जानें, सामान्य बातें
मल्टीपल स्क्लेरोसिस सेंट्रल नर्वस सिस्टम की एक बीमारी है जो मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और ऑप्टिक तंत्रिका (optic nerve) को प्रभावित करती है। न्यूरॉन्स, नर्वस सिस्टम की संरचनाएं हैं, जो हमें सोचने, देखने, सुनने, बोलने, महसूस करने और आदि की अनुमति देते हैं। प्रत्येक न्यूरॉन एक सेल बॉडी और एक एक्सोन (सेल बॉडी का विस्तार-क्षेत्र, जो संदेशों को आगे ले जाने का काम करता है) से बना होता है।
ज्यादातर एक्सोन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में माइलिन नामक एक रोधक पदार्थ में रहते हैं। दरअसल, माइलिन नसों के साथ संकेतों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में मदद करता है।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) आजीवन चलने वाली एक ऐसी बीमारी है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में तंत्रिका कोशिकाओं को प्रभावित करती है। एमएस में, माइलिन को नुकसान पहुंचता है, जिससे तंत्रिका प्रभावित होती है। इससे पीड़ित लोगों में बीमारी का केवल एक लक्षण, कुछ लक्षण या गंभीर विकलांगता जैसे कई संकेत दिखाई दे सकते हैं। जैसे की क्षतिग्रस्त तंत्रिका (घाव या निशान), जिसका एमआरआई (Magnetic resonance imaging) के द्वारा पता लगाया जा सकता है।
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मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis) कितनी सामान्य बीमारी है?
मल्टीपल स्क्लेरोसिस एक आम बीमारी है। आमतौर पर यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है। यह बीमारी 15 से 60 वर्ष की आयु के लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है। इस बीमारी के जोखिम कारकों को कम करके इस समस्या से बचा जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से सलाह लें।
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मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस के प्रकार
मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस के प्रकार में शामिल हैं –
क्लिनिकली आइसोलेटेड सिंड्रोम (सीआईएस)
क्लिनिकली आइसोलेटेड सिंड्रोम मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस से पहले होने वाली स्थिति होती है जिसमें 24 घंटे में एक बार मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस के लक्षणों का अटैक पड़ता है। यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम में होने वाली डीमाइलीनेशन के कारण होता है।
भले ही यह लक्षण मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस का संकेत देता हो लेकिन फिर भी इसे परीक्षण करने के लिए पर्याप्त नहीं माना जाता है।
यदि आपकी स्पाइनल कॉर्ड के तरल पदार्थ में स्पाइनल टैप के दौरान एक से अधिक घाव या ओलिगोक्लोनल बैंड्स (ओसीबी) मिलते हैं तो आपको रिलेप्सिंग-रेमिटिंग मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस परीक्षण करवाने की जरूरत हो सकती है।
हालांकि, अगर आपके स्पाइनल फ्लूइड में कोई घाव नहीं होते हैं व ओसीबी के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं तो आपको मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस के परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है।
रिलेप्सिंग-रेमिटिंग मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस
रिलेप्सिंग-रेमिटिंग मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस (आरआरएमएस) का सीधा मतलब होता है कि रोग बार-बार वापिस आता रहता है। रेमिशन के दौरान लक्षण हल्के और लगभग गायब होते हैं और रोग के बढ़ने के कोई निशान नहीं दिखाई देते।
आरआरएमएस मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस के सबसे सामान्य फॉर्म है और लगभग 85 प्रतिशत मामलें इसी के होते हैं।
प्राइमरी प्रोग्रेसिव मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस (पीपीएमएस)
अगर आपको प्राइमरी प्रोग्रेसिव मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस है तो आपके न्यूरोलॉजिकल फंक्शन के खराब होने के लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देने लगते हैं।
हालंकि, कुछ समय के लिए स्थिरता आ सकती है लेकिन स्थिति के बढ़ने और मस्तिष्क में घाव बनने को एक्टिव और नॉट-एक्टिव के रूप में निर्धारित किया जाता है।
