जब लंग में अचानक से कोशिकाएं डिवाइड होना शुरू हो जाती हैं तो इस कारण से ट्यूमर बन जाता है। यही ट्यूमर आगे चलकर लंग कैंसर का कारण बन जाता है। फेफड़ों में ट्यूमर (Lungs Tumor) बन जाने के कारण व्यक्ति को सांस लेने में समस्या होने लगती है। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के अनुसार 2015 में 218,527 लोगों को यूएस में लंग कैंसर की समस्या से जूझना पड़ा था। अगर व्यक्ति का सही समय पर इलाज हो जाए तो इस समस्या से निपटा जा सकता है। कैंसर (Cancer) ऐसी बीमारी है जो शरीर में धीरे-धीरे फैलती है और इसके लक्षणों का अक्सर देरी से ही पता चलता है। लंग कैंसर के साथ भी ऐसा ही होता है। लंग कैंसर के लक्षणों का पता देरी से चलता है।
लंग कैंसर के लक्षण सांस लेने के दौरान होने वाले इंफेक्शन (Infection) के समान ही होते हैं। हो सकता है कि किसी व्यक्ति को लंग कैंसर के लक्षण न दिखाई दें। लंग कैंसर के लक्षणों का पता लगने के बाद उसका ट्रीटमेंट और बीमारी से निजात व्यक्ति को मिल सकता है, लेकिन कैंसर स्टेज (Cancer stage) का समय पर पता चलना बहुत जरूरी होता है।
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लंग कैंसर दो तरह के होते हैं (Two types of Lungs cancer)
लंग कैंसर (Lung cancer) कुछ कोशिकाओं में असामान्य परिवर्तन की वजह से होता है। आमतौर पर शरीर में एक निश्चित समय के बाद कोशिकाएं डेड हो जाती है। उनके स्थान में शरीर में नई सेल्स बनती हैं। कैंसर के मामले में सेल्स में ओवरग्रोथ होने लगती है, जिसके कारण सेल्स एक जगह पर इकट्ठा होने लगती है। सेल्स के एक जगह इकट्ठा होने पर ट्यूमर बनने लगता है। कैंसर सेल्स में समय के साथ ही वृद्धि भी होने लगती है। कैंसर सेल्स के बढ़ने के साथ ही शरीर में कैंसर (Cancer) का इफेक्ट भी दिखने लगता है।
सांस में होने लगती है तकलीफ (Breathing problem)
लंग कैंसर सांस लेने में तकलीफ पैदा करता है। लंग में गैस एक्सचेंज करने वाले ऑर्गेन प्रभावित होते हैं। डॉक्टर मुख्य रूप से स्मॉल सेल (Small cells) और नॉन स्मॉल सेल कैंसर डायग्नोस करता है। इस बात का निर्धारण माइक्रोस्कोप से सेल्स को देखने के बाद पता चलता है। जो व्यक्ति लंबे समय से स्मोकिंग कर रहा है, उसमे लंग कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। अगर किसी व्यक्ति के परिवार में लंग कैंसर (Lung cancer) का इतिहास रहा है, तो भी फेफड़ों के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। लंबे समय तक जहरीले और नशीले पदार्थो का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है।
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लंग कैंसर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Lung cancer)
फेफड़ों के कैंसर या लंग कैंसर से ग्रसित व्यक्ति में शुरुआती लक्षण दिखाई दें, ऐसा जरूरी नहीं है। अधिकतर मामलों में लक्षण तब तक नहीं दिखते हैं, जब तक लंग कैंसर लास्ट स्टेज (Last stage) में नहीं पहुंच जाता है। वहीं कुछ लोगों में शुरुआती लक्षण नजर भी आ सकते हैं। लंग कैंसर (Cancer) तब गंभीर बीमारी बन जाती है, जब समय से इलाज नहीं मिल पाता है।
लंग कैंसर के लक्षणों (Symptoms of Lung cancer) में शामिल है
- भूख कम (Low appetite) लगना
- लिम्फ नोड्स (Lymph nodes) में सूजन
- किसी व्यक्ति की आवाज में परिवर्तन आ जाना
