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इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD): एब्नार्मल हार्ट बीट्स को नार्मल करने के लिए किया जाता है यूज!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD): एब्नार्मल हार्ट बीट्स को नार्मल करने के लिए किया जाता है यूज!

    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) (Implantable cardioverter-defibrillator) एक बैटरी पॉवर्ड डिवाइस है, जिसे सीने में लगाया जाता है। ताकि एब्नार्मल हार्ट बीट्स को डिटेक्ट किया जा सके और रोका जा सके। इन एब्नार्मल हार्ट बीट्स को एरिथमिया (Arrhythmia) कहा जाता है। इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) से लगातार हार्ट बीट (Heart Beat) को मॉनिटर किया जा सकता है। यही नहीं, जरूरत पड़ने पर एब्नार्मल हार्ट रिदम को रिस्टोर करने के लिए इससे इलेक्ट्रिक शॉक (Electric Shock) भी दिए जा सकते हैं। बहुत अधिक तेज हार्ट बीट्स की स्थिति में भी इस डिवाइस का प्रयोग किया जा सकता है, जब हमारे दिल को शरीर के बाकी हिस्सों में पर्याप्त रक्त की आपूर्ति करने में समस्या होती है। आज हम बात करने वाले हैं बेहतरीन इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) के बारे में। लेकिन, इससे पहले इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (Implantable cardioverter-defibrillator) के बारे में थोड़ी जानकारी प्राप्त करना जरूरी है।

    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) क्या है? (Implantable cardioverter-defibrillator)

    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) उस डिवाइस को कहा जाता है, जिसका प्रयोग जानलेवा और रेपिड हार्ट बीट (Rapid Heart Beat) को डिटेक्ट करने के लिए किया जाता है। जानलेवा और रेपिड हार्ट बीट की स्थिति में इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) तुरंत हार्ट को इलेक्ट्रिक शॉक भेज देता है। शॉक में बदलाव से हार्ट रिदम (Heart Rhythm) फिर से सामान्य हो जाती है। जिसे डिफाइब्रिलेटर (Defibrillator) कहा जाता है। इस डिवाइस को पेसमेकर न समझें क्योंकि यह पेसमेकर (Pacemaker) से अलग है। अब जानते हैं इसके प्रकारों के बारे में।

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    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) के प्रकार कौन से हैं? (Type of Implantable cardioverter-defibrillator)

    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (Implantable cardioverter-defibrillator) को एक तरह से कार्डिएक थेरेपी डिवाइस (Cardiac therapy device) कहा जाता है और इसके दो बेसिक प्रकार इस तरह से हैं:

    • ट्रेडिशनल इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (Traditional ICD): यह डिवाइस चेस्ट में इम्प्लांट होती है और इसके वायर्स को हार्ट में अटैच किया जाता है। 
    • सबक्यूटेनियस इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (Subcutaneous ICD): इस डिवाइस को त्वचा में आर्मपिट के नीचे छाती की एक तरफ लगाया जाता है। यह एक इलेक्ट्रोड से अटैच होता है। यह डिवाइस ट्रेडिशनल ICD (Traditional ICD) से बड़ा होता है, लेकिन इसे हार्ट से अटैच नहीं किया जाता है। यह तो थे इसके प्रकार। अब जानिए कि किन लोगों को और किन परिस्थितियों में इस डिवाइस का प्रयोग किया जाता है?

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    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर की जरूरत क्यों होती है?

    जैसा की आप जानते ही हैं कि इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (Implantable cardioverter-defibrillator) लगातार एब्नार्मल हार्ट बीट्स (Abnormal Heart Beats) को मॉनिटर करता है और तुरंत उसे ठीक करने की कोशिश करता है। यह डिवाइस उस समय बेहद मददगार होता है, जब आपका हार्ट सही से बीट करना बंद कर देता है यानी आपको कार्डिएक अरेस्ट का अनुभव होता है और आप अस्पताल के नजदीक नहीं होते।

