हार्ट डिजीज को उन कंडिशंस के रेंज के रूप में डिस्क्राइब किया जाता है, जो हार्ट को प्रभावित करती हैं। हार्ट डिजीज में ब्लड वेसल डिजीज (Blood vessel disease) जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease), हार्ट वॉल्व डिजीज (Heart valve disease), हार्ट रिदम प्रॉब्लम (Heart rhythm problems), जन्मजात हृदय दोष (Congenital heart defects) आदि जैसी समस्याएं शामिल हैं। इन समस्याओं का सही समय पर निदान और उपचार बेहद आवश्यक है। आज हम बात करेंगे हार्ट डिजीज डायग्नोसिस (Heart Disease Diagnosis) के बारे में। लेकिन, हार्ट डिजीज डायग्नोसिस (Heart Disease Diagnosis) से पहले हार्ट डिजीज और इसके लक्षणों के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।
क्या हैं हार्ट डिजीज? (Heart Disease)
जैसा की पहले ही बताया गया है कि हार्ट डिजीज उन कंडिशंस को कहा जाता है, जो हार्ट को प्रभावित करती हैं। यह कई प्रकार की होती है, जिनमें से कुछ से बचाव संभव है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) की मानें तो हार्ट डिजीज मृत्यु और अन्य कॉम्प्लीकेशन्स का एक बड़ा कारण है। कई मामलों में यह हार्ट डिजीज साइलेंट होती हैं और तब तक इसका निदान नहीं हो पाता, जब तक रोगी हार्ट अटैक (Heart attack), हार्ट फेलियर या एरिथमिया के लक्षणों को महसूस न कर ले। अब जानिए क्या है इसके लक्षण?
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हार्ट डिजीज के लक्षण (Symptoms of Heart Disease)
हार्ट डिजीज के लक्षण हर रोगी के लिए अलग हो सकते हैं। कई मामलों में रोगी को इसका कोई भी लक्षण नजर नहीं आता है। किंतु, हार्ट डिजीज डायग्नोसिस (Heart Disease Diagnosis) से पहले इसके लक्षणों के बारे में जानकारी होना जरूरी है, ताकि आप समय रहते इन्हें पहचान सकें। इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- एनजाइना या छाती में दर्द (Angina, or chest pain)
- सांस लेने में समस्या (Difficulty breathing)
- थकावट और चक्कर आना (Fatigue and lightheadedness)
- फ्लूइड रिटेंशन के कारण सूजन (Swelling)
बच्चों में जन्मजात हृदय दोष के लक्षणों में सायनोसिस (Cyanosis) या स्किन का नीला होना आदि समस्याएं शामिल है। इसके अलावा हार्ट अटैक (Heart attack) के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- छाती में दर्द (Chest pain)
- सांस लेने में समस्या (Breathlessness)
- हार्ट पल्पिटेशन (Heart palpitation)
- जी मिचलाना (Nausea)
- पेट में दर्द (Stomach pain)
- पसीना आना (Sweating)
- बाजू, जबड़ों, पीठ और टांगों में दर्द (Arm, jaw, back, or leg pain)
- घुटन महसूस होना (Choking sensation)
- सूजे हुए एड़ियां (Swollen ankles)
- थकावट (Fatigue)
- अनियमित हार्टबीट (Irregular heartbeat)
हार्ट अटैक (Heart attack) के कारण कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। इस स्थिति में रोगी को तुरंत मेडिकल हेल्प की आवश्यकता होती है। अब जानते हैं कि कैसे हो सकता है हार्ट डिजीज डायग्नोसिस (Heart Disease Diagnosis)?
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हार्ट डिजीज डायग्नोसिस कैसे संभव है? (Heart Disease Diagnosis)
हार्ट डिजीज डायग्नोसिस (Heart Disease Diagnosis) के दौरान डॉक्टर, रोगी से लक्षणों और फैमिली मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही रोगी की हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर को भी जांचा जा सकता है। रोगी को ब्लड टेस्ट्स कराने के लिए भी कहा जा सकता है, ताकि ब्लडस्ट्रीम में कोलेस्ट्रॉल और फैट के लेवल को जांचा जा सके। इसके साथ ही डॉक्टर को इन टेस्ट्स के माध्यम से डॉक्टर हार्ट डिजीज औरहार्ट अटैक (Heart attack) के रिस्क को जानने में मदद मिलेगी।
इससे डॉक्टर टोटल कोलेस्ट्रॉल (Total cholesterol), लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (Low-density lipoprotein cholesterol), हाय-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (High-density lipoprotein), ट्राइग्लिसराइड्स लेवल (Triglycerides) को जांच सकते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर सी-रिएक्टिव प्रोटीन (C-reactive protein) टेस्ट की सलाह देते हैं, ताकि इंफ्लेमेशन के लक्षणों को जांचा जा सके। डॉक्टर रोगी के हार्ट डिजीज के जोखिम का आकलन करने के लिए आपके सीआरपी (CRP) और कोलेस्ट्रॉल टेस्ट्स के परिणामों का उपयोग कर सकते हैं। हार्ट डिजीज डायग्नोसिस (Heart Disease Diagnosis) के लिए कुछ अन्य टेस्ट्स की सलाह भी दी जा सकती है।
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हार्ट डिजीज के लिए नॉनइंवेसिव टेस्ट्स (Noninvasive tests for heart disease)
