डेंटल इम्प्लांट को दांतों की एक नई तकनीक माना जाता है, लेकिन यह वास्तव में एक पुरानी तकनीक है। इसकी खोज 1952 में एक स्वीडिश ऑर्थोपेडिक सर्जन ने की थी। यह एक ऐसी सर्जरी है, जिसमें दांतों की जड़ों को बदल दिया जाता है। डेंटल इम्प्लांट्स विभिन्न आकारों और प्रकारों में आते हैं। डेंटल इम्प्लांट्स डॉक्टर आपको यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि आपकी विशेष आवश्यकताओं के आधार पर कौन-सा विकल्प आपके लिए सबसे अच्छा है। आज हम इस लेख के माध्यम से डेंटल इम्प्लांट्स के बारे में समझने की कोशिश करेंगें।
डेंटल इम्प्लांट्स मेड इजी किताब के लेखक जोनाथन पेन्कास के अनुसार, “डेंटल इम्प्लांट्स, अधूरी मुस्कुराहट वाले लोगों के मिसिंग दांतों को पुनर्स्थापित करता है। वे बीमारी, आघात या उपेक्षा से खोए हुए स्थायी दांतों की जगह लेते हैं। डेंटल इम्प्लांट्स एक तरह से मुस्कान और दातों के कार्यों को सुधारते हैं। डेंटल इम्प्लांट्स, लोगों को उनके मौखिक स्वास्थ्य पर नियंत्रण पाने में मदद करते हैं। इम्प्लांट्स को एक स्थायी टीथ रिप्लेसमेंट माना जाता है, क्योंकि टाइटेनियम इम्प्लांट्स वास्तव में आपके जबड़े की संरचना का एक स्थायी हिस्सा बन जाते हैं”।
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डेंटल इम्प्लांट क्या है?
डेंटल इम्प्लांट क्या है? इस बारे में कई लोग जानना चाहते हैं। डेंटल इम्प्लांट नकली दांतों को सहारा देने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में टाइटेनियम नाम की धातु से बने स्क्रू को जबड़े में डाल दिया जाता है। दांत की जड़ की तरह ही इसे जबड़े की हड्डी में रखा जाता है। इसे कुछ महीने तक मुंह में रखा जाता है, ताकि ऑस्टियोइंटीग्रेशन के माध्यम से आपस में जुड़ जाएं और स्क्रू हमेशा के लिए इसमें फिट हो जाए। डेंटल इम्प्लांट गायब दांत की जड़ की जगह काम करता है, यानी इसे आर्टिफिशियल टूथ रूट के रूप में भी जाना जाता है।
डेंटल इम्प्लांट कराने के फायदे
- आपको बेहतर बनाता है। इसे कराने के बाद आपको देखकर कोई नहीं पहचान सकता कि आपके दांत नहीं है।
- इससे आप बेहतर तरीके से बात कर सकते हैं। कमजोर दांतों से बोलने में तकलीफ होती है।
- इसे कराने के बाद आपको खाना खाने में भी आसानी होती है। आप बिना किसी टेंशन के अपने पसंद की हर चीज खा सकते हैं।
- इसे कराने के बाद आपका आत्मविश्वास बढ़ता है और आप बेहतर महसूस करते हैं।
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डेंटल इम्प्लांट (Dental Implants) के प्रकार
डेंटल इम्प्लांट के प्रकार यह हैं:
एंडोस्टील (Endosteal)
इस डेंटल इम्प्लांट को जबड़ों में किया जाता है। इसे आमतौर पर टाइटेनियम से बनाया जाता है और इसका आकार छोटे स्क्रू की तरह होता है। ज्यादातर एंडोस्टील इम्प्लांट्स का प्रयोग ही किया जाता है। इस इम्प्लांट में एक या अधिक कृत्रिम दांत लगा सकते हैं। अगर आपको एंडोस्टील इम्प्लांट्स कराना है, तो डॉक्टर आपकी जांच करेंगे और वो कुछ चीजों से यह जांचेंगे कि आपका एंडोस्टील इम्प्लांट्स किया जा सकता है या नहीं। इसके लिए आपका इन महत्वपूर्ण मापदंडों को पूरा करना बेहद आवश्यक है जैसे:
- आपके दांतो के साथ-साथ आपकी पूरी सेहत अच्छी होनी चाहिए।
- आपने मसूड़े और मसूड़ों के टिश्यू स्वस्थ होना चाहिए।
- आपके जबड़े पूरी तरह से विकसित होने चाहिए।
