शारीरिक अंगों में दर्द कई तरह के होते हैं जैसे तेज, कम, तुरंत ठीक हो जाना या बार-बार दर्द शुरू हो जाना। अगर दर्द की समस्या कभी-कभार हो तो कोई बात नहीं, लेकिन यही दर्द बार-बार सताने लगे तो सोचिए परेशानी कितनी बढ़ जाती है। वहीं अगर चेस्ट पेन (Chest pain) की हो तो व्यक्ति और ज्यादा परेशान हो जाता है। आज सीने में बार बार दर्द (Frequent chest pain) के कारणों को समझेंगे, जिससे कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ (Cardiovascular Health) को दर्द से दूर रखने में मदद मिल सके।
सीने में बार बार दर्द को ऐसे समझें
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चेस्ट पेन (Chest pain) यानी सीने में दर्द एक ऐसी समस्या है, जिसे लोग प्रायः एसिडिटी (Acidity) की समस्या समझकर इग्नोर भी कर देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं सीने में बार बार दर्द की समस्या को इग्नोर नहीं करना चाहिए। सीने में बार बार दर्द (Frequent chest pain) कई तरह की शारीरिक परेशानियों की ओर इशारा करती है। इसलिए अगर सतर्कता ना बरती जाए तो अनजाने में कोई गंभीर बीमारी शरीर में कब अपना ठिकाना ढूंढ़ ले यह कहना मुश्किल है। आज इस आर्टिकल में सीने में बार बार दर्द के कारण को समझेंगे जिससे गंभीर या सामान्य किसी तरह की बीमारी से बचने में मदद मिल सके।
- सीने में बार बार दर्द के कारण क्या हो सकते हैं?
- सीने का दर्द, ऐसी स्थिति में कौन-कौन से टेस्ट करवाने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं?
- बार-बार सीने का दर्द का इलाज कैसे किया जाता है?
- कब पड़ सकती है सर्जरी की जरूरत?
- सीने में दर्द से बचाव कैसे संभव है?
चलिए अब सीने में दर्द से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
सीने में बार बार दर्द के कारण क्या हो सकते हैं? (Cause of Frequent chest pain)
बार-बार चेस्ट पेन की समस्या सिर्फ चेस्ट ही नहीं, बल्कि अन्य बॉडी ऑर्गन जैसे लंग्स एवं डायजेस्टिव सिस्टम से जुड़ी परेशानियों के कारण हो सकती है। यहां सीने में बार बार दर्द का अर्थ है कुछ देर के लिए सीने में दर्द होना और फिर ठीक हो जाना। यही प्रक्रिया दुहराती रहती है। यह ध्यान रखें कि ऐसा तुरंत-तुरंत होने के साथ-साथ कुछ अंतराल पर भी हो सकता है। इसलिए यहां बार-बार चेस्ट पेन के कारण को एक-एक कर समझने की कोशिश करते हैं। जैसे:
- हार्ट अटैक (Heart attack)- हार्ट के टिशू में जब ब्लड फ्लो ब्लॉक होने लगता है, तो ऐसी स्थिति में सीने में दर्द की समस्या शुरू हो सकती है। रुक-रुक कर सीने में दर्द महसूस किया जा सकता है। ऐसा सीने में प्लाक (Plaque) या ब्लड क्लॉट (Blood clot) बनने की वजह से हो सकता है। इस दौरान व्यक्ति सीने में बार बार दर्द महसूस करने के साथ-साथ बेचैनी भी महसूस हो सकती है।
- एनजाइना (Angina)- एनजाइना, यह एक ऐसी स्थिति होती है जब हार्ट के टिशू आवश्यक ब्लड की पूर्ति नहीं हो पाती है। यह हार्ट डिजीज का सबसे सामान्य लक्षण है या यह हार्ट अटैक की ओर भी इशारा कर सकता है। वैसे एनजाइना की स्थिति तब ही शुरू हो सकता है जब आप बहुत ज्यादा मेहनत करते हैं। अगर एनजाइना की समस्या होती है, तो ऐसे में व्यक्ति को बार-बार सीने में दर्द, बाहों एवं पीठ में भी दर्द की समस्या शुरू हो जाती है।
- पेरिकार्डिटिस (Pericarditis)- हार्ट के आसपास की टिशू में सूजन की समस्या को मेडिकल टर्म में पेरिकार्डिटिस कहते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे इंफेक्शन (Infection), ऑटोइम्यून कंडिशन (Autoimmune condition) या हार्ट अटैक (Heart attack)। पेरिकार्डिटिस की स्थिति में लेटने के दौरान या सांस लेने पर भी तकलीफ महसूस होती है। वहीं ऐसी स्थिति में सीने में बार बार दर्द (Frequent chest pain) भी महसूस किया जा सकता है।
- गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal reflux disease [GERD])- गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive System) से जुड़ी एक ऐसी समस्या है, जिसमें स्टमक एसिड (Stomach acid) एसोफेगस (Esophagus) में पहुंच जाता है, जिसकी वजह से सीने में जलन (Heartburn), बेचैनी (Discomfort) या कुछ केसेस में सीने में दर्द (Chest pain) की समस्या को भी दावत दे देते हैं। खाने या लेटने के दौरान पेशेंट की परेशानी और ज्यादा बढ़ सकती है।
- पेट का अल्सर (Stomach ulcers)- पेट में अल्सर की समस्या बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial infection) या नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Nonsteroidal anti-inflammatory drugs) के सेवन कारण हो सकती है। पेट में अल्सर की समस्या होने के कारण व्यक्ति के ब्रेस्टबोन (Breastbone) एवं बेली बटन (Belly button) के बीच कहीं भी दर्द की समस्या हो सकती है। दर्द की समस्या कुछ खाने या खाली पेट रहने, दोनों ही स्थितियों में हो सकती है। वहीं अल्सर के कारण बार-बार चेस्ट पेन की समस्या भी पैदा हो सकती है।
- इंजुरी या स्ट्रेन (Injury or strain)- किसी एक्सीडेंट की वजह से इंजुरी हो सकती है और एक्सरसाइज करने के दौरान या मसल एक्टिविटी के दौरान मसल पुल हो सकती है। ऐसी स्थिति भी दर्द का कारण बन सकती है।
- निमोनिया (Pneumonia)- लंग्स से जुड़ी हुई समस्या निमोनिया का मुख्य कारण इंफेक्शन है। निमोनिया की वजह से बुखार (Fever) आना, ठंड (Chills) लगने की समस्या, सांस लेने में तकलीफ (Shortness of breath) या बार-बार सीने में पेन की समस्या हो सकती है।
- प्लूरिसी (Pleurisy)- लंग्स की लाइन एवं चेस्ट की कैविटी में सूजन की समस्या को प्लूरिसी कहते हैं। प्लूरिसी के कई कारण माने गयें हैं जैसे इंफेक्शन (Infections), ऑटोइम्यून कंडिशन (Autoimmune conditions) या कैंसर (Cancer)। गहरी सांस लेने, खांसने या छींकने के दौरान चेस्ट पेन महसूस होती है।
- गॉल्स्टोन (Gallstones)- जिन लोगों में गॉलब्लेडर की समस्या होती है, तो उन लोगों में बार-बार सीने में दर्द (Frequent Chest pain) की समस्या हो सकती है। वैसे तो गॉल्स्टोन की वजह से या इसके शुरुआती दौर में पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द महसूस किया जाता है, लेकिन धीरे-धीरे यही दर्द कंधे (Shoulders) या ब्रेस्टबोन (Breastbone) तक भी फैल जाती है।
- पैनिक अटैक (Panic attack)- पैनिक अटैक बिना कारण या किसी तनावपूर्ण या भयावह घटना के कारण हो सकता है। पैनिक अटैक से पीड़ित लोगों को सीने में दर्द की समस्या हो सकती है, जिसके कारण गलती से दिल का दौरा (Heart attack) पड़ सकता है।
- कॉस्टोकोनड्राइटिस (Costochondritis)- जब रिब्स बोन और ब्रेस्टबोन में इंफेक्शन (Infection), इंजुरी (Injury) या आर्थराइटिस (Arthritis) की वजह से सूज जाए, तो ऐसी स्थिति को कॉस्टोकोनड्राइटिस कहते हैं। कॉस्टोकोनड्राइटिस की समस्या ब्रेस्टबोन के लेफ्ट साइड में होती है और यह तकलीफ डीप ब्रीदिंग (Deep breathing) या खांसने (Coughing) पर और ज्यादा बढ़ जाती है। यही कारण धीरे-धीरे चेस्ट पेन की समस्या को भी दावत दे सकती है।
- पल्मोनरी एम्बोलिज्म (Pulmonary embolism)- पल्मोनरी एम्बोलिज्म की स्थिति तब होती है जब शरीर में कहीं और बनने वाला रक्त का थक्का फेफड़ों में जमा हो जाता है। ऐसी स्थिति में गहरी सांस लेने में कठिनाई (Shortness of breath) हो सकती है हृदय गति (Heart rate) सामान्य से ज्यादा तेज भी हो सकती है। पल्मोनरी एम्बोलिज्म की समस्या मेडिकल एमरजेंसी की ओर इशारा करती है। इसलिए अगर फास्ट हार्ट रेट (Fast heart rate) या ब्रीदिंग प्रॉब्लेम (Breathing problem) महसूस होने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द कंसल्ट करें।
- लंग कैंसर (Lung cancer)- लंग कैंसर के मरीजों में खांसने या गहरी सांस लेने के दौरान बार-बार सीने में दर्द की समस्या महसूस की जा सकती है। लंग कैंसर पेशेंट्स में खांसने (Cough) की समस्या, बिना कारण वजन कम (Unexplained weight loss) होने की समस्या या सांस लेने में कठिनाई (Shortness of breath) महसूस की जा सकती है।
