बच्चा जब स्वस्थ हो, अच्छी तरह से ब्रेस्टफीडिंग करता हो और जब चैन की नींद ले रहा होता है, तो यह किसी भी मां के लिए किसी सुखद अनुभव से कम नहीं होता है। पेरेंट्स बच्चे की हर छोटी-सी छोटी परेशानियों को समझ जाते हैं लेकिन, क्या आपने बच्चे को पसीना (Sweaty Baby) आना नोटिस किया है। कहते हैं शरीर से पसीना आना जरूरी है क्या बच्चे को पसीना आना कितना जरूरी है, इस बारे में सोचा है आपने? सोते हुए बच्चे को पसीना आना कहीं कोई शारीरिक परेशानी की ओर इशारा तो नहीं करता है? ऐसे ही कई सवालों को समझने की कोशिश करेंगे।
बच्चे को पसीना (Sweaty Baby) आना क्या यह कोई परेशानी है?
बच्चे को पसीना आना सामान्य होता है लेकिन सोने के दौरान कुछ बच्चों को ज्यादा पसीना आता है। बच्चे को पसीना आना खासकर रात के वक्त सोने के दौरान ऐसा होता है तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे को पसीना आना (Sweaty Baby) खासकर रात के वक्त और सोने के दौरान ऐसा होता है तो यह इंफेक्शन की ओर इशारा करता है। इसलिए पेरेंट्स को बच्चे में होने वाले इस परेशानी को टालना नहीं चाहिए।
बच्चे को पसीना आना, इसके लक्षण क्या हो सकते हैं? (Symptoms of Sweaty Baby)
बच्चे को पसीना आना, इसके लक्षण या पसीना आने के साथ-साथ निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं। जैसे:-
- लोकल स्वेटिंग: लोकल स्वेटिंग का अर्थ है किसी एक ही शरीर के हिस्से में पसीना आना। जैसे सिर्फ सिर, माथे या चेहरे पर पसीना आता है। कई बार तो बच्चे के सिर से इतना पसीना आता है की बच्चे का तकिया (Child’s pillow) भी भीग जाता है। बड़े लोगों में ज्यादतर पसीना आर्मपिट से आता है।
- जेनरल स्वेटिंग: जेनरल स्वेटिंग का अर्थ है शरीर के पूरे हिस्से से पसीना आना। जेनरल स्वेटिंग की समस्या जिन बच्चों को होती हैं उनके तकिये चादर भी गीले हो जाते हैं।
- चेहरा और शरीर का लाल होना
- शरीर और हथेली गर्म होना
- बच्चे का सुस्त पड़ना
- बच्चे का बीच रात में घबराना, रोना और पसीना आना
- अत्यधिक पसीना आने की वजह से रात में बच्चे का न सोना
- बच्चे को पूरे दिन पसीना नहीं आना और रात के वक्त सोने के बाद बच्चे को पसीना आना
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बच्चे को पसीना आना, इसके क्या कारण हो सकते हैं? (Cause of Sweaty Baby)
रात के वक्त पसीना आना इसे दो अलग-अलग तरह से देखा जाता है।
- प्राइमरी स्वेटिंग: बिना किसी कारण पसीना आना
- सेकेंडरी स्वेटिंग: शारीरिक परेशानी की वजह से पसीना आना
बच्चे को पसीना आना, इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। इन कारणों में शामिल है:
बच्चे को पसीना आना: बच्चे का मूवमेंट
छोटे बच्चे बड़े लोगों की तरह करवट नहीं ले पाते हैं और इस दौरान आने वाले पसीने को पोछ भी नहीं पाते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे का एक ही करवट लगातार सोने की वजह से शरीर का टेम्प्रेचर बढ़ जाता है। टेम्प्रेचर बढ़ने की वजह से बच्चे को पसीना आना (Sweaty Baby) स्वाभाविक होता है।
बच्चे को पसीना आना: स्वेट ग्लैंड
बच्चे को पसीना आना: रूम टेम्प्रेचर या वातावरण का तापमान
