्षणों से भी माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर का कई मामलों में निदान हो सकता है। ऐसे ही, माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) का डायग्नोसिस भी लक्षणों के आधार पर हो सकता है। इसके साथ ही एब्नार्मल ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) के एक्यूट और क्रॉनिक इफेक्ट्स की जांच के लिए रोगी के ब्लड और यूरिन टेस्ट्स कराए जा सकते हैं। इसके निदान के बाद उपचार के बारे में विचार किया जाता है। अब जानते हैं कि माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) का उपचार कैसे किया जा सकता है।
माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज का उपचार कैसे हो सकता है? (Treatment of Mitochondrial Diabetes)
माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) के उपचार का उद्देश्य ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को सुरक्षित रेंज में बनाए रखना है। डायबिटीज से उन पीड़ित बच्चों, जिनमें यह समस्या माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर (Mitochondrial disorder) के कारण होती है, उनके उपचार के लिए कुछ स्पेशलिस्ट्स की भी मदद ली जा सकती है, जो बच्चों का उपचार करते हैं। जहां डायबिटीज के उपचार के लिए इस्तेमाल कुछ एप्रोचेस माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज के लिए सहायक साबित हो सकती हैं वहीं कुछ मामलों में यह हानिकारक भी हो सकती हैं। वहीं माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज (Mitochondrial disease) के उपचार के लिए इस्तेमाल कुछ एप्रोचेस डायबिटीज के कोर्स या मैनेजमेंट को प्रभावित कर सकती हैं।
डायबिटीज की डायनामिक्स को समझना, जब यह माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर्स (Mitochondrial Disorders) के कॉन्टेक्स्ट में होता है, प्रभावी उपचार के लिए महत्वपूर्ण है। डायबिटीज के उपचार के लिए रोगी को ओरल एंटीडायबिटिक एजेंट्स या इंसुलिन थेरेपी दी जा सकती हैं। इसके साथ ही डायबिटीज के लक्षणों से राहत पाने के लिए रोगी के लिए अपनी जीवनशैली में हेल्दी बदलाव करना भी बेहद जरूरी हैं जैसे सही आहार का सेवन, नियमित व्यायाम, वजन को संतुलित रखना, डॉक्टर की सलाह का पालन करना आदि शामिल है। इस समस्या की जटिलताओं से बचने के लिए सही जीवनशैली का होना बेहद महत्वपूर्ण फैक्टर है।
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यह तो थी माइटोकॉन्ड्रियल डायबिटीज (Mitochondrial Diabetes) के बारे में पूरी जानकारी। इस समस्या से पीड़ित लोगों नियमित मॉनिटरिंग की जरूरत होती है। यह भी आप समझ ही गए होंगे कि जेनेटिक म्यूटेशन के कारण यह डायबिटीज हो सकती है। इस रोग के होने की संभावना बीस साल से कम उम्र के लोगों को अधिक रहती है। यही नहीं, नवजात शिशुओं को भी यह रोग हो सकता है। समझने वाली बात यह है कि इसका कोई इलाज भी नहीं है लेकिन इसके लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके उपचार में थेरेपीज (Therapies), विटामिन्स (Vitamins), स्पेशल डायट (Special diet) और दवाईयां (Medicines) आदि शामिल हैं। अगर आपके मन में इस के बारे में कोई भी सवाल है, तो अपने डॉक्टर से अवश्य बात करें।
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