- आवाज का बैठ जाना या फिर सही से आवाज नहीं निकलना
- चेस्ट में ब्रोंकाइटिस या निमोनिया की समस्या हो जाना, इंफेक्शन (Infection) हो जाना
- खांसी (Coughing) की समस्या हो जाना
- सांस की दर में कमी महसूस होना
- बिना किसी कारण के सिरदर्द (Headache) महसूस होना
- अचानक से वजन घट जाना (Weight loss)
- सांस लेने के दौरान घरघराहट महसूस होना
लंग कैंसर (Lung cancer) के दौरान किसी भी व्यक्ति में उपरोक्त लक्षण दिख सकते हैं। हो सकता है कि व्यक्ति को अधिक दर्दनाक लक्षण दिखाई दें। व्यक्ति फेफड़ों के कैंसर के कारण अधिक गंभीर लक्षणों का अनुभव कर सकता है। इनमें सीने में तेज दर्द या हड्डी (Bone) में दर्द या खून का जमाव भी हो सकता है।
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लंग कैंसर का कैसे किया जाता है निदान (Diagnosis of Lung cancer)
लंग कैंसर के निदान के लिए लंग स्क्रीनिंग करना जरूरी होता है। यदि कोई डॉक्टर फेफड़ों के कैंसर (Lung cancer) की जांच के दौरान व्यक्ति के लक्षणों का भी पता लगा लेता है तो निदाना आसान हो जाता है।अगर व्यक्ति ऐसे लक्षणों का अनुभव कर रहा है जो फेफड़ों के कैंसर का संकेत दे सकते हैं, तो अगले स्टेप को कंफर्म करने के लिए अलग टेस्ट (Test) किए जाते हैं।
इनमें से उदाहरणों में शामिल हैं
लंग कैंसर के निदान के लिए इमेजिंग स्टडी
इमेजिंग स्टडी के दौरान कंप्यूटेड टोमोग्राफी (Computed tomography) सीटी स्कैन और पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (Positron emission tomography)या पीईटी स्कैन (PET SCAN) से कैंसर के साथ फेफड़े के ऊतकों के क्षेत्रों का पता चल सकता है। हड्डी (Bone) के स्कैन से भी कैंसर (Cancer) के विकास का पता चल जाता है। डॉक्टर स्कैन का यूज ट्रीटमेंट की प्रोग्रेस के दौरान भी यूज कर सकते हैं। साथ ही कैंसर वापस न आएं, इसके लिए भी चेकअप किया जाता है।
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लंग कैंसर के निदान के लिए टिशू सैम्पलिंग
अगर डॉक्टर को इमेजिंग स्टडी के दौरान कोई घाव की जानकारी मिलती है तो संभावित कैंसर की कोशिकाओं के टेस्ट के लिए फेफड़ों के टिशू का नमूना लिया जाता है। टिशू का कितना भाग टेस्ट के लिए लिया जाएगा, ये घाव पर निर्भर करता है। डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी (Bronchoscopy) के दौरान स्पेशल लाइट, थिन कैमरे का यूज किया जाता है। ऐसा करने से डॉक्टर को घाव को देखने और नमूना प्राप्त करने में हेल्प मिलती है। फेफड़ों में घाव की सही से पहुंच न होने की स्थिति में इंसेसिव सर्जिकल प्रोसीजर का उपयोग किया जाता है।ऐसे में थोरैकोस्कोपी (Thoracoscopy) या वीडियो-असिस्टेड थोरैसिक सर्जरी(Video-assisted thoracic surgery) की जाती है।
लैब टेस्टिंग
एक डॉक्टर फेफड़ों के कैंसर (Lung cancer) की जांच के लिए थूक परीक्षण या रक्त परीक्षण भी कर सकता है। लैब टेस्टिंग के माध्यम से डॉक्टर लंग कैंसर के प्रकार का पता लगाता है और साथ ही एडवांस कैंसर के बारे में भी पता लगाता है।
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अर्ली डायग्नोसिस के क्या लाभ होते हैं? (Benefits of early diagnosis)
