NIDDM को नॉन-इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Non-insulin-dependent diabetes mellitus) के नाम से भी जाना जाता है। यह समस्या तब होती है, जब इंसुलिन सेंस्टिविटी (Insulin sensitivity) और इंसुलिन सेक्रेशन (Insulin secretion) में इम्बैलैंस हो जाता है। इसका उदाहरण है टाइप 2 डायबिटीज। जिसमें हमारा शरीर सही से ब्लड ग्लूकोज का इस्तेमाल नहीं कर पाता है। यह समस्या होना बेहद ही सामान्य है और इसका इलाज संभव नहीं है। यही नहीं, यह कई रोग कॉम्प्लीकेशन्स का कारण भी बन सकता है। लेकिन, राहत की बात यह है कि इसके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है। आज हम बात करने वाले हैं NIDDM वाले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स में एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन (Exercise-Induced Hypertension in Normotensive Patients With NIDDM) के बारे में। लेकिन, NIDDM वाले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स में एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन (Exercise-Induced Hypertension in Normotensive Patients With NIDDM) से पहले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स और एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन के बारे में जान लेते हैं।
नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स किन्हें कहा जाता है? (Normotensive Patients)
नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स उन रोगियों को कहा जाता है, जिनका ब्लड प्रेशर (Blood pressure) सामान्य होता है। यानी, उन्हें हायपरटेंशन (Hypertension) या हायपोटेंशन (Hypotension) जैसी कोई परेशानी नहीं होती। न तो उनका ब्लड प्रेशर लेवल हाय होता है न ही लो। हमारे ब्लड प्रेशर का सामान्य रहना बेहद जरूरी है। क्योंकि हाय या लो ब्लड प्रेशर (Low Blood pressure) कई कॉम्प्लीकेशन्स का कारण बन सकता है। यही नहीं, हाय ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को हार्ट डिजीज (Heart disease) और स्ट्रोक (Stroke) का जोखिम भी रहता है। मोटापा, अधिक एल्कोहॉल का सेवन, स्मोकिंग या इस समस्या की फैमिली हिस्ट्री होना इसके रिस्क-फैक्टर्स में से कुछ हैं।
ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आपका ब्लड प्रेशर (Blood pressure) सही रहे, तो हेल्दी लाइफस्टाइल का पालन करना और इन रिस्क फैक्टर्स से दूर रहना बेहद जरूरी है। यह तो थी बात नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स के बारे में। अब NIDDM वाले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स में एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन (Exercise-Induced Hypertension in Normotensive Patients With NIDDM) से पहले जान लेते हैं कि एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन क्या है?
एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन किसे कहा जाता है? (Exercise-Induced Hypertension)
एक्सरसाइज के बाद ब्लड प्रेशर के हाय होने को एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन (Exercise-Induced Hypertension) कहा जाता है। एक्सरसाइज के कारण ब्लड प्रेशर (Blood pressure) बढ़ सकता है, लेकिन इसका प्रभाव आमतौर पर अस्थायी होता है। एक्सरसाइज खत्म होने के बाद यह ब्लड प्रेशर फिर से सामान्य हो जाता है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार मनुष्य का सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 mm Hg होता है। यानी, एक स्वस्थ ह्यूमन की सिस्टोलिक प्रेशर रीडिंग (Systolic pressure reading) 120 mm Hg से कम और डायास्टोलिक प्रेशर रीडिंग (Diastolic pressure reading) 80 mm Hg.से कम होनी चाहिए। लेकिन, ऐसा माना जाता है कि एक्सरसाइज के कारण सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Systolic Blood pressure बढ़ सकता है।
सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Systolic Blood pressure), जब हार्ट बीट करता है, तो ब्लड वेसल प्रेशर का माप होता है। जबकि, डायास्टोलिक प्रेशर (Diastolic pressure) हार्टबीट के बीच के ब्लड वेसल्स में प्रेशर का माप होता है। ऐसे में एक्सरसाइज के दौरान भी इसमें बदलाव नहीं आना चाहिए। अगर, ऐसा होता है तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि व्यायाम के बाद किस ब्लड प्रेशर रीडिंग को हेल्दी माना जाता है, क्योंकि हर व्यक्ति का ब्लड प्रेशर अलग हो सकता है। एक व्यक्ति का नार्मल ब्लड प्रेशर लेवल (Blood pressure level) दूसरे व्यक्ति के लिए समस्या की वजह बन सकती है।
लेकिन, सामान्य रूप से रेस्टिंग पीरियड के बाद दो घंटों तक ब्लड प्रेशर रीडिंग का 140/90 mm Hg होना हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) और व्यायाम के बाद रीडिंग का 90/60 mm Hg होना लो ब्लड प्रेशर (Low blood pressure) कहलाता है। अब जानिए NIDDM वाले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स में एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन (Exercise-Induced Hypertension in Normotensive Patients With NIDDM) क्या है?
