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एंटीबायोटिक अवेयरनेस है जरूरी

एंटीबायोटिक अवेयरनेस है जरूरी

छोटी-छोटी बीमारी पर एंटीबायोटिक लेना बेहद गंभीर हो सकता है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में इस बात का सबूत है कि कैसे लोगों को एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस होने लगा है। यानी एंटीबायोटिक्स छोटी-छोटी बात पर लेने की वजह से एक वक्त ऐसा आता है कि इन दवाईयों का असर होना बंद हो जाता है। डाॅ. अविनाश फड़के लैब्स कि इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मुंबईवासियों को किस तरह बैक्टीरियल इंफेक्‍शन और एंटीबायोटिक (antibiotic) रेजिस्‍टेंस पैटर्न प्रभावित कर रहा है। इस रिपोर्ट का उद्देश्‍य एंटी माइक्रोबियल रेजिस्‍टेंस (AMR) को कम करने में योगदान देना है, जोकि पूरी दुनिया में लोगों को प्रभावित कर रहा है। पैथोलॉजी लैब्‍स की चेन एसआरएल डॉ. अविनाश फड़के लैब्‍स ने ‘मुंबई की एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्‍टेंस रिपोर्ट’ 2019 को जारी किया। एंटीबायोटिक अवेयरनेस क्यों है जरूरी?

क्या कहती है एंटीबायोटिक अवेयरनेस रिपोर्ट ?

यह रिपोर्ट मुंबई से पिछले नौ महीने में (जनवरी से सितंबर 2019) प्राप्‍त हुए 40500 सैंपल पर आधारित है। इस रिपोर्ट से प्राप्‍त हुए मुख्‍य परिणाम इस प्रकार हैं:

प्रमुख बैक्‍टीरियल जीवाणु ऑर्गैनिज्म (organisms) जो मुंबईवासियों को प्रभावित कर रहे हैं: एस्‍केरिचिया कोलाई, क्‍लेबसिएला निमोनिया, स्‍यूडोमानास एरुगिनोसा, स्‍टैफिलोकोकस ऑरियस, एसिनोबोबैक्‍टेर बॉमनी, साल्‍मोनेला टाइफी।

ये प्रमुख ऑर्गैनिस्म (organisms) इंफेक्‍शन का कारण बनते हैं। जैसे- यूरीनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन (यूटीआई), सॉफ्ट टिशू/वून्‍ड इंफेक्‍शन, रेस्पिरेटरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन, टाइफाइड और सेप्सिस

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इन एंटीबायोटिक्स का बढ़ रहा प्रतिरोध

ऐसी एंटीबायोटिक (antibiotic) जिनका बढ़ रहा प्रतिरोध : पेनिसिलिन, सेफलोस्‍पोरिन (दूसरी पीढ़ी तक), फ्लोरोक्विनोलोन (दूसरी पीढ़ी तक)।

यह वैश्विक चिंता का विषय है : डॉ. अजय

डॉ. अजय फड़के (सेंटर हेड, एसआरएल डॉ. अविनाश फड़के लैब्‍स) ने कहा, “एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्‍टेंस वैश्विक चिंता का विषय बन गया है और इसे बढ़ने से रोकने की जरूरत है। इंफेक्‍शन को नियंत्रित करने से लेकर एंटीबायोटिक (antibiotic) के इस्‍तेमाल तक सारी चीजें सही करने का प्रयास करने की आवश्यकता है। आम लोगों को भी बेवजह और अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक (antibiotic) के इस्‍तेमाल के बुरे प्रभाव के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। बड़े स्‍तर पर, एएमआर की क्षेत्रीय स्‍तर पर निगरानी और स्‍थानीय स्‍तर पर एंटीमाइक्रोबियल मैनेजमेंट में सुधार की जरूरत है। एंटीमाइक्रोबियल और अलग-अलग जगहों से रेजिस्‍टेंस के बारे में पूरी जानकारी के लिए टेक्निक का प्रयोग किया जा सकता है। जिससे डॉक्टर्स मरीजों की उचित देखभाल करने में मदद कर सकते हैं और एक-दूसरे से जुड़कर एएमआर से लड़ सकते हैं।’