लंग कैंसर के लक्षणों (Symptoms of lung cancer) के बारे में अगर जानकारी मिल जाए तो इलाज के दौरान बहुत सुविधा होती है। सही समय पर लंग कैंसर का पता न चल पाने पर कैंसर सेल्स (Cancer cells) अन्य जगहों में भी जा सकती है। अगर लंग कैंसर शरीर में फैल गया तो मेटास्टेसिस की स्थिति भी पैदा हो सकती है। ऐसी स्थिति में इस बीमारी का इलाज करना कठिन हो जाता है। लो डोज सीटी स्कैनर के माध्यम से भी बीमारी का पता लगाने की कोशिश की जाती है। जरूरी नहीं है कि सभी व्यक्तियों का लो डोज सीटी स्कैनर किया जाए, लेकिन ये प्रक्रिया डॉक्टर को बीमारी का पता लगाने में हेल्प करती है।
अमेरिकन लंग एसोसिएशन के अनुसार कुछ विशेष प्रकार के लोगों को इस प्रक्रिया के लिए चुना जाता है।
- 55 से 80 वर्ष की आयु के बीच लोग
- जो लोग 30 साल से ज्यादा के समय से धूम्रपान (Smoking) कर रहे हो। यानी ऐसे व्यक्ति जो 30 वर्ष के लिए प्रति दिन एक पैकेट या 15 वर्ष तक प्रति दिन दो पैकेट सिगरेट धूम्रपान करते हैं।
- करंट स्मोकर या फिर ऐसा व्यक्ति जिसने 15 साल पहले स्मोकिंग (Smoking) करना छोड़ दिया हो।
लंग कैंसर के कारण क्या होते हैं? (Cause of Lung cancer)
लंग कैंसर का मुख्य कारण स्मोकिंग को माना जाता है। लेकिन अधिकांश केस में सेकेंड हैंड स्मोकिंग (Second hand smoking) के संपर्क में आने से लोगों को लंग कैंसर की समस्या हो सकती है। जिन लोगों ने जीवन में कभी भी स्मोकिंग (Smoking) नहीं की है, उन्हें भी लंग कैंसर की समस्या हो सकती है। ऐसे मामलों में लंग कैंसर का कारण स्पष्ट नहीं हो पाता है।
स्मोकिंग (Smoking) और लंग कैंसर (Lung cancer) का क्या संबंध है?
डॉक्टर्स का मानना है कि स्मोकिंग के कारण लंग सेल्स डैमेज होती हैं, जो लंग कैंसर का कारण बनती है। स्मोकिंग करने के कारण लंग टिशू में परिवर्तन आने लगते हैं। स्मोकिंग के कारण कैंसर कॉजिंग सब्सटेंस (कार्सिनोजेंस) के कारण फेफड़ों की सेल्स में चेंजेस होने लगते हैं। शुरुआत में तो शरीर डैमेज सेल्स को रिपेयर कर लेता है। समय के साथ ही लगातार स्मोकिंग करते रहने से जोखिम बढ़ने लगता है। लगातार स्मोकिंग फेफड़ों की सेल्स (Lungs cells) को खराब करने लगती है। इसी कारण से सेल्स में अचानक से तेजी से डिवीजन शुरू होने लगता है। यही वजह है कि सिगरेट पीने से लंग कैंसर का खतरा होने की संभावना बढ़ जाती है।
लंग कैंसर के प्रकार (Types of Lung cancer)
लंग कैंसर दो तरह के होते हैं। लंग कैंसर को माइक्रोस्कोप से चैक करने पर सेल्स के अपीयरेंस के आधार पर उसे दो टाइप में बांटा गया है। डॉक्टर कैंसर के टाइप का पता लगाने के बाद ही फेफड़ों के कैंसर का इलाज करता है।
स्मॉल सेल लंग कैंसर (Small lung cancer)
स्मॉल सेल लंग कैंसर उन लोगों में पाए जाने की अधिक संभावना रहती हैं, जिन्हें स्मोकिंग की लत रहती है। ऐसे लोगों में नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर कम ही पाया जाता है।
नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर (Non small cell lung cancer)
नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर का यूज अधिकतर लंग कैंसर के लिए किया जा सकता है। इस तरह के कैंसर में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma) और एडेनोकार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा (Adenocarcinoma and large) शामिल है।
लंग कैंसर का रिस्क फैक्टर (Risk factor of Lung cancer)
