मायोफेशियल पेन सिंड्रोम (Myofascial pain syndrome) एक क्रोनिक पेन डिसऑर्डर है। इस कंडिशन में प्रेशर के कारण मसल्स के सेंसटिव पॉइंट्स पर दर्द होता है। मायोफेशियल सिंड्रोम मायो (Myo) और फेशिया (Fascia) को अफेक्ट करता है। मायो (Myo) का मतलब है होता है मसल्स (Muscle) और फेशियल (Fascial) यानी कि फेशिया (Fascia)। फेशिया पतले, व्हाइट और कनेक्टिव टिशू होते हैं जो प्रत्येक मसल्स को कवर करके रखते हैं। मायोफेशियल पेन सिंड्रोम का सामना कर रहे लोगों में सेंसटिव स्पॉट्स को ट्रिगर पॉइंट कहा जाता है। अक्सर लोग मसल्स पेन का अनुभव करते हैं, लेकिन कुछ सप्ताह बाद यह अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ लोगों को मसल्स पेन लगातार होता रहता है। इसे ही मायोफेशियल पेन सिंड्रोम कहते हैं। इस पेन सिंड्रोम का इलाज फिजिकल थेरिपी और ट्रिगर पॉइंट इंजेक्शन से किया जाता है। पेन मेडिकेशन और रिलैक्शेसन टेक्निक भी मददगार हो सकती है।
मायोफेशियल पेन सिंड्रोम के लक्षण (Myofascial pain syndrome symptoms)
मायोफेशियल पेन सिंड्रोम के लक्षणों में निम्न शामिल हैं।
- मसल्स में तेज दर्द
- दर्द जो लगातार बना रहता है और बिगड़ता जाता है
- मांसपेशी में कोमल गांठ का बनना
- पेन के कारण सोने में तकलीफ होना
- चिड़चिड़ापन रहना
- मांसपेशियों का कमजोर, सख्त होना
- मांसपेशियों के मोशन में कमी आना
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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आपको लगातार मसल पेन हो रहा है और यह लंबे समय से जारी है। अगर मसाज करने, आराम करने और सेल्फ केयर टेक्निक को अपनाने के बाद भी इसमें कोई सुधार नहीं हो रहा तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। वे आपको इसका उचित इलाज प्रदान करेंगे। इस पेन को रेगुलर पेन समझकर इग्नोर ना करें।
मायोफेशियल पेन सिंड्रोम के कारण क्या है? (Myofascial pain syndrome causes)
मांसपेशियों का अधिक यूज या इंजरी के कारण मसल्स में सेंसटिव एरियाज या ट्रिंगर पॉइंट (Triger points) बन जाते हैं। इन ट्रिगर पॉइंट की वजह से मांसपेशियों में स्ट्रेन और (Muscle strain) पेन हो सकता है। जो लोग लगातार तनाव और चिंता का अनुभव करते हैं उनकी मसल्स में ट्रिंगर पॉइंट के डेवलप होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। इन ट्रिगर पॉइंट्स को बनने में निम्न फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं।
- खराब पॉश्चर (Wrong posture)
- गलत पॉजिशन में बैठकर दिनभर काम करना
- पोषक तत्वों की कमी
- एक्सरसाइज (Exercise) न करना या मूवमेंट में कमी
- मस्क्युलोस्केलेटल सिस्टम (Musculoskeletal system) में किसी प्रकार की इंजरी
- नींद की कमी
- मोटापा
- दूसरी पेन और इंफ्लामेशन कंडिशन (Inflammation condition)
- दिन भर कंप्यूटर पर काम करने या भारी सामान को उठाना
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मायोफेशियल पेन सिंड्रोम से जुड़े कॉम्प्लिकेशन क्या हैं? (Myofascial pain syndrome complication)
मायोफेशियल पेन सिंड्रोम के कारण लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जिनमें से प्रमुख निम्न हैं।
स्लीप प्रॉब्लम्स (Sleep problems)
मायोफेशियल पेन के चलते आपको सोने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कंफर्टेबल स्लीप पॉजिशन को अपनाने के लिए आपको काफी संघर्ष करना पड़ सकता है। अगर आप सो भी जाते हैं तो हो सकता है कि आप ट्रिगर पॉइंट को हिट कर दें और आपको जागना पड़े।
फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia)
कुछ रिसर्च में ऐसा कहा गया है कि मायोफेशियल सिंड्रोम कुछ लोगों में फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia) को डेवलप कर सकता है। यह एक ऐसी क्रोनिक कंडिशन है जिसमें दर्द ज्यादा होता है। यह माना जाता है कि फाइब्रोमायल्जिया से पीड़ित लोगों का दिमाग समय के साथ दर्द के संकेतों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि मायोफेशियल पेन सिंड्रोम (Myofascial pain syndrome) इस प्रक्रिया को शुरू करने में भूमिका निभा सकता है।
