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जानें ऑटोइम्यून बीमारी क्या है और इससे होने वाली 7 खतरनाक लाइलाज बीमारियां

जानें ऑटोइम्यून बीमारी क्या है और इससे होने वाली 7 खतरनाक लाइलाज बीमारियां

“आप बीमार हैं, आपकी रक्षा करने वाला तंत्र (Immune system) आपके सेहत में ही सेंध लगा रहा है।” अगर आपको ऐसा बोला जाएं तो शायद आप हैरान हो जाएंगे। जाहिर सी बात है जिस पहरेदार को शरीर ने अपनी रक्षा के लिए तैनात किया है, वही उसे बीमार करने लगे तो खतरे वाली बात हैं। इसे ऑटोइम्यून बीमारी (Autoimmune Disease) कहते हैं। दुनिया में कुछ ऐसी ऑटोइम्यून बीमारी हैं जिनका कोई इलाज नहीं है। आज वैज्ञानिक, डॉक्टर्स और बायोटेक्नोलॉजी उन बीमारियों का इलाज ढूंढ रहे हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही ऑटोइम्यून बीमारी के बारे में।

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1- ग्रेव्स डिजीज (Grave’s disease)

ग्रेव्स डिजीज

ग्रेव्स डिजीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है। जिसमें थायरॉइड ग्लैंड में सूजन आ जाती है। जिसके कारण हॉर्मोन असंतुलित हो जाते हैं। ग्रेव्स डिजीज तब होता है जब थायरॉइड हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में स्रावित होने लगता है। जो झटके, त्वचा पर लालपन और अनियमित हार्टरेट का कारण बनता है। 

अभी तक ग्रेव्स डिजीज का इलाज थायरॉइड ग्रंथि को सर्जरी के द्वारा निकाल कर किया जाता है। जिसके बाद पूरी जिंदगी हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरिपी लेने की जरूरत पड़ती है। हालांकि, सिंथेटिक थायरॉक्सिन हाइपोथायरॉइडिजम को प्रेरित कर सकता है। ये एक ऐसी अवस्था है, जिसमें थायरॉइड ग्रंथि सक्रिय नहीं रहती है। इस कारण से ग्रेव्स डिजीज का स्थाई इलाज अभी भी ढूंढा जा रहा है। हाल ही में ब्रिटिश-बेल्जियन बायोटेक एपिटोप ने शरीर में एक ऐसे प्रोटीन को ढूंढा है जो ग्रेव्स डिजीज का इलाज करने में कुछ हद तक मददगार हो सकता है।

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2- सोरायसिस (psoriasis)

सोरायसिस के प्रकार - Types of Psoriasis

सोरियासिस एक गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी है। जो एक त्वचा संबंधी समस्या है। सोरियासिस अक्सर कॉस्मेटिक डैमेज या रिएक्शन के कारण होता है। सोरियासिस से पीड़ित व्यक्ति को त्वचा में जलन के साथ त्वचा पर अलग तरह के ही चकत्ते और सूजन आदि दिखाई देने लगते हैं। जो आगे चल कर घातक भी साबित हो सकते हैं। सोरियासिस किसी एक संक्रमित मरीज से दूसरे मरीज को नहीं होगा, लेकिन ये संभव है कि ये एक से ज्यादा रूप में आपको प्रभावित करे। हालांकि सोरियासिस इलाज अब कुछ हद तक संभव है। लेकिन एलोपैथी में नहीं, बल्कि होमियोपैथी में सोरायसिस का इलाज है। वैज्ञानिक भी उस प्रोटीन को ढूंढने में सफल हो गए हैं, जिसके कारण सोरियासिस होता है। 

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3- यूवाइटिस (Uveitis)

यूवाइटिस

यूवाइटिस आंखों में जलन संबंधी ऑटोइम्यून बीमारी है। जिसमें आंखों के पिगमेंटेड लेयर, जिसे यूविया कहते हैं, उसमें लालपन के साथ जलन होती है। यूवाइटिस में आंखों में संक्रमण और दर्द भी होता है। जिसके लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड का बना आई ड्रॉप दिया जाता है। जिससे कुछ हद तक राहत हो जाती है। वहीं, वैज्ञानिकों ने यूवाइटिस होने का कारण पता लगा लिया है। जिसके लिए एक नई एंटीबायोटिक भी बनाई जा रही है। जिसके बाद यूवाइटिस का इलाज पूरी तरह से संभव हो सकेगा। इसके अलावा यूवाइटिस को ठीक करने के लिए बायोटेकसेल थेरिपी का इस्तेमाल भी करती है। ऑटोइम्यून डिजीज यूवाइटिस के लिए टी-सेल्स आधारित थेरिपी की जाती है। 

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4- एडिसंस डिजीज (Addison’s disease)

एडिसंस डिजीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है। जो एंडोक्राइन सिस्टम के कारण होती है। एंडोक्राइन सिस्टम से स्रावित होने वाले हॉर्मोन अनियमित हो जाते हैं। एडिसंस 21-हाइड्रोलेज एंजाइम के कारण होता है, जो किडनी के ऊपर पाई जाने वाली एड्रिनल ग्रंथि पर अटैक करता है। एड्रिनल ग्रंथि से कॉर्टिसॉल और एड्रिनालिन स्रावित होता है, जो अनियमित हो जाता है। जिससे कमजोरी, दर्द, लो ब्लड प्रेशर और त्वचा पर हाइपरपिमेंटेशन हो जाता है। 