ये हैं सीने में बार बार दर्द (Frequent chest pain) के अलग-अलग कारण। इन कारणों को नजरअंदाज ना करें, क्योंकि इन तकलीफों को मेडिकल ट्रीटमेंट (Medical treatment) से आसानी से दूर करने में मदद मिल सकती है। वहीं लापरवाही किसी गंभीर बीमारी को दावत दे सकती है। बार-बार सीने का दर्द अगर आप या आपके कोई करीबी महसूस कर रहें हैं, तो डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें। डॉक्टर आवश्यक टेस्ट से चेस्ट पेन की गंभीरता को समझकर इलाज शुरू करते हैं।
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सीने में बार बार दर्द होने पर कब लें डॉक्टर की सलाह? (Diagnosis of Frequent chest pain)
अगर आप सीने का दर्द महसूस करते हैं, तो इसकी जानकारी डॉक्टर को दें। बार-बार होने वाले सीने के दर्द एवं अन्य लक्षण महसूस होने वाली परेशानियों को डॉक्टर को बतायें। डॉक्टर द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दें। इस दौरान यह ध्यान रखें कि अगर आपको सीने में दर्द के अलावा अगर कोई और परेशानी है या आप किसी तरह की दवाओं का सेवन करते हैं तो इसकी भी जानकारी हेल्थ एक्सपर्ट जरूर दें। मरीज की शारीरिक परेशानियों और बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखकर निम्नलिखित टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। जैसे:
- ब्लड टेस्ट (Blood tests)- पल्मोनरी एम्बोलिज्म (Pulmonary embolism), हार्ट अटैक (Heart attack) एवं इन्फेक्शन (Infection) की जानकारी मिलती है।
- इमेजिंग टेक्नोलॉजी (Imaging technology)- सीने के टिशू के कंडिशन को समझने के लिए चेस्ट एक्स-रे (Chest x-ray), सीटी स्कैन (CT scan) या एमआरआई स्कैन (MRI scan) की जाती है।
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram [ECG])- हार्ट के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को समझने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट की जाती है।
- कोरोनरी या पल्मोनरी एंजियोग्राम (Coronary or Pulmonary angiogram)- हार्ट एवं लंग्स के आर्टरीज ठीक तरह से काम कर रही है या किसी प्रकार का ब्लॉकेज है, तो इसकी जानकारी कोरोनरी या पल्मोनरी एंजियोग्राम से मिलती है।
- इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)- हार्ट के साउंड वेव को समझने के लिए इकोकार्डियोग्राम टेस्ट किया जाता है।
- स्ट्रेस टेस्ट (Stress test)- तनाव या काम करने के दौरान हार्ट की गतिविधि क्या होती है, इसकी जानकारी स्ट्रेस टेस्ट रिपोर्ट से मिल जाती है।
- इंडोस्कोपी (Endoscopy)- एसोफेगस या पेट के टिशू से जुड़ी अगर कोई समस्या जैसे स्टमक अल्सर (Stomach ulcers) या जीईआरडी (GERD) की जानकारी इस टेस्ट से मिलती है।
- बायोप्सी (Biopsy)- टिशू सैंपल को लैब भेजा जाता है, जिससे डैमेज हुए टिशू की जानकारी मिलती है।
इन्हीं अलग-अलग टेस्ट से सीने में दर्द के मुख्य कारणों की जानकारी मिलती है और इसी के अनुसार मरीज का इलाज शुरू किया जाता है।
सीने में बार बार दर्द का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Frequent chest pain)
बार-बार सीने का दर्द कई कारणों की वजह से होती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर निन्मलिखित दवाओं को प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। जैसे:
- नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Nonsteroidal anti-inflammatory drugs) की सहायता से सूजन या दर्द को दूर किया जाता है।
- सीने में दर्द (Chest pain) एवं ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को कम करने के लिए बीटा-ब्लॉकर्स दी जाती है।
- अगर सिर्फ ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो बीपी कम करने के लिए एसीई इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) प्रिस्क्राइब की जाती है।
- ब्लड वेसेल्स (Blood vessels) को रिलैक्स करने के लिए या चौड़े हुए ब्लड वेसेल्स को कम करने के लिए नाइट्रोग्लिसरीन (Nitroglycerin) के सेवन की सलाह दी जाती है।