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मायोफेशियल पेन सिंड्रोम का पता कैसे लगाया जाता है? (Myofascial pain syndrome Diagnosis)
फिजिकल एग्जाम के दौरान डॉक्टर पेनफुल एरियाज पर जेंटल फिंगर प्रेशर डालते हैं। अलग-अगल तरह से प्रेशर डालकर वे दर्द का कारण पता लगाने की कोशिश करेंगे। मसल्स पेन के कई कारण हो सकते हैं। डॉक्टर इसका सही पता लगाने के लिए दूसरे टेस्ट भी रिकमंड कर सकते हैं।
मायोफेशिल पेन सिंड्रोम का ट्रीटमेंट (Myofascial pain syndrome)
मायोफेशियल पेन सिंड्रोम का ट्रीटमेंट निम्न प्रकार से किया जाता है।
मेडिकेशन (Medication)
मायोफेशियल सिंड्रोम के लिए मेडिकेशन का उपयोग निम्न प्रकार से किया जाता है।
पेन रिलीवर्स (Pain relievers)
ओवर द काउंटर पेन रिलीवर्स जैसे कि आईबुप्रोफेन (Ibuprofen) और नैप्रोक्सेन (Naproxen) दर्द को कंट्रोल करने में मददगार हो सकती हैं। इसके अलावा डॉक्टर भी कुछ स्ट्रॉन्ग पेन रिलीवर्स प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। कुछ दवाएं पैचेज के रूप में उपलब्ध होती हैं। जिन्हें स्किन पर प्लेस करना पड़ता है।
एंटीडिप्रेसेंट (Antidepressants)
कई प्रकार की एंटीडिप्रेसेंट दर्द से राहत दिलाने में मदद करती हैं। कई लोगों पर इनका उपयोग मायोफेशियल पेन सिंड्रोम (Myofascial Pain syndrome) के लक्षणों से राहत दिलाकर स्लीप को इम्प्रूव करता है।
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सेडेटिव्स (Sedatives)
यह मायोफेशियल पेन सिंड्रोम के कारण होने वाली नींद की परेशानी और चिंता को दूर करती है। इसका उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए क्योंकि इसकी आदत पड़ सकती है। यहां बताई गई किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।
थेरिपी (Therapy)
फिजिकल थेरेपिस्ट की मदद से मायोफेशियल पेन सिंड्रोम (Myofascial Pain syndrome) से राहत प्राप्त की जा सकती है।
स्ट्रेचिंग (Stretching)
फिजियोथेरेपिस्ट कुछ स्ट्रेंचिंग एक्सरसाइज करवाएगा जिससे प्रभावित मसल्स का दर्द कम हो जाएगा। अगर स्ट्रेचिंग (Stretching) के दौरान दर्द होता है तो डॉक्टर उस जगह को नम कर देंगे, ताकि आप एक्सरसाइज आसानी से कर सकें।
पॉश्चर ट्रेनिंग (Posture training)
पॉश्चर को ठीक या इम्प्रूव करके मायोफेशियल पेन को कम किया जा सकता है, जो कि खासतौर पर गर्दन में होता है। स्ट्रेंथ एक्सरसाइज की मदद से ट्रिगर पॉइंट्स की मसल्स को स्ट्रॉन्ग बनाकर दर्द से राहत प्राप्त की जा सकती है।
मसाज (Massage)
फिजिकल थेरेपिस्ट अफेक्ट एरिया पर मसाज दे सकता है। मसाज के दौरान किसी स्पेसिफिक एरिया पर टेंशन रिलीज करने के लिए प्रेशर भी दिया जाता है। मसाज दर्द से राहत दिलाने में मददगार है।
अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
इसमें साउंड वेव्स का उपयोग अफेक्टेड एरिया पर किया जाता है। जिससे मायोफेशियल पेन सिंड्रोम के कारण अफेक्ट होने वाली मसल्स हील होती हैं। इससे ब्लड सर्क्युलेशन (Blood Circulation) के बढ़ने के साथ ही गर्माहट का एहसास होता है।
हॉट कम्प्रेस (Hot Compress)
हॉट पैक का अफेक्टेड एरिया पर उपयोग मसल टेंशन (Muscle tension ) को दूर करके पेन कम करता है। इसके लिए मार्केट से आप इक्विमेंट खरीद सकते हैं।
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मायोफेशियल पेन सिंड्रोम होने पर इन बातों का भी रखें ध्यान
कुछ बातों का ध्यान रखकर आप इस पेन का मुकाबला कर सकते हैं और इसे कम भी कर सकते हैं।
- एक्सरसाइज पेन से लड़ने में करने में मददगार होती है। इसलिए रेगुलर एक्सरसाइज करते रहे। अपने फिजियोथेरेपिस्ट से उचित एक्सरसाइज के बारे में पूछें और उसे ही करें।
- अगर आप तनाव में है तो आप पेन का अनुभव अधिक करेंगे। इसलिए रिलैक्स करना बहुत जरूरी है। मेडिटेशन, राइटिंग या दोस्तों से बात करना तनाव कम करने में मददगार हो सकता है
- हेल्दी डायट (Healthy Diet) को फॉलो करें। जिसमें फ्रूट्स और वेजिटेबल को शामिल करें। पर्याप्त नींद लें ताकि आप जब उठें तो थकान न लगे।
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