डायबिटीज और एंटीबायोटिक्स के बारे में तो आप जानते ही होंगे। डायबिटीज उस गंभीर स्थिति को कहा जाता है, जब प्रभावित व्यक्ति के शरीर में ब्लड ग्लूकोज बहुत अधिक बढ़ जाता है। डायबिटीज को कई जटिलताओं का कारण माना जाता है। आज डायबिटीज के पूरी दुनिया में लाखों मरीज हैं और रोजाना इसके लाखों मरीज सामने आते हैं। आज हम बात करने वाले हैं एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics) के बारे में। जानिए कि क्या एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics) का जोखिम बढ़ सकता है या नहीं? लेकिन, सबसे पहले टाइप 2 डायबिटीज के बारे में जान लेते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज क्या है? (Type 2 diabetes)
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डायजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases) के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) सबसे सामान्य तरह की डायबिटीज है। यह वो समस्या है जब हमारा ब्लड ग्लूकोज लेवल बहुत अधिक बढ़ जाता है। ब्लड ग्लूकोज एनर्जी का मुख्य सोर्स है और आमतौर पर हमें उस फ़ूड से मिलता है, जिसे हम खाते हैं। वहीं दूसरी तरफ, इंसुलिन वो हॉर्मोन है जिसे हमारे पैंक्रियाज बनाते हैं। यह सेल्स द्वारा इंसुलिन के प्रयोग में मदद करते हैं, जिसका प्रयोग ऊर्जा के रूप में किया जाता है।
टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) में हमारा शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या सही से इसका प्रयोग नहीं कर पाता। ऐसे में बहुत अधिक ग्लूकोज हमारे खून में रह जाता है और सेल्स तक पर्याप्त ग्लूकोज नहीं पहुंच पाता है ।
किसी भी उम्र में टाइप 2 डायबिटीज की समस्या हो सकती है। यहां तक की बच्चों को भी यह बीमारी हो सकती है। लेकिन, उम्र के बढ़ने पर इस परेशानी का जोखिम बढ़ जाता है। अगर इस रोग की आपकी फैमिली हिस्ट्री है, तो भी आपमें इस समस्या को होने की संभावना अधिक होती है।
इसके साथ ही सही खानपान न होना या अधिक फिजिकली इनएक्टिविटी भी इस समस्या का कारण बन सकती है। यह तो थी टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के बारे में जानकारी। एक स्टडी के मुताबिक एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics) का जोखिम बढ़ सकता है। एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics) के बारे में जानने से पहले एंटीबायोटिक्स के बारे में जान लेते हैं।
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एंटीबायोटिक्स क्या हैं? (Antibiotics)
एंटीबायोटिक्स वो दवाईयां हैं जिनकी सलाह बैक्टीरियल इंफेक्शन की स्थिति में दी जाती है। यह दवाईयां बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं या उन्हें ग्रो होने से रोकते हैं। एंटीबायोटिक्स को ओरली और टॉपीकली दोनों तरीकों से लिया जा सकता है। यही नहीं, इसे इंट्रावेनस इंजेक्शन (Intravenous Injection) के माध्यम से भी, लिया जा सकता है। गले में खराश, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन जैसे बैक्टीरियल इंफेक्शन में इनका प्रयोग किया जाता है। हालांकि, कुछ बैक्टीरियल इंफेक्शन्स में इन एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं होती है। इन स्थितियों में एंटीबायोटिक्स लेने का कोई फायदा नहीं होता बल्कि इसके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। किन स्थितियों में आपको इन एंटीबायोटिक्स का सेवन करना चाहिए इसके बारे में डॉक्टर की सलाह जरूरी है। अब जानते हैं एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics) के बारे में।
एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics)
अगर आपको भी बुखार या सिरदर्द की स्थिति में एंटीबायोटिक्स लेने की आदत है, तो सावधान हो जाएं। एक नई रिसर्च के अनुसार एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics) की समस्या बढ़ जाती है। ऐसा पाया गया है कि जिन लोगों में टाइप 2 डायबिटीज का निदान हुआ है, वो पिछले कुछ समय से एंटीबायोटिक्स का सेवन कर रहे थे। हेलेरुप में जेंटोफ्ट हॉस्पिटल (Gentofte Hospital in Hellerup, Denmark) में हुई स्टडी के ऑथर के अनुसार एक रिसर्च में उन्होंने पाया है कि टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) वाले लोग अन्य लोगों की तुलना में निदान से 15 साल पहले तक अधिक एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करते थे। हालांकि, इसके कारणों के बारे में? पता नहीं चल पाया है।