- ब्लड क्लॉट की समस्या से परेशान लोगों के लिए ब्लड थिनर (Blood thinners) दी जाती है।
- जमे हुए ब्लड को ब्रेक करने के लिए क्लॉट-बस्टिंग मेडिकेशन (Clot-busting medications) दी जाती है।
- कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol levels) को कम करने के लिए स्टेटिंस (Statins) की मदद ली जाती है।
- अगर स्टमक एसिड की समस्या ज्यादा रहती है और सीने में बार बार दर्द का कारण यही है, तो प्रोटोन पंप इन्हिबिटर्स (Proton pump inhibitors) या एच2 ब्लॉकर्स (H2 blockers) प्रिस्क्राइब की जाती है।
- बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial infections) के लिए एन्टिबायोटिक (Antibiotics) मेडिसिन प्रिस्क्राइब की जाती है ,
- गॉलस्टोन (Gallstones) की समस्या को दूर करने के लिए आवश्यक मेडिसिन दी जाती है।
ये कुछ दवाओं के सेवन से सीने में दर्द की समस्या को दूर किया जा सकता है। वहीं कुछ केसेस में सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।
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सीने में बार बार दर्द : कब पड़ सकती है सर्जरी की जरूरत? (Surgery Frequent chest pain)
निम्नलिखित स्थितियों में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। जैसे:
- ब्लॉक या नैरो हुए आर्टरीज की समस्या को दूर करने के लिए परक्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (Percutaneous Coronary Intervention) की जाती है।
- ब्लॉक हुए आर्टरी की स्थिति में हार्ट बायपास सर्जरी (Heart Bypass Surgery) की जाती है।
- पेरिकार्डिटिस (Pericarditis) या प्लूरिसी (Pleurisy) की समस्या होने पर जमे हुए फ्लूइड को निकाला जाता है।
- लंग्स में ब्लड क्लॉट होने पर कैथेटर-असिस्टेड रिमूवल (Catheter-assisted removal) प्रक्रिया अपनी जाती है।
- गॉल्स्टोन (Gallstone) की समस्या को दूर करने के लिए भी सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
इन्हीं अलग-अलग तरीकों से सीने में दर्द की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसलिए अगर सीने में दर्द हो और बार-बार आता जाता रहता है तो इसे इग्नोर ना करें।
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सीने में बार बार दर्द से कैसे करें बचाव? (Tips to prevent Chest Pain)
सीने का दर्द कर रहा है परेशान तो डॉक्टर से कंसल्टेशन के साथ-साथ निम्नलिखित टिप्स भी फॉलो किये जा सकते हैं। जैसे:
- रोजाना हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करें।
- शरीर का वजन संतुलित (Balanced weight) बनाये रखें।
- तनाव (Stress) से बचें।
- नियमित एक्सरसाइज (Workout) करें और जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज ना करें।
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन कम से कम करें या ना करें।
- स्मोकिंग (Avoid smoking) ना करें।
- स्पाइसी (Spicy food) एवं एसिडिक फूड (Acidic food) का सेवन ना करें।
- समय-समय पर वॉक (Walk) करें।
इन टिप्स को फॉलो करने से डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive system) एवं कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Cardiovascular system) को हेल्दी बनाये रखने में मदद मिल सकती है।
ध्यान दें
उम्मीद करते हैं इस आर्टिकल में आपको सीने में बार बार दर्द (Frequent chest pain) की समस्या से जुड़ी जानकारी अच्छी लगी होगी। वहीं अगर आप सीने में दर्द से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं। हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। हालांकि अगर आप शरीर से जुड़े किसी भी समस्या से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर से कंसल्टेशन करें, क्योंकि ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपके हेल्थ कंडिशन (Health condition) को ध्यान में रखकर इलाज शुरू करेंगे।
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