- आपके जबड़ों में पर्याप्त हड्डियां हों।
- आपकी इच्छा डेन्चर पहनने में न हो।
- आप तंबाकू का सेवन न करते हों।
यही नहीं, इसके लिए आपको अपने कुछ हफ्ते या महीने देने होंगे, ताकि पूरी प्रक्रिया आसानी से हो सके। अगर आपके डेंटिस्ट को लगेगा कि आप एंडोस्टील इम्प्लांट्स के लिए सही नहीं हैं, तो वो आपको अन्य विकल्प भी दे सकते हैं।
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सबपेरिओस्टील (Subperiosteal)
सबपेरिओस्टील डेंटल इम्प्लांट में मसूड़ों के नीचे इम्प्लांट किया जाता है, लेकिन यह जबड़ों के ऊपर होता है। इस इम्प्लांट का प्रयोग उन रोगियों पर किया जाता है, जिनके जबड़े प्राकृतिक रूप से स्वस्थ नहीं होते या जो लोग बोन ऑग्मेंटेशन प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहते। इस स्थिति में डेंटिस्ट आपको सबपेरिओस्टील इम्प्लांट की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा वो अन्य तरीकों को भी अपना सकते हैं जैसे:
बोन ऑग्मेंटेशन (Bone augmentation)
बोन ऑग्मेंटेशन में हड्डियों को जोड़ने और उनके विकास करने के फैक्टर्स का प्रयोग कर के आपके जबड़ों में हड्डी को जोड़ा और उसकी मरम्मत की जाती है।
रिज एक्सपेंशन (Ring expansion)
इस प्रक्रिया में बोन ग्राफ्ट सामग्री को जबड़े के ऊपर पर बनाई गई एक छोटी रिज के साथ जोड़ा जाता है।
साइनस ऑग्मेंटेशन (Sinus augmentation)
इस प्रक्रिया में हड्डी को साइनस के नीचे जोड़ा जाता है, जिसे साइनस एलिवेशन और साइनस लिफ्ट कहा जाता है।
द बोन ऑग्मेंटेशन, रिज एक्सपेंशन और साइनस ऑग्मेंटेशन वो तरीके हैं, जिनसे रोग के जबड़े की हड्डियों को इतना मजबूत बनाया जाता है, ताकि वो एंडोस्टील इम्प्लांट्स तरीके को नियंत्रित कर पाएं।
जयगोमाटिक इम्प्लांट्स (Zygomatic Implants)
दांतों के इम्प्लांट्स का यह तरीका सबसे कम प्रयोग में लाया जाता है। यही नहीं, यह सबसे जटिल प्रक्रिया भी है इसे केवल तभी कराना चाहिए जब आप एंडोस्टील इम्प्लांट्स कराने में बिल्कुल भी सक्षम न हों। इस इम्प्लांट्स को रोगी के जबड़े की हड्डी की जगह गाल की हड्डी पर किया जाता है।
3D इमेजिंग
अब तकनीक के विकसित होने के साथ ही डेंटिस्ट हमारे जबड़ों को 3D मॉडल में भी देख सकते हैं। सॉफ्टवेयर का अध्ययन करके आपके डेंटिस्ट आपके लिए सही इम्प्लांट प्रक्रिया को चुन सकते हैं।
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इमीडिएट लोड डेंटल इम्प्लांट (Immediate load Dental Implants)
डेंटल इम्प्लांट तरीका ऐसे ही काम करता है जैसे आप अपने गाड़ी का टायर बदलते हैं। बस इसमें टायर नहीं दांतो को बदला जाता है, लेकिन यह प्रक्रिया आपके अस्थायी दांत को अस्थायी स्थान दिलाती है।
मिनी डेंटल इम्प्लांट (Mini Dental Implants)
यह टूथपिक के आकार के इम्प्लांट्स होते हैं और बेहद संकरे होते हैं। इनका प्रयोग खासतौर पर निचले डेन्चर को स्थिरता देने के लिए किया जाता है। यह अन्य तरीकों की तुलना में नए नहीं हैं, लेकिन आप चाहें तो इसका भी प्रयोग कर सकते हैं।
ऑल-ऑन -4 इम्प्लांट