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सेकेंडरी प्रोग्रेसिव मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस (एसपीएमएस)
सेकेंडरी प्रोग्रेसिव मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस तब होता है जब आरआरएमएस प्रोग्रेसिव फॉर्म में परिवर्तित हो जाता है। आपको इस स्थिति में कई ध्यान देने योग्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे की ब्रेन फंक्शन का खराब होना या विकलांगता।
आपके मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस का प्रकार बड़ या विकसित हो सकता है। जैसे की आरआरएमएस से एसपीएमएस में परिवर्तित होना।
लेकिन एक समय पर आपको केवल एक ही प्रकार के मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस की समस्या हो सकती है और वह आगे जाके अन्य प्रकार का रूप ले सकती है। परिवर्तित प्रकार से प्रोग्रेसिव फॉर्म अधिक तीव्र और गंभीर होती है।
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मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस की जीवन प्रत्याशा दर
मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस से ग्रसित रोगियों की जीवन प्रत्याशा दर 7.5 वर्ष या उससे कम की होती है। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस के मरीजों में अब यह दर बढ़ने लगी है। किसी भी मरीज में मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस की प्रगति का अंदाजा लगाना नामुमकिन होता है।
मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस का पता लगने के बाद भी 10 से 15 प्रतिशत मामलों में अटैक बेहद कम ही आते हैं और 10 साल तक कोई विकलांगता नहीं होती है। इस स्थिति में किसी प्रकार के इंजेक्शन या इलाज की मदद नहीं ली जाती है। इस चरण को सौम्य मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस भी कहा जाता है।
इलाज के बेहतर होने के साथ-साथ स्टडी की माने तो परिणाम भी पहले के मुकाबले बेहतर होने लगे हैं। नए इलाज और तकनीक की मदद से मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस को बढ़ने से रोका जा सकता है व इसका इलाज भी बेहतर परिणामो के साथ अब मुमकिन हो चूका है।
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मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस के प्रकार की जीवन दर
पीएमएस, आरआरएमएस के मुकाबले अधिक तेजी से बढ़ता है। आरआरएमएस से ग्रसित लोग कई वर्षों तक रेमिशन की प्रकिया में रहते हैं। 5 वर्ष के बाद विकलांगता न होना एक अच्छा संकेत होता है।
उम्र और जेंडर
यह रोग पुरुषों और अधिक उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है और उनमें इसकी स्थिति अधिक तीव्र भी पाई जाती है। इस रोग के यही लक्षण और रिलैप्स के ज्यादा रेट अफ़्रीकी अमेरिकी लोगों में भी देखे गए हैं।
मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस के साथ आपके जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव लक्षणों और आप पर इलाज की प्रक्रिया किस प्रकार असर दिखाती है इस बात पर निर्भर करते हैं।
यह रोग बेहद ही कम मामलों में जानलेवा होता है लेकिन बिना किसी संकेत के यह बीमारी पूरी तरह से अपनी कार्यप्रणाली को परिवर्तित कर सकती है।
मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस से ग्रसित लोग पूरी तरह से विकलांग नहीं होते हैं और अपना जीवन जी सकते हैं।
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लक्षणों को जानें
मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis) के लक्षण क्या हैं?
इलाज के दौरान बीमारी के लक्षणों में सुधार हो सकता है। मल्टीपल स्क्लेरोसिस के लक्षणों में शामिल हैं –
- कम दिखाई देना
- कुछ भी सोचने में समस्या आना
- समन्वय की कमी
- शरीर के हिस्सों का सुन्न होना या झनझनाहट महसूस होना
- हाथ या पैर में कमजोरी
- मूत्राशय की समस्याएं
हो सकता है ऊपर दिए गए लक्षणों में कुछ लक्षण शामिल न हो। अगर आपको किसी भी लक्षण के बारे में कोई चिंता है, तो कृपया डॉक्टर से परामर्श करें।
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कब लें डॉक्टर की मदद?
अगर आपको ऊपर बताया गया कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें। हर किसी का शरीर अलग तरीके से कार्य करता है इसलिए अपने डॉक्टर से सलाह लेना सबसे अच्छा होता है।
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कारणों को जानें
मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis) के क्या कारण होते हैं?