कभी-कभी वातावरण का तापमान ज्यादा होता है, जिस वजह से बच्चे को पसीना आने लगता है। ऐसे ही अगर रूम का तापमान ज्यादा होने पर भी हो सकता है। इसलिए कमरे में वेंटिलेशन होना चाहिए या खिड़कियों को खुला रखना चाहिए।
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बच्चे को पसीना आना: चादर या कंबल
पेरेंट्स हमेशा ही अपने बच्चे की देख-रेख में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं लेकिन, कभी-कभी केयरिंग थोड़ी ज्यादा भी हो जाती है। जब बच्चा सो रहा होता है, तो माता-पिता बच्चे को चादर या कंबल से ढक देते हैं। सर्दियों के मौसम ऐसा करना चाहिए लेकिन, जब मौसम थोड़ा गर्म हो तो ऐसे में मौसम का तापमान समझकर चादर या कंबल से ढकना चाहिए। चादर या कंबल की वजह से शरीर का तापमान बढ़ने की वजह से बच्चे को पसीना आना स्वभाविक होता है।
बच्चे को पसीना आना: डर या सपना
अगर बच्चे सोते हुए डरते हैं या कोई डरावना सपना देख लेते हैं, तो बच्चे को पसीना आ सकता है। हालांकि ऐसी समस्या कभी-कभी होती है। इसलिए ऐसी स्थिति में पेरेंट्स को परेशान होने की जरूरत नहीं होती है। ऐसे वक्त में सिर्फ बच्चे के साथ रहें और अगर बच्चे की उम्र दो साल से ज्यादा है तो उन्हें प्यार से समझाएं।
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बच्चे में पसीना आने के उपरोक्त कारणों के साथ-साथ निम्नलिखित कारणों को भी जानना जरूरी होता है। इन कारणों पर माता-पिता को गौर करना चाहिए। जैसे:-
बच्चे को पसीना आना: 1. हृदय रोग
जिन बच्चों को रात के सोने के दौरान पसीना ज्यादा आता है उन्हें जन्म से ही हार्ट डिजीज की समस्या देखी गई है। ऐसे बच्चों को खाना खाने के दौरान भी सामान्य से ज्यादा पसीना आता है।
बच्चे को पसीना आना: 2. स्लीप एपनिया
स्लीप एपनिया बड़ों के साथ-साथ बच्चों में भी होने वाली परेशानी है। किसी भी बच्चे को रात को सोते हुए अगर पसीना ज्यादा आता है, तो स्लीप एपनिया की वजह से ऐसा हो सकता है। ऐसी स्थिति में बच्चे की त्वचा नीली पड़ने लगती है और बच्चे को घबराहट महसूस होती है। बच्चे में होने वाली इस परेशानी को पेरेंट्स अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
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बच्चे को पसीना आना: 3. छोटी उम्र में कैंसर
रात के वक्त अत्यधिक पसीना आने के कारण लिम्फोमास (Lymphomas) या किसी अन्य तरह के कैंसर का खतरा होता है। इसलिए अगर बच्चो को रात के वक्त सोने पर सामान्य से ज्यादा पसीना आता है, तो निम्नलिखित लक्षणों पर ध्यान देना आवश्यक होता है। जैसे –
- बार-बार बुखार आना
- खाना ठीक तरह डायजेस्ट नहीं होना
- जी मिचलाना
- उल्टी होना
- शरीर का वजन कम होना
- खाना खाने में परेशानी होना
- सांस लेने में समस्या होना
- कफ की परेशानी होना
बच्चे को पसीना आना: 4. लंग्स से संबंधित परेशानी