दांतों के ऊपर या नीचे सेट रखने का एक विकल्प है, जिसे पूर्ण आर्क कहा जाता है। हड्डी के ग्राफ्टिंग की आवश्यकता को टालते हुए, चार अस्थि इम्प्लांट्स उपलब्ध हड्डी में रखे गए हैं। विशेष एबटमेंट का उपयोग किया जाता है, ताकि प्रतिस्थापन दांतों का एक अस्थायी सेट उसी दिन रखा जा सके। इसके लिए आप एक तय आहार का पालन करें। इंप्लांट्स आपकी प्राकृतिक हड्डी के साथ जुड़ जाते हैं। इस दौरान, लगभग छह महीने के बाद, स्थायी प्रतिस्थापन दांत रखे जाएंगे और आप नियमित आहार फिर से शुरू कर सकते हैं।
डेंटल इम्प्लांट कराने में कितनी लागत आती है? (Dental Implants Costing)
एक बार में डेंटल इम्प्लांट की कीमत लगभग 20,000 से 50,000 हो सकती है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार और किस कंपनी के डेंटल इम्प्लांट का प्रयोग कर रहे हैं। यह कीमत इस बात पर भी निर्भर करती हैं कि आपको कितने दांत बदलने हैं। आमतौर पर डेंटल इम्प्लांट की आयु लगभग 10 साल तक हो सकती हैं। अगर आपके दांत टूट गए हैं, तो आप तुरंत अपने डेंटिस्ट से सलाह करें और उनके अपने दांत के लिए सही डेंटल इम्प्लांट के बारे में जानें और कराएं।
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किन कारणों से डेंटल इम्प्लांट की सफलता प्रभावित हो सकती है?
कई प्रकार के कारकों से डेंटल इम्प्लांट की सफलता प्रभावित हो सकती है। जिनमें निम्न शामिल हैं –
गम डिजीज (मसूड़ों का रोग)
डेंटल इम्प्लांट करवाने के लिए आपके मसूड़ों का मजबूत होना बेहद जरूरी है। अगर आपके मसूड़ों में कोई रोग है तो इस प्रक्रिया को नहीं किया जा सकता है।
मसूड़ों का रोग एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें मसूड़ों और जबड़े की हड्डी में संक्रमण विकसित होने लगता है। इस संक्रमण का इलाज न करवाने पर इम्प्लांट के आसपास यह विकसित हो सकता है जिसके कारण इम्प्लांट फेल हो जाता है।
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धूम्रपान
धूम्रपान के कारण भी डेंटल इम्प्लांट्स में समस्या आ सकती है। दरअसल स्मोकिंग के कारण मसूड़ों में रक्त प्रवाह नहीं हो पाता है जिससे इलाज की प्रक्रिया में देरी आती है। कई अध्ययनों के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोगों में 20 प्रतिशत डेंटल इम्प्लांट्स के फेल होने की आशंका रहती है।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
यदि आपको ऑटो इम्यून डिजीज या रूमेटाइड अर्थराइटिस और डायबिटीज है तो डेंटल इम्प्लांट्स के फेल होने की आशंका बढ़ सकती है। कुछ विशेष प्रकार की दवाओं के कारण भी डेंटल इम्प्लांट्स का फेल होना संभावित है।
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खराब डेंटल केयर
अगर आप डेंटल इम्प्लांट्स के लिए जाने वाले हैं तो अपने सर्जन के लिए कुछ सवाल जरूर तैयार कर लें। निम्न कुछ ऐसे सवाल हैं जो आप अपनी डेंटल टीम से पूछ सकते हैं ।
- डेंटिस्ट से पूछें कि उन्हें कितने वर्षों का अनुभव है?
- वह अब तक कितने डेंटल इम्प्लांट्स कर चुके हैं? और एक वर्ष में कितने करते हैं?
- डेंटिस्ट द्वारा किए गए डेंटल इम्प्लांट्स का सक्सेस रेट कितना है?
ऐसा इसलिए है क्योंकि कई बार अनुभवहीन डेंटल सर्जन के कारण भी डेंटल इम्प्लांट्स की सफलता में कमी आ सकती है। सभी सर्जन एक समान नहीं होते हैं जिसके कारण अनुभवहीन सर्जन द्वारा डेंटल इम्प्लांट्स करवाने पर फेलियर रेट बढ़ने की आशंका रहती है।
उम्मीद है अब आपको डेंटल इम्प्लांट क्या है का जवाब मिल गया होगा और इसकी लागत और प्रकार को भी जान गए होंगे।
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