आजकल की रोजमर्रा लाइफ में तनाव, टेशन, अवसाद, चिंता फ्रिक जैसें शब्द आम हो गए हैं क्योंकि, आजकल हर कोई इन समस्याओं से घिरा हुआ खुद को पाता है। हर व्यक्ति को इससे जुड़ी कुछ समस्याएं रहती ही हैं। खासकर महानगरों में तो लोगों का और बुरा हाल है। लोग दिन रात काम के साथ-साथ कई तरह की मानसिक लड़ाइयां अपने भीतर ही भीतर लड़ रहे हैं। हम आज चिंता और एंग्जायटी को लेकर बात करेगें। यहां आपको एंग्जायटी डिसऑर्डर और उसके लक्षण के बारे में बताया गया है, जिससे आप इस डिसऑर्डर को पहचान सकें और रोक सकें।
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एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorder) क्या है?
एंग्जायटी या चिंता, आपके शरीर द्वारा की गई एक सामान्य प्रतिक्रिया है, जो खुद ही हो जाती है। जब व्यक्ति खुद को किसी प्रकार की असामान्य स्थितियों में महसूस करता है, जैसे कि व्यक्ति पर आने वाला कोई खतरा या किसी प्रकार का दबाव या कोई चुनौती, तो उसका दिमाग चिंता ग्रस्त हो जाता है। चिंता यदि निरंतर रहे या आपके ऊपर हावी होने लगे, तो इसका प्रभाव आपके दैनिक जीवन और रिश्तों पर पड़ता है। फिर यह एक सामान्य चिंता से बढ़कर एंग्जायटी डिसऑर्डर में तब्दील हो जाता है। एंग्जायटी डिसऑर्डर, एक आम मानसिक हेल्थ इश्यू है। लेकिन, इस डिसऑर्डर को समझना और जानना बहुत महत्वपू्ण है, ताकि आप उसका समाधान कर सकें, क्योंकि एंग्जायटी होने से आपका अपने जीवन के प्रति लगाव समाप्त होने लगता है या आप खुद को अकेला महसूस करने लगते है।
एंग्जायटी डिसऑर्डर संबंधित स्तिथियों का एक समूह है, इसलिए इसके लक्षण एक से दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। कुछ ऐसे लक्षण यहां दिए गए हैं, जिन्हे देखकर आप इस प्रॉब्लम पर नियंत्रण पा सकते है।
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नीचे दिए गए लक्षणों में से आपको कोई भी हैं, तो आप एंग्जायटी डिसऑर्डर के शिकार है:
- आपकी चिंता आपके रोजाना के कामों और पारिवारिक जिम्मेदारियों में बाधा डालती है।
- मन में अपने जीवन के प्रति डर या नेगेटिव खयाल आते हैं।
- आप रोजाना ऐसी स्थितियों से दूर भागते हैं, जिनसे आपको एंग्जायटी होती है।
- अचानक से रक्तचाप में तेजी या पल्स रेट का बढ़ना महसूस होता है।
- एंग्जायटी डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति हमेशा टेंशन और डर में रहता है, इसके अलावा वह खुद को अन्य लोगों से अलग रखने लगता है।
- सांस फूलने की समस्या, दिल की धड़कन बढ़ना या नींद न आने की समस्या भी एंग्जायटी डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं।
- हर वक्त उस मन में नकारात्मक ख्याल आना भी एंग्जायटी डिसऑर्डर हो सकता है।
- हमेशा या अचानक से सिर में दर्द होना
- किसी भी काम में मन नहीं लगना
- किसी छोटी से बात पर दस्त लगना।
अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षण महसूस होते हैं, तो आप तुरंत मनोचिकित्सक से सलाह करें। अपनी रोजमर्रा के कामों को लेके जीवन में थोड़ी बहुत चिंता, एंग्जायटी हर इंसान को होती है। लेकिन, यदि कोई व्यक्ति अधिक चिंतित रहने लगे और हर छोटी बात पर गहनता से विचार करें, जिससे उसके मन में भविष्य के लिए डर और तनाव होने लगे, तो यह सोच का विषय है।
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एंग्जायटी डिसऑर्डर होने का क्या कारण है?