    किसी खास एब्नार्मल हार्ट बीट्स जैसे सस्टैंड वेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया (sustained ventricular tachycardia) के लक्षणों को दूर करने के लिए भी डॉक्टर इस डिवाइस के प्रयोग की सलाह दे सकते हैं। अगर आप कार्डिएक अरेस्ट के सर्वाइवर हैं, तो भी इसकी सलाह दी जा सकती है। इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) के अन्य लाभ इस प्रकार है:

    • अगर किसी की कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) और हार्ट अटैक (Heart attack) की हिस्ट्री है जिनके कारण हार्ट कमजोर होता है। तो उस स्थिति में इस डिवाइस का प्रयोग किया जा सकता है।
    • एंलार्जड हार्ट मसल (Enlarged heart muscle) की स्थिति में भी इसके इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।
    • जेनेटिक हार्ट कंडिशंस (Genetic heart condition) जो भयानक रूप से फ़ास्ट हार्ट रिदम के जोखिम को बढाती हैं, उनमें भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • अन्य दुर्लभ कंडिशंस में भी इस डिवाइस का प्रयोग किया जा सकता है, जिनका प्रभाव हार्ट बीट पर पड़ता है।

    इसके अलावा, सबक्यूटेनियस इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) की सलाह डॉक्टर तब भी दे सकते हैं, अगर आपके हार्ट में स्ट्रक्चरल डिफेक्ट्स (Structural defects हों। कुछ अन्य स्थितियों में भी इस डिवाइस का प्रयोग किया जा सकता है। रोगी के लिए यह डिवाइस सही है या नहीं इसका निर्णय डॉक्टर कई फैक्टर्स को ध्यान में रखकर लेते हैं। अब जानते हैं उन बेहतरीन इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) (Implantable cardioverter-defibrillator) के बारे में, जो आसानी से उपलब्ध हैं।

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    बेहतरीन इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) कौन से हैं? (Implantable cardioverter-defibrillator)

    मेडलाइनप्लस (MedlinePlus) के अनुसार बेहतरीन इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) रोगी की हार्टबीट को लगातार मॉनिटर करता है और यह सुनिश्चित करता है कि यह स्थिर है या नहीं। जब उसे जानलेवा रिदम का अनुभव होता है, तो वो हार्ट तक शॉक को डिलीवर करता है। यह डिवाइस पेसमेकर की तरह काम कर सकता है लेकिन यह पेसमेकर नहीं है। आइए जानें, कुछ बेहतरीन इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) (Implantable cardioverter-defibrillator) के बारे में।

    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर विजिया (Implantable cardioverter-defibrillator VISIA)

    यह इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (Implantable cardioverter-defibrillator) , मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging) कम्पैटिबल है। विजिया AF™ और विजिया AF MRI™ वो सिंगल चैम्बर इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) डिवाइसेस हैं, जो ट्रेडिशनल लीड के साथ है। यह डिवाइस रोगी में लगातार एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) को मॉनिटर, डायग्नोज और मैनेज कर सकते हैं। लेकिन, प्रयोग से पहले डॉक्टर यह सुनिश्चित कर लें कि जब प्रयोग के लिए एमआर ? कंडिशंस पूरी हो जाएं, तो रोगियों को विजिया ? AF, एमआरआई के साथ 1.5T और 3T एमआरआई एक्सेस प्राप्त हो। सिंगल चैम्बर इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (Single Chamber Implantable cardioverter-defibrillator) की जरूरत एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) के निदान के लिए इन स्थतियों में पड़ती है, अगर:

    • एट्रियल फिब्रिलेशन स्ट्रोक के जोखिम को 5×1 तक बढ़ा दे।
    • एट्रियल फिब्रिलेशन हार्ट फेलियर के जोखिम को 3×2 तक बढ़ा दे।
    • एट्रियल फिब्रिलेशन के 79-94% एपिसोड्स एसिम्पटोमैटिक हों।
    • एट्रियल फिब्रिलेशन एपिसोड्स के 68% मामले एनुअल होल्टर मॉनिटर (Annual Holter Monitor) के साथ मिस हो गए हों।
    • सिंगल चैम्बर इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (Implantable cardioverter-defibrillator) के 27% पेशेंट्स में प्रत्यारोपण के बाद पहले 6 महीनों के भीतर नए ऑनसेट एट्रियल फिब्रिलेशन (Onset Atrial fibrillation) के लक्षण विकसित हो जाएं।
    • एट्रियल फिब्रिलेशन, वेंट्रिकल में भी संचालित हो सकता है, जिसकी वजह से हार्ट रेट में बदलाव आ सकता है और जिससे आर वेव्ज (R waves) की टाइमिंग में भी बदलाव परिवर्तन आ सकता है।