लंग कैंसर को कई फैक्टर प्रभावित कर सकते हैं। कुछ रिस्क फैक्टर को कंट्रोल किया जा सकता है। स्मोकिंग को कंट्रोल करके कैंसर के खतरे से काफी हद तक बचा जा सकता है।
लंग कैंसर के साथ जुड़े रिस्क (Myths of lung cancer)
स्मोकिंग (Smoking)
सिगरेट की संख्या बढ़ने के साथ ही लंग कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। उम्र की किसी भी अवस्था में सिगरेट छोड़ने से लंग कैंसर के रिस्क को कम किया जा सकता है।
सेकेंड हैंड स्मोकिंग (Second hand smoking)
जिस तरह से स्मोकिंग के कारण फेफड़े के कैंसर (Lung cancer) का खतरा रहता है, ठीक उसी तरह से सेकेंड हैंड स्मोकिंग भी खतरनाक होती है। अगर आपके घर में कोई अन्य व्यक्ति स्मोकिंग करता है तो उसका धुआं जिस व्यक्ति के पास जा रहा है, उसे भी कैंसर का उतना ही खतरा रहता है।
रेडॉन गैस के संपर्क में आने पर
मिट्टी में यूरेनियम के ब्रेकडाउन के कारण रेडॉन गैस प्रोड्यूस होती है। सांस लेने से रेडॉन गैस शरीर के अंदर पहुंच जाती है। आर्सेनिक, क्रोमियम और निकल आदि के शरीर में पहुंच जाने पर फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यदि कोई स्मोकिंग कर रहा है तो उस व्यक्ति को फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
लंग कैंसर के बचाव के लिए अपनाएं ये तरीके (Precaution from lung cancer)
वैसे तो इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि लाइफस्टाइल में सुधार करके लंग कैंसर के जोखिम को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है। फिर भी लंग कैंसर (Lung cancer) के खतरे को कम करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
स्मोकिंग को कहें न
अगर आपने कभी धूम्रपान नहीं किया है, तो स्मोकिंग कभी भी शुरू न करें। अपने बच्चों को धूम्रपान के नुकसान के बारे में बताएं ताकि वे समझ सकें कि स्मोकिंग के कारण फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।
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घर में राडॉन गैस की जांच कराएं
अगर आपका घर ऐसी जगह में बना है जहां राडॉन गैस का खतरा है, तो जांच अवश्य कराएं। घर को सुरक्षित बनाने के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग से जानकारी लेने के बाद उपचार करना बेहतर रहेगा।
टॉक्सिक केमिकल्स से बचें
कई बार जानकारी के अभाव में लोग जहरीले केमिकल्स के संपर्क में आ जाते हैं। खुद को जोखिम से बचाने के लिए मास्क का प्रयोग करें। डॉक्टर से भी इस बात की जानकारी हासिल करें कि काम के दौरान जहरीले कैमिकल्स से कैसे बचा जा सकता है। कार्यस्थल में कार्सिनोजेन फेफड़ों के लिए जोखिम पैदा करती है।
खाने में फ्रूट्स और वेजीटेबल्स शामिल करें
पौष्टिक आहार लेना शरीर के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहता है। विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों के साथ एक स्वस्थ आहार चुनें। साथ ही एक्सरसाइज को भी अपने जीवन में स्थान दें। अगर आपको अपनी लाइफस्टाइल बदलनी है तो अचानक से शुरुआत न करें। रोजाना कुछ स्टेप्स को फॉलो करें।
कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए इंश्योरेंस भी किया जाता है। इंश्योरेंस के दौरान लंग कैंसर स्क्रीनिंग की भी जांच कर लेनी चाहिए।किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें।अगर आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर या सर्जन से परामर्श करें।