बच्चे जिन्हें हाइपरसेंसिटिविटी निमोनिया (Hypersensitivity pneumonitis) की समस्या होती है उन्हें सोने के दौरान सामान्य से ज्यादा पसीना आ सकता है। कुछ बच्चों को लंग्स में सूजन की भी परेशानी होती है। ऐसा प्रायः एलर्जी की वजह से होता है। इसलिए डस्ट वाली जगहों पर बच्चों को नहीं जाने देना चाहिए और ऐसी जगहों पर मास्क पहनाना चाहिए। हाइपरसेंसिटिविटी निमोनिया अगर कोई बच्चा डस्ट के संपर्क में आया है, तो दो से नौ घंटे के बाद शुरू हो सकती है। अस्थमा की समस्या से पीड़ित बच्चों में हाइपरसेंसिटिविटी निमोनिया का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए बच्चे को पसीना आना संभव है अगर उन्हें निम्नलिखित परेशानी रहती है तो-
- कफ की समस्या
- सांस लेने में परेशानी
- ठंड लगना
- बुखार आना
- बच्चे का सुस्त लगना
बच्चे को पसीना आना: 5. हॉर्मोन में बदलाव
आठ से नौ आयु वर्ग के बच्चों (लड़का या लकड़ी) को रात को सोने के दौरान पसीना आना किसी बीमारी की ओर इशारा नहीं करता है। इन बच्चों में हॉर्मोन में हो रहे बदलाव की वजह से भी पसीना आ सकता है। यह किसी परेशानी की ओर इशारा नहीं करता है लेकिन, अगर बच्चे को कोई परेशानी महसूस हो रही है या अगर वह पसीने की वजह से नींद पूरी नहीं कर पा रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। मस्तिष्क और शरीर के सही विकास के लिए नींद की अहम भूमिका होती है।
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बच्चे को पसीना आना: 6. सामान्य हेल्थ कंडीशन
सोते वक्त बच्चे को पसीना आना हेल्थ कंडीशन पर भी निर्भर करता है। अगर बच्चे को नाक या गले से संबंधित कोई परेशानी है, तो सांस लेने में समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में पसीना आना स्वाभाविक होता है। कुछ रिसर्च के अनुसार जिन बच्चों को सोने के दौरान पसीना आता है उनमें निम्नलिखित शारीरिक परेशानी हो सकती है। इन परेशानियों में शामिल है:-
- एलर्जी होना
- अस्थमा की समस्या
- नाक से पानी आना (सर्दी-जुकाम)
- एग्जिमा की समस्या (स्किन एलर्जी)
- स्लीप एप्निया की परेशानी
- टॉन्सिलाइटिस की समस्या
- बच्चे का हाइपरएक्टिव होना
- बच्चे का स्वभाव गुस्सैल होना
- शरीर का तापमान ज्यादा होना
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बच्चे को पसीना आना: 7. कॉमन कोल्ड
आपके बच्चे को कभी-कभी सर्दी-जुकाम की समस्या रहती है, तो ऐसी स्थिति में भी बच्चे को सोने के दौरान पसीना आ सकता है। 6 साल से कम उम्र के बच्चों में कोल्ड की समस्या आम होती है। इन बच्चों में एक साल में कम से कम दो से तीन बार सर्दी होती है जो एक हफ्ते में ठीक भी हो जाती है। ऐसे समय भी बच्चों को पसीना ज्यादा आता है। इसलिए इन लक्षणों को ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे-
- नाक से पानी आना
- छींक आना
- गले में परेशानी महसूस होना
- कफ होना
- बच्चे को बॉडी पेन होना
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बच्चे को पसीना आना: 8. थायरॉइड
थायरॉइड की समस्या होने पर भी बच्चों को पसीना आ सकता है।
अगर आपके बच्चे या नवजात को भी सामान्य से ज्यादा पसीना आता है, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बाल रोग विशेषज्ञ बच्चे की सेहत से जुड़ी हिस्ट्री समझकर उसके अनुसार टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।
बच्चे को पसीना आना इस परेशानी को दूर करने के लिए टेस्ट की सलाह दी जाती है। इस टेस्ट के दौरान अलग-अलग तरह के टेस्ट किये जाते हैं। इनमें शामिल है-