    इस इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) की कीमत के बारे में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर एवरा एमआरआई (Implantable cardioverter-defibrillator Evera MRI)

    एवरा एमआरआई इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर, वो पहले इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (Implantable cardioverter-defibrillator) हैं, जिन्हें 1.5T and 3T एमआर -कंडिशनल एनवायरनमेंट में प्रयोग करने का अप्रूवल मिला है। इसके प्रयोग से पहले डॉक्टर इस बात को सुनिश्चित कर लें कि जब प्रयोग के लिए एमआर कंडिशंस पूरी हो रही हों, तो रोगी को बिना किसी पोजिशनिंग रिस्ट्रिक्शन (Positioning Restrictions) के पूरे शरीर का एमआरआई स्कैन का एक्सेस मिल सके। लेकिन, इस डिवाइस के प्रयोग से पहले यह जानना भी जरूरी है कि अगर रोगी किसी अन्य रोग से पीड़ित है या किसी अन्य दवाई का सेवन कर रहा है, तो इससे इस डिवाइस के प्रोग्राम्ड पैरामीटर्स (Programmed Parameters) पर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, अपने डॉक्टर से इसके बारे में पूरी जानकारी लें और डॉक्टर को भी रोगी की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में सब कुछ पता होना चाहिए।

    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेशन (ICD)

    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर आईडोवा 7 डीआर-टी/वीआर-टी (Implantable cardioverter-defibrillator ICD Idova 7 DR-T/VR-T)

    आईडोवा 7 इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) सीरीज होम मॉनिटरिंग® (Home Monitoring®) और प्रोएमआरआई® (Pro MRI®) के साथ उपलब्ध हैं। यह दुनिया का पहला और एकमात्र एमआर कंडिशनल 45 जे सीरीज (MR conditional 45 J series) है, जो पहले शॉक के साथ अल्ट्रा हाय एनर्जी (Ultra High Energy) को डिलीवर करने में सक्षम है। यह डिवाइस उन लोगों को अधिक पावरफुल थेरेपी प्रोवाइड कर सकता है, जिन्हें हाय डिफाइब्रिलेटर थ्रेशोल्ड (Defibrillator Threshold) का जोखिम हो। बायोट्रोनिक होम मॉनिटरिंग (Biotronik Home Monitoring) से वायरलेस पेशेंट मॉनिटरिंग आसानी से हो पाती है। जिसमें होम मॉनिटरिंग शामिल है। इस प्रोडक्ट की खासियत इस प्रकार है:

  • अधिकतम एनर्जी के साथ पहला शॉक 
  • हाय डिफाइब्रिलेटर थ्रेशोल्ड (High Defibrillator Threshold) के जोखिम वाले रोगियों के लिए लाभदायक
  • बेहतरीन लोंगेविटी
  • डिवाइस रिप्लेसमेंट इंटरवल्स को कम करना
  • साइज को सुधारना
  • रोगी के आराम को बढ़ाना और रिप्लेसमेंट इंटरवल्स (Replacement intervals) का विस्तार करना
  • और पढ़ें: बैक्टीरियल एंडोकार्डाइटिस (Bacterial endocarditis): हार्ट में होने वाला ये इंफेक्शन हो सकता है जानलेवा

    एबेट इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) (Abbott Implantable cardioverter-defibrillator)

