बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं। पेरेंट्स उन्हें जिस रूप में ढ़ालते हैं, बच्चे वैसे ही बन जाते हैं। अगर आप बच्चे को डरपोक बनाएंगे तो वह वैसा बनेगा और आत्मविश्वासी बनाएंगे तो वह वैसा होगा। इसलिए बच्चे में आत्मविश्वास शुरू से विकसित करें। कभी-कभी देखा गया है कि बच्चे बड़ों के सामने अपनी बात को कहने में हिचकते हैं। ऐसे में माता पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चे के अंदर आत्मविश्वास पैदा करें।
यह भी पढ़ें : बच्चे को ब्रश करना कैसे सिखाएं ?
बच्चे को प्यार दें
बच्चे प्यार के भूखे होते है। आपका प्यार बच्चे में आत्मविश्वास पैदा कर सकता है। जब घर कोई मेहमान आते हैं तो बच्चे को आप समय नहीं दे पाते हैं। ऐसे वक्त में बच्चे को लगता है कि आप उसे नजरअंदाज कर रहे हैं। जिससे वह मेहमानों के सामने आने से कतराने लगता है और नर्वस हो जाता है। इस परिस्थिति में आप बच्चे को गले लगाएं और उसे बताएं कि आप उसे कितना चाहते हैं। इसके अलावा बच्चे को समझाएं कि वह मेहमानों के सामने पूरे आत्मविश्वास के सामने जाए।
बच्चे के प्रयास की तारीफ करें
बच्चा कोई भी एक्टिविटी करता है तो उसकी तारीफ करनी चाहिए। ऐसा करने से बच्चे में आत्मविश्वास सशक्त होता है। माता-पिता द्वारा अपनी तारीफ सुन कर अच्छे काम को दोहराने की कोशिश करते हैं। बच्चे को ड्रॉइंग करने के लिए दें और उसकी तारीफ करें। ऐसा करने से बच्चा कुछ अच्छा करने के बारे में सोचेगा।
यह भी पढ़ें ः जिद्दी बच्चों को संभालने के 3 कुशल तरीके
अपनों से होती है आत्मविश्वास की शुरुआत
बच्चा जो भी सीखता है अपनों से सिखता है। इसलिए बच्चे के सामने आत्मविश्वास के साथ बात करें। बच्चे को घर के अन्य सदस्यों व अपने मित्रों के सामने बोलने के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से बच्चे के अंदर की झिझक निकल जाएगी और वह बेबाकी से अपनी बात रख सकेगा। ऐसा करने से बच्चे के अंदर आत्मविश्वास आएगा।
आई कॉनटेक्ट कर के बात करें
अच्छे तरह से बात करने के लिए आई कॉनटेक्ट (Eye Contact) बहुत जरूरी है। बच्चे के अंदर आत्मविश्वास तभी आएगा जब आप खुद उससे आई कॉनटेक्ट के साथ बात करेंगे।। इससे मन की झिझक दूर होगी और बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ेगा।
यह भी पढ़ें : बच्चों के डिसऑर्डर पेरेंट्स को भी करते हैं परेशान, जानें इनके लक्षण
बच्चे को दें जिम्मेदारी
जिम्मेदारी आत्मविश्वास का द्योतक है। बच्चे को कोई न कोई काम दें और उसे जिम्मेदारी से निभाने का निर्देश दें। लेकिन, बतौर माता-पिता आप भी उस काम पर निगरानी बना कर रखें। जैसे कि बच्चा अगर दो साल का है तो उससे टीवी का रिमोट लाने के लिए कहें। उसे कहे कि ध्यान से लेकर आओ। जब वह काम को पूरा कर ले तो उसे शाबाशी दें। इससे बच्चे के अंदर आत्मविश्वास आएगा।
यह भी पढ़ें: क्या आप बच्चे को ओवर प्रोटेक्टिव कर रहे हैं?
