अधिकतर पेरेंटस अपने पहले और दूसरे बच्चे के बीच बीच अंतर रखना चाहते हैं। ताकि उनकी देखभाल अच्छे से की जाए। लेकिन, अधिकतर महिलाएं इस बात को लेकर परेशान रहती हैं कि वे बर्थ कंट्रोल (Birth control) कैसे कर सकती हैं? यूं तो माना जाता है कि अगर मां नियमित रूप से बच्चे को स्तनपान (Breastfeeding) कराती है तो वह बहुत हद तक अनचाहे गर्भधारण (Unwanted Pregnancy) से बच सकती है। लेकिन, इसे पूरी तरह से सुरक्षित मानना ठीक नहीं है। काशी मेडिकेयर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शिप्रा धर ने हैलो स्वास्थ्य को बताया कि “गर्भ निरोधक का सुरक्षित तरीका स्तनपान तो नहीं है लेकिन, फिर भी यह बहुत हद तक कारगर साबित हो सकता है। इसके अलावा, महिला अन्य कई तरह के गर्भनिरोधक (Contraceptive) का इस्तेमाल कर सकती है।”
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क्या स्तनपान के दौरान गर्भनिरोधक दवाएं हैं सुरक्षित?
डॉ. शिप्रा धर ने बताया कि “स्तनपान के दौरान गर्भनिरोधक गोलियां (Birth Control Pills) लेना सही नहीं है। डिलिवरी के बाद स्तनपान के दौरान मां के शरीर में प्रोलैक्टिन हार्मोन (Prolactin Hormone) बनता है। ये हार्मोन मां में दूध उत्पादन में मदद करता है। प्रोलैक्टिन हार्मोन बनने से ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन, फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन नहीं बन पाते हैं। ये सभी हॉर्मोन गर्भधारण के लिए उत्तरदायी होते हैं। अगर मां गर्भनिरोधक गोलियां लेना शुरू करती है, तो एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन बनने लगते हैं और ब्रेस्ट मिल्क में कमी आ जाती है। तो कहा जा सकता है कि स्तनपान खुद में भी एक बर्थ कंट्रोल है।“
स्तनपान में बर्थ कंट्रोल (Birth Control) का कौन सा उपाय है सुरक्षित?
गर्भनिरोधक इंजेक्शन (Birth control injection)
गर्भधारण से बचने के लिए स्तनपान के दौरान आप गर्भनिरोधक इंजेक्शन का इस्तेमाल कर सकती हैं। बर्थ कंट्रोल की दवा का भी सेवन किया जाता है। इस इंजेक्शन का नाम डिपो मेड्रोक्सी प्रोजेस्ट्रॉन एसीटेट (DMPA) है। इस इंजेक्शन के प्रयोग से महिला को तीन माह गर्भ धारण होने का रिस्क नहीं रहता है। इस इंजेक्शन का असर महिला के अंडाणु पर पड़ता है। इसके बाद बच्चेदानी के मुंह पर एक झिल्लीनुमा दीवार बन जाती है, जिससे महिला के शरीर में शुक्राणु (Sperm) नहीं जा पाते हैं। इससे बर्थ कंट्रोल होता है।
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आईयूडी (IUD)
आईयूडी का पूरा नाम इंट्रा यूटेराइन डिवाइस है। आईयूडी आकार में छोटा और पेपर क्लिप जैसा होता है। इसे लोग कॉपर-टी के नाम से भी जानते हैं। ये प्लास्टिक का बना होता है और इस पर कॉपर का तार लिपटा रहता है। साथ ही इससे एक धागा निकला रहता है। आईयूडी से आप लगभग तीन से पांच साल तक अपनी योनि में रख सकती हैं।
कंडोम (Condom)
सेफ सेक्स के लिए अधिकतर लोग कंडोम का इस्तेमाल बेस्ट मानते हैं। यह एक रबड़ का बना सबसे सुरक्षित गर्भनिरोधक उपाय है, जिससे सेक्स के दौरान शुक्राणु महिला के गर्भाशय में प्रवेश नहीं कर पाते हैं। कंडोम महिला और पुरुष दोनों के लिए उपलब्ध हैं। दोनों के में से किसी एक के इसके इस्तेमाल से अनचाहे गर्भधारण को रोका जा सकता है।
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गर्भनिरोधक रिंग्स (Contraceptive vaginal ring)
गर्भनिरोधक रिंग्स को डॉक्टर महिला के योनि के अंदर फिक्स करते हैं, जिससे गर्भ धारण नहीं होता है। यह रिंग नर्म प्लास्टिक की बनी होती है। इस रिंग पर हार्मोन की एक पर्त रहती है जो बर्थ कंट्रोल में मदद करती है।
ये कुछ गर्भनिरोधक उपाय हैं जो आप स्तनपान के दौरान बर्थ कंट्रोल के लिए उपयोग कर सकती हैं। इस तरह के उपायों को अपनाकर आप अनचाहे गर्भधारण से बच सकती हैं।
स्तनपान कैसे करता है बर्थ कंट्रोल?