    एबेट में भी हाल ही में भारत में नेक्स्ट जनरेशन हार्ट रिदम मैनेजमेंट डिवाइसेस (Heart Rhythm Management Devices) को लांच किया है। इनमें नए इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (Implantable cardioverter-defibrillator) और कार्डिएक रीसिंक्रोनाइजेशन थेरेपी डिफाइब्रिलेटर (Cardiac Resynchronization Therapy Defibrillator) डिवाइस शामिल हैं। यह एब्नॉर्मल हार्ट रिदम (Abnormal Heart Rhythm) और हार्ट फेलियर (Heart Failure) के रोगियों के लिए फायदेमंद है। इसमें स्मार्टफोन कनेक्टिविटी और कनेक्टेड ऍप्लिकेशन्स के माध्यम से रिमोट मॉनिटरिंग संभव है। इसके अन्य लाभों में बेहतरीन डिजाइन (Better Design), इम्प्रूव्ड बैटरी लोंगेविटी (Improved Battery Longevity) और एमआरआई कम्पैटिबिलिटी (MRI Compatibility) आदि शामिल है। यह डिवाइस लोगों को किसी भी समय अपने डॉक्टर से भी संपर्क करने में मदद कर सकता है, चाहे वो घर पर भी न हों। इस डिवाइस की कीमत के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है।

    अगर आपको इस डिवाइस की सलाह दी गई है तो इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) के बारे में अपने डॉक्टर से पहले ही जाना लें। हालांकि, इन्हें बेहद प्रभावशाली माना गया है लेकिन कुछ रिस्क फैक्टर्स भी इससे जुड़े हो सकते हैं। जानिए इन जोखिमों के बारे में।

    और पढ़ें: माइट्रल वॉल्व एंडोकार्डाइटिस : हार्ट वाल्व की सूजन के बारे में जानें इस आर्टिकल के माध्यम से!

    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर से जुड़े जोखिम क्या हैं? (Risk of Implantable cardioverter-defibrillator)

    इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) के लिए सर्जरी का प्रयोग किया जाता है। इस सर्जरी से जुड़े रिस्क इस प्रकार हैं:

  • टांगों में ब्लड क्लॉट्स जो लंग्स तक ट्रेवल कर सकते हैं (Blood clots)
  • ब्रीदिंग प्रॉब्लम (Breathing problems)
  • हार्ट अटैक या स्ट्रोक (Heart attack or stroke)
  • सर्जरी के दौरान दवाईयों जैसे एनेस्थीसिया (anesthesia) से एलर्जिक रिएक्शंस (Allergic reactions)
  • इंफेक्शन (Infection)
  • घाव में इंफेक्शन (Wound infection)
  • हार्ट और लंग्स में इंजरी (Injury to heart or lungs)
  • खतरनाक हार्ट एरिथमिया (Dangerous heart arrhythmia)
  • इसके साथ ही, इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) (Implantable cardioverter-defibrillator) कई बार हार्ट को तब भी शॉक दे सकती है। जब आपको इसकी जरूरत न भी हो। हालांकि हो सकता है कि यह शॉक कम समय तक हो। लेकिन ,अधिकतर मामलों में रोगी इसे महसूस करते हैं। इस समस्या और इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) से जुडी अन्य समस्याओं से बचाव के लिए डॉक्टर आपके इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (Implantable cardioverter-defibrillator) के प्रोग्राम के तरीके को बदल सकते हैं। अगर आपको इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) के इम्प्लांटेशन के बाद कोई भी समस्या होती है या इससे आपका दैनिक रूटीन पर प्रभाव पड़ता है, तो बिना देरी किए तुरंत मेडिकल हेल्प लेना आवश्यक है।

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    कितना जानते हैं अपने दिल के बारे में? क्विज खेलें और जानें

    यह तो थी इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (ICD) के बारे में जानकारी। अगर डॉक्टर किसी मरीज को इस डिवाइस के इम्प्लांटेशन की सलाह देते हैं तो रोगी को सबसे पहले डॉक्टर से इसके बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए। यही नहीं, इसके इम्प्लांटेशन से पहले डॉक्टर को मरीज की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता होना जरूरी है। यही नहीं, अगर आपको कोई एलर्जी है या आप किसी दवाई का सेवन कर रहे हैं, तो इस बारे में पहले ही डॉक्टर को बता दें। इस डिवाइस के इम्प्लांटेशन के बारे मरीज को ठीक होने में कुछ हफ़्तों का समय लगता है। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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