- स्टार्च आयोडीन टेस्ट- इस टेस्ट के दौरान बच्चे की त्वचा पर एक तरह का घोल डाला जाता है, जिससे यह आसानी से पता चलता है की कौन-कौन से शारीरिक हिस्से पर अत्यधिक पसीना आता है।
- पेपर टेस्ट- बच्चे के उन अंगों पर पेपर लगाया जाता है जहां से पसीना ज्यादा आता है। टेस्ट के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली पेपर खास तरह की होती है। यह पेपर पसीने को आसानी से सोख लेता है और डॉक्टर इसके वजन से अंदाजा लगाने में सक्षम होते हैं की बच्चे के शरीर से पसीना आना सामान्य है या यह किसी वजह से हो रहा है।
- ब्लड टेस्ट- अगर बच्चे में थायरॉइड संबंधित परेशानी है, तो ब्लड टेस्ट सलाह दी जाती है। इसके साथ ही अगर कोई अन्य मेडिकल कंडीशन होने पर भी ब्लड टेस्ट करवाना पड़ सकता है।
- इमेजिंग टेस्ट- ट्यूमर संबंधित परेशानी होने पर इमेजिंग टेस्ट की जाती है।
इलाज के साथ-साथ किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
बच्चे को पसीने की समस्या से बचाने के लिए निम्नलिखित घरेलू उपाय किये जा सकते हैं। जैसे:-
- यह हमेशा ध्यान रखें की बच्चा जिस कमरे में सोने वाला हो वहां का तापमान अत्यधिक गर्म न हो। अगर आप एयर कंडीशन में बच्चे को सुलाते हैं तो टेम्प्रेचर अत्यधिक कम या ज्यादा न रखें। सोने के दौरान ज्यादा चादर या कंबल का प्रयोग न करें। इससे भी बच्चे को पसीना आ सकता है।
- बच्चे को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए उन्हें पानी पिलाते रहना चाहिए। पसीने की वजह से शरीर में हुई पानी की कमी को कम किया जा सकता है।
- बच्चे को आरामदायक कपड़े पहनाएं। सोने के वक्त कॉटन के आरामदायक कपड़े बच्चों के लिए अच्छे होते हैं। ऐसा नहीं है की आरामदायक या कॉटन के कपड़े सिर्फ उन्हीं बच्चों को पहनाना चाहिए जिन्हें पसीने की परेशानी हो।
- बच्चों को मिर्च, तेल और मसाले वाले खाने की आदत न डालें। उन्हें पौष्टिक आहार का सेवन करवाना चाहिए।
- अगर आप बच्चे को एक्सरसाइज करवाते हैं, तो उनके बॉडी टाइप और शारीरिक क्षमता को देखते हुए ही एक्सरसाइज करवाएं और डायट पर भी खास ध्यान देते रहें। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों को जिम वर्कआउट से बेहतर है आउटडोर गेम्स में इंट्रेस्ट बढ़ाएं। उन्हें दौड़ने, साईकिल चलाने और स्विमिंग की आदत डालें।
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डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?
निम्नलिखित स्थिति इस परेशानी को टाले नहीं बल्कि डॉक्टर से मिलें।
- अगर पसीने की परेशानी लंबे वक्त से चली आ रही है
- बच्चे को सीने में दर्द होने पर या चेस्ट में भारीपन महसूस होना
- शरीर का वजन कम होते रहना
- पसीना सिर्फ सोने के दौरान ही ज्यादा आता हो
- बच्चे के सिर से अत्यधिक पसीना आना और इसके साथ ही बेबी पूप और स्किन ड्राय होना
- बच्चा खर्राटा लेता हो
- अगर बच्चा सिरदर्द की शिकायत करता है और उसे पसीना भी आता हो
ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर आप बच्चे को पसीना आना देख रहीं या इस समस्या से परेशान हैं और इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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