इस अध्ययन में लगभग दो लाख ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जो पिछले पंद्रह सालों से एंटीबायोटिक्स ले रहे थे। इनमें कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्हें डायबिटीज की समस्या नहीं थी। लेकिन, स्टडी के अनुसार उन लोगों में डायबिटीज का जोखिम अधिक पाया गया जो काफी समय से एंटीबायोटिक्स ले रहे थे। यह स्टडी बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि हमारे देश में यह समस्या आम होती जा रही है। इसके साथ ही इस स्टडी के बाद से हल्के जुकाम या बुखार में एंटीबायोटिक्स न लेने के लिए कहा जाता है। जैसे की इस स्टडी से इस समस्या के कारण और प्रभाव का पता नहीं चल पाया है, ऐसे में शोधकर्ताओं को ऐसा लगता है कि गट बैक्टीरिया के लेवल और डायवर्सिटी में बदलाव से एंटीबायोटिक्स और डायबिटीज रिस्क का अनुमान लगाया जा सकता है।
यही नहीं, ऐसा भी पाया गया है कि एंटी-वायरल और एंटी-फंगल मेडिकेशन्स से टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम नहीं बढ़ता है। इस स्टडी में एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics) के बढ़ने का जोखिम ही नोटिस किया गया है। कई तरह की एंटीबायोटिक्स को डायबिटीज के बढ़ते जोखिम के साथ जोड़ा गया है। लेकिन, नैरो-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स (narrow-spectrum antibiotics ) जैसे पेनिसिलिन V (Penicillin V)का टाइप २ डायबिटीज (Type 2 diabetes) के साथ गहरा लिंक पाया गया है।
यह तो थी जानकारी एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics) के जोखिम के बारे में। इस स्थिति से बचने के लिए जितना हो सके एंटीबायोटिक्स का सेवन कम करें। क्योंकि, डायबिटीज का कोई इलाज मौजूद नहीं है। हालांकि, कुछ सावधानियां बरतने से आप इस समस्या को मैनेज कर सकते हैं। जानिए इन तरीकों के बारे में।
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डायबिटीज को मैनेज कैसे करें? (Management of Diabetes)
उम्मीद है कि एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics) के बारे में आप जान गए होंगे। जैसा की पहले ही बताया गया है कि डायबिटीज चाहे टाइप 1 हो या टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) दोनों ही स्थितियों में डायबिटीज को मैनेज करना जरूरी है। इसके लिए कुछ आसान तरीके हैं। जानिए इन आसान तरीकों के बारे में:
हेल्दी खाएं (Eat healthy)
डायबिटीज होने पर अपने खाने-पीने का खास ध्यान रखना चाहिए। इस स्थिति में आपको अधिक फल, सब्जियां और साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही अधिक फैट और शुगर को अपने आहार में शामिल न करें। यही नहीं, इस स्थिति में कार्बोहायड्रेट का सेवन करने से भी बचें। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर या डायटीशियन की सलाह ली जा सकती है।
व्यायाम (Exercise)
अगर आप अधिक एक्टिव नहीं रहते हैं तो सावधान हो जाएं। क्योंकि, हर व्यक्ति के लिए फिजिकल एक्टिविटीज बेहद जरूरी है। रोजाना दिन में कम से कम तीस मिनट व्यायाम करने के लिए निकालें। एक एक्टिव लाइफस्टाइल से आपको डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। इससे आपका वजन भी कम रहेगा और आपको स्ट्रेस से भी छुटकारा मिलता है।
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चेकअप कराएं (Get checkups)
एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics) के बारे में यह जानकारी आपके बेहद काम आएगी। इसके साथ ही अगर आपको डायबिटीज की समस्या है या आपको यह समस्या होने का जोखिम है, तो साल में कम से कम दो बार चेक-अप अवश्य कराएं। इसके साथ ही कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और A1C की भी बार-बार जांच कराएं। नियमित डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
स्ट्रेस को मैनेज करें (Manage stress)
जब हम स्ट्रेस्ड होते हैं तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। यानी, जब आप स्ट्रेस्ड है तो उस समय आपको अपनी डायबिटीज को अच्छे से मैनेज करना चाहिए। इसके लिए योगा और मेडिटेशन करें। इसके साथ ही खुश और सकारात्मक रहें। अगर आपको यह समस्या अधिक हो तो डॉक्टर की सलाह लें।
स्मोकिंग और एल्कोहॉल के सेवन से बचें (Avoid smoking and alcohol)
डायबिटीज के कारण हार्ट डिजीज, आई डिजीज, किडनी डिजीज, स्ट्रोल, नर्व डैमेज, फुट डैमेज आदि परेशानियां हो सकती है। लेकिन स्मोकिंग और एल्कोहॉल के सेवन से यह बीमारी बढ़ सकती है। ऐसे में स्मोकिंग करने से बचें। अगर आपको एल्कोहॉल का सेवन करते हैं, तो इसकी मात्रा भी सीमित कर दें। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर की सलाह लें।
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यह तो थी एंटीबायोटिक्स के कारण टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes due to Antibiotics) की संभावनाओं के बारे में जानकारी। छोटी-छोटी समस्याओं में एंटीबायोटिक्स को लेने से पहले सचेत हो जाएं। डॉक्टर की सलाह के बिना इन्हें लेने से भी बचें। इसके साथ ही हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना भी जरूरी है। अगर आपके मन में इस बारे में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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