सेतुबंधासन (Setu Bandhasana) एक ऐसा आसन है, जिसमें शरीर को “U’ की आकृति में मोड़ना पड़ता है। इसमें शरीर एक पुल यानी ब्रिज की तरह लगता है। इसी कारण इस आसन का नाम सेतुबंधासन है। संस्कृत में सेतु का अर्थ होता है ‘पुल’, बांध का अर्थ होता है ‘बांधना’ और आसन का अर्थ है ‘पुजिशन’। यह आसन पीठ के निचले हिस्से में दर्द और टखने, कूल्हे, पीठ, जांघों और कंधे की अकड़ को दूर करने में के लिए प्रभावी है। सेतुबंधासन को खाली पेट करना चाहिए। इसके साथ ही इसे सुबह के समय करना लाभदायक होता है। अगर आप इसे शाम को करने वाले हैं, तो ध्यान रहे कि इसे खाना खाने से 5 या 6 घंटे पहले करें। जानिए सेतुबंधासन को कैसे किया जाता है और क्या हैं इसके फायदे।
सेतुबंधासन (Bridge Pose) करने का तरीका क्या है?
इस प्रकार से करें सेतुबंधासन:-
- सेतुबंधासन को करने के लिए सबसे पहले किसी शांत जगह पर मैट या दरी बिछा लें।
- अब इस मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
- अब अपने घुटनों को मोड़ें और अपने पैरों को जमीन पर एक दूसरे से कुछ दूरी पर रखें। यानी आपके पैर आपके पेल्विस (श्रोणि) से 10 से 12 इंच की दूरी पर रखें। लेकिन घुटनों और टखनों के साथ यह एक सीधी रेखा में होनी चाहिए।
- अपनी बाजुओं को अपने शरीर के पास रखें और आपकी हथेलियां नीचे की ओर होनी चाहिए।
- अब सांस को अंदर की ओर खींचे और अपनी कमर के निचले, बीच वाले और ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे ऊपर उठायें। अपने कंधों को इस दौरान आराम से मोड़ें। ठोड़ी को नीचे लाए बिना छाती को ठोड़ी से स्पर्श करें।
- अपने शरीर के वजन को कंधों, बाजुओं और पैरों के सहारे संतुलित करें। अपने कूल्हों और शरीर को इस पोज में लाने की कोशिश करें। आपकी दोनों जांघें एक-दूसरे के और जमीन के समानांतर होनी चाहिए।
- यदि आप चाहें और करने में सक्षम हों, तो आप उंगलियों को आपस में पकड़ सकते हैं और धड़ को थोड़ा और ऊपर उठाने के लिए हाथों से फर्श का सहारा ले सकते हैं या आप अपनी हथेलियों से अपनी पीठ को सहारा दे सकते हैं।
- इस दौरान आराम से सांस लेते रहें।
- इस स्थिति में कुछ देर रहें और जब इस पुजिशन से नॉर्मल पूजिशन में आने बाद ब्रीदआउट करें।
- फिर से सेतुबंधासन को दोहराएं।
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सेतुबंधासन को करने के टिप्स
- अगर आप पहली बार इस आसान को कर रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि आप खुद अधिक स्ट्रेच ना करें क्योंकि इससे आपकी गर्दन को नुकसान हो सकता है।
- यह भी सुनिश्चित करें कि जब आप पुल की मुद्रा में हों, तो आपके कुल्हें दृढ़ हों।
- जब आप इस मुद्रा को लेकर जागरूक नहीं होंगे, तो सेतुबंधासन को करने का आपका उद्देश्य व्यर्थ हो सकता है क्योंकि इससे पीठ के निचले हिस्से या पीठ में कोई खिंचाव नहीं होगा।
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सेतुबंधासन को करने के फायदे
सेतुबंधासन करने के कई फायदे हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
पाचन शक्ति को बढ़ाएं
सेतुबंधासन पाचन शक्ति को बढ़ाने में मददगार है। जिससे पेट संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज, गैस, अपच आदि से छुटकारा मिल सकता है। यानी पेट के लिए यह योगासन बेहद लाभदायक है।
तनाव से मुक्ति