ज्यादातर मामलों में स्क्लेरोसिस संक्रमण या शरीर के किसी अन्य भाग में चोट लगने के कारण होता है। यदि आपको मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस है तो आपके माइलिन के आसपास के फाइबर की प्रोटेक्टिव लेयर की नसे क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
ऐसा माना जाता है कि यह डैमेज इम्यून सिस्टम पर होने वाले अटैक के कारण होता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसके पीछे कोई एनवायर्नमेंटल ट्रिगर हो सकता है जैसे कि वायरस या विषाक्त पदार्थ, जो कि इम्यून सिस्टम पर अटैक करते हैं।
आपके इम्यून सिस्टम के माइलिन पर हमला करने से सूजन होने लगती है। इसके कारण ऊतकों को क्षति पहुंचती है या घाव बनने लगते हैं। सूजन और क्षतिग्रस्त घाव के कारण मस्तिष्क और शरीर के अंगों के बीच की तरंगो में खराबी आने लगती है।
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मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस के मुख्य कारणों में शामिल हैं –
- पेट का अल्सर
- अपेंडिक्स का फटना
- पाचन विकार जैसे क्रोहन रोग या डायवर्टिकुलाइटिस
पेरिटोनियम के अंदर विकसित होने वाला संक्रमण आम नहीं है और इसके दो कारण हो सकते हैं –
- लिवर सिरोसिस
- पेरिटोनियल डायलिसिस
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मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis) के जोखिम कारक
यह जोखिम मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं –
- अनुवांशिकता – यदि आपके माता-पिता या भाई-बहन में से किसी को मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस हो चूका है तो आपको भी इसके होने का खतरा हो सकता है।
- विशेष प्रकार के संक्रमण – कई प्रकार के संक्रमणों के कारण मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ जाता है जैसे कि एप्सटीन-बार, यह वायरस मोनोन्यूक्लिओसिस को संक्रमित करता है।
- मनुष्य प्रजाति – गोरे लोगों में मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस होने का जोखिम ज्यादा रहता है, खासतौर से उत्तरी यूरोपियन के रहने वाले लोगों में। इसके अलावा एशियाई लोगों में इसका जोखिम सबसे कम होता है।
- क्लाइमेट (जलवायु) – मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस ज्यादातर टेम्प्रेचर क्लाइमेट (यानि वह देश जहां गर्मी, सर्दी, बरसात और सावन सभी कम से ज्यादा तीव्रता के साथ होते हैं) वाले देशों जैसे कनाडा, उत्तरी अमेरिका, न्यूजीलैंड, दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में इसके मामले अधिक पाए जाते हैं।
- विटामिन डी – विटामिन डी की कमी और सूरज की किरणों के संपर्क में कम आने से भी मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
- विशेष प्रकार की ऑटोइम्यून डिजीज – अगर आपको अन्य प्रकार की ऑटोइम्यून डिजीज है, जैसे कि थाइरोइड, एनीमिया, सोरायसिस, टाइप 1 डायबिटीज या इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज तो आपको मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस होने का खतरा हो सकता है।
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मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस का परीक्षण
आपके डॉक्टर मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस का पता लगाने के लिए न्यूरोलॉजिकल परीक्षण की मदद लें सकते हैं। इसमें क्लीनिकल हिस्ट्री और कई टेस्ट मौजूद होते हैं जिनकी मदद से मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस का पता लगाया जाता है।
मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस के परीक्षण में शामिल हैं –
मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) स्कैन – एमआरआई के साथ कंट्रास्ट डाई के इस्तेमाल से डॉक्टर आपके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में हुए घाव के बारे में पता लगा सकते हैं।
ऑप्टिकल कोहेरेन्स टोमोग्राफी (ओसीटी) – इस टेस्ट की मदद से आंख के पीछे की तंत्रिकाओं की पूरी लेयर की तस्वीर तैयार की जाती है जिससे ऑप्टिक नर्व के पतले होने के बारे में पता लगाया जा सकता है।
स्पाइनल टैप – आपके डॉक्टर स्पाइनल के तरल पदार्थ में मौजूद असमानताओं का पता लगाने के लिए आपको स्पाइनल टैप टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट की मदद से संक्रमित रोग का पता लगया जाता है और ओलिगोक्लोनल बैंड्स को देखा जाता है जो की मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस का शुरुआती लक्षण होता है।
ब्लड टेस्ट – डॉक्टर सामान्य लक्षणों की पहचान करने के लिए अन्य बिमारियों का पता लगाने की कोशिश करते हैं। जिसके लिए वह आपको ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
विज़ुअल ईवोक्ड पोटेंशियल (वीईपी) टेस्ट – इस टेस्ट की मदद से मस्तिष्क में होने वाली तंत्रिका संबंधी गतिविधियों का पता लगाया जाता है।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस का परीक्षण तब करवाया जाता है जब रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क या ऑप्टिक नर्व में एक से अधिक जगहों पर माइलिन में आई खराबी के लक्षण दिखाई देते हैं।
एक परीक्षण में अन्य समस्याओं का भी पता लगाने की जरूरत होती है जिनके लक्षण एक समान होते हैं। जैसे की लिम्प डिजीज, ल्यूपस और जोगरेन सिंड्रोम।
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मल्टीपल स्क्लेरोसिस का उपचार क्या है?