बच्चे को रखें नकारात्मक सोच से दूर
बच्चे को किसी काम के लिए कभी भी ये ना कहें कि “तुम रहने दो, तुमसे नहीं हो पाएगा।“ हमेशा बच्चे को कहें कि “तुम ये काम कर सकते हो, पर अभी इस काम को मुझे करने दो।” आपके ऐसा बोलने से बच्चे के मन में नकारात्मक ख्याल नहीं आएंगे। बच्चा आपकी बात को मानेगा और खुद के अंदर आत्मविश्वास भी महसूस करेगा।
यह भी पढ़ें: बच्चे के सुसाइड थॉट को अनदेखा न करें, इन बातों का रखें ध्यान
महापुरुषों के बारे में बच्चे को बताएं
बच्चों को कहानियां पसंद हैं। बच्चे को हमेशा महापुरुषों की कहानियां सुनाएं और उनका अनुसरण करने के लिए कहें। इससे बच्चे में अच्छी आदतें आती हैं। अच्छी आदतों के साथ-साथ बच्चे में आत्मविश्वास का विकास होता है।
बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उनसे बात करें
बच्चे में शुरूआती सामाजिक कौशल और आत्मविश्वास पेरेंट्स के साथ संबंध और संवाद पर अधिक निर्भर करता है। बच्चों में इनसे सामाजिक कौशल विकसित होने लगते हैं, जो उनके आत्मविश्वास बनाने में बहुत जरूरी होता है। इसलिए अपने बच्चों के साथ प्रभावी संवाद बनाए रखने की कोशिश करें। ताकि, आपको बच्चों की कमजोरी और अच्छाईयों का पता चल सके। इससे संबंध विकसित करने में मदद मिलेगी और बच्चे में खुल कर बोलने का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ाना है तो अपनी पसंद को चुनने का मौका दें
बच्चे में आत्मविश्वास उनके पसंद के कामों को करने से अधिक मिलता है। उन्हें अपनी पसंद चुनने, विकल्प आदि शेयर करने में बच्चे की मदद करने में पेरेंट्स की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। उनकी इच्छाओं के बारे में जान कर अपनी पसंद उसे खुद चुनने को प्रोत्साहित करें। यह उनकी आत्मविश्वास विकसित करने का सब से अच्छा तरीका है। ऐसा करना बच्चों को जीवन में फैसले लेने और समझने में सक्षम करता है।
बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उन्हें बताएं कि वे खास हैं
छोटी उम्र में बच्चे अक्सर जल्दी निराश हो जाते हैं। इतना ही नहीं निराशा होने पर बच्चे नकारात्मक सोच भी विकसित कर लेते हैं। वे सोचने लगते हैं कि कोई उनसे प्यार नहीं करता। बच्चा जब नकारात्मकता से घिर जाता है, तो वह चिड़चिड़ा भी होने लगता है। साथ ही यह नकारात्मकता बच्चों की रोज की दिनचर्या में भी दिखती है। ऐसे में बच्चों की भूख कम हो जाती है। पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता और साथ ही उनके सोने के पैटर्न में भी बदलाव देखने को मिलते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चे को समय-समय पर बताते रहें कि वह आपके लिए कितने खास हैं।
बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए कहें कि उनपर गर्व है
बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए जरूरी है कि जब भी वे कोई अच्छा काम करें, तो उन्हें बताएं कि आपको उन पर गर्व है। वहीं दूसरी ओर जब वे ठीक से काम नहीं करते, तो पेरेंट्स को उनपर चिल्लाने या गुस्सा करने की बजाए उन्हें प्यार से समझाने की जरूरत होती है। इससे भी बच्चों में आत्मविश्वास कम होने लगता है। ऐसे में बच्चों को समय-समय पर बताएं कि गलतियां करना बुरी बात नहीं है बल्कि गलतियों से कुछ भी न सिखकर उन्हें दोहराना बुरी बात है।
इन तरीकों से बच्चे के अंदर आप तेजी से बच्चे में आत्मविश्वास को बढ़ा सकते हैं। बच्चे को हमेशा असफलताओं को स्वीकारना सिखाएं। ताकि, अगर बच्चा कभी असफल हो जाएं तो उसका आत्मविश्वास कमजोर नहीं होगा। बच्चे में आत्मविश्वास को हमेशा बनाए रखने का प्रयास करते रहें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
और पढ़ें:
पिता के लिए ब्रेस्टफीडिंग की जानकारी है जरूरी, पेरेंटिंग में मां को मिलेगी राहत
वजायनल सीडिंग (Vaginal Seeding) क्या सुरक्षित है शिशु के लिए?
ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम कम करता है स्तनपान, जानें कैसे
प्रेग्नेंसी के दौरान होता है टेलबोन पेन, जानिए इसके कारण और लक्षण
[embed-health-tool-vaccination-tool]