योग शारीरिक और मानसिक दोनों समस्याओं को दूर करने में प्रभावी है। वैसे ही यह योगासन भी तनाव, डिप्रेशन और चिंता आदि से छुटकारा दिलाने में सहायक है। इसे करने से मन शांत होता है और दिमाग में सकारात्मक विचार आते हैं।
पीठ की मांसपेशियां होती हैं मजबूत
पीठ के लिए भी यह आसन बेहद लाभदायक है। इसे करने से छाती, गर्दन, रीढ़ की हड्डी और कूल्हे सभी स्ट्रेच होते हैं। जिससे पीठ, हैमस्ट्रिंग आदि की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
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रक्तचाप रहे संतुलित
सेतुबंधासन को करने से ब्लड सर्क्युलेशन बेहतर होता है। जिससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से राहत मिलती है। इसके साथ ही अस्थमा के रोगियों के लिए भी यह योगासन फायदेमंद है।
बढ़ती है बॉडी की फ्लैक्सीबिलिटी
शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने और बॉडी को एक्टिव रखने के लिए यह आसान प्रभावी है। इस आसन को करने से फेफड़े पूरी तरह से खुल जाते हैं, जिससे थायरॉइड की समस्या से भी छुटकारा मिलता है। इसलिए अगर आपको थायरॉइड की समस्या है, तो सेतुबंधासन नियमित करने की आदत डालें।
महिलाओं के लिए लाभदायक है सेतुबंधासन
रजोनिवृत्ति (Menopause) और मासिक धर्म (Menstrual cycle) के दौरान होने वाले दर्द के लक्षणों से राहत दिलाने में सहायक है। महिलाओं के लिए भी यह आसन करना बेहद फायदेमंद है। पीरियड्स से जुड़ी किसी भी परेशानी से अगर आप परेशान हैं, तो सेतुबंधासन करें और उन दिनों में होने वाली परेशानियों से निजात पाएं।
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दर्द से छुटकारा
अगर आपको पीठ दर्द या सिरदर्द की समस्या रहती है, तो सेतुबंधासन करने से आपको लाभ हो सकता है क्योंकि सिरदर्द और पीठ दर्द को कम करने में यह योगासन मददगार है।
पेट की चर्बी करें कम
शरीर का एक्स्ट्रा बढ़ा हुआ वजन आपकी स्मार्टनेस को बिगाड़ सकता है। अब चाहे ये एक्स्ट्रा वेट पूरे शरीर का हो या पेट की चर्बी ही क्यों ना हो। अपनी इन परेशानियों से बचने के लिए सेतुबंधासन रोजाना करें और पेट की की चर्बी के साथ-साथ वजन को भी संतुलित रखें।
“स्पोर्टस पोषण विशेषज्ञ (Nutritionist) और फिटनेस कोच परमिता सिंह के अनुसार सेतुबंधासन कायाकल्प करने वाले आसनों में से एक है, जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसे करने से रीढ़ की हड्डी और पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव आता है। इसलिए यह योगासन गर्दन और पीठ के दर्द के लिए बेहद फायदेमंद है। सेतुबंधासन से थायरॉइड रोगियों के लिए कई चिकित्सीय फायदे हैं क्योंकि यह थायरॉइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है। महिलाओं के लिए यह आसन विशेष रूप से उपयोगी है क्योंकि यह मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन और दर्द को कम करने में मदद करता है।”
सेतुबंधासन को करते हुए बरते कुछ सावधानियां-
- इस बात का ध्यान रखें कि इस आसन को खाली पेट ही करें।
- अगर आपकी पीठ में चोट लगी है, तो इस आसन को करने से बचे।
- अगर आप सेतुबंधासन कर रहे हैं, तो अपने सिर और दाएं या बाएं ओर ना घुमाएं।
- अगर आपके घुटनों में दर्द रहता है, तो इस योगासन को करते हुए सावधानी बरतें।
- अगर आप पहली बार सेतुबंधासन को कर रहे हैं, तो इसे करते हुए आपके लिए मार्गदर्शन लेना आवश्यक है।
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सेतुबंधासन कब नहीं करना चाहिए?