आज के दौर की लगभग आधी आबादी किसी न किसी मनोवैज्ञानिक समस्या से जूझ रहा है। जिसके पीछ के कारण आधुनिकल जीवनशैली में आया बदलाव भी माना जाता है। दरअसल आधुनिक जीवनशैली में लोगों इतना ज्यादा व्यस्त रहने लगे हैं कि वे हमेशा जल्दबाजी में रहते हैं, उन्हें हर काम करने की जल्दी रहती है और उन पर काम का दबाव भी बहुत ज्यादा हो गया है। इसी वजह से उनमें चिड़चिड़ापन और आक्रोश भी बढता जा रहा है। इतनी भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई अकेलेपन का शिकार भी हो गया है। धीरे-धीरे लोगों के जहन से शेयरिंग की भावना भी खत्म हो रही है। किसी के भी पास न बात करने की फुरसत है और न ही किसी दूसरे की बातें सुनने की फुर्सत है। लगातार तनाव, अकेलापन और उदासी ही लोगों में एंग्जायटी डिसॉर्डर का कारण बनता जा रहा है।
अध्ययनों के अनुसार, गंभीर या लंबे समय तक तनाव लेने की वजह से अनिद्रा की समस्या हो सकती है। जिसके कारण ब्रेन में रिलीज होने वाले हार्मोन्स के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है, जो एंग्जायटी डिसॉर्डर का कारण बन जाता है। इसके अलावा यह आनुवंशिकता के कारण भी काफी आम हो सकता है।
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एंग्जाइटी डिसऑर्डर के प्रकार क्या हैं?
जनरालाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर (Generalized anxiety disorder (GAD))
जनरालाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर से पीड़ित लोग अत्यधिक चिंता करते हैं, ऐसे में लोगों में इसके लक्षण तनाव और उत्तेजना न बढ़ाने के कारण भी हो सकता है।
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive-compulsive disorder (OCD))
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर से पीड़ित लोग लगातार सोचते रहते हैं या किसी न किसी बात को लेकर हमेशा भयभीत रहने लगते हैं। ऐसे लोगों में कुछ अजीब तरह की आदतें भी हो सकती हैं।
पैनिक डिसऑर्डर (Panic disorder)
पैनिक डिसऑर्डर की समस्या से जूझ रहे लोगों को अक्सर ऐसा महसूस होता है जैसे उनकी सांस रुक रही है या उन्हें हार्ट अटैक के लक्षण आ रहे हैं।
पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस (Post-traumatic stress disorder (PTSD))
पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस एक ऐसी स्थिति है, जो किसी तीव्र आघात वाली घटना के बाद विकसित होती है जैसे यौन या शारीरिक हमला या प्राकृतिक आपदा के कारण। इसके कारण व्यक्ति को बार-बार इसी तरह की घटनाए याद आती रहती हैं।
भारत में एंग्जायटी डिसऑर्डर के आंकड़ें
- एंग्जायटी डिसऑर्डर के आंकड़ें छोटे शहरो या गांवों के मुताबले बड़े महानगरों में अधिक देखा जा रहा है। भारत में लगभग 15.20 फिसदी लोग एंग्जाइटी और 15.17 फिसदी लोग डिप्रेशन के शिकार हैं। जिनमें विकसित देशों में एंग्जायटी डिसऑर्डर से पीड़ित युवाओं की संख्या करीब 18 फिसदी है।
- महानगरों के करीब 50 फिसदी लोगों की नींद एंग्जायटी डिसऑर्डर के कारण पूरी नहीं होती है।
- रिसर्च के मुताबिक, अनिद्रा 86 फिसदी रोगों का अकेले कारण भी हो सकता है। अनिद्रा के कारण ही डिप्रेशन की समस्या सबसे आम हो सकती है।
- एंग्जायटी डिसऑर्डर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक पाया गया है। पुरुषों के मुकाबले एंग्जायटी डिसऑर्डर होने का जोखिम महिलाओं में 60 फिसदी अधिक होता है।
- एक रिसर्च के अनुसार 8 फिसदी टीनएजर बच्चे भी एंग्जायटी डिसऑर्डर के शिकार हैं, जिनमें से बहुत ही कम बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल मिलती है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।