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NIDDM वाले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स में एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन (Exercise-Induced Hypertension in Normotensive Patients With NIDDM)
ऐसा माना जाता है कि डायबिटीज और हायपरटेंशन दोनों के होने से रोगी के कार्डियक और पेरीफेरल वैस्कुलर स्ट्रक्चर व फंक्शन (Cardiac and peripheral vascular structure and function) को नुकसान होता है। हालांकि, टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के लक्षणों को मैनेज करने के लिए व्यायाम को बेहद जरूरी माना गया है। लेकिन, व्यायाम और डायबिटीज के बारे में की जाने वाली अधिकांश स्टडीज में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, लेकिन इनमें हार्ट हेल्थ पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
NIDDM वाले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स में एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन (Exercise-Induced Hypertension in Normotensive Patients With NIDDM) के बारे में की गई एक स्टडी का उद्देश्य यह जानना था कि क्या एक्सरसाइज से उस व्यक्ति का ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) कम हो सकता है और कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ सुधर सकती है, जिसे टाइप 2 डायबिटीज (type 2-diabetes) और हायपरटेंशन (Hypertension) जैसी दोनों समस्याएं हैं? यह स्टडी विभिन्न जेंडर और उम्र के लोगों पर की गई। इस स्टडी का उद्देश्य यह जानना भी था कि माइल्ड और मॉडरेट एक्सरसाइज के दौरान नॉन-इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Non-insulin-dependent diabetes mellitus) के रोगियों में ब्लड प्रेशर एब्नार्मल था या नहीं? जिन लोगों पर यह स्टडी की गई, वो सभी नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स थे।
20 मिनट की टारगेट ड्यूरेशन के साथ 70-75 W की स्टेडी स्टेट में ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) पर व्यायाम के प्रभाव का आकलन करने के लिए साइकिल एर्गोमेट्री ( Bicycle ergometry) का उपयोग किया गया था। इसके साथ ही ब्लड प्रेशर को हर पांच मिनट में मापा जा रहा था। इस स्टडी में ऐसा पाया गया कि NIDDM वाले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स में ग्रेटर एक्सरसाइज-इंड्यूज्ड सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर अधिकतम 208.0 से 177.0 mmHg रहा। उनमें एक्सरसाइज से पहले या दौरान न तो पल्स रेट और न ही डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर में कोई अंतर था।
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NIDDM वाले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स में एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन के बारे में अधिक जानकारी (Exercise-Induced Hypertension in Normotensive Patients With NIDDM)
इस स्टडी में यह भी पाया गया कि NIDDM वाले सेडेंटरी पेशेंट्स में माइल्ड से मॉडरेट एक्सरसाइज, ग्रेटर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Systolic blood pressure) इंड्यूज करती है। हालांकि, डायबिटीज और हायपरटेंशन में एक थेराप्यूटिक मोबिलिटी (Therapeutic Mobility) के रूप में व्यायाम करने की सलाह दी जाती है, इसलिए ट्रीटमेंट के इस रूप की सेफ्टी का आकलन करने के लिए इंट्राएक्सरसाइज ब्लड प्रेशर पर विचार किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि NIDDM वाले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स में एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन (Exercise-Induced Hypertension in Normotensive Patients With NIDDM) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अब जानते हैं कि NIDDM यानी नॉन-इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Non-insulin-dependent diabetes mellitus) से पीड़ित लोगों को किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए यह जान लेते हैं।
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NIDDM वाले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स में एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन और NIDDM से पीड़ित लोग इस तरह से रखें अपना ख्याल?
NIDDM यानी टाइप 2 डायबिटीज को एक गंभीर बीमारी माना जाता है। अगर आपको डायबिटीज है चाहे वो किसी भी तरह की हो, उसके कारण आप कई कॉम्प्लीकेशन्स का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में इससे पीड़ित रोगियों को कुछ चीजों का खास ख्याल रखना चाहिए, जैसे
- रोगी को अपने ब्लड प्रेशर (Blood pressure), कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) औरब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood Glucose level) की नियमित जांच करनी चाहिए। इसके साथ ही इन्हें कैसे सही रखें, इसके लिए डॉक्टर की राय भी जरूरी है।
- इस स्थिति में अपने खानपान का ख्याल रखना भी आवश्यक है जैसे फल, सब्जियों और साबुत अनाज का सेवन करें। अपने डॉक्टर से जानें कि उन्हें क्या खाना चाहिए और किन चीजों को पूरी तरह से नजरअंदाज करना चाहिए?
- अपने वजन का ध्यान रखें। क्योंकि, वजन का सही होना बेहद आवश्यक है। अगर वजन अधिक है, तो उसे कम करने के लिए व्यायाम करें, अपने खाने-पीने का ध्यान रखें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
- स्मोकिंग से बचें और जितना अधिक हो सके एल्कोहॉल को सीमति मात्रा में लें।
- नियमित व्यायाम करें। दिन में कुछ दिन इसके लिए अवश्य निकालें। इससे आप कई हेल्थ प्रॉब्लम्स (Health problems) से बच सकते हैं।
- स्ट्रेस या तनाव से बचना भी आवश्यक है। क्योंकि, इसे ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) का एक बड़ा जोखिम माना जाता है। इसके लिए डॉक्टर भी आपको सही राय दे सकते हैं।
- डायबिटीज (Diabetes), ब्लड प्रेशर (Blood pressure) या अन्य किसी भी समस्या के जोखिम से बचने के लिए सबसे जरूरी है नियमित जांच, दवाईयों का समय पर सेवन करना और डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करना।
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यह तो थी NIDDM वाले नॉर्मोटेंसिव पेशेंट्स में एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन (Exercise-Induced Hypertension in Normotensive Patients With NIDDM) के बारे में जानकारी। ऐसा पाया गया है कि जिन लोगों को नॉन-इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Non-insulin-dependent diabetes mellitus) की समस्या है, लेकिन उनका ब्लड प्रेशर सामान्य है, उन्हें एक्सरसाइज इंड्यूज हायपरटेंशन की समस्या हो सकती है। ऐसे में इस बारे में अभी अधिक स्टडी की जानी जरूरी है। ताकि, डॉक्टर रोगी को इसके बारे में अधिक जानकारी दे सकें। अगर आपके दिमाग में इस के बारे में कोई भी सवाल है, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।
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