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एंटीबायोटिक अवेयरनेस

  • ऐसा पाया गया है कि ज्‍यादातर ऑर्गैनिस्म (organisms) संक्रमित पानी और खाने के माध्‍यम से फैलता है। इसका संचारण संक्रमित व्‍यक्ति या फिर पर्यावरण के माध्‍यम से हो सकता है।
  • एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्‍टेंस बैक्‍टीरियल स्‍ट्रेंन्‍स अस्‍पताल जनित संक्रमण होने के साथ-साथ कम्‍युनिटी से कम्‍युनिटी को होने वाला संक्रमण भी है। ये ड्रग रेजिस्‍टेंस स्‍ट्रेंस हेल्‍थकेयर या नॉन-हेल्‍थकेयर स्‍थानों पर इंसानों, जानवरों और वातावरण में घूमता रहता है। इसके लिए दोनों जगहों पर इंफेक्‍शन को नियंत्रित करने की आवश्‍यकता पर जोर दिया जा रहा है।
  • उम्र और संपर्क बढ़ने के साथ एंटीबायोटिक (antibiotic) का दबाव बढ़ रहा है: फ्लोरोक्विनोलोन (दूसरी पीढ़ी तक)। यह रेजिस्‍टेंस सभी आयु वर्ग में बढ़ते हैं। बच्‍चों की तुलना में वयस्‍क अधिक रेजिस्‍टेंस होते हैं। यह एंटीबायोटिक का बिना सोचे-समझे इस्‍तेमाल करने से हो सकता है।
  • पुराने एंटीबायोटिक्स (antibiotics) जैसे अमीनोग्‍लाइकोसाइड्स को पहले से मौजूद रेजिस्‍टेंस की वजह से देना कम कर दिया गया। इसे संवेदनशीलता के बढ़ने के रूप में समझा जा सकता है। इसके लिए अमीनोग्‍लाइकोसाइड्स का इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

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एंटीबायोटिक अवेयरनेस से जुड़ी प्रमुख बातें

क्लिनिक्स के लिए एंटीबायोटिक अवेयरनेस टिप्स क्या हैं?

क्लिनिक्स एंटीबायोटिक अवेयरनेस टिप्स निम्नलिखित हैं। जैसे-

  • कम से कम इन्हिबटरी कंस्‍ट्रेशन (एमआईसी) का इस्‍तेमाल करें। इससे क्‍लिनिक्स को पर्याप्‍त डोज के साथ सही एंटीबायोटिक (antibiotic) का चुनाव करने में मदद मिलती है।
  • स्‍यूडोमोनास स्‍ट्रेंस ज्‍यादातर एंटीबायोटिक के लिए रेजिस्‍टेंट होते हैं। सारे ओपीडी और आईपीडी स्‍थानों में इंफेक्‍शन का सख्‍ती से नियंत्रण करने के तरीके अपनाए जाने चाहिए।
  • विभिन्‍न तरह के बैक्‍टीरिया के अप्रत्‍याशित रेजिस्‍टेंस को देखते हुए, सारे अस्‍पतालों में कल्‍चर/पीसीआर आधारित जांच को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे संवेदनशीलता आधारित अनुभवी उपचार करने में मदद मिलेगी। अब कई सारे पीसीआर परीक्षण, जांच के साथ ड्रग रेजिस्‍टेंस भी उपलब्‍ध कराते हैं।
  • लगभग एक तिहाई संदेहजनक सैंपल्‍स में बैक्‍टीरियल ग्रोथ पाई गई है। यह एंटीबायोटिक (antibiotic) देने से पहले सैंपल भेजने के महत्‍व पर जोर देता है।
  • एंटीबायोटिक के कुछ डोज के बाद पीसीआर आधारित तरीका अभी भी ऑर्गैनिज्म (organisms) की पहचान कर सकता है।
  • प्रारंभिक डेटा एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्‍टेंस (AMR) के लिए लैब टेस्ट की आवश्‍यकता की तरफ इशारा करता है। स्‍थानीय एपिडेमियोलॉजी डेटा एंटीबायोटिक (antibiotic) के इस्‍तेमाल पर आधारित है।

