यह तो आप समझ ही गए होंगे कि पुरुषों और महिलाओं में एंजाइना डिफरेंस (Angina difference in men and women) होता है। महिलाओं में इसके लक्षण अन्य कंडिशंस जैसे हो सकते हैं। ऐसे में इसका निदान करना मुश्किल हो सकता है। जानिए ऐसे में महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है रिस्क फैक्टर्स को पहचानना?

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इसके रिस्क फैक्टर्स को पहचानें
महिलाओं में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज को बहुत भयानक माना गया है। ऐसा माना गया है कि महिलाओ की बड़ी संख्या इस समस्या से पीड़ित है। ऐसे में इसे इग्नोर बिलकुल भी न करें। इसके रिस्क फैक्टर्स को पहचानना बेहद जरूरी है। क्योंकि, अस्सी प्रतिशत मामलों में हार्ट डिजीज से बचाव संभव है। इसलिए न केवल महिलाओं के लिए इस समस्या के लक्षणों को पहचानना बल्कि एंजाइना और हार्ट डिजीज से जुड़े रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानकारी होना भी जरूरी है। इसके रिस्क फैक्टर्स में एंजाइना (Angina) की फैमिली हिस्ट्री, डायबिटीज, स्मोकिंग, हाय ब्लड प्रेशर, ओबेसिटी, स्ट्रेस आदि शामिल हैं। यह तो थी जानकारी पुरुषों और महिलाओं में एंजाइना डिफरेंस (Angina difference in men and women) के बारे में। अब जानिए कि किस तरह से संभव है इस परेशानी का उपचार?
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एंजाइना (Angina) का उपचार कैसे किया जा सकता है?
इस समस्या के उपचार के लिए सबसे पहले इसके लक्षणों को पहचाना और निदान जरूरी है। इसके उपचार के तरीके इस प्रकार हैं:
- जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle changes): जैसे सही आहार का सेवन, नियमित व्यायाम, तंबाकू और एल्कोहॉल से दूर रहना और स्ट्रेस से बचाव आदि।
- मेडिकेशन्स (Medications): जैसे नाइट्रेट्स (Nitrates), एस्पिरिन (Aspirin), बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers), स्टेटिंस (Statins), कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (Calcium channel blockers) आदि।
- सर्जरी (Surgery): जैसे एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग (Angioplasty and stenting) और ओपन हार्ट सर्जरी (Open-heart surgery)।
एंजाइना (Angina) के उपचार का लक्ष्य लक्षणों की फ्रेक्वेंसी और गंभीरता को कम करना और हार्ट अटैक (Heart attack) व डेथ के जोखिम को कम करना है। यदि आपको अनस्टेबल एंजाइना या एंजाइना पेन है, जो आपके सामान्य से अलग है, तो आपको तुरंत उपचार की जरूरत होगी। अब जान लेते हैं कि कैसे बचा जा सकता है इस समस्या से?