इन स्थितियों में इस आसन को नहीं करें:
- जिन लोगों की गर्दन में चोट लगी हों, उन्हें इस आसन को नहीं करना चाहिए या फिर इसे करने से पहले डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ की सलाह लें।
- गर्भवती महिलाएं इस आसन को कर सकती हैं, लेकिन यह उनके लिए कितना सुरक्षित है, इसकी जानकारी डॉक्टर से जरूर लेनी चाहिए। अगर आप गर्भवती हैं और इस आसन को कर रही हैं, तो आपको योगा एक्सपर्ट से भी अवश्य समझना चाहिए।
- पीठ में दर्द होने की स्थिति में भी इस आसन को नहीं करें।
- गंभीर माइग्रेन वाले लोगों को सेतुबंधासन करने से बचना चाहिए।
- जिनको पेट से जुड़ी परेशानी रहती है या अगर आपको आंत संबंधी समस्या है, तो ऐसी स्थिति में आप इस आसन को ना करें क्योंकि इस आसन को करने से पेट और आंत पर दबाव पड़ता है।
- सर्वाइकल स्पाइन की समस्या, हाइपरएक्टिव थायरॉइड, हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति में इस आसन को करते हुए अपने सिर को पीछे की तरफ ना करें।
सेतुबंधासन करने से पहले कौन-कौन से योगा आसन किये जा सकते हैं?
सेतुबंधासन के पहले किये जाने वाले योगासन इस प्रकार हैं:
1. बालासन
बालासन को चाइल्ड पोज (Child’s Pose) भी कहा जाता है। इस आसन को अगर गौर से देखें, तो गर्भ में शिशु जिस अवस्था में रहता है। इस आसन से स्ट्रेस एवं एंजाइटी जैसी अन्य परेशानियों से राहत मिलती है और आप रिलैक्स महसूस कर सकते हैं।
2. गरुड़ासन
गरुड़ासन (Garudasana) को ईगल पोज (Eagle Pose) भी कहते हैं। इस योगासन को नियमित करने से लिवर से संबंधित परेशानियों से निजात पाया जा सकता है। योगा एक्सपर्ट्स के अनुसार गरुड़ासन से गुप्त रोग की समस्या का भी समाधान संभव होता है।
3. मार्जरी आसन
मार्जरी आसन को कैट पोज (Cat pose) भी कहा जाता है। इस योगासन से बॉडी अच्छी तरह से आप स्ट्रेच कर पाते हैं। इस आसन को नियमित करने से रीढ़ और पीठ की मांसपेशियां फ्लैक्सीबिल होती हैं। यही नहीं इस आसन से आप अपनी बॉडी को आगे और पीछे की ओर बैंड भी आसानी से कर पाते हैं।
4. भुजंगासन
भुजंगासन (Bhujangasana) को सर्पासन, कोबरा आसन एवं सर्प मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। लोअर ऐब्डोमन की मसल्स स्ट्रॉन्ग होती हैं। इस आसन को नियमित करने से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या से भी निजात मिल सकता है।
इन ऊपर बताये 4 आसनों को सेतुबंधासन के पहले करने से सेतुबंधासन का विशेष लाभ मिलता है।
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सेतुबंधासन करने के बाद कौन-कौन से आसन किये जा सकते हैं?
सेतुबंधासन के बाद किये जाने वाले योगासन इस प्रकार हैं:
1. सर्वांगासन
सर्वांगासन (Sarvangasana) करने से हाथ और कंधे, मिडिल बैक, अपर बैक, लोअर बैक, एब्स एवं गर्दन को स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद मिलती है।
2. ऊर्ध्व मुख श्वानासन
ऊर्ध्व मुख श्वानासन के दौरान बॉडी पॉश्चर खासकर पीठ को पीछे की ओर झुकाया जाता है। इस आसन से बाहों, कलाई और रीढ़ की हड्डियों को मजबूत बनाया जा सकता है।
3. ऊर्ध्व धनुरासन
ऊर्ध्व धनुरासन को चक्रासन योग भी कहते हैं। इस आसन को नियमित करने से इनफर्टिलिटी, अस्थमा एवं ऑस्टियोपोरोसिस जैसी परेशानियों को दूर किया जा सकता है।
इन ऊपर बताये तीनों योगासन को सेतुबंधासन के बाद किया जा सकता है। किसी भी योगासन के नियम को पहले समझना जरूरी होता है। ठीक तरह से समझकर योग करने से विशेष लाभ मिलता है। किसी भी योगासन को करने से पहले डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है। अन्यथा आपको योग के लाभ नहीं बल्कि नुकसान हो सकते हैं।
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