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर आपको एक न्यूरोलॉजिस्ट एक्सपर्ट (तंत्रिका तंत्र रोग विशेषज्ञ) को दिखाने की सलाह देंगे। बीमारी का पता लगाने के लिए एमआरआई (MRI), स्पाइनल टैप या इवोक पोटेंशियल परीक्षण किए जा सकते हैं।
एमआरआई के द्वारा माइलिन में आई सूजन या प्रभावित माइलिन का पता लगाया जाता है। वहीं, स्पाइनल टैप टेस्ट में डॉक्टर बीमारी का पता लगाने के लिए रीढ़ की हड्डी से तरल पदार्थ का एक नमूना लेते हैं और उसके बाद उसे लैब भेज दिया जाता है।
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मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis) का इलाज कैसे किया जाता है?
एमएस को ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करके इस रोग को बढ़ने से रोका जरूर जा सकता है। उपचार के अंतर्गत बीमारी और जटिलताओं (जैसे थकान, दर्द, सोचने की समस्या और मूत्राशय की समस्याओं) का इलाज किया जा सकता है।
बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाएं मुख्य रूप से उपचार के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। इसके अलावा इंटरफेरॉन और ग्लैटीरामर जैसी दवाएं बढ़ती बीमारी की रोकथाम के लिए दी जाती हैं।
बीमारी की गंभीर स्थिति के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में अमैंटाडिन, बैक्लोफेन, गैबापेंटिन, ऑक्सीब्यूटिनिन, प्रोपेंथलाइन, स्टूल सॉफ्टेनर्स, साइलियम, फाइबर, नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लमेटरी ड्रग्स (एनएसआईडी) और एसिटामिनोफेन शामिल का उपयोग किया जाता है।
सामान्य वजन, स्वस्थ जीवनशैली, पर्याप्त आराम और नियमित व्यायाम के द्वारा इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।
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जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार
मल्टीपल स्क्लेरोसिस बीमारी से निपटने के लिए जीवनशैली में क्या बदलाव या घरेलू उपचार करने चाहिए?
नीचे बताई गई जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको मल्टीपल स्क्लेरोसिस से निपटने में मदद कर सकते हैं –
- खूब आराम करें
- व्यायाम करें- नियमित व्यायाम मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने और संतुलन बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। स्विमिंग भी एक बेहतर विकल्प माना जाता है। इसके अलावा, पैदल चलना, स्ट्रेचिंग, हल्के एरोबिक्स और योग भी इसमें शामिल किए जा सकते हैं।
- शरीर का तापमान ठंडा रखें- शरीर का तापमान बढ़ने पर मल्टीपल स्क्लेरोसिस के लक्षण अक्सर और उभर जाते हैं। इसलिए, गर्मी के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
- संतुलित आहार खाएं- कुछ स्टडीज के अनुसार, कम सैच्युरेटेड फैट और अधिक ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे आहार का सेवन फायदेमंद हो सकता है, जैसे जैतून और मछली का तेल। शोध में यह भी बताया गया कि विटामिन-डी का सेवन भी बीमार व्यक्ति को संभावित लाभ पहुंचाता है।
- तनाव से छुटकारा – तनाव आपकी बीमारी के लक्षणों को खराब कर सकता है। योग, मसाज, ध्यान और डीप ब्रीदिंग से इसे कम करने की कोशिश करें।
- मेडिएटर्स ऑफ इंफ्लामेशन के मुताबिक मशरूम का सेवन करने से जहां एक तरफ मल्टीपल स्क्लेरोसिस से राहत मिलती है, वहीं दूसरी तरफ कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचाव हो पाता है।
- पालक, ब्रॉकली, पत्तागोभी, सरसों का साग, सलाद पत्ता आदि का सेवन करें। हरी पत्तियों का सेवन करने से मल्टीपल स्क्लेरोसिस में आराम मिलता है। हरी पत्तियों में विटामिन और मिनरल पाया जाता है।
- सब्जियों की जड़ें, जैसे चुकंदर, शलजम, गाजर, मूली आदि खाने से मल्टीपल स्क्लेरोसिस में राहत मिलती है क्योंकि, इनमें विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्निशीयम, जिंक, आयरन आदि जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।
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मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस की जटिलताएं
मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस से ग्रसित लोगों में निम्न बिमारियों के विकसित होने का भी खतरा बना रहता है –
- मूत्राशय, मल त्याग और संभोग संबंधी समस्याएं
- एपिलेप्सी
- दिमागी पागलपन जैसे की भूलने की बीमारी या मूड में बदलाव
- मांसपेशियों में अकड़न या मोच
- पैरालिसिस, आमतौर पर पैरों में
- अवसाद
हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में मल्टीपल स्क्लेरोसिस से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। अगर आपको मल्टीपल स्क्लेरोसिस के ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो इसकी जानकारी अपने डॉक्टर को दें।
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