शारीरिक जांच और ब्लड टेस्ट्स के बाद डॉक्टर अन्य नॉनइंवेसिव टेस्ट्स के लिए भी कह सकते हैं। नॉनइंवेसिव टेस्ट का अर्थ है, वो टेस्ट्स जिसमें किसी भी ऐसे टूल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है जिससे त्वचा या शरीर को नुकसान हो। यह टेस्ट इस प्रकार हैं
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम एक शार्ट टेस्ट है, जिसे हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मॉनिटर करने के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल असामान्य हार्ट बीट या हार्ट डैमेज की जांच करने के लिए भी किया जा सकता है।
इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
इकोकार्डियोग्राम हार्ट का अल्ट्रासाउंड है। इसमें साउंड वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि हार्ट की तस्वीर बनाई जा सके।
स्ट्रेस टेस्ट (Stress test)
हार्ट डिजीज डायग्नोसिस (Heart Disease Diagnosis) के दौरान डॉक्टर रोगी को तब भी जांचते हैं, जब वो कोई एक्टिविटी कर रहे हों। स्ट्रेस टेस्ट के दौरान रोगी को स्टेशनरी बाइक चलने या ट्रेडमिल पर कुछ देर चलने की सलाह दी जाती है। इस दौरान डॉक्टर मरीज की हार्ट रेट के बढ़ने पर स्ट्रेस के प्रति उनके शरीर की प्रतिक्रिया को जांचेंगे।
हार्ट डिजीज डायग्नोसिस में करॉटिड अल्ट्रासाउंड (Carotid ultrasound)
करॉटिड डुप्लेक्स स्कैन में साउंड वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि गर्दन के दोनों तरफ करॉटिड आर्टरीज की तस्वीर बनाई जा सके। इससे रोगी की आर्टरीज में प्लाक के बिल्डअप और स्ट्रोक के जोखिम के बारे में जाना जा सकता है।
हॉल्टर मॉनिटर (Holter monitor)
अगर डॉक्टर को रोगी के 24 से 48 घंटे से अधिक समय तक हार्ट को मॉनिटर करना हो, तो वो आपको एक डिवाइस को पहनने की सलाह दे सकते हैं, जिसे हॉल्टर मॉनिटर कहा जा सकता है। यह छोटी सी मशीन इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) की तरह काम करती है। इससे डॉक्टर रोगी की हार्ट अब्नोर्मलिटीज की जांच कर सकते हैं।
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हार्ट डिजीज डायग्नोसिस में चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray)
चेस्ट एक्स-रे में कम मात्रा में रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है। ताकि, छाती की इमेज बनाई जा सके, जिसमें हार्ट भी शामिल है। यह टेस्ट आपके डॉक्टर को सांस की तकलीफ या सीने में दर्द का कारण निर्धारित करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही सीटी स्कैन (CT scan) भी कराया जा सकता है।
हार्ट मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Heart Magnetic resonance imaging)
मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग में लार्ज मैग्नेट्स और रेडियो वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है। ताकि, शरीर के अंदर की इमेज बनाई जा सके। हार्ट एमआरआई में ब्लड वेसल्स और हार्ट की तब की तस्वीर बनाई जाएगी जब वो धड़क रहा हो। टेस्ट के बाद डॉक्टर इस इमेज का इस्तेमाल कई हार्ट डिजीज डायग्नोसिस (Heart Disease Diagnosis) के लिए करेंगे जैसे हार्ट मसल डिजीज (Heart muscle diseases) और कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) आदि। अब जानते हैं हार्ट डिजीज डायग्नोसिस (Heart Disease Diagnosis) के इनवेसिव टेस्ट्स के बारे में।
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हार्ट डिजीज डायग्नोसिस के इंवेसिव टेस्ट (Invasive tests for heart disease)
कई बार नॉनइंवेसिव टेस्ट्स से डॉक्टर रोगी की समस्या को सही से नहीं जान पाते हैं। ऐसे में वो इंवेसिव प्रोसीजर की सलाह दे सकते हैं। यह वो तरीका है जिसमेंरोगी के शरीर में टूल्स का इस्तेमाल किया जाता है जैसे नीडल, ट्यूब या स्कोप आदि। यह टेस्ट्स इस प्रकार हैं:
- कोरोनरी एंजियोग्राफी और कार्डियक कैथेटेराइजेशन (Coronary angiography and cardiac catheterization)
- इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी स्टडी (Electrophysiology study)
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यह तो थी हार्ट डिजीज डायग्नोसिस (Heart Disease Diagnosis) के बारे में जानकारी। दिल की परेशानियों के सही निदान के बाद डॉक्टर रोगी के लिए सही उपचार के बारे में विचार करेंगे। इसके उपचार में हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना, दवाईयों और सर्जरी आदि शामिल हैं। हार्ट डिजीज के किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसका कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है। अगर आपके मन में इस बारे में कोई भी सवाल हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।
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