आम लोगों के लिए एंटीबायोटिक अवेयरनेस टिप्स 

एंटीबायोटिक अवेयरनेस टिप्स निम्नलिखित हैं। जैसे-

  • जीवाणुओं (organisms) को बढ़ने से रोकने के लिए हाथों की सफाई बेहद जरूरी है और इससे एएमआर से भी बचाव हो सकता है।
  • पानी की अच्‍छी क्‍वालिटी और स्‍वच्‍छता को बनाए रखने से इस समस्‍या से बचने में काफी मदद मिल सकती है।
  • बुखार बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन का आवश्‍यक लक्षण नहीं है। यह वायरल इंफेक्‍शन भी हो सकता है जोकि बिना एंटीबायोटिक (antibiotics) के भी ठीक हो सकता है
  • एंटीबायोटिक (antibiotics) लेने से पहले हमेशा योग्‍य मेडिकल प्रोफेशनल से ही सलाह या परामर्श लें।
  • आपको जो एंटीबायोटिक (antibiotics) दिए गए हैं, वह सिर्फ आपको ही लेना चाहिए। वहीं, एंटीबायोटिक (antibiotics) बिना डॉक्‍टर की सलाह के अपने दोस्‍तों या परिवार के लोगों को नहीं देनी चाहिए।
  • यदि आपको एंटीबायोटिक (antibiotics) की जरूरत नहीं है तो डॉक्‍टर पर इसे देने के लिये दबाव न डालें।
  • डॉक्‍टर ने आपको एंटीबायोटिक के जो डोज दिए हैं उस पर ही कायम रहें। अपनी मर्जी से इसकी मात्रा या अंतराल में बदलाव न करें।

    इस बात का हमेशा ध्‍यान रखें कि डॉक्‍टर की पर्ची के बिना आप सीधे फार्मेसी से जो दवाएं ले रहे हैं वो एंटीबायोटिक (antibiotics) न हों।

  • एंटीबायोटिक अवेयरनेस आपने फ्रेंड्स और फैमली में भी करें।
  • गट बैक्टीरिया की मात्रा को सटीक रखने के लिए प्रोबायोटिक्स लें। प्रोबायोटिक्स एंटीबायोटिक्स की वजह से आई बैक्टीरियल गिरावट में सुधर करेंगी। प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया की बढ़त में सहायक हैं।
  • कोलेजन (Collagen Protein) हमारे शरीर की स्माल इंटेस्टाइन की विली (Small Intestine Villi) का महत्वपूर्ण भाग है। गट को बेहतर बनाने के लिए और लीकेज से बचने के लिए आप कोलेजन युक्त फूड खा सकते हैं। या फिर एंटीबायोटिक के साथ ही सप्लिमेंट लेना भी शुरू कर सकते हैं। एंटीबायोटिक अवेयरनेस से जुड़ी ये जानकारी बेहद अहम है।

अगर आप एंटीबायोटिक या एंटीबायोटिक अवेयरनेस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

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World Antibiotic Awareness Week 2019/https://www.paho.org/Accessed on 07/01/2020

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Antibiotic Resistance Questions and Answers/https://www.cdc.gov/antibiotic-use/community/about/antibiotic-resistance-faqs.html/Accessed on 07/01/2020

Current Version

13/05/2021

Written by डाॅ. अजय फड़के

Updated by: Toshini Rathod


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डाॅ. अजय फड़के

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अपडेटेड 13/05/2021

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