स्तनपान के दौरान बर्थ कंट्रोल के कई कारण हैं, जैसे- हॉर्मोन, माहवारी का न आना आदि। मेडिकल साइंस की भाषा में हम इसे लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड भी कहते हैं। जब महिलाएं बच्चे को स्तनपान कराती हैं, तो उनके शरीर में ऐसे बदलाव आते हैं, जो ज्यादातर हॉर्मोन में बदलाव के कारण होते हैं। यही कारण है महिलाएं अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी से दूर हो सकती हैं।
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लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड (Lactational Amenorrhea Method) क्या है?
लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड को शॉर्ट में एलएएम भी कहते हैं। इसे स्तनपान गर्भनिरोधक विधि के तौर भी जाना जाता है। इस वजह से बर्थ कंट्रोल स्वतः होने वाली एक प्रक्रिया है। डिलिवरी के तुरंत बाद महिला के योनि से रक्तस्राव शुरू हो जाता है, जो लगभग एक माह तक चलता रहता है। वहीं, मां द्वारा बच्चे को जन्म के तुरंत बाद से ही स्तनपान कराया जाता है जो कि मां के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। एक माह रक्तस्राव के बाद मां को आने वाले कुछ माह (लगभग पांच या छह महीने) तक माहवारी नहीं आती है। जिससे गर्भधारण होने का जोखिम कम हो जाता है।
लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड (Lactational Amenorrhea Method) कितना प्रभावी है?
लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। डॉ. शिप्रा धर ने बताया कि स्तनपान के दौरान 70 फीसदी गर्भधारण न करने की संभावना होती है। लेकिन, 30 प्रतिशत तक की संभावना होती है कि स्तनपान के दौरान मां को गर्भधारण हो सकता है। ऐसे में स्थाई उपाय यही है कि मां को डिलिवरी के तीन महीने के बाद से गर्भनिरोधक उपायों को अपनाना शुरू कर देना चाहिए, जिसमें गर्भ निरोधक गोलियां, कॉपर टी, गर्भ निरोधक इंजेक्शन और कंडोम शामिल है।
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स्तनपान (Breastfeeding) के दौरान हॉर्मोंस की भूमिका
डिलिवरी के बाद जब मां स्तनपान शुरू कराती है तो उसके शरीर में प्रोलैक्टिन हॉर्मोन (Prolactin Hormone) बनते है। ये हॉर्मोन मां को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करता है और दुग्ध उत्पादन में मदद करता है। प्रोलैक्टिन हॉर्मोन बनने से ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (LTH), फॉलिकल स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन (FSH), इस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन नहीं बन पाते हैं। ये सभी हॉर्मोन गर्भधारण के लिए उत्तरदायी होते हैं। अगर मां बच्चे को नियमित रूप या सही तरीके से स्तनपान नहीं करा रही है, तो प्रोलैक्टिन हॉर्मोन की अनियमितता हो जाती है और गर्भधारण होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए बर्थ कंट्रोल के लिए आप नियमित रूप से बच्चे को स्तनपान कराते रहें।
माहवारी (Periods) का न आना
डिलिवरी के तुरंत बाद मां की योनि से लगभग एक माह तक रक्तस्राव होता रहता है, जिसमें बच्चेदानी से दूषित रक्त निकल जाता है। इस तरह से आगे आने वाले महीनों में महिला को माहवारी नहीं आती है। इसके लिए भी प्रोलैक्टिन हॉर्मोन जिम्मेदार है। माहवारी न आने से मां स्तनपान के दौरान भी गर्भधारण नहीं कर सकती है, जिससे अनचाही प्रेग्नेंसी (Unwanted Pregnancy) का जोखिम कम हो जाता है।
बर्थ कंट्रोल से संबंधित अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
बर्थ कंट्रोल से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें।
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