एडिसंस डिजीज का इलाज के लिए नियमित रूप से हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरिपी की जाती है। 2018 में लंदन की क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी ने यूरीन में पाई जाने वाली कोशिकाओं का प्रयोग करके आर्टिफीशियल एड्रिनल ग्लैंड का निर्माण किया है। जिससे बहुत हद तक एडिसन डिजीज से राहत मिल सकती है। 

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5- विटिलिगो (Vitiligo)

विटिलिगो

विटिलिगो ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसे सामान्य भाषा में सफेद दाग भी कहा जाता है। विटिलिगो में त्वचा का रंग जगह-जगह पर सफेद होने लगता है। त्वचा को रंग देने के लिए मेलेनिन पिगमेंट जिम्मेदार होता है। विटिलिगो में मेलेनिन बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। विटिलिगो से ग्रसित व्यक्ति को सामाजिक तौर पर बहुत हीनता महसूस होती है। विटिलिगो से पीड़ित व्यक्ति में स्कीन कैंसर होने का जोखिम सबसे ज्यादा होता है। वहीं, विटिलिगो के लिए प्रयोग होने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का इस्तेमाल करने से संक्रमण, डायबिटीज और ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क भी बढ़ जाता है। विटिलिगो का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन होम्योपैथ में विटिलिगो का इलाज है, पर वह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है। डॉक्टर्स आज भी इसका इलाज खोजने में लगे हुए हैं। 

6- ग्रैन्यूलोमेटॉसिस (Granulomatosis)

ग्रैन्यूलोमेटॉसिस ऑटोइम्यून बीमारी है। जिसमें खून की नसों में सूजन हो जाती है। ग्रैन्यूलोमेटॉसिस बहुत रेयर डिजीज है। ग्रैन्यूलोमेटॉसिस में वजन का घटना, थकान और सांस लेने में समस्या आदि होती है। ग्रैन्यूलोमेटॉसिस का इलाज कॉर्टिकोस्टेरॉइड और इम्यूनोसप्प्रेसेंट ड्रग्स दे कर किया जाता है। जो संक्रमण होने के जोखिम को बढ़ा देता है। निदरलैंड में यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रॉनिंजेन ने समुद्री एनामन से एक दवा बनाई है जिससे ग्रैन्यूलोमेटॉसिस का इलाज किया जा सकता है। लेकिन अभी तक ये दवा पूरी तरह से कारगर साबित नहीं हो पाई है। इसलिए वैज्ञानिक अभी भी ग्रैन्यूलोमेटॉसिस का इलाज खोजने में लगे हैं।

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7- सारकॉइडोसिस (Sarcoidosis)

सारकॉइडोसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है। जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों में इंफ्लेमेट्री सेल्स के जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है। फेफड़े, ब्लड के लिम्फ नोड, आंखें, सांस लेने में परेशानी और त्वचा पर सूजन इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं। सारकॉइट ग्रेन्युलोमास को ग्रनुलोमाटोस डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। ग्रेन्युलोमास को ट्यूमर का शुरुआती स्टेज भी माना जाता है। माइक्रोस्कोप की मदद से ऐसे ट्यूमर को देखा जा सकता है। सारकॉइडोसिस के कारण कभी-कभी मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है। 

अगर आप बीमारी के शुरुआती चरणों ध्यान देंगे तो बीमारी से बचा जा सकता है। लेकिन ध्यान न देने पर सारकॉइडोसिस बदतर स्थिति में चली जाती है। इस बीमारी हालांकि, समस्या सालों पुरानी है तो इलाज में वक्त लग सकता है। ग्रेन्युलोमा और ज्यादा न बढ़ें इसलिए सबसे कम खुराक में कम से कम 6 से 12 महीने तक प्रेडनिसोन कॉर्टिसोलस्टेरॉइड इम्यूनोस्प्रेसिव और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे ड्रग्स आमतौर पर दिए जाते हैं।

सारकॉइडोसिस के दोबारा होने की संभावना होती है। इसलिए डॉक्टर इलाज से पहले लक्षणों को समझ सकते हैं। इस दौरान एक्स-रे और सांस से जुड़े टेस्ट कर सकते हैं। यदि आपकी स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाती है, तो एंटीबायोटिक्स प्रभावी नहीं होते हैं। इसलिए डॉक्टर मेथोट्रेक्सेट, इम्युनोसुप्रेसेंट एजैथोप्रिन या हाइड्रोक्सी क्लोरो लाइन एंटीवायरस जैसी ज्यादा प्रभावी वाली दवाएं दे सकते हैं। सारकॉइडोसिस का सटीक इलाज वैज्ञानिक अभी भी ढूंढ रहे हैं। 

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Addison’s Disease https://rarediseases.org/rare-diseases/addisons-disease/ Accessed December 4, 2019.

Autoimmune disorders https://www.aarda.org/diseaselist/ Accessed December 4, 2019.

Autoimmune Disease https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/conditionsandtreatments/autoimmune-disorders Accessed December 4, 2019.

Immune System Diseases https://rarediseases.info.nih.gov/diseases/diseases-by-category/13/immune-system-diseases Accessed December 4, 2019.

Modeling Congenital Adrenal Hyperplasia and Testing Interventions for Adrenal Insufficiency Using Donor-Specific Reprogrammed Cells https://www.cell.com/cell-reports/fulltext/S2211-1247(18)30003-2?_returnURL=https%3A%2F%2Flinkinghub.elsevier.com%2Fretrieve%2Fpii%2FS2211124718300032%3Fshowall%3Dtrue Accessed December 4, 2019.

Let’s Take a Closer Look at 7 Autoimmune Diseases Biotechs are Fighting to Treat https://www.labiotech.eu/features/rare-autoimmune-diseases-biotech/ Accessed December 4, 2019.

Current Version

31/12/2020

